अंतरा - प्रेमचंद - पुनरावृति नोट्स

 CBSE कक्षा 11 हिंदी (ऐच्छिक)

अंतरा गद्य-खण्ड
पाठ-1 ईदगाह
पुनरावृत्ति नोट्स


विधा- कहानी
कहानीकार- प्रेमचन्द

जीवन-परिचय-

  • जन्म सन् 1880 में वाराणसी जिले के लमही ग्राम में। मूल नाम धनपतराय। प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में। असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए सरकारी नौकरी से त्यागपत्र। उर्दू में नवाबराय के नाम से लेखन कार्य। सन् 1915 में पहली कहानी 'सरस्वती' पत्रिका में प्रकाशित। मृत्यु सन् 1936 में।

मुख्य रचनाएँ-

  • कहानी संग्रह- मानसरोवर (आठ भाग), गुप्तधन (दो भाग)
  • उपन्यास- निर्मला, सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन, गोदान
  • नाटक- कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी।
  • निबंध-संग्रह- विविध प्रसंग (तीन खंडों में) कुछ विचार।
  • संपादन कार्य- माधुरी, हंस, मर्यादा, जागरण।

साहित्यिक विशेषताएँ-

  • प्रेमचन्द ने अपनी रचनाओं में जनसाधारण की वेदना तथा सामाजिक कुरीतियों का मार्मिक चित्रण किया है। उनकी कहानियाँ भारत की संस्कृति एवं ग्रामीण जीवन के विविध रंगों से सराबोर है।

भाषा-शैली-

  • इनकी भाषा सजीव मुहावरेदार तथा बोल-चाल के निकट है। तत्सम् तथा उर्दू शब्दों का सुन्दर प्रयोग।

शैली-

  • भावपूर्ण, वर्णनात्मक तथा संवादात्मक।

पाठ- परिचय-

  • प्रेमचन्द द्वारा लिखित कहानी ‘ईदगाह’ भावनात्मक एवं बालमनोविज्ञान पर आधारित कहानी है। कहानी का प्रमुख पात्र हामिद है। जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। हामिद के चरित्र के माध्यम से अभावग्रस्त जीवन के कारण बच्चे का समय से पहले समझदार होना और इच्छाओं का दमन करना दर्शाया गया है। किस प्रकार बच्चा (हामिद) परिस्थितियों से समझौता करना सीख जाता है, यह बताया गया है।

स्मरणीय बिन्दु-

  • ईद के अवसर पर गाँव में ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही है। सभी लोग कामकाज निपटाकर ईद के मेले में जाने की जल्दी में हैं। बच्चे सबसे ज्यादा खुश हैं। उन्हें गृहस्थी की चिंताओं से कोई मतलब नहीं, उन्हें तो यह भी नहीं मालूम कि उनके अब्बाजान ईद के लिए पैसों का इंतजाम करने चौधरी कायमअली के घर दौड़े जा रहे है और यदि चौधरी पैसे उधार देने से मना कर दे तो वे ईद का त्योहार नहीं मना पाएँगें। उनका यह ईद की खुशी का अवसर मुहर्रम जैसे मातम में बदल जाएगा। बच्चों को तो बस ईदगाह जाने की जल्दी हैं।
  • हामिद चार-पाँच साल का दुबला-पतला लड़का है, वह अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। उसके माता-पिता गत वर्ष गुजर चुके हैं, परन्तु उसे बताया गया है कि उसके अब्बाजान रूपये कमाने गए हैं और उसकी अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई हैं। इसीलिए हामिद आशावान है और प्रसन्न हैं।
  • अमीना स्वयं सेवैयों के इंतजाम के लिए घर पर रहकर हामिद को तीन पैसे देकर मेले में भेज देती हैं हामिद के साथ उसके दोस्त मोहसिन, महमूद, नूरे और सम्मी भी हैं।
  • गाँव से बच्चे मेले की ओर चले, हामिद भी साथ में था। रास्ते में बड़ी-बड़ी इमारतें, फलदार वृक्ष आए। बच्चे कल्पनाशील होने के नाते तरह-तरह की कल्पनाएँ तथा उन चीजों पर टीका-टिप्पणी करते आगे बढ़ते जा रहे थे। रास्ते में पुलिस लाइन आने पर एक ने कहा-यहाँ सिपाही कवायद करते हैं। मोहसिन का कहना था कि यहीं पुलिस वाले चोरी भी करवाते हैं। हामिद सुनकर आश्चर्य होता है। इस प्रकार बालकों में पुलिस के प्रति अलग-अलग विचारधारा थी।
  • ईदगाह में नमाज का नजारा अलग ही था। नमाज के समय लाखों सिर एक साथ सजदे में झुकते हैं तथा एक साथ उठते हैं। ऐसा प्रतीत होता है उनके मन में अपार श्रद्धा का भाव होता है। उनके भीतर की भाईचारे की भावना उनको आपस में जोड़े रखते है। धर्म आपस में लोगों को जोड़ता है, तोड़ता नहीं। धर्म के नाम पर तोड़ने वाले धर्म के रहस्य को समझते ही नहीं। कोई भी धर्म मनुष्य-मनुष्य के बीच भेद नहीं करता।
  • ईदगाह में नमाज के पश्चात् हामिद के दोस्त चर्खियों पर झूलते हैं परन्तु हामिद दूर खड़ा रहता है। खिलौनों की दुकान से महमूद सिपाही, नूरे वकील, मोहसिन भिश्ती तथा सम्मी धोबिन खरीदता है। हामिद खिलौनों की निंदा करता है परन्तु साथ ही ललचाई निगाहों से उन्हें देखता भी हैं सभी मित्र मिठाईयाँ खरीदते हैं और हामिद को चिढ़ा-चिढ़ाकर खाते हैं।
  • मेले के अंत में लोहे की दुकान पर चिमटा देखकर हामिद को अपनी दादी का ख्याल आता है। दुकानदार से मोलभाव करके वह चिमटा खरीद लेता है। हामिद के तर्कों के कारण उसके सभी दोस्त उसके चिमटे से प्रभावित हो जाते हैं। घर पहुँचकर दोस्तों के खिलौने किसी न किसी प्रकार टूट जाते हैं।
  • हामिद के घर पहुँचते ही दादी अमीना उसे गोद में उठाकर प्यार करने लगी पर अचानक हाथ में चिमटा देखकर वह चौंक गई। पूछने पर हामिद बताता है कि उसने मेले से तीन पैसे का चिमटा खरीद लिया। दादी उसकी नासमझी पर क्रोधित होते हुए पूछती है कि पूरे मेले में उसे कोई और चीज खरीदने के लिए नहीं मिली। हामिद अपराधी भाव से बताता है कि दादी की ऊँगलियाँ तवे से जल जाती थी, इसलिए उसने चिमटा खरीदा। यह सुनकर बुढ़िया का क्रोध तुरन्त स्नेह में बदल गया।
  • दादी अमीना हामिद के त्याग, उसका स्नेह, उसका विवेक देखकर हैरान रह गई। सुबह से भूखा बच्चा, दूसरों को मिठाई खाते देख, कैसे इसने अपने मन को मनाया होगा। मेले में भी इसे अपनी बूढ़ी दादी की याद बनी रही। यह सब सोचकर अमीना का मन गद्गद् हो गया।
  • दादी अमीना एक बालिका के समान रोने लगी। वह दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जा रही थी तथा आँसुओं की बड़ी-बड़ी बूंदें गिराती जा रही थी। परन्तु हामिद इस रहस्य को समझने के लिए बहुत छोटा था कि दादी उसके त्याग का अनुभव कर भाव-विभोर हो गई। हामिद यह नहीं समझ पा रहा था कि वह तो दादी के लिए चिमटा लाया है तो फिर दादी रो क्यों रही हैं।