आलोक धन्वा - पुनरावृति नोट्स

 सीबीएसई कक्षा - 12 हिंदी कोर आरोह

पाठ – 02
पतंग


पाठ के सार - पतंग कविता में कवि आलोक धन्वा बच्चों की बाल सुलभ इच्छाओं और उमंगों तथा प्रकृति के साथ उनके रागात्मक संबंधों का अत्यंत सुन्दर चित्रण किया है। भादों मास गुजर जाने के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है। चारों ओर प्रकाश फैल जाता है। सवेरे के सूर्य का प्रकाश लाल चमकीला हो जाता है। शरद ऋतु के आगमन से उत्साह एवं उमंग का माहौल बन जाता है।

शरद ऋतु का यह चमकीला इशारा बच्चों को पतंग उड़ाने के लिए बुलाता है, और पतंग उड़ाने के लिए मंद मंद वायु चलाकर आकाश को इस योग्य बनाता है कि दुनिया की सबसे हलके रंगीन कागज और बांस की सबसे पतली कमानी से बनी पतंगें आकाश की ऊँचाइयों में उड़ सके। बच्चों के पाँवों की कोमलता से आकर्षित हो कर मानो धरती उनके पास आती है अन्यथा उनके पाँव धरती पर पड़ते ही नहीं ऐसा लगता है मानो वे हवा में उड़ते जा रहे हैं। पतंग उड़ाते समय बच्चे रोमांचित होते हैं। एक संगीतमय ताल पर उनके शरीर हवा में लहराते हैं वे किसी भी खतरे से बिलकुल बेखबर होते हैं। बाल मनोविज्ञान, बाल क्रिया-कलापों एवं बाल सुलभ इच्छाओं का सुंदर बिंबों के माध्यम से अंकन किया गया है।