अंतरा - धूमिल - पुनरावृति नोट्स

 CBSE कक्षा 11 हिंदी (ऐच्छिक)

अंतरा गद्य खण्ड
पाठ-10 धूमिल (घर में वापसी)
पुनरावृत्ति नोट्स


कवि परिचय-

  • साठोत्तरी कविता के सशक्त हस्ताक्षर धूमिल का पूरा नाम सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ है। इनका जन्म 9 नवम्बर 1936 को वाराणसी जिले के खेवली गाँव में हुआ। बालक सुदामा ने सन् 1953 में हाई स्कूल परीक्षा पास की। सन् 1950 में आई.टी.आई. वाराणसी से विद्युत-डिप्लोमा किया और वहीं अनुदेशक के पद पर नियुक्त हो गए। असमय ही ब्रेन-ट्यूमर हो जाने के कारण 10 फरवरी 1975 को आपका स्वर्गवास हो गया।

प्रमुख रचनाएँ-

  • बाँसुरी जल गई, ससंद से सड़क तक, कल सुनना मुझे और सुदामा पाण्डेय का प्रजातन्त्र। धूमिल को मरणोपरान्त साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

काव्यगत विशेषताएँ-

  • सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’ 'नई कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके काव्य में एक विशेष प्रकार का गाँवईपन दिखाई देता है धूमिल की कविता में पंरपरा, सभ्यता, शालीनता और भद्रता का विरोध है। इन्होंने व्यंग्यों के माध्यम से उपहास, झुंझलाहट और पीड़ा को व्यक्त किया है।

भाषा शैली-

  • इनके काव्य में मुहावरें, लोकोंक्तियों और सूक्तियों का प्रयोग मिलता है। संवाद-शैली के प्रयोग से भाषा सशक्त हो गई हैं। लाक्षणिकता और प्रतीकात्मकता इनकी भाषा की विशेषता है भाषा सरल और सहज है। इन्होंने मुक्त छंदों का प्रयोग किया हैं।

पाठ परिचय-

  • ‘घर की वापसी’ धूमिल जी की गरीबी से संघर्ष कर रहे परिवार की दुख भरी कविता है। कोई भी व्यक्ति अपने रोज़ की भाग दौड़ वाली जिन्दगी में प्रेम, ममत्व, स्नेह, सुरक्षा, ऊर्जावान रिश्ते चाहता है। वह एक ऐसा घर चाहता है जहाँ उस घर में रहने वाले लोगो के बीच आपसी सम्बन्ध मधुर, परिपक्व, ऊर्जावान हो। परन्तु इस कविता में जिस घर का उल्लेख किया है उसकी अपनी त्रासदी है। त्रासदी यह है कि उस घर के लोगों के बीच आपस में संवांदहीनता की दीवार खींच गई है। इस संवादहीनता का कारण गरीबी है। ऐसा नहीं है कि ये परिवार पैसे की ओर आकर्षित या धन का लालच रखता है। बल्कि सच तो यह है कि परिवार के सभी सदस्यों को एक-दूसरे की मजबूरी और लाचारी को जानते हैं, समझते हैं। इसलिए वे एक-दूसरे से बोलते नहीं है। यह परिवार गरीबी से लड़ते-लड़ते इतना ऊर्जाहीन, दीन-हीन जर्जर हो गया है कि आपसी रिश्तों को जीवित रखने के लिए जिस संवाद और ऊर्जा की आवश्यकता होती है, वह समाप्त हो चुकी है। परिवार में पाँच सदस्य है। सभी के बीच खून का रिश्ता है, परन्तु गरीबी के कारण ये सभी अपने मन के भावों को अभिव्यक्त भी नहीं कर पाते हैं। ये संवादहीनता इनके बीच आपस में भाषा रूपी जर्जर ताले को खोल भी नहीं पाती है। यहाँ तक कि ये आपस में एक-दूसरे के प्रति अपने दायित्वों, कर्त्तव्यों को भी गरीबी के कारण पूरा कर पाने में असमर्थ हैं। गरीबी इनके रिश्तों को आपस में जिन्दा रखने में सबसे बड़ी बाधक है।