अधिकार - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

सीबीएसई कक्षा - 11 राजनीति विज्ञान
एनसीईआरटी प्रश्नोत्तर
पाठ - 5 अधिकार

1. अधिकार क्या हैं और वे महत्त्वपूर्ण क्यों हैं? अधिकारों का दावा करने के लिए उपयुक्त आधार क्या हो सकते हैं?
उत्तर- अधिकार = अधिकार मूल रूप से ऐसे दावे हैं जिनके उद्देस्य सिद्ध होते हैं। इनके अनुसार नागरिक, व्यक्ति और मनुष्य होने के नाते हम किसके हकदार हैं। ये ऐसी चीज़ हैं जिनको हम अपना प्राप्य समझते हैं तथा जिन्हें शेष समाज वैध दावे के रूप में स्वीकार करता है।
व्यक्ति के विकास व जीवन निर्वाह के लिए अधिकार आवश्यक माने गए है। ये हमें सम्मानित और गरिमामय जीवन जीने का आधार प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, आजीवका का अधिकार सम्मानजनक जीवन जीने के लिए ज़रूरी है। लाभकर रोजगार में नियोजित होना व्यक्ति को आर्थिक स्वतंत्रता देता है, इसीलिए यह उसकी गरिमा के लिए प्रमुख है। स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार हमें सृजनात्मक तथा मौलिक होने का मौका देता है-चाहे यह लेखन के क्षेत्र में हो, अथवा नृत्य, संगीत या किसी अन्य रचनात्मक क्रियाकलाप के क्षेत्र में। इस तरह अपने जीवन निर्वाह के लिए आजीविका का अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अधिकार समाज में रहनेवाले सभी लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। अधिकारों का दावा करने के लिए उपयुक्त आधार निम्न हो सकते हैं-
  1. हर व्यक्ति एक सम्माजनक जीवन जीने का हकदार है।
  2. अधिकार हमारी बेहतरी के लिए आवश्यक हैं। ये लोगों को उनकी दक्षता और प्रतिभा विकसित करने में सहयोग देते हैं।

2. किन आधारों पर यह अधिकार अपनी प्रकृति में सार्वभौमिक माने जाते हैं?
उत्तर- निम्नलिखित आधारों पर अधिकार अपनी प्रकृति में सार्वभौमिक माने जाते हैं:-
  1. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार समाज में स्थित सभी लोगो के लिए बहुत आवश्यक माना जाता है। इस कारण ही अधिकारों की प्रकृति को सार्वभौमिक मानी जाती है।
  2. शिक्षा का अधिकार व्यक्ति के लिए आवश्यक माना जाता है और जीवन में सूझ-बूझ के साथ चयन करने में सक्षम बनाता है। व्यक्ति के जीवन के विकास के लिए शिक्षा अनिवार्य है। यही कारण है कि शिक्षा के अधिकार को सार्वभौमिक अधिकार माना गया है। अर्थात् हर व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त होना ही चाहिए।
  3. समाज के सभी व्यक्तियों को समानता पूर्ण जीवन जीने का हक है। इसके लिए ज़रूरी है कि वे किसी न किसी लाभकर रोजगार में नियोजित हों। इससे उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी जो उनके जीवन को गरिमामय बनाने के लिए आवश्यक है।

3. संक्षेप में उन नए अधिकारों की चर्चा कीजिए, जो हमारे देश में सामने रखे जा रहे हैं? उदाहरण के लिए आदिवासियों के अपने रहवास और जीने के तरीके को संरक्षित रखने तथा बच्चों के बँधुआ मज़दूरी के खिलाफ अधिकार जैसे नए अधिकारों को लिया जा सकता है।
उत्तर- विविध समाजों में अब नए-नए खतरे तथा चुनौतियाँ उभरने लगी हैं और इसी तीव्रता से उन मानवाधिकारों की सूची लगातार बढ़ती जा रही है जिनका लोगों ने दावा किया है। ये नए अधिकार हैं-
  1. महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए अधिकार की माँग।
  2. युद्ध या प्राकृतिक संकट के दौरान अनेक लोग, बच्चे या बीमार जिन बदलावों को झेलते हैं, खासकर महिलाएँ, उनके बारे में नई जागरूकता ने आजीविका के अधिकार, बच्चों के अधिकार और ऐसे अन्य अधिकारों की माँग पैदा की है।
  3. शुद्ध जल, स्वच्छ हवा तथा टिकाऊ विकास जैसे अधिकार।
  4. लोक सभा तथा राज्यों की विधान सभाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की माँग।
  5. समाज के कमजोर/गरीब तबके के लोगों के लिए शौचालयों की व्यवस्था।

4. राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों में अंतर बताइये। हर प्रकार के अधिकार के उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर- राजनीतिक अधिकार- राजनीतिक अधिकार से तातपर्य उन अधिकारों से लिया जाता है जिनके अंतर्गत नागरिको को उनके देश की शासन व्यवस्था में भाग लेने का अवसर प्राप्त होता है। राजनीतिक अधिकार व्यक्ति को एक निश्चित योग्यता के आधार पर प्राप्त होता है। जैसे, मत देने के लिए एक निश्चित आयु सीमा निर्धारित की गई है, उसी प्रकार लोक सभा के सदस्य बनने के लिए अलग आयु सीमा निर्धारित की गई है और राज्य सभा के लिए अलग। राजनीतिक अधिकार नागरिक स्वतंत्रताओं से जुड़े हुए माने जाते हैं। नागरिक स्वतंत्रता का अर्थ है-स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायिक जाँच का अधिकार, विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार तथा प्रतिवाद करने और असहमति प्रकट करने का अधिकार। नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक अधिकार मिलकर किसी सरकार की लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियाद का निर्माण करते हैं।
आर्थिक अधिकार- आर्धिक अधिकारों को भी अन्य अधिकारों के अंतर्गत महत्वपूर्ण माना जाता है ,इसके साथ ही आर्थिक अधिकार उन सुविधाओं का नाम है जिनकी वजह से व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति को अच्छी बना सकता है। कुछ मुख्य आर्थिक अधिकार हैं-काम करने का अधिकार, उचित मज़दूरी पाने का अधिकार, काम के निश्चित घंटों का अधिकार, अवकाश का अधिकार और आर्थिक सुरक्षा का अधिकार। भारत में सरकार ने ग्रामीण और शहरी गरीबों की मदद के लिए अन्य कार्यवाहियों के साथ हाल में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत की है ताकि उन लोगों को आर्थिक सुरक्षा मिल सके।
आर्थिक अधिकार राजनीतिक अधिकार से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। फुटपाथ पर रहने और भोजन, वस्त्र, आवास, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति के लिए संघर्ष करने वालों के लिए अपने-आप में राजनीतिक अधिकार का कोई मूल्य नहीं है।
सांस्कृतिक अधिकार- वर्तमान समय में लोकतांत्रिक देशों की सरकारों ने राजनीतिक तथा आर्थिक अधिकारों के साथ नागरिकों के सांस्कृतिक दावों को भी मान्यता दी है। उदाहरणार्थ, अपनी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा पाने का अधिकार, अपनी भाषा तथा संस्कृति के शिक्षण के लिए संस्थाएँ बनाने के अधिकार को बेहतर ज़िंदगी जीने के लिए आवश्यक माना जा रहा है।

5. अधिकार राज्य की सत्ता पर कुछ सीमाएँ लगाते हैं। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर- अधिकार राज्य की सत्ता पर कुछ सीमाएँ लगाते हैं इसके अंतर्गत अधिकार केवल यह नहीं बताते कि राज्य को क्या करना है, वे यह भी बताते हैं कि राज्य को क्या कुछ नहीं करना है। अर्थात् अधिकार राज्य की सत्ता पर कुछ सीमाएँ लगाते हैं, जो इस प्रकार हैं-
  1. राज्य सत्ता महज अपनी मजी से किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार नहीं कर सकती। अगर वह किसी को सलाखों के पीछे करना चाहती है, तो उसे इस कार्रवाई को उचित ठहराना पड़ेगा। उसे किसी न्यायालय के समक्ष इस व्यक्ति की स्वतंत्रता में कटौती करने का कारण बताना होगा।
  2. किसी को पकड़ने से पहले गिरफ्तारी का वारंट दिखाना पुलिस के लिए आवश्यक होता है।
इस तरह नागरिको के अधिकार यह निश्चित करते हैं कि राज्य की सत्ता वैयक्तिक जीवन और स्वतंत्रता की मर्यादा का उल्लंघन किए बगैर काम करे। राज्य संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न सत्ता हो सकता है, उसके माध्यम से निर्मित कानून बलपूर्वक लागू किए जा सकते हैं लेकिन संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न राज्य का अस्तित्व अपने लिए नहीं, बल्कि व्यक्ति के हित के लिए होता है। इसमें जनता का ही अधिक महत्त्व है और सत्तारूढ़ सरकार को उसके ही कल्याण के लिए काम करना होता है।