मियाँ नसीरुद्दीन - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

 CBSE Class 11 Hindi Core A

NCERT Solutions
Chapter 12
Krishna Sobti


1. मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है ?
उत्तर:-
 मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा कहा गया है क्योंकि वे साधारण नानबाई नहीं हैं। वे खानदानी नानबाई हैं जो मसीहाई अंदाज़ से रोटी बनाने की कला जानते हैं । अन्य नानबाई रोटी केवल पकाते हैं, पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानते हैं । उनके पास छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर है। वे अपने को सर्वश्रेष्ठ नानबाई बताते हैं ।


2. लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन की पास क्यों गई थीं?
उत्तर:-
 लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास पत्रकार की हैसियत से गई थीं । वे उनकी नानबाई कला के बारे में जानकारी प्राप्त कर उसे प्रकाशित करना चाहती थी। उसने एक मामूली, अँधेरी -सी दुकान पर पटापट आटे का ढेर सनता देखा तो वह अपनी उत्सुकता रोक न सकी और वह दुकान खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की थी।


3 . बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?

उत्तर:- बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी क्योंकि उन्हें किसी खास बादशाह का नाम मालूम ही न था। वे जो बातें बता रहे थे; वे बस सुनी-सुनाई थीं। उस बात में सच्चाई नहीं थी क्योंकि उनके किसी बुजुर्ग ने किसी बादशाह के बावर्चीखाने में कभी काम ही नहीं किया था । लेखिका को डींगे मारने के बाद वह उसे सिद्ध नहीं कर सकते थे।


4. मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मज़मून न छेड़ने का फ़ैसला किया - इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-
 बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी ।उसके बाद वे किसी को भट्टी सुलगाने के लिए पुकारने लगे। लेखिका के पूछने पर उन्होंने बताया कि वे उनके कारीगर बब्बन मियाँ हैं; तब लेखिका के मन में आया कि पूछ लें-'आपके बेटे-बेटियाँ हैं?' पर उनके चेहरे पर बेरुखी देखी तो उन्होंने उस विषय में कुछ न पूछना ही ठीक समझा।


5. पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खींचा है?
उत्तर:-
 मियाँ नसीरुद्दीन सत्तर वर्ष की आयु के हैं। मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कुछ इस प्रकार खींचा है - लेखिका ने जब दुकान के अंदर झाँका तो पाया कि मियाँ चारपाई पर बैठे बीड़ी का मजा़ ले रहे हैं। मौसमों की मार से पका चेहरा, आँखों में काइयाँ भोलापन और पेशानी पर मँजे हुए कारीगर के तेवर। वे बड़े सधे अंदाज़ में बातों का जवाब देते हैं । कभी वे पंचहजारी अंदाज में सिर हिलाते हैं तो कभी अपनी आँखों के कंचे फेरते हैं तो कभी ऑंखें तरेरते हैं । सबसे बड़ी बात कि वे डींगे मारने में सबसे माहिर हैं ।


6 . मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?
उत्तर:-
 हमें मियाँ नसीरुद्दीन की निम्नलिखित बातें अच्छी लगीं -
• उनका आत्मविश्वास से भरा व्यक्तित्व।
• काम के प्रति रूचि एवं लगाव।
• सटीक उत्तर देने की कला।
• तरह-तरह की रोटियाँ बनाने में महारत।
• शागिर्द को उचित वेतन देना।


7. तालीम की तालीम ही बड़ी चीज़ होती है - यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया हैक्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए।
उत्तर:-
 लेखिका ने तालीम शब्द का प्रयोग दो बार किया है। क्रमशः उनका अर्थ 'काम की ट्रेनिंग' और 'शिक्षा' है। हम दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह ' शिक्षा' शब्द रख सकते हैं।


8. मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया। वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं। ऐसा क्यों?
उत्तर:-
 मियाँ नसीरुद्दीन के दादा साहिब थे-आला नानबाई मियाँ कल्लन, दूसरे उनके वालिद मियाँ बरकतशाही नानबाई थे; इस प्रकार तीसरी पीढ़ी के मियाँ नसीरुद्दीन ने अपना खानदानी व्यवसाय अपनाया ।

वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं क्योंकि पारंपरिक व्यवसाय की ओर लोगों की रूचि कम हो गई हैं। अब लोग पढ़-लिखकर तकनीकी और शैक्षिक व्यवसाय की ओर जाना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें वह ज़्यादा आकर्षक और अधिक लाभप्रद लगता है


9. मियाँ, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? यह तो खोजियों की खुराफ़ात है - अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें।
उत्तर:-
 अखबारनवीस 'पत्रकार' को कहते हैं। अखबार की समाज को जागृत करने में अहम भूमिका होती हैं क्योंकि इनके लिए काम करने वाले पत्रकार नई -से-नई खबर की खोज में रहते हैं । अखबार जनता को न्याय भी दिला सकता है परंतु आजकल की अख़बारों में बातों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर लिखा जाता है जिससे लोगों में उनका प्रभाव कम हो गया है।

• भाषा की बात

1. तीन-चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें।
1. पंचहजा़री अंदाज़ से सिर हिलाया।
2. आँखों के कंचे हम पर फेर दिए।
3. आ बैठे उन्हीं के ठीये पर।

उत्तर:-
 1. हमारे पड़ोसी आस-पड़ोस के लोग को मुफ़्त में योग सिखाते हैं। एक दिन मैंने उनकी तारीफ़ की तो उन्होंने पंचहजा़री अंदाज़ में सिर हिलाया।
2. हमारे मित्र जब अपनी कविता की बढ़-चढ़कर प्रशंसा कर रहे थे तो मैंने उनसे बेहतर कविताओं के उदाहरण दिए; इस पर नाराज़ होकर उन्होंने हम पर अपनी आँखों के कंचे फेर दिए।
3. कर्तव्यनिष्ठ पिताजी के स्वर्ग सिधारने के बाद उनका नाकारा बेटा आ बैठा ;उन्हीं के ठीये पर।


2. बिटर-बिटर देखना - यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है? देखने संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया-विशेषणों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए।
उत्तर:-
 • घूर-घूरकर देखना - बस में एक बदमाश युवक उस युवती को घूर-घूरकर देख रहा था।
• टकटकी लगाकर देखना - चाँदनी रात में आसमान में खिले चाँद-तारों को टकटकी लगाकर देखना अच्छा लगता है।
• चोरी-चोरी देखना - घर में सभी की उपस्थिति की वजह से सोहन अपनी मंगेतर को चोरी-चोरी देख रहा था।
• सहमी-सहमी नज़रों से देखना - भीड़ में खोया हुआ बच्चा जब अपने परिवार को मिलता है तब वह सहमी-सहमी नज़रों से सबको देखता है।


3. नीचे दिए वाक्यों में अर्थ पर बल देने के लिए शब्द-क्रम परिवर्तित किया गया है। सामान्यतः इन वाक्यों को किस क्रम में लिखा जाता है? लिखें।
क) मियाँ मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए।
ख) निकाल लेंगे वक्त थोड़ा।
ग) दिमाग में चक्कर काट गई है बात।
घ) रोटी जनाब पकती है आँच से।

उत्तर:-
 क) मियाँ छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं।
ख) थोड़ा वक्त निकाल लेंगे।
ग) बात दिमाग में चक्कर काट गई है।
घ) जनाब! रोटी आँच से पकती है।