वसंत बाज और साँप - नोट्स

CBSE पुनरावृति नोट्स
CLASS - 8 hindi
पाठ - 17 
बाज और साँप
- निर्मल वर्मा

पाठ के सारांश- इस पाठ में दो प्राणियों के जीवन एवं उनके जीने और सोचने के ढंग का वर्णन हैं। पहला प्राणी बाज, जो साहस का प्रतीक है, अपनी जान की परवाह किए बिना आसमान की ऊँचाइयाँ नापता है। वह स्वतंत्रता को अपनी जान से भी बढ़कर चाहता है। दूसरा प्राणी साँप अपनी नम एवं अँधेरी खोखल तक ही सीमित रहता है। बाज का साहस उस कायर प्राणी में भी साहस भर देता है।
समुद्र के किनारे ऊँचे पर्वत की अँधेरी गुफ़ा में एक साँप ने अपना वास बना रखा था। समुद्र की लहरें चमकतीं, झिलमिलातीं और चट्टानों से टकराया करती थीं। पर्वत की अँधेरी घाटियों में एक नदी बहती थी, जो पूरे वेग के साथ समुद्र की ओर जाती थी। नदी और समुद्र के मिलन-स्थल पर लहरें दूध-सी सफ़ेद दिखाई पड़ती थीं।
अपनी गुफ़ा में बैठा साँप लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती पहाड़ियाँ नदी की गुस्से-भरी आवाज़ सबकुछ देखा-सुना करता था। वह इनके गर्जन-तर्जन से स्वयं को सुखी समझता था। और वह अपने आपको सबसे दूर, सुखी तथा अपनी गुफ़ा का मालिक समझता था। यही उसका सबसे बड़ा सुख था।
एक दिन एक बाज खून से लथपथ दशा में गुफ़ा में आ गिरा। उसके सीने पर जख्म थे तथा पंख खून से सने थे। ज़मीन पर गिरते ही उसने ज़ोर की चीख मारी और धरती पर लोटने लगा। डरे साँप ने सोचा कि अब जब बाज अपनी अंतिम साँसें गिन रहा है तो उससे डरना बेकार है। साँप घायल बाज के पास पहुँचा और मन-ही-मन खुश होकर बोला, ‘क्यों भाई, इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली?’ बाज ने कराह भरते हुए कहा, ‘लगता है कि मेरी आखिरी घड़ी आ गई है, परंतु मैंने अपनी ज़िंदगी को जी भरकर भोगा है। शरीर में ताकत रहते मैंने हर सुख को भोग लिया है। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को नापा है, पर तुम्हारा दुर्भाग्य है कि तुम ज़िंदगीभर आकाश में उड़ने का आनंद कभी नहीं उठा पाओगे।’ साँप ने उससे कहा, ‘आकाश को लेकर उसे चाटना है क्या? आकाश में आखिर है क्या? तुम्हारा आकाश तुम्हें ही मुबारक हो। मेरे लिए यह गुफ़ा ही भली है। यही मेरे लिए सर्वाधिक सुरक्षित तथा आरामदेह है।’ साँप को बाज की मूर्खता पर हँसी आ रही थी। वह सोच रहा था कि आखिर उड़ने और रेंगने में क्या फ़र्क है। अंत में सभी को मरना ही है। मिट्टी का शरीर मिट्टी में मिल जाना है। अचानक बाज ने अपना सिर उठाया और चट्टान की दरारों से गुफ़ा में टपकता पानी, वहाँ फैली सीलन, अंधकार और कुछ सड़ने जैसी गंध महसूस की। उसने चीख भरकर कहा, ‘काश! मैं एक बार आकाश में उड़ पाता।’
बाज की यह करुण चीख सुनकर साँप के मन में आकाश के प्रति इच्छा जाग उठी, क्योंकि बाज उसके लिए व्याकुल था। उसने बाज से कहा, “यदि तुम्हें स्वतंत्रता इतनी ही प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से उड़ क्यों नहीं जाते!” शायद तुम्हारे पैरों में इतनी ताकत बाकी हो कि तुम उड़ सको।” साँप की बातें सुनकर बाज में नई आशा जाग उठी। वह दूने उत्साह से घायल शरीर को चट्टान के किनारे तक ले आया। खुले आकाश को देखकर उसने अपने पंख फैलाए और हवा में कूद पड़ा। उसके टूटे पंख शक्तिहीन हो चुके थे। उसका शरीर पत्थर-सा लुढ़कता हुआ नदी में जा गिरा। एक लहर उसे अपनी गोद में समेटे सागर की ओर ले चली।
बाज की मृत्यु ने साँप को चिंता में डाल दिया। वह सोचने लगा कि “आकाश की शून्यता में ऐसा कौन-सा आकर्षण छिपा है, जिसके लिए बाज ने अपने प्राण त्याग दिए। आकाश में ऐसा कौन-सा खजाना छिपा है? मुझे भी जाकर पता लगाना चाहिए। इसी बहाने कम से कम उस आकाश का स्वाद भी चख पाऊँगा।” यह सोचकर उसने अपने शरीर को आकाश की शून्यता में छोड़ दिया। साँप का शरीर क्षणभर के लिए आकाश में चमक उठा। जीवनभर रेंगने वाला साँप छोटी-छोटी चट्टानों पर धप्प से जा गिरा। ईश्वर की कृपा से उसकी जान बच गई। साँप सोचने लगा, “यदि उड़ने का यही आनंद है तो मैं भर पाया। मूर्ख पक्षी धरती के सुख से अनजान रहकर आकाश की ऊँचाई नापते रहते हैं। मैंने तो जान लिया कि आकाश में खूब सारी रोशनी के सिवा कुछ भी नहीं है। वहाँ शरीर को सँभालने या सहारा देने के लिए कोई स्थान नहीं है। फिर पक्षी धरती के प्राणियों को छोटा क्यों समझते हैं। अब मैं कभी धोखा न खाऊँगा। मैं तो बाज की बातों में आकर ही आकाश में कूदा था। मरते-मरते बचकर मैंने यही जाना कि अपनी खोखल से बड़ा सुख और कहीं नहीं। आकाश की स्वच्छंदता से मुझे क्या लेना-देना। अपने प्राणों को खतरे में डालना कहाँ की चतुराई है।” साँप सोचने लगा कि आकाश की आज़ादी प्राप्त करने के लिए बाज ने अपनी जान गाँवा दी।
थोड़ी देर बाद साँप ने चट्टान से धीमा संगीत सुना। संगीत के स्वर साफ़-साफ़ सुनने के लिए उसने चट्टान के नीचे झाँका। चट्टानों को भिगोती लहरें मधुर स्वर में गा रही थीं। उनका गीत साहसी तथा मृत्यु से न डरनेवालों के लिए है। “ओ निडर बाज! शत्रुओं से लड़ते हुए तुमने अपना कीमती रक्त बहाया है। तुम्हारे रक्त की एक-एक बूंद ज़िंदगी को प्रकाशित करेगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता तथा प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी। साहस और वीरता के गीत जब भी गाए जाएँगे, तुम्हारा नाम श्रद्धा और गर्व से लिया जाएगा। उनका गीत मौत से न डरनेवालों के लिए है।”