राजा किसान और नगर आरंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएं-पुनरावृति नोट्स

                                                       सीबीएसई कक्षा 12 इतिहास

पाठ – 02 राजा, किसान और नगर आरंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएं
(लगभग 600 ई. पू. से 600 ई.)
पुनरावृत्ति नोट्स

स्मरणीय बिन्दु-

  1. भारतीय अभिलेख विज्ञान में उल्लेखनीय प्रगति 1830 के दशक में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप द्वारा ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि का अर्थ निकाल गया।
  2. अभिलेखों व बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार, असोक सर्वाधिक प्रसिद्ध शासकों में से एक था।
  3. चन्द्रगुप्त, मौर्यवंश का संस्थापक था। मौर्य साम्राज्य भारत का पहला साम्राज्य।
  4. छठी शताब्दी ई. पूर्व एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी काल, राज्यों नगरों का विकास लोहे का बढ़ता प्रयोग सिक्कों का विकास आदि।
  5. जैन तथा बौद्ध सहित विभिन्न दार्शनिक विचारधराओं का काल।
  6. महाजनपद नाम से सोलह राज्यों का उल्लेख- वज्जि, मगध, कौशल, कुरू, पांचाल, गांधार और अवंति जैसे प्रमुख महाजनपद थे।
  7. शासन व्यवस्था- महाजनपदों पर राजाओं, गण-संघो अथवा कई लोगों समूह का शासन था।
  8. सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद मगध- उपजाऊ भूमि लोहे की खदानें, नदियों द्वारा यातायात आवागमन, योग्य शासक।
  9. मौर्य साम्राज्य की जानकारी के मुख्य स्रोत- मेगस्थनीज के विवरण, कौटिल्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र, जैन, बौद्ध, पौराणिक ग्रंथ, अभिलेख, सिक्के आदि। (असोक के अभिलेख व स्तंभ प्रमुख)
  10. मौर्य साम्राज्य का प्रशासन- पांच प्रमुख राजनीतिक केन्द्र राजधानी पाटलिपुत्र और चार प्रांत-तक्षशिला, उज्जयिनी, तोसलि और सुवर्णगिरी।
  11. मेगस्थनीज़ द्वारा सैनिक गतिविधियों के संचालन हेतु एक समिति और छः उपसमितियों का उल्लेख। जिनके कार्य नौसेना का, यातायात और खान-पान का, पैदल सैनिको का, अश्वारोहियों का, रथारोहियों का तथा हाथियों का संचालन।
  12. दक्षिण के राजा और सरदार- चोल, चेर और पाण्डय। इनके इतिहास के विषय में जानकारी के प्रमुख स्त्रोत-प्राचीन संगम ग्रंथ
  13. उच्च स्थित प्राप्त करने के लिए राजाओं द्वारा देवी-देवताओं के साथ जुड़ना। (कुषाण) शासकों ने मूर्तियों के जरिए स्वयं को देवतुल्य प्रस्तुत किया।
  14. चौथी शताब्दी ई. में गुप्त साम्राज्य का उदय। सामंतवाद का उदय संभवतः इसी काल से माना जाता है।
  15. गुप्त कालीन इतिहास की जानकारी के साधन-अभिलेख, सिक्के और साहित्य, प्रशस्तियाँ, उदाहरण-हरिषेण की प्रयाग प्रशस्ति (समुद्रगुप्त) हेतु।
  16. छठी शताब्दी ई. पूर्व से उपज बढ़ाने के लिए लोहे के फाल वाले हलों का प्रयोग।
  17. द्वितीय शताब्दी के कई नगरों से छोटे दानात्मक अभिलेखों से विभिन्न व्यवसायों की जानकारी, जैसे धोबी, बुनकर, लिपिक, बढ़ई, कुम्हार, स्वर्णकार, लौहकार, धार्मिक गुरू, व्यापारी आदि।
  18. उत्पादकों और व्यापारियों के संघ (श्रेणी) का उल्लेख मिलता है। श्रेणियाँ संभवत पहले कच्चे माल को खरीदती थी, फिर उनसे सामान तैयार कर बाज़ार में बेच देती थी।
  19. छठी शताब्दी ई.पू. से उपमहाद्वीप में नदी मार्गो और भूमार्गो का जाल कई दिशाओं में फैला। अरब सागर से उ. अफ्रीका, पश्चिम एशिया तक और बंगाल की खाड़ी से चीन और दक्षिण पूर्व एशिया तक।
  20. गुप्त काल के अंतिम समय सिक्कों में कमी आर्थिक गिरावट की ओर इशारा करती है।
  21. अभिलेख साक्ष्य इतिहास के प्रमुख स्रोत। अभिलेख शास्त्रियों द्वारा अभिलेखों के अध्ययन से बीते काल की भाषा, राजा का नाम, तिथि, संदेश आदि की महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त।
  22. प्रस्तर मूर्तियों सहित मौर्यकालीन समस्त पुरातत्व एक अद्भुत कला के प्रमाण थे। जो मौर्य साम्राज्य की पहचान माने जाते हैं।
  23. कुषाण शासकों ने स्वयं को देवतुल्य प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने नाम के आगे "देवपुत्र" उपाधि भी धारण की। संभवतः वे चीन के शासकों से प्रेरित थे, जो स्वयं को स्वर्गपुत्र कहते थे।
  24. साधारण जनता द्वारा राजाओं के बारे में दिए विचारों का वर्णन जातक तथा पंचतंत्र जैसे ग्रंथों में। इनकी भाषा पाली।
  25. तमिल संगम साहित्य में ग्रामीण समाज में विभिन्नताओं का उल्लेख। वर्गो की यह विभन्नता भूमि के स्वामित्व, भ्रम और नयी प्रौद्योगिकी के उपयोग पर आधारित।
  26. छठी शताब्दी में व्यापार का माध्यम सिक्का, सोने के सिक्के सर्वप्रथम प्रथम शताब्दी ई. में कुषाण शासको द्वारा जारी।
  27. ईसवी के आरंभिक शताब्दियों के अभिलेखों में भूमिदान का उल्लेख। भूमिदान साधारण तौर पर धार्मिक संस्थाओं और ब्राह्मणों को दिये गए थे।
  28. महिलाओं का सम्पत्ति पर स्वंतत्र अधिकार नही था किन्तु प्रभावती गुप्त भूमि की स्वामी थी और उन्हे भूमिदान भी किया। संभवतः क्योंकि वे एक रानी थी।
  29. भूमिदान का प्रभाव-दुर्बल होता राजनीतिक प्रभुत्व।
  30. अभिलेखिक साक्ष्यों की सीमाएं - हल्के ढंग से उत्कीर्ण किये गए शब्दों का पढ़ पाना मुश्किल, समय के साथ इनका हल्का पड़ जाना तथा नष्ट हो जाना, वास्तविक अर्थ न निकाल पाना, लिखने वाले की प्राथमिकताएँ।

महत्वपूर्ण बिन्दु

  • हड़प्पा सभ्यता के बाद लगभग 1500 वर्षो के दौरान उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में कई प्रकार के विकास हुए जैसे -ऋग्वेद का लेखन कार्य कृषक बस्तियों का उदय अंतिम संस्कार के नये तरीके, नगरों का उदय आदि।
  • ऐतिहासिक स्त्रोत अभिलेख, ग्रंथ, सिक्के, चित्र आदि।
  • शोक के अभिलेख -ब्राह्मी तथा खरोष्ठी लिपियों में लिखे गए है।
  • छठी शताब्दी में ई० पू० को एक महत्वपूर्ण परिवर्तन काल माना जाता है। इसको राज्यों, नगरों लोहे के प्रयोग और सिक्कों के विकास से जोड़ा गया है इस समय बौद्व -जैन धर्म तथा अन्य दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ।
  • बौद्व -जैन धर्मो के ग्रंथो में सोलह महाजनपदों का उल्लेख मिलता है। मुख्य है -वज्जि, मगध, कौशल, कुरू, पांचाल, गांधार और अवंति जैसे आदि।