सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (केवल पढ़ने के लिये) - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 सीबीएसई कक्षा -12 हिंदी कोर

महत्वपूर्ण प्रश्न
पाठ – 07

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ (बादल राग)


महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1. ‘बादल राग’ कविता के आधार पर भाव स्पष्ट कीजिए –

विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते |

अथवा

‘बादल राग’ कविता में कवि ने बादलों के बहाने क्रांति का आह्वान किया है | इस कथन की समीक्षा कीजिए |

उत्तर- ‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य है – क्रांति का स्वर | क्रांति का सर्वाधिक लाभ शोषित वर्ग को ही मिलता है क्योंकि उसी के अधिकार छिने गए हैं | शोषक वेग के विशेषाधिकार खत्म होते हैं | आम व्यक्ति को जीने के अधिकार मिलते हैं | उनकी दरिद्रता दूर होती है | अतः क्रांति की गर्जना से शोषित वर्ग प्रसन्न होता है |

2. क्रांति की गर्जना का शोषक वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ता है? उनका मुख ढाँपना किस मानसिकता का द्योतक है? ‘बादल राग’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए |

उत्तर- शोषक वेग ने आर्थिक साधनों पर एकाधिकार जमा लिया है, परन्तु क्रांति की गर्जना सुनकर वह अपनी सत्ता को खत्म होते देखता है | वह बुरी तरह भयभीत हो जाता है | उसकी शांति समाप्त हो जाती है | शोषक वर्ग का मुख ढाँपना उनकी कमज़ोर स्थिति को दर्शाता है | क्रांति के परिणामों से वे भयभीत हैं |

3. ‘बादल राग जीवन-निर्माण के नए राग का सूचक है |’ स्पष्ट कीजिए |

उत्तर- इस कविता में कवि ने लघु-मानव की खुशहाली का राग गाया है | वह आम व्यक्ति के लिए बादल का आह्वान क्रांति के रूप में करता है | किसान मज़दूर की आकांक्षाएँ बादल को नवनिर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं | क्रांति हमेशा वंचितों का प्रतिनिधित्व करती है | बादलों के अंग-अंग में बिजलियाँ सोई हैं, वज्रपात से शरीर आहत होने पर भी वे हिम्मत नहीं हारते | गरमी से हर तरफ सब कुछ रुखा-सुखा और मुरझाया-सा है | धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा करके बादल की उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं | क्रांति जो हरियाली लाएगी, उससे सबसे उत्फुल्ल नए पौधे, छोटे बच्चे ही होंगे |

4. ‘बादल राग’ कविता में ‘ऐ विप्लव के वीर !’ किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर- इस कविता में ‘ऐ विप्लव के वीर !’ बादल को कहा गया है | बादल घनघोर वर्षा करता है तथा बिजलियाँ गिराता है | इससे सारा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है | बादल क्रांति का प्रतीक है | क्रान्ति आने से बुराई रूपी कीचड़ समाप्त हो जाता है तथा आम व्यक्ति को जीने योग्य स्थिति मिलती है |

5. ‘बादल राग’ शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए |

उत्तर- ‘बादल राग’ क्रांति की आवाज़ का परिचायक है | यह कविता जनक्रांति की प्रेरणा देती है | कविता में बादलों के आने से नए पौधे हर्षित होते हैं, उसी प्रकार क्रांति होने से आम आदमी को विकास के नए अवसर मिलते हैं | कवि बादलों को बारिश करने या क्रांति करने के लिए आह्वान करता है | यह शीर्षक उद्देश्य के अनुरूप है | अतः यह शीर्षक सर्वथा उचित है |

6. विप्लवी बादल की युद्ध-नौका की कौन-कौन-सी विशेषताएँ बताई गई हैं?

उत्तर- कवि ने विप्लवी बादल की युद्ध-नौका की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं-

(i) यह समीर-सागर में तैरती है |

(ii) यह भेरी-गर्जन से सजग है |

(iii) इसमें ऊँची आकांक्षाएँ भरी हुई हैं |

7. प्रस्तुत पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए |

अट्टालिका नहीं है रे

आतंक-भवन

सदा पंक पर ही होता

जल-विप्लव-प्लावन

क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से

सदा छलकता नीर

रोग-शोक में भी हँसता है

शैशव का सुकुमार शरीर |

(क) कवि अट्टालिकाओं को आतंक भवन क्यों मानता है?

(ख) ‘पंक’ और ‘जलज’ का प्रतीकार्थ बताइए |

(ग) आशय स्पष्ट कीजिए-

सदा पंक पर ही होता जल-विप्लव-प्लावन |

उत्तर- (क) धनिकों के आवासों को ‘आतंक-भवन’ की संज्ञा दी गई है क्योंकि इन भवनों में शोषण के नए-नए तरीके खोजे जाते हैं | ये आवास शोषण से लूटी गई संपत्ति के केंद्र भी होते हैं |

(ख) ‘पंक’ का प्रतीकार्थ है- साधारण शोषित एवं उपेक्षित लोग तथा ‘अट्टालिका’ शोषक पूँजीपतियों का प्रतीक है |

(ग) सदा पंक पर ही होता जल-विप्लव प्लावन का आशय है–वर्षा से जो बाढ़ आती है वह सदा कीचड़ भरी धरती को ही डुबोती है | अर्थात् शोभा की मार सबसे अधिक दबे-कुचले पर गरीबों को झेलनी पड़ती है |

8. ‘बादल राग’ कविता में कवी निराला की किस क्रांतिकारी विचारधारा का पता चलता है?

उत्तर- बादल राग कविता में कवि की क्रांतिकारी विचाराधार का ज्ञान होता है | वह समाज में व्याप्त पूँजीवाद का घोर विरोध करता हुआ दलित-शोषित वर्ग के कल्याण की कामना करता हुआ, उन्हें समाज में उचित स्थान दिलाना चाहता है | कवि ने बादलों की गर्जना, बिजली की कड़क को जनक्रांति का रूप बताया है | इस जनक्रांति में धनीवर्ग का पतन होता हो और छोटे वर्ग-मजदूर गरीब, शोषित आदि उन्नति करते हैं |

9. ‘बादल राग’ कविता में अट्टालिकाओं को आतंक भवन क्यों कहा गया है?

उत्तर- ‘बादल राग’ कविता में अट्टालिकाओं को आतंक भवन इसलिए कहा गया है क्योंकि इन भवनों में शोषण के नए-नए तरीके खोजे जाते हैं | ये ऊँचे-ऊँचे भवन शोषण से लुटी गई संपत्ति के केंद्र होते हैं |

अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

“तिरती है समीर-सागर पर

अस्थिर सुख पर दुःख की छाया-

जग के दग्ध हृदय पर

निर्दय विप्लव की प्लावित माया

यह तेरी रण-तरी

भरी आकांक्षाओं से,

घन भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर

उर में पृथ्वी के, आशाओं से नवजीवत की ऊंचा कर सिर,

ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल!

फिर-फिर

बार-बार गर्जन

वर्षण है मुसलधार,

हृदय थाम क्षेता संसार,

सुन-सुन घोर वज्र हुंकार।

अशनि पात से शायित शत-शत वीर,

क्षत विक्षत हत अचल शरीर,

गगन-स्पर्शी स्पर्द्धा धीर।”