योगा और जीवन शैली - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 3 योगा और जीवन शैली
पुनरावृत्ति नोट्स

मुख्य बिंदु-
  1. योगासनों द्वारा रोगों से बचाव के उपाय
  2. मोटापा :- वज्रासन, हस्तोत्तानासन, त्रिकोणासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन को लाभ तथा सावधानियाँ
  3. मधुमेहः– भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन अर्धमत्स्येन्द्रासन को लाभ तथा सावधानियाँ
  4. अस्थमा:- सुखासन, चक्रासन, गोमुखासन, पर्वतासन, भुंजगासन, पश्चिमेत्तासान, मत्स्यासन को लाभ तथा सावधानियाँ
  5. उच्चरक्त चाप:- ताड़ासन, वजासन, पवनमुक्तासन, अर्धचक्रासन, भुंजगासन, शवासन को लाभ तथा सावधानियाँ
  6. पीठ दर्द:- ताड़ासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, वक्रासन, शलभासन भुंजगासन को लाभ तथा सावधानियाँ
परिचय
  1. योग का अर्थ:- योग एक प्राचीन भारतीय जीवन पद्धति है जिसमें शरीर मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम होता है योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द युज से हुई है जिसका अर्थ है जोड़ना या मिलाना योग एक साधना है जिससे व्यक्ति अपने मन मस्तिष्क व स्वयं पर नियंत्रण करता है।
    वेद व्यास के अनुसार “योग समाधि है”
    रोग निवारक उपाय के रूप में आसन Asanas as preventive measure- “योग आसन शरीर के प्रत्येक अंग को लचीला एवं फुर्तीला बनाते है योग आसनों से बुद्धि कुशाग्र होती है और शरीर नीरोग होता है। आसनों से मांस पेशियों की सुडौलता के साथ-साथ पूरे तन और मन में शक्ति और स्फूर्ति का एहसास आता है जो कि सभी हड्डियों जोड़ों की कार्यक्षमता बढ़ने का परिणाम है। योग आसन से
    1. शरीर में दृढ़ता आती है व लचीता बनता है।
    2. नाड़ियां, ग्रन्थियाँ, मांसपेशियाँ 24 घंटे काम करने वाले अंगों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
    3. शरीर का सर्वांगीण विकास होता है।
    4. सहनशीलता आत्मविश्वास का विकास होता है।
    5. नकारात्मक विचारों के स्थान पर सकारात्मक विचार और एकाग्रता बढ़ने लगती है।
    6. शरीर चुस्त व रोग मुक्त रहता है।
    7. चिंता से राहत
    8. प्रतिरोधक क्षमताओं में वृद्धि करता है।
    9. भूख अच्छी लगती है पाचन सही रहता है।
    10. आत्मिक शांति महसूस होती है कार्य शक्ति बढ़ती है।
    11. स्थूलता/मोटापे को कम करता है।
    12. नैतिक मूल्यों में वृद्धि करता हैं।
    13. आसन को सही रखता है।
    14. शारीरिक सौन्दर्य को बढ़ाता है।
    15. शरीर की आांतरिक सफाई व स्वच्छता होती है।
जीवन शैली संबंधित बीमारियाँ का आसनों के द्वारा नियन्त्रण
    1. हृदय वाहिका सम्बन्धी कुशलता में सुधार:- योगासन के विभिन्न प्रकार, जैसे कपालभाति, उज्जयी आदि ऐसी कुशलता को बढ़ाने में लाभदायक है अगर व्यक्ति नियमित आसन करता है तो उसके हृदयवाहिका सम्बन्धी योग्यता में सुधार आता है।
    2. श्वसन संस्थान में सुधार:- योगासनो द्वारा हम अपने फेफड़ों की शक्ति का बढ़ाते है। जिससे अधिक से अधिक ऑक्सीजन युक्त वायु फेफड़ों में भर सके और रक्त की शुद्ध कर सके।
    3. खेल-चोटों से बचाव:- योगासन से शरीर में लचक पैदा होती है जिससे शरीर फुर्तीला रहता है बहुत सी खेल चोट जैसे मोच, खिंचाव, मासपेशी का खींचना या फटना, अस्थियों का टूटना या चटकना आदि से बचाव करता है।
    4. एकाग्रता की शक्ति में सुधार:- योगासन से एकाग्रता में भी सुधार होता है।
    5. आस्थि संस्थान में सुधार:- योगासन नियमित रूप में करने से हमारे जोड़ों में लचक का विकास होता है मेरुदड में भी लचकता बढ़ती है पीठ दर्द में सहायक होता है।
    6. रोगों से बचाव:- योग के द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है अगर नियमित रूप से योग किया जाये तो, मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, पीठ दर्द उच्चरक्त चाप अस्थमा आदि का उपचार किया जा सकता है।
    7. शरीर के आसन को सही रखता है:- किसी भी प्रकार की आसन संबंधी दोष को ठीक किया जा सकता है।
  1. मोटापा या स्थूलताः– मोटापा विश्व की समस्या बन चुका है वयस्को को साथ-साथ बच्चे भी मोटापे से ग्रस्त हो रहे है मोटापा शरीर की वह दशा होती है जिसमें शरीर में वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है खान-पान की गलत आदतें और निष्कृय जीवन शैली इसका मुख्य कारण है। दुसरे शब्दों में इस तरह कह सकते हैं कि वह दशा जब एक व्यक्ति का आदर्श भार से 20% या इससे अधिक होता है मोटापे के ये दो मुख्य कारण है हमारे खान-पान की आदतें तथा पाचन प्रणाली का बिगड़ना मोटापे के अनेक स्वास्थ्य जोखिमों के कारण इसको बीमारी का दर्जा दिया जा चुका है मोटापे को कारण व्यक्ति अनेक बीमारियाँ जैसे मधुमेह, अतिस्क्ति दबाव, कैसर, गठिया आदि रोगों का शिकार हो जाते है। मोटापे के अनेक कारण हैं जैसे अत्याधिक भोजन, परिश्रम रहित जीवन, थायराइड, वंशानुगत। निम्न आसनों को नियमित रूप में करने से मोटापे से छूटकारा पाया जा सकता है।
     
  2. मधुमेह:- मधमेह एक खतरनाक बीमारी है अगर इस की रोकथाम नही कि तो यह गुर्दे फल करना, आँखों की रोशनी का कम होना हदय से सम्बन्धित बीमारी होने का डर होता है। इस बीमारी का भी मुख्य कारण लोगों का अपनी जीवन शैली से व्यायामों का बिलकुल त्याग देना है मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो हमारे शरीर के रक्त में शुगर के स्तर को बढ़ा देती है रक्त में शुगर के स्तर को नियन्त्रित करने को लिए। इनस्यूलिन नामक हारमोन का प्रयोग किया जाता है।
    मधुमेह के कारण व्यक्ति को थकावट होना, पेशाब करने की आवश्यकता बार-बार महसूस करना, हाथों व पैरों का सुन्न हो जाना, दृष्टि धुँधली हो जाना शरीर के भार का अत्याधिक कम या अधिक हो जाना व घावों का न भरना मधुमेह के सामान्य लक्षण होते है। भुंजगासन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन और अर्धमत्स्येन्द्रामन को नियमित रूप में किया जाये तो मधुमेह से राहत मिल सकती है
     
     
  3. अस्थमा :- अस्थमा एक गम्भीर बीमारी है जो श्वास नालिकाओं से सम्बन्धित है यह श्वास नलिकाओं में सूजन कर देती है जिससे वो बहुत संवेदनशील हो जाती है तथा किसी भी प्रभावित करने वाली चीज के र्स्पश से यह तीखी प्रतिक्रिया करती है। इस प्रतिक्रिया से नलिकाओं में संकुचन होता है इसमें फेंफड़ों में हवा की मात्रा कम हो जाती है। जिससे रोग ग्रस्त व्यक्ति को सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
    खाँसी का दौरा होना, दिल की घड़कन बढ़ना, सांस की रफ्तार बढ़ना बैचनी होना, सीने में जकड़न, थकावट, हाथों, पैरों कधों व पीठ में दर्द होना अस्थमा के लक्षण है।
    धूल, धुवाँ, वायु-प्रदुषण, अनुवंशिकता, पारग कण, जानवरों की त्वचा बाल या पंख आदि इसके प्रमुख कारण है। अस्थमा को खत्म नही किया जा सकता है परन्तु इस पर नियन्त्रण पाया जा सकता है। सुखामन, चक्रासन, गोमुखासन, पर्वतासन, भुजंगामन, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन को अगर नियमित किया जाये तो अस्थमा पर नियन्त्रण पाया जा सकता है।
        
  4. उच्चरक्त चाप:- यह एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या बन गई है जो पूरे विश्व को प्रभावित कर रही है। वैसे तो आयु के साथ-साथ रक्त चाप में वृद्धि होती है परन्तु अब नवयुवक भी इस समस्या से ग्रस्त हो रहे है। दोष पूर्ण जीवन शैली ही इसका मुख्य कारण है। इस बीमारी में धमनियां और शिराएं धीमी हो जाती है। जब हदय का संकुचन होता है। तो रक्त वाहिनियों में रक्त का धक्का लगता है परिणाम स्वरूप धमनियां में रक्त का दबाव बढ़ता है इस दबाव को सिस्टोलिक रक्त दबाव कहा जाता है। हदय की दो थड़कनों के मध्य रहने वाले दबाव को डाइस्टोलिक रक्त दबाव कहा जाता है रक्त दबाव के दोनों नम्बरों को mm|Hg यूनिट (मिलीलीटर/ मर्करी) में मापा जाता है किसी व्यस्क का सामान्य रक्त दबाव 120/80 mm|Hg माना जाता है जब किसी व्यक्ति का रक्त दबाव 140/90mm|Hg ऊपर होता है उसे उच्चरक्त दबाव कहते है। उच्चरक्त चाप से बचने को लिए, ताड़ासन पवनमुक्तासन, वज्रासन, अर्धचक्रासन, भुंजागासन शवासन नियमित करने चाहिये।
        
  5. पीठ दर्द:- पीठ दर्द एक व्यापक समस्या है पीठ दर्द आधुनिक जीवन शैली की देन है। दुनिया भर में लोग बदलती और निष्कृय जीवन शैली के चलते तरह-तरह की समस्याओं से ग्रस्त हो रहे है पीठ दर्द उनमें से एक है वास्तव में पीठ दर्द केवल हमारे देश की समस्या नहीं है अपितु यह एक विश्वव्यापी समस्या है। वास्तव में दस में से नौ व्यक्ति पीठ दर्द को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य महसूस करते है। इसीलिए यह कहा जाता है कि सारे विश्व में पीठ दर्द एक बहुत ही सामान्य समस्या है। इस समस्या के कारण प्रभावित व्यक्ति अपना कार्य आसानीपूर्वक तथा कुशलता पूर्वक करने के योग्य नहीं होते। पीठ दर्द बुरी व्यक्तिगत स्वास्थ्य सम्बन्धी आदतें, अतिभार होना, शारीरिक क्रियाओं या व्यायाम का अभाव, लचक की कमी, पीठ पर अधिक दवाब होना आदि से हो सकती है। योगा करने से पीठ दर्द से बचाव हो सकता है ताड़ासन वक्रासन शलभासन, भुंजगामन तथा अर्धमत्स्येन्द्रासन पीठ दर्द में किये जा सकते है।