मृदा महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर

                                                                 CBSE कक्षा 11 भूगोल

(भाग-ख) पाठ-6  मृदा
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर


लघु प्रश्न (3 अंक वाले)

  1. मृदा अपरदन से क्या तात्पर्य हैमृदा अपरदन को कितने वर्गों में रखा जा सकता है?
    उत्तर- मृदा अपरदन- प्राकृतिक या मानवीय कारणों से मृदा के आवरण का नष्ट होना मृदा अपरदन कहलाता है।
    मृदा अपरदन के कारक के आधार पर इसे पवनकृत एवं जल द्वारा अपरदन में वर्गीकृत कर सकते है। पवन द्वारा अपरदन शुष्क एवं अर्द्धशुष्क प्रदेशों में होता है। बहते जल द्वारा अपरदन ढालों पर अधिक होता है इसे हम पुनः दो वर्गो में रखते है:-
    1. परत अपरदन- तेज बारिश के बाद मृदा की परत का हटना।
    2. अवनालिका अपरदन- तीव्र ढालों पर जल कृषि भूमि पर गहरी नालियां बना देती है। चंबल के बीहड़ इसका उदाहरण है।
  2. मृदा अपरदन के प्रमुख कारण एवं इस समस्या से निपटने के उपाय बताये?
    उत्तर-
    1. मृदा अपरदन के लिये उत्तरदायी कारकः
      1. वनोन्मूलन।
      2. अतिसिंचाई।
      3. रासायनिक उर्वरक का अधिक प्रयोग।
      4. मानव द्वारा निर्माण कार्य एवं दोषपूर्ण कृषि पद्धति।
      5. अनियंत्रित चराई।
    • मृदा अपरदन रोकने के उपाय-
      1. वृक्षारोपण।
      2. समोच्च रेखीय जुताई।
      3. अति चराई पर नियन्त्रण।
      4. सीमित सिंचाई।
      5. रासायनिक उर्वरकों का उचित प्रयोग।
      6. वैज्ञानिक कृषि पद्धति को अपनाना।
  3. मृदा संरक्षण से क्या तात्पर्य है। मृदा के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिये क्या करना चाहिये?
    उत्तर- मृदा के अपरदन को रोककर उसकी उर्वरता को बनाये रखना ही मृदा संरक्षण है।
    संरक्षण के उपाय-
    1. 15 से 25 प्रतिशत ढाल प्रवणता वाली भूमि पर खेती न करना।
    2. सीढ़ीदार खेत बनाना (ढालों पर यदि कृषि जरूरी हो)।
    3. शस्थावर्तन यानी फसलों को हेरफेर के साथ उगाना अन्य जो मृदा अपरदन रोकने के उपाय में शामिल है।
  4. जलोढ़ मृदा की विशेषताएँ बताएं ?
    उत्तर-
     जलोढ़ मृदा की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:-
    1. यह मृदा नदियों द्वारा बहाकर लाये गये अवसादों से बनती है।
    2. यह सबसे अधिक उपजाऊ मृदा है ।
    3. यह मृदा नदी घाटियों डेल्टाई क्षेत्रों तथा तटीए मैदानों में पाई जाती है।
    4. इसमें पोटाश की मात्रा अधिक और फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है।
    5. इस मृदा का रंग हल्के धूसर से राख धूसर जैसा होता है ।
    6. यह भारत में गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदानों में पाई जाती है ।
  5. काली मृदा की विशेषताएँ बताएं ?
    उत्तर-
     काली मृदा की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:-
    1. इसका निर्माण ज्वालामुखी क्रियाओं से प्राप्त लावा से होता है।
    2. इसे रेगड़ मिट्टी भी कहते हैं।
    3. यह एक उपजाऊ मृदा है।
    4. इसमें कपास की खेती होती है इसलिए इसे काली मृदा अथवा कपास मृदा भी कहते हैं ।
    5. इसमें चूना, लौहा, मैग्नीशियम तथा अल्यूमिना जैसे तत्व अधिक पाए जाते हैं तथा फास्फोरस, नाइट्रोजन, जैव तत्वों की कमी है।
  6. लाल और पीली मृदाओं की विशेषताएं बताएं?
    उत्तर-
     लाल तथा पीली मृदाओं की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
    1. इसका रंग लाल होता है।
    2. यह मृदा अधिक उपजाऊ नहीं होती।
    3. इसमें नाइट्रोजन, जैव पदार्थ तथा फास्फोरिक एसिड की कमी होती है
    4. जलयोजित होने के कारण यह पीली दिखाई पड़ती है।
    5. यह मृदा दक्षिणी पठार के पूर्वी भाग में पाई जाती है।
  7. लैटेराइट मृदाओं की विशेषताएं बताएं?
    उत्तर-
     लेटेराइट मृदाओं की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
    1. लेटेराइट एक लैटिन शब्द 'लेटर' से बना है, इसका शाब्दिक अर्थ ईंट होता है |
    2. इसका निर्माण मानसूनी जलवायु में शुष्क तथा आर्द्र मौसम के क्रमिक परिवर्तन के कारण होने वाली निक्षालन प्रक्रिया से हुआ है।
    3. यह मृदा उपजाऊ नहीं है।
    4. इसमें नाइट्रोजन यूना फफोस तथा मैनीशम की मात्रा कम होती है |
    5. यह मृदा पश्चिमी तट, तामिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा, असम के पर्वतीय क्षेत्र तथा राजमहल की पहाड़ियों में मिलती है।
  8. मृदा किसे कहते हैं? इसका निर्माण किस प्रकार होता है?
    उत्तर-
     मृदा भू-पृष्ठ का वह उपरी भाग है, जो चट्टानों के टूटे-फुटे बारीक कणों तथा वनस्पति के सड़े-गले अंशों के मिश्रण से जलवायु व जैव-रासायनिक प्रक्रिया से बनती है।
    मृदा का निर्माण - मृदा के निर्माण की प्रक्रिया बहुत जटिल है। मृदा निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक हैं :-
    1. जनक सामग्री अथवा मूल पदार्थ- मृदा का निर्माण करने वाला मूल पदार्थ चट्टानों से प्राप्त होते हैं। चट्टानों के टूटने-फूटने से ही मृदा का निर्माण होता है।
    2. उच्चावच- मृदा निर्माण की प्रक्रिया में उच्चावच का महत्वपूर्ण स्थान है। तीव्र ढाल वाले क्षेत्रों में जल प्रवाह की गति तेज़ होती है और मृदा के निर्माण में बाधा आती है। कम उच्चावच वाले क्षेत्रों में निक्षेप अधिक होता है। और मृदा की परत मोटी हो जाती है।
    3. जलवायु- जलवायु के विभिन्न तत्व विशेषकर तापमान तथा वर्षा में पाए जाने वाले विशाल प्रादेशिक अन्तर के कारण विभिन्न प्रकार की मृदाओं का जन्म हुआ है।
    4. प्राकृतिक वनस्पति- किसी भी प्रदेश में मृदा निर्माण की वास्तविक प्रक्रिया तथा इसका विकास वनस्पति की वृद्धि के साथ ही आरंभ होता है।
    5. समय- मृदा की छोटी सी परत के निर्माण में कई हज़ार वर्ष लग जाते हैं।

CBSE कक्षा 11 भूगोल
(भाग-ख) पाठ-6 
मृदाएं
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर


अति लघु प्रश्नोत्तर (1 अंक वाले)

  1. भारत में मृदाओं के वर्गीकरण का कार्य किस संस्था के द्वारा किया गया है?
    उत्तर- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR)।
  2. हमारे देश में किस प्रकार की मृदा सबसे अधिक पायी जाती है?
    उत्तर- जलोढ़ मृदा।
  3. गठन की दृष्टि से जलोढ़ मृदा की क्या विशेषतायें है?
    उत्तर- ये मृदा बलुई दोमट से चिकनी मिट्टी की विशेषता लिये होती है। इनमें पोटाश की मात्रा अधिक एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है।
  4. काली या रेगर मृदा में किन तत्वों की प्रचुरता एवं किन तत्वों की कमी पायी जाती है?
    उत्तर- काली मिट्टी में चूना, लौह तत्व, मैगनीशिया एवं एलुमिना एवं पोटाश की मात्रा अधिक पायी जाती है। किन्तु इसमें फास्फोरस, नाइट्रोजन एवं जैव पदार्थो की कमी होती है।
  5. लैटेराइट मृदायें भारत में कहां-कहां पायी जाती है?
    उत्तर- ये मृदायें सामान्यतः कर्नाटक, केरल तमिलनाडु, मध्य प्रदेश तथा उड़ीसा एवं असम के पठारी क्षेत्रों में पायी जाती है।
  6. लवण मृदाओं के लवणीय होने के मुख्य कारण क्या है?
    उत्तर- शुष्क जलवायु एवं खराब अपवाह के कारण इस प्रकार की मृदा का निर्माण होता है। इसमें सोडियम पौटेशियम और मैग्नीशयम का अनुपात अधिक हो जाता है।
  7. मृदा को हयूमस कहाँ से मिलता है ?
    उत्तर-
     वनस्पति और जीव जन्तुओं से।
  8. जलोढ़ मिट्टी का सबसे अधिक विस्तार कहाँ है।
    उत्तर-
     भारत के उत्तरी मैदान में।
  9. काली मिट्टी किस फसल के लिए सबसे अधिक अच्छी मानी जाती है?
    उत्तर-
     कपास के लिए।
  10. लाल मिट्टी के लाल रंग का क्या कारण है ?
    उत्तर-
     लोहे का अधिक अंश होना।
  11. चंबल के बीहड़ किस प्रकार के अपरदन का परिणाम है ?
    उत्तर-
     अवनालिका अपरदन।