सत्ता की साझेदारी - पुनरावृति नोट्स

 CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान

पुनरावृति नोट्स
पाठ – 1
सत्ता की साझेदारी


सारांश
सत्ता की सांझेदारी:-
 एक ऐसी कुशल राजनीतिक पद्धति जिसके द्वारा समाज के सभी वर्गों को देश की शासन प्रक्रिया में भागीदार बनाया जाता है। वही प्रकिया सत्ता की साझेदारी कहलाती है।

  • सत्ता का बंटवारा जरूरी है क्योंकि इससे विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है।
  • उन देशों में भी साझेदारी की आवश्यकता पड़ती है, जहाँ कोई सामाजिक विभाजन भी न हो हर देश में विधायिका कार्यपालिका और नए पालिका को मिलकर चलना पड़ता है नहीं तो संवैधानिक गतिरोध कहीं भी पैदा हो सकते हैं। केवल यही नहीं केंद्रीय प्रांतीय स्थानीय सरकारों को भी सत्ता की साझेदारी के नियम पर चलना पड़ता है अन्यथा लोकतांत्रिक सिद्धांतों को ठेस पहुंच सकती है।
  • जिन देशों में क्षेत्रीय भाषा और जाति आधार पर विभाजन हो वहां पर सत्ता की सांवेर का और भी महत्व बढ़ जाता है अन्यथा इनमें कोई भी चिंगारी दावा नहीं का रूप लेकर देश के सारे ताने बाने को जलाकर राख कर सकती है।
  • सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्भायित्व के लिए अच्छा है।
  • लोकतंत्र का मतलब ही होता है कि जो लोग इस शासन-व्यवस्था के अंतर्गत हैं उनके बीच सत्ता को बांटा जाए और इसलिए वैध सरकार वही है जिसमें अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।
  • लोकतंत्र का एक बुनियादी सिद्धांत है कि जनता ही सारी राजनीतिक शक्ति का स्रोत है। इसमें लोग स्व-शासन की संस्थाओं के माध्यम से अपना शासन चलाते हैं।
  • शासन के विभिन्न अंग है जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बंटवारा रहता है।
  • सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बंटवारा। केन्द्र सरकार और राज्य सरकार और सत्ता बंटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच।

बेल्जियम के समाज की जातीय बनावट:-- बेलजियम यूरोप का एक छोटा सा देश है जिसकी आबादी हरियाणा से भी आते हैं परंतु इसके समाज की जाती है बनावट बड़ी जटिल है।इसमें रहने वाले 59% लोग डच भाषा बोलते हैं 40% लोग फ्रेंच बोलते हैं बाकी 1%लोग जर्मन बोलते हैं। ऐसे भाषाई विविधताओं कई बार सांस्कृतिक और राजनीतिक झगड़े का कारण बन जाती है परंतु बेल्जियम के लोगों ने एक नवीन प्रकार कि शासन पद्धति अपना कर सांस्कृतिक विविधताओं एवं क्षेत्रीय अंतरों  से होने वाले आपसी मतभेदों को दूर कर लिया उन्हें उन्हें बार बार संविधान में संशोधन इस संसार से किया कि किसी भी व्यक्ति को बेगानेपन का एहसास न हो और सभी मिलजुल कर रह सकें। सारा विश्व बेल्जियम की इस समझदारी की दाद देता है।

श्रीलंका के समाज की जातीय बनावट:-- श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो भारत के दक्षिण तट से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी आबादी कोई दो करोड़ के लगभग है अर्थात हरियाणा के बराबर। बेल्जियम की भांति यहां भी कई जातिय समूहों के लोग रहते हैं। देश की अाबादी का कोई 74% भाग सिहलियों का है जबकि कोई 18% लोग तमिल हैं।बाकी भाग अन्य छोटे -छोटे जातीय समूहों जैसे ईसाइयों और मुसलमानों का है देश युद्ध पूर्वी भागों में तमिल लोग अधिक है जबकि देश के बाकी हिस्सों में सिहलीं लोग बहुसंख्या में हैं।यदि श्रीलंका में लोग चाहते तो वे भी बेल्जियम की भांति अपनी जातिय मसले का कोई उचित हल निकाल सकते थे परन्तु वहाँ के बहुसंख्यक समुदाय अथार्थ सिहलियों ने अपने बहुसंख्यकवाद को दूसरों पर थोपने का प्रयत्न किया जिससे वहां ग्रह युद्ध शुरू हो गया और आज तक थमने का नाम नहीं ले रहा है।

 

प्रश्न:-
1.
 सत्ता की साझेदारी का क्या अर्थ है?
2. सरकार के अलग-अलग अंग कौन से हैं?
3. देश में सत्ता की सांझेदारी की क्या आवश्यकता है?
4. बहुसंख्यकवाद का क्या अर्थ है?
5. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की सांझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें।

उत्तर:--

1. सत्ता की साझेदारी का अर्थ है कि एक ऐसी कुशल राजनीतिक पद्धति जिसके द्वारा समाज के सभी वर्गों को देश की शासन प्रकिया में भागीदार बनाया जाता है।

2. सरकार के अलग-अलग अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका है।

3. देश में सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता इसलिए है ताकि कोई भी वर्ग यह महसूस ना कर सके कि उसकी अवहेलना हो रही है। वास्तव में सत्ता की भागीदारी लोकतंत्र का मूल मंत्र है। 

4. बहुसंख्यकवाद एक ऐसी मान्यता है जिसके अंतर्गत कोई समुदाय बहुसंख्यक होने के नाते अपने मनचाहे ढंग से समाज के फैसलों को प्रभावित कर सकता है। 

5. सत्ता की साझेदारी या बंटवारे के विभिन्न तरीके- आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके निम्नलिखित हैं:--

१. सत्ता के बंटवारे का पहला रूप हमें सरकार के तीन अंगों विधायिका ,कार्यपालिका और न्यायपालिका में सत्ता के बंटवारे में मिलता है। जैसे भारत के संविधान ने शक्ति का विभाजन विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका में कर रखा है शक्ति के ऐसे बंटवारे को क्षेतिज वितरण कहा जाता है।

२. सत्ता के बंटवारे का दूसरा स्वरूप हमें सरकार के बीच विभिन्न स्तरों में सत्ता के बंटवारे में मिलता है। सारे देश के लिए केंद्र सरकार होती है प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग अलग सरकारें होती हैं। उच्चतर और निम्न स्तर की सरकारों के बीच सत्ता के इस बंटवारे को ऊर्ध्वाधर वितरण कहते हैं। भारत के संविधान में केंद्रीय और राज्य सरकारों की शक्तियों को अलग अलग सूचियों में बांट दिया गया है।

३. सत्ता का कई बार बंटवारा सामाजिक समूहों जैसे- भाषा समूहों और धार्मिक समूहों में भी कर दिया जाता है। बेल्जियम की सामुदायिक सरकार इस व्यवस्था का एक उत्तम उदाहरण है।

૪. कई बार सत्ता का बंँटवारा राजनीतिक दलों एवं दबाव समूहों में भी कर दिया जाता है। यदि अनेक पार्टियां मिलकर सरकार का निर्माण करते हैं तो सत्ता का बटवारा विभिन्न पार्टियों में कर दिया जाता है। कई बार इन पार्टियों में किसी विशेष विभाग के लिए भी होड लग जाती है।