अंतरा - महादेवी वर्मा - पुनरावृति नोट्स

 CBSE कक्षा 11 हिंदी (ऐच्छिक)

अंतरा काव्य खण्ड
पाठ-6 महादेवी वर्मा
(जाग तुझको दूर जाना, सब आँखों के आँसू उजले)
पुनरावृत्ति नोट्स


जीवन परिचय-

  • छायावाद के चार स्तम्भों में से एक महादेवी वर्मा का जन्म 1907 में फर्रुखाबाद, उ.प्र. में हुआ। इनके पिता श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा तथा माता श्रीमती हेमरानी थी। इनका विवाह 12 वर्ष की अल्पायु में डॉ. स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ। इन्होंने सन् 1933 में प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में एम.ए. किया। इसके बाद वहीं महिला विद्या पीठ की प्राचार्या बनी। इनका देहावसान 1987 में हुआ।

रचनाएँ-

  • काव्यग्रन्थ- ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, 'संध्यागीत’ व 'दीपशिखा' आदि।
  • गद्य रचनाएँ- 'पथ के साथी', 'अतीत के चलचित्र', 'स्मृति की रेखाएँ, व 'शृंखला की कड़िया' आदि।

काव्यगत विशेषताएँ-

  • महादेवी को आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है इनके काव्य में रहस्यवाद की छाप है। उन्होंने अपनी प्रेमानुभूति में अज्ञात, असीम प्रियतम को संबंधित किया है। जिसके कारण इन्हें रहस्यवादी कवयित्री कहा जाता है।
  • लाक्षणिकता, संगीतात्मकता, चित्रात्मकता, रहस्यवाद, काल्पनिकता तथा प्रकृति सौंदय इनके काव्य की विशेषता है। बिम्बों और प्रतीकों की सुन्दर योजना है।
  • महादेवी की भाषा स्वच्छ, कोमल, मधुर सुसंस्कृत तथा तत्सम शब्दों से युक्त खड़ी बोली है। इनकी भाषा में लोकोक्तियों एवं मुहावरों का सटीक प्रयोग हैं।

जाग तुझको दूर जाना

प्रस्तुत गीत महादेवी की प्रसिद्ध रचना ‘संध्यागीत’ से लिया गया है। यह एक जागरण गीत है जिसमें कवयित्री ने स्वाधीनता प्राप्ति के लिए भारतीय वीरों का राष्ट्रीय विघ्न बाधाओं और कठिनाइयों की परवाह किए बिना अपने लक्ष्य पर निंरतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी गई हैं। कवयित्री ने अपने स्वर्णिम अतीत और साहसी, निडर और कर्मवीर महापुरूषों की याद दिलाते हुए व उनसे प्रेरणा लेते हुए निरंतर लक्ष्य की प्राप्ति की तरफ बढ़ने की प्रेरणा दी है।
कवयित्री ने देशवासियों को विषम परिस्थितियों, सांसारिक बन्धनों, व मोह-माया से अप्रभावित होते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी है। कवयित्री ने आत्मा की अमरता का ज्ञान कराते हुए मृत्यु से न डरने की सलाह दी है। कवयित्री ने पतंगे का उदाहरण देकर बलिदान का महत्व समझाया है। कवयित्री का कहना है कि देशवासियों को बलिदान के मार्ग पर अपनी कोमल भावनाओं को बलिदान करना होगा।

काव्य-सौदर्य
भावपक्ष-

  • कवयित्री ने विघ्न बाधाओं, मुसीबतों और विषय परिस्थितियों में भी निरंतर लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा दी है। स्वाधीनता की चाह रखने वाले विपरीत परिस्थितियों से विचलित न होकर निरंतर आगे बढ़ते जाते हैं।
  • कवयित्री ने आत्मा की अमरता और भारतीयों की दृढ़ता व शक्ति-सामर्थ्य की याद दिलाई है।

शिल्प–सौंदर्य-

  1. तत्सम शब्द प्रधान खड़ी बोली का प्रयोग है।
  2. ओज गुण व गीत शैली में लिखा गीत है प्रश्न शैली भी अपनाई गई है।
  3. लक्षणा शब्द-शक्ति प्रयुक्त हुई है।
  4. वीर रस में लिखा उद्बोधन गीत है।
  5. ‘हिमगिरि के हृदय’, ‘बाधा बनेंगे’, ‘मधुप की मधुर’ और ‘मदिरा माँग’ में अनुप्रास अलंकार है।
    ‘जीवन-सुधा’ में रूपक तथा ‘सो गई आँधी’ में मानवीकरण अलंकार है।
    ‘सजेगा आज पानी’ में श्लेष है।
  6. बिम्बों और प्रतीकों का प्रयोग।

सब आँखों के आँसू उजले

‘सब आँखों के आँसू उजले’ इस कविता में कहादेवी वर्मा ने प्रकृति के विभिन्न प्रतीकों द्वारा मानव जीवन के यथार्थ को प्रस्तुत किया है। यहाँ प्रकृति के उस स्वरूप की चर्चा की गई है, जो सत्य है, यथार्थ है और मनुष्य को उसके लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करता है। अपनी मानव प्रकृति में परिवर्तन लाए बिना दूसरों का कल्याण करने का संदेश यहाँ निहित है।
कवयित्री ने सभी के आँसुओं को उजला बताया है, क्योंकि वे मन की सत्य भावनाओं के प्रतीक हैं। सृष्टि के सभी पदार्थ ईश्वरीय सत्ता से प्रभावित हैं। इसलिए सभी पदाथों की त्यागमयी भावना से उत्पन्न करुणा और वेदना भी अंततः जीवन को उज्ज्वलता प्रदान करती है। अतः आँसुओं को उजला कहना सार्थक एवं उपयुक्त है।
सपनों को सच बनाने के लिए मनुष्य को जीवन में आने वाली कठिनाओं और सुख-दुख का साहसपूर्वक सामना करना चाहिए। दीपक की तरह जलना और फूलों की तरह खिलना आना चाहिए एक ही परमसत्ता का अंश भिन्न-भिन्न पदार्थों में भिन्न-भिन्न रूपों में दिखाई देता है। कोई भी वस्तु अपनी-अपनी प्रकृति के अनुरूप साधन अपनाकर ही अपने को श्रेष्ठ सिद्ध करती है। इसी तथ्य को कवयित्री ने अनेक उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया है।
छायावादी कवियों ने प्रकृति को मानवीय चेतना और संस्कार से युक्त माना है। यही कारण है कि छायावादी कविता में प्रकृति मानवीय व्यवहार से परिपूर्ण है।