अंतरा - विद्यापति - पुनरावृति नोट्स

 CBSE Class 12 हिंदी ऐच्छिक

पुनरावृति नोट्स
पाठ-9 पद


पद
1. के  पतिआ  ................  कातिक  मास।।
व्याख्या बिन्दु - प्रस्तुत पद में सावन मास में नायिका की विरह वेदना का चित्राण है। कृष्ण गोकुल त्याग मथुरा  चले गए  हैं।  विरहिणी  राध अपनी  सखी  से पूछती  है  कि क्या कोई  ऐसा  नहीं है  जो पिया तक मेरा  संदेश ले  जाए।  श्री कृष्ण  जाते समय मेरा  हृदय अपने  साथ ले गए  हैं। नायिका का  हृदय वियोग के  असह्य दुःख को  सहन नहीं कर पा  रहा है।  नायिका को लगता  है  कि उसके  दारूण दुःख पर जगत विश्वास  नहीं करेगा। ऐसे में कवि विद्यापति राध को  धैर्य और आशा धरण करने के  लिए कहते  हैं।  और उसे  विश्वास  दिलाते  हैं  कि  कार्तिक  मास  में  उनका  मिलन  अवश्य  संभव  होगा। 
2. सखि  हे..........  मीलल  एक।
व्याख्या  बिन्दु  -  नायिका  कहती  हैं  कि  प्रेम  के  अनुभव  और  आनन्द  के  प्रतिक्षाण  नूतन  स्वरूप  वर्णनातीत है।  आजीवन  कृष्ण  दर्शन  पर  भी  नेत्रा  अतृप्त  हैं।  उनकी  मधुर  वाणी,  को  सुनने  के  लिए  कान  सदा  उत्सुक रहते  हैं। वाणी/वचनों और प्रेम की चिर नवीनता के कारण अनुभव सम्पूर्ण नहीं है। मिलन की तीव्र इच्छा सदा बनी रहती है। प्रेम का वास्तविक स्वरूप जानना कठिन है। विद्यापति कहते हैं कि लाखों व्यक्तियों  में एक  भी  व्यक्ति  ऐसा  नहीं  है  जिसका  प्रेमानुभव  सम्पूर्ण  है, अर्थात  वह  तृप्त  है। प्रेम  में पूर्ण  संतोष  असंभव  है क्योंकि  प्रेमानुभूति  नित्य  नवीन  होती है। 
3. कुसुमित  कानन  ................  लखिमादेइ-रमान ।।
व्याख्या बिन्दु-  सखी राध  की विरह  वेदना का  वर्णन उनके  प्रियतम कृष्ण  के सामने  कर रही  है। कमल मुखी सुन्दरी राध खिले फूलों को देखकर आँखे मूँद लेती है तथा कोयल की मधुर आवाज को  सुनकर  कान ढक  लेती  है।  मिलन  के  प्रतीक दृश्य  राध  के  लिए  कष्टदायी  है।  राध  का  शरीर कृष्ण  वियोग में अत्यंत दुर्बल और शक्तिहीन हो गया है।  अश्रु पूरित नेत्रा प्रतिपल कृष्ण की प्रतीक्षा करते  हैं।  विरह  में  राध का  शरीर कृष्ण  पक्ष  की  चैदस के  चांद  के समान  क्षीण  हो गया  है। विद्यापति  कहते  हैं  राजा  शिवसिंह  विरह  के प्रभाव  से  परिचित  हैं,  इसी  कारण  लाखीमा  देवी के  साथ  रमण  करते  हैं।