तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य-प्रश्न-उत्तर

                                                                       कक्षा 11 इतिहास

एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
पाठ 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य


संक्षेप में उत्तर दीजिए -

1. यदि आप रोम साम्राज्य में रहे होते तो कहाँ रहना पसन्द करते-नगरों में या ग्रामीण क्षेत्र में? कारण बताइए।

उतर - यदि मैं रोम साम्राज्य में रहे होते तो नगरों में रहना ज़्यादा पसंद करता क्योंकि रोम में कार्थज, सिकदरिया, एंटिऑक आदि नगरों में लोगों का जीवन ग्रामीण लोगों के जीवन की अपेक्षा अधिक सुरक्षित था। शहरी जीवन में अनेक आवश्यक विशेषताएँ थीं जो लोगों को अपनी और आकर्षित करती थीं। नगर अनेक उद्योगों का केंद्र था तथा प्राय: व्यावसायिक गतिविधियाँ यहीं से संचालित की जाती थीं। नगर प्रशासनिक इकाइयों के रूप में प्रगतिशील था इसलिए वहाँ पर लोगों की सुख-सुविधाओं पर अधिक ध्यान दिया जाता था। नगर में रहने से एक फायदा यह था कि वहाँ खाद्यान्नों की कमी नहीं होती थी वहाँ अकाल के दिनों में भी लोग अपना जीवन सुखमय ढंग से व्यतीत करते थे यधपि ग्रामीण क्षेत्रों के किसान अपनी जिंदगी पेड़ों की पत्तियाँ छालें, झाड़ियाँ, जड़ें आदि खाकर बचाते थे। नगरों में उच्च स्तर के मनोरंजन भी उपलब्ध थे। उदाहरणत: एक कैलेंडर के द्वारा एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन लोगों के मनोरंजन के लिए कोई-न-कोई कार्यक्रम चलता रहता था।


2. इस अध्याय ने उल्लिखित कुछ छोटे शहरों, बड़े नगरों, समुद्रों और प्रांतों की सूची बनाइए और उन्हें नक्शों पर खोजने की कोशिश कीजिए। क्या आप अपने द्वारा बनाई गई सूची में संकलित किन्हीं तीन विषयों के बारे में कुछ कह सकते हैं?

उतर - छोटे शहर व बड़े नगर- कार्थज, सिकंदरिया, एंटिऑक, रोम, कुंस्तुनतुनिया, बगदाद, दमिश्क आदि। समुद्र–काला सागर, लाल सागर, कैस्पियन सागर, भूमध्य सागर, फारस की खाडी आदि।
नदियाँ- झाड़ियाँ फ़रात नदी, नील नदी, छालें, झाड़ियाँ, छालें, आदि।
प्रांत-नुमिदिया (अल्जीरिया का उत्तरी भाग), ट्यूनीशिया, केंपेनिया (इटली), गॉल (आधुनिक प्रांत), हिसपेनिया (उत्तरी स्पेन), बेटिका (दक्षिणी स्पेन), मैसीडोनिया (यूनान) आदि।

मानचित्र कार्य- विद्यार्थी स्वयं इनको पाठ्य-पुस्तक में दिए गये यूरोप और उत्तरी अफ्रीका एवं पश्चिम एशिया के मानचित्र में ढूँढ़ने का प्रयास करें। तीन विषयों का वर्णन निम्नवत किया जा सकता है

  1. रोम साम्राज्य का हृदय भूमध्य सागर को कहा जाता था। भूमध्य सागर तथा उत्तर एवं दक्षिण की दोनों दिशाओं में सागर के समीप सभी क्षेत्रों पर रोम साम्राज्य का एकाधिकार स्थापित था।
  2. रोम साम्राज्य के अनेक क्षेत्रों पर कुशल प्रशासन की स्थापना में इन नगरों की अहम भूमिका थी। सरकार इन्हीं नगरों की सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाती थी। इसके अलावा इन नगरों की खास विशेषता भी थी। उदाहरणत: सिकंदरिया यूनानी रोमन जगत् का संभवत: सबसे बड़ा बंदरगाह था। इस नगर की गणना रोम साम्राज्य के तीन सबसे बड़े नगरों में की जाती थी। इस नगर के अलावा, रोम और एंटिऑक रोम के अन्य दो सबसे बड़े नगर थे।
  3. रोम साम्राज्य के उत्तर में राइन तथा डैन्यूब नदियाँ साम्राज्य की सीमा निर्धारक थीं।

3. कल्पना कीजिए कि आप रोम की एक गृहिणी हैं जो घर की जरूरत की वस्तुओं की खरीददारी की सूची बना रही हैं। अपनी सूची में आप कौन-सी वस्तुएँ शामिल करेंगी?

उतर - रोमन साम्राज्य आर्थिक रूप से एक समृद्ध साम्राज्य था। वहाँ के लोग मांसाहारी तथा शाकाहारी दोनों प्रकार के भोजन बड़े प्रशंशा से करते थे। इसके अलावा वे पोशाक, आभूषण अलावा मनोरंजन के भी शौकीन थे। उपरोक्त वर्णित दशा को ध्यान में रखते हुए यदि मैं रोम साम्राज्य में एक गृहिणी होती तो अपने घर-परिवार की जरूरत की वस्तुओं की खरीददारी की सूची इस तरह तैयार करती |

  1. खाद्य सामग्री- बिस्कुट, जैतून का तेल, अंडे, दूध, मांस, रोटी, मक्खन, अंगूरी शराब, चीनी, तेल आदि।
  2. पहनने योग्य सामग्री- स्त्री व पुरुष दोनों के पहनने के लिए वस्त्र, स्वर्ण व चाँदी के गहने आदि।
  3. सफाई करने हेतु सामग्री- नहाने का साबुन तथा कपड़े धोने, झाडू आदि।
  4. बच्चों के हेतु सामग्री- बच्चों की जरूरत की चीजे,पुस्तकें, कॉपियाँ, पेंसिल दवाइयाँ, व मनोरंजन हेतु अनेक तरह के खिलौने आदि। अच्छे बर्तन और सजावट की वस्तुएँ।

4. आपको क्या लगता है कि रोमन सरकार ने चाँदी में मुद्रा को ढालना क्यों बंद किया होगा और वह सिक्कों के उत्पादन के लिए कौन-सी धातु का उपयोग करने लगे?

उतर - रोम साम्राज्य में प्रारंभ में चाँदी की मुद्रा का प्रचलन था। रोम का एक प्रसिद्ध सिक्का दीनारियस था। सिक्कों को ढालने के लिए चाँदी स्पेन की खानों से आती थी। लेकिन रोमन सरकार ने चाँदी में मुद्रा को ढालना बंद कर दिया क्योंकि परवर्ती साम्राज्य में स्पेन को खानों से चाँदी मिलनी बंद हो गई थी तथा सरकार के पास चाँदी की मुद्रा के प्रचलन के लिए काफी चाँदी नहीं रह गई थी। सम्राट कॉन्स्टैनटाइन ने सोने पर आधारित नई मौद्रिक प्रणाली स्थापित की। यहाँ तक कि 'सॉलिडस" नाम का शुद्ध सोने का सिक्का सम्राट कॉन्स्टैनटाइन के द्वारा चलाया गया तथा इसका वजन 45 ग्राम था। परवर्ती पुराकाल में स्वर्ण मुद्राएँ ही व्यापक रूप में प्रचलित थीं। इसकी वजह यह थी कि अन्य देशों के व्यापारियों को स्वर्ण मुद्रा से भुगतान किया जा सके तथा वह मना न कर सके। इसके अलावा रोमन साम्राज्य में सोने की कमी नहीं थी। साम्राज्य को अकेले हेरॉड के राज्य से ही प्रतिवर्ष 1.25,000 किलोग्राम सोना प्राप्त होता था। यही वजह थी कि सोने के सिक्के नि:संदेह लाखों-करोड़ों की संख्या में प्रचलित थे। यहाँ तक कि रोम साम्राज्य के अंत होने के बादभी इन सिक्कों का प्रभाव देखा गया और मुद्राओं का प्रचलन रहा। वर्तमान समय में नयी प्रौद्योगिकी व धातु के विषय में ज्यादा जानकारी के कारण अल्यूमिनियम, ताँबे तथा मिश्र धातुओं के सिक्कों की ढलाई की जा रही है।


संक्षेप में निबंध लिखिए-

5. अगर सम्राट ब्राजान भारत पर विजय प्राप्त करने में वास्तव में सफल होते और रोमवासियों का इस देश पर अनेक सदियों तक कब्ज़ा रहा होता तो क्या आप सोचते हैं कि भारत वर्तमान समय के देश से किस प्रकार भिन्न होता?

उतर - यदि सम्राट ब्राजान भारत पर विजय प्राप्त करने में वास्तव में सफल रहा होता और रोमवासियों का इस देश पर कई सदियों तक कब्जा रहा होता तो भारतीय धर्म, भाषा, कला, संस्कृति, शिक्षा, साहित्य, संगीत, वास्तुकला, वेशभूषा व स्थापत्यकला आदि पर भी बड़ा प्रभाव पड़ता। जब भी दो अलग-अलग संस्कृतियाँ आपस में एक-दूसरे से आपस में मिलती हैं तो उन दोनों संस्कृतियों के बीच कुछ सांस्कृतिक तत्व आत्मसात कर लिए जाते हैं और कुछ को त्याग दिया जाता है। इस तरह एक नए सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश का जन्म होता जिसमें दोनों संस्कृतियों के तत्व एक-दूसरे के पूरक के रूप में देखे जा सकते हैं।
इसके अलावा कोई भी बाहय शासक यदि किसी देश पर आक्रमण करता है तो उसका औचित्य उस विजित देश का सांस्कृतिक, सामाजिक व आर्थिक रूप से शोषण करना ही होता है। उसका मूल उद्देश्य उस देश की सभ्यता को खत्म कर अपनी सभ्यता व अपने धर्म का विस्तार व प्रचार-प्रसार करना होता है। जिस तरह बाबर भारतीय संस्कृति को तहस-नहस व लूटपाट के ही औचित्य से भारत में आया था किन्तु इसकी सांस्कृतिक विविधता के आगे उसका सारा अह आत्मसात किया है। उदाहरणत : मुगलों के बाद अंग्रेज लोग भारत आए। वे भी एक तरह से आक्रमणकारी ही थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति को पूर्णरूप से प्रभावित किया लेकिन भारतीय संस्कृति ने अपने स्वाभाविक रूप को पूर्णरूपेण नहीं बदला बल्कि अंग्रेजी संस्कृति को भी अपने भीतर समाहित कर लिया। इसी तरह यदि सम्राट त्राजान भारत विजय में सफल रहा होता तो आज का भारत जरूर ही कुछ निम्न अर्थों में अलग होता -

  1. अनेक रोमन प्रांतों की भाँति यहाँ भी छोटे-छोटे राज्य स्थापित होते।
  2. सांस्कृतिक क्षेत्र में कला, भवन निर्माण कला, मूर्तिकला व स्थापत्यकला का नमूना रोमन कला के आधार पर होता।
  3. ईसाई धर्म राजधर्म के रूप में घोषित हो जाता।
  4. दास प्रथा को बढ़ावा मिला होता।
  5. भारत का शोषण आर्थिक आधार पर होता जैसा कि अंग्रेजों ने लगभग 200 वर्षों तक किया था। इस प्रकार कहा जा सकता है कि आज का भारत त्राजान के आक्रमण से नि:सन्देह भिन्न होता।

6. अध्याय को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसमें से रोमन समाज और अर्थव्यवस्था को आपकी दृष्टि में आधुनिक दर्शाने वाले आधारभूत अभिलक्षण चुनिए।

उतर - रोमन समाज को आधुनिक दर्शाने वाले अभिलक्षण :

  1. रोमन समाज की अपेक्षाकृत अधिक आधुनिक विशेषताओं में से सबसे मुख्य विशेषता यह थी कि उस समय समाज में एकल परिवार का चलन व्यापक स्तर पर था। वयस्क पुत्र अपने पिता के परिवार में नहीं रहता था। वयस्क भाई भी ज्यादातर अलग ही रहते थे। दूसरी ओर दासों को परिवार में शामिल किया जाता था।
  2. गणतंत्र के परवर्ती काल (प्रथम शती ई०पू०) तक विवाह का ऐसा रूप प्रचलित था जिसके द्वारा पत्नी अपने पति को अपनी सम्पत्ति का हस्तांतरण नहीं करती थी। लेकिन अपने पैतृक परिवार में उसका अधिकार विवाह के बाद भी कायम रहता था। महिला का दहेज वैवाहिक अवधि के द्वारा उसके पति के पास चला जाता था परन्तु पत्नी (महिला) अपने पिता की मुख्य उत्तराधिकारी बनी रहती थी। अपने पिता के मरणोपरांत वह अपने पिता की सम्पत्ति की स्वतन्त्र मालिक बन जाती थी तथा उसे पुरुषों की अपेक्षा ज़्यादा विधिक अधिकार प्राप्त था। इसके अतिरिक्त पति-पत्नी को संयुक्त रूप से एक हस्ती नहीं बल्कि कानूनी दृष्टिकोण से अलग-अलग वित्तीय हस्तियाँ माना जाता था। तत्कालीन समाज में तलाक देना आसान था। इसलिए पति-पत्नी के मध्य विवाह भंग करने के इरादे की सूचना ही पर्याप्त थी।
  3. प्राय: पुरुषों का विवाह 28-29, 30-32 की आयु में और लड़कियों की शादी 16-18 से 22-23 वर्ष की आयु में होता था। स्त्रियों के ऊपर उनके पतियों का कड़ा नियंत्रण रहता था तथा उनकी नियमित रूप से पिटाई की जाती थी। बच्चों के मामले में पिता को ही कानूनन अधिकार प्राप्त था।

रोमन अर्थव्यवस्था को आधुनिक दर्शाने वाले अभिलक्षण :
रोमन साम्राज्य में बंदरगाहों, खानों, खदानों, ईट-भट्ठी, जैतून के तेल की फैक्टरियों आदि की तादाद काफी ज्यादा थी जिनसे उसका आर्थिक आधारभूत ढाँचा काफी सृदृढ़ था। गेहूँ, अंगूरी शराब व जैतून का तेल प्रमुख व्यापारिक मदें थीं जिनका उस समय में समाज में ज़्यादा उपभोग किया जाता था। ये व्यापारिक मदें मुख्य रूप सेउत्तरी अफ्रीका, मिस्र, स्पेन, गैलिक प्रांतों तथा अपेक्षाकृत कम मात्रा में इटली से आयातित होती थीं। इन फसलों के लिए इन प्रांतों में सर्वोतम स्थितियाँ उपलब्ध थीं। शराब, जैतून का तेल व अन्य तरल पदार्थों की दुलाई मटकों या कंटेनरों के माध्यम से की जाती थी, इन्हें एम्फोरा (Amphora) कहा जाता था। इन मटकों के टूटे हुए टुकड़े आज भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। रोम में मोंटी टेस्टैकियो (Monte Testaccio) स्थल पर ऐसे 5 करोड़ से ज़्यादा मटकों के अवशेष पाए गए हैं।
स्पेन में जैतून का तेल निकालने का उद्यम 140-160 ईस्वी में चरमोत्कर्ष पर था। उन दिनों स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से कंटेनरों में जाया करता था और उन्हें ड्रेसल-20 कहा जाता था। इसका यह नाम हेनरिक डेसल नामक पुरातत्वविद के नाम पर आधारित है। उन्होंने इस किस्म के कंटेनरों का रूप सुनिश्चित किया था। ड्रेसल-20 के अवशेष भूमध्यसागरीय क्षेत्रों के विभिन्न उत्खनन स्थलों से प्राप्त हुए हैं। इन साक्ष्यों के द्वारा यह कहा जा सकता है की स्पेन में जैतून के तेल का बड़ा प्रसार था। व्यापारिक गतिविधियों के साथ-ही-साथ प्रान्तों की समृद्धि उनकी वस्तुओं की गुण तथा उनके उत्पादक तथा परिवहन की क्षमता के द्वारा ज़्यादा या कम होती चली गई।