भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ-पुनरावृति नोट्स

                                          CBSE Class 12 भूगोल भाग – 2

पाठ – 12 भौगोलिक परिप्रेक्षप में चयनित मुद्दे एवं समस्याएं
पुनरावृति नोटस


अवधारणा मानचित्र

पाठ एक नजर में

महत्वपूर्ण बिंदु

  • पर्यावरण प्रदूषण मानवीय क्रियाकलापों के अपशिष्ट उत्पादों से मुक्त द्रव्य एवं ऊर्जा का परिणाम है । वातावरण में अवांछित पदार्थों की मात्रा का अधिक हो जाना प्रदूषण की स्थिति पैदा करता है।
  • प्रदूषण को हम इस आधार पर वर्गीकृत कर सकते है कि वातावरण का कौन सा अंग उससे प्रभावित हो रहा है यथा - वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि या मृदा प्रदूषण ।
  • वायु की संरचना में जीवाश्म ईधनों के जलने से उत्पन्न धुंआ, धूलकण आदि मिलने से वायु प्रदूषण होता है ।
  • धरातल पर पाये जाने वाले एवं भूमिगत जल में मानवकृत (घरेलू एवं औद्योगिक) अपशिष्टों के मिलने स जल प्रदूषण होता है ।
  • वाहनों, उद्योगों, लाउड स्पीकरों एवं मशीनों का शोर ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करता है ।
  • अधिक उपज की लालच में रासायनिक खादों का अविवेकपूर्ण प्रयोग एंव अपशिष्टों का उचित निपटान न होना, प्लास्टिक का प्रयोग मृदा प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है ।
  • सभी प्रकार के प्रदूषण मानव के लिए हानिकारक है ।
  • नगरों में मलिन बस्तियों की समस्या इस समय देश के समक्ष चुनौती बनी हुई है ।
  • नगरों के ऊपर फैला कुहरा जिसे शहरी धूम्र कुहरा कहा जाता है | यह वायु मंडलीय प्रदूषण के कारण होता है।
  • भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान एक गंभीर समस्या हैं मुंबई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई आदि शहरों में ठोस अपशिष्ट के 90% को एकत्रित करके उसका निपटान किया जाता है परन्तु देश के अन्य शहरों में ऐसा नहीं हैं।
  • भारत में नगरों में जन संख्या तेजी से बढ़ रही हैं। चूंकेिं छोटे व मध्यम नगरों में रोजगार कम होने के कारण लोग सीधे अपनी जीविका के लिए महानगरों में पहुँचते है |
  • गंदी बस्तियां न्यूनतम वांछिंत आवसीय क्षेत्र होते हैं जहाँ जीर्ण शीर्ण मकान स्वास्थ्य  निम्न सुविधाएँ व आवश्यक आधार भूत चीजों का अभाव पाया जाता है |
  • भुनिम्निकरण का अभिप्राय स्थाई या अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता की कमी है |
  • यद्यपि सभी निम्न कोटिभूमियां व्यर्थ भूमि नहीं है | लेकिन वनों के नाश एवं आधिक सिंचाई जैसी प्रक्रियाएं इसे व्यर्थ में परिवर्तित कर देती है |
  • दूर संवेदन तकनीक की सहायता से निम्नीकृत भूमि की पहचान की गई है जो प्राकृतिक खाद, मरुस्तालीय या रेतीली भूमि, बंजर चट्टानी क्षेत्र, तीव्रढाल वाली भूमि तक हिमानी क्षेत्रों के रूप पायी जाति है |
  • मानव जनित निम्नकोटि भूमियों में जलाक्रांत व दलदली क्षेत्र लवणीयता व क्षारीयता से प्रभावित क्षेत्र, झाडी रहित व झाडी सहित क्षेत्र प्रमुखए |