वसंत सूर के पद - नोट्स

CBSE पुनरावृति नोट्स
CLASS - 8 hindi
पाठ - 15 
सूर के पद
सूरदास

पाठ का सारांश- इस पाठ में भक्त कवि सूरदास ने बालक श्री कृष्ण की बाल-लीलाओं का वर्णन किया है। सूरदास को बाल मनोविज्ञान का बहुत ही गहरा ज्ञान था। इन पदों में बालक कृष्ण की लीलाओं में सहजता, मनोवैज्ञानिकता और स्वाभाविकता है। यह वर्णन अत्यंत सुंदर, हृदयस्पर्शी तथा सजीव है।
इस पाठ में संकलित पहले पद में बालक कृष्ण अपनी छोटी चोटी के विषय में परेशान एवं चिंतित दिखाई देते हैं। वे बार-बार माता यशोदा से अपनी चोटी के बारे में पूछते हैं। वे कहते हैं कि बार-बार दूध पीने पर भी यह छोटी है। तुम तो कहती थीं कि बार-बार कंघी करने और गूँथने पर यह बलराम की चोटी की तरह लंबी और मोटी होकर ज़मीन पर लोटने लगेगी, पर ऐसा हुआ नहीं। तुम मुझे बार-बार कच्चा दूध देती हो। बालक कृष्ण की ऐसी बातें सुनकर माता यशोदा उनकी और बलराम की जोड़ी बनी रहने का आशीर्वाद देती हैं।
दूसरे पद में बालक कृष्ण की शरारतों से तंग एक गोपी माता यशोदा से उनके व्यवहार की शिकायत करती है। वह कृष्ण की करतूतों के बारे में बताती है कि दोपहर में घर को सुनसान समझकर कृष्ण घर में आ गए, छींके पर रखा दूध-दही उन्होंने खुद भी खाया और ग्वालबालों को भी खिलाया। वह माता यशोदा से कहती है कि तुमने ही ऐसा अनोखा पुत्र पैदा किया है। तुम इसे मना क्यों नहीं करती हो।