रचनात्मक लेखन - पुनरावृति नोट्स
CBSE कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक)
निबन्ध लेखन
निबन्ध में सम्मिलित की जाने वाली सूक्तियाँ / श्लोक
- यह पशु प्रवृत्ति है जो आप-आप ही चरे,
वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे। - उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथै।
- जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है,
वह नर नहीं है, पशु निरा है और मृतक समान है। - परहित सरिस धर्म नहीं भाई।
- दुनिया में सब हो समान सब भाषाएँ बनें महान।
- हारिए न हिम्मत, बिसारिए न हरिनाम।
- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय
बलिहारी गुरु आपने जिन गोविन्द दियो बताय। - यूनान मिश्र रोमां सब मिट गए जहाँ से,
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। - घर घर में विज्ञान का फैला आज प्रकाश
करता दोनों काम यह नव निर्माण और विनाश। - आता नहीं देश पर मरना जिसे, उस नीच की जीने का अधिकार नहीं।
- जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रस धार नहीं,
वह हृदय नहीं है पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं। - अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम।
दास मलूका कह गए, सबके दाता राम। - निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे ना हिये को शूल। - काल करै सो आज कर, आज करे सो अब,
पल में परलै होयेगी, बहुरी करेगा कब। - जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि।
- जिसने नयी सभ्यता दी है मानव की सन्तान को,
श्रद्धायुत प्रणाम है मेरा उस विज्ञान को। - कायर मन का एक अधारा
दैव दैव आलसी पुकारा। - वृक्ष नगर के भूषण है, करते दूर प्रदूषण हैं।
- अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में है दूध और आँखों में पानी। - देखकर बाधा विविध बहु विध्न घबराते नहीं
रह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं,
काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं। - मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ पर जाते वीर अनेक।। - नारी तुम केवल श्रद्धा दो, विश्वास रजत नग पग-तल में।
पीयूष स्रोत-सी बहा करो, जीवन के सुन्दर समतल में। - ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपौ शीतल होय।। - मित्रता बड़ा अनमोल रतन।
कब इसे तोल सकता है धन।। - अरूण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा। - “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”
(महत्वपूर्ण निबन्ध)
- भूमंडलय तापवृद्धि (ग्लोबल वार्मिग) का हमारे जीवन पर असर
- कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
- सामाजिक जीवन में घटते नैतिक मूल्य
- आधुनिक नारी-हर मोर्चे पर आगे
- लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका
- खेलों में भारत की वर्तमान उपलब्धियाँ
- अंतरिक्ष में भारत की उड़ान
- नोटबन्दी का अर्थव्यवस्था पर असर
- असामान्य लिंग अनुपात-कन्या भूण हत्या
- दिल्ली की सड़कों पर बढ़ता ट्रैफिक
- विज्ञान का मानव जीवन पर प्रभाव
- प्रस्तावना / भूमिका:
- विज्ञान का सकारात्मक प्रभाव:
- चिकित्सा सुविधाओं का बढ़ जाना।
- संचार के साधनों का विकास
- परिवहन के साधनों का विकास।
- जीवन को सुगम बनाने में।
- अंतरिक्ष तक पहुँच बनाने में।
- नकारात्मक प्रभाव:
- पर्यावरण संकट
- विस्फोटक (पृथ्वी के अस्तित्व को खतरा)
- बढ़ता प्रदूषण
- सामाजिक विघटन
- बेहतर क्या?:
- संतुलित प्रयोग।
- हथियारों की होड़ को कम करना।
- तकनीक का संतुलित प्रयोग।
- निष्कर्ष / उपसंहार:
- बेरोजगारी की समस्या
- प्रस्तावना
- बेरोजगारी से उत्पन्न सामाजिक अव्यवस्था
- असुरक्षा की भावना
- बेरोजगार युवा को घृणा की दृष्टि से देखना
- अपहरण
- फिरौती, लूटपाट की घटनाएँ
- बेरोजगारी के कारण:
- जनसंख्या वृद्धि।
- औद्योगिकीकरण की धीमी गति।
- दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली।
- नेताओं की गलत नीतियाँ।
- दूरदर्शिता की कमी।
- आरक्षण की आग।
- सरकारी नौकरियों का आकर्षण।
- समाधान
- लघु उद्योगों की स्थापना
- रोजगार पूर्ण शिक्षा
- आरक्षण समाप्त
- शिक्षा में खेल-कूद का महत्व
- चरित्र निर्माण पर बल
- नैतिक मूल्यों पर बल
- उपसंहार
- राष्ट्रीय एकता
- प्रस्तावना / भूमिका
- राष्ट्रीय एकता का महत्व या आवश्यकता
- देश का विकास
- खुशहाली
- बाहरी शक्तियों से मुकाबला
- विघटनकारी तत्वों का विनाश
- राष्ट्रीय अनेकता के कारण:
- धर्म या जाति क आधार पर
- धन की लालसा
- आतंकवाद
- स्वार्थ भावना
- भ्रष्टाचार
- अनेकता की हानियाँ:
- बाहरी ताकतों से खतरा
- देश में अवनति
- असुरक्षा की भावना
- अशांति का माहौल
- राष्ट्रीय एकता के उपाय:
- निःस्वार्थ भावना
- शिक्षा का प्रचार-प्रसार
- मानवता
- सबको समान अवसर
- नैतिक मूल्यों का विकास
- उपसंहार
- भ्रष्टाचार
- प्रस्तावना / भूमिका: शाब्दिक अर्थ- भ्रष्ट + आचरण।
- कारण:
- गरीबी
- बेरोजगारी
- भूखमरी
- धन की लालसा
- बेईमानी
- हानियाँ:
- राष्ट्रीय विकास में बाधा
- आर्थिक विकास में अवरोध
- मानसिक अशांति
- जीवन मूल्यों का ह्रास
- राष्ट्रीय नीतियों का अवमूल्यन
- समाधान:
- समान रोजगार के अवसर
- कालाबाजारी पर रोक
- जीवन मूल्यों की शिक्षा
- नैतिक शिक्षा का प्रचार
- ईमानदारी व्यक्तियों का सम्मान
- निष्कर्ष / उपसंहार
- विद्यार्थी और अनुशासनहीनता
- प्रस्तावना / भूमिका: विद्यार्थी का अर्थ, विद्या + अर्थी
- कारण:
- अलग दिखने की इच्छा
- पारिवारिक पृष्ठभूमि
- कुसंगति का प्रभाव
- पढ़ाई में अरुचि।
- दुष्प्रभाव:
- पढ़ाई लिखाई में बाधा
- नैतिक पतन
- अपराधी प्रवृत्ति
- भविष्य संकट
- समाज को क्षति
- कैसे अनुशासित करें?:
- बातचीत एवं सही मार्गदर्शन
- माता-पिता से संपर्क करके
- प्रेरक प्रसंग एवं कहानी द्वारा
- उचित देखरेख
- निष्कर्ष / उपसंहार