रचनात्मक लेखन - पुनरावृति नोट्स

 CBSE कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक)

निबन्ध लेखन


निबन्ध में सम्मिलित की जाने वाली सूक्तियाँ / श्लोक

  1. यह पशु प्रवृत्ति है जो आप-आप ही चरे,
    वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे।
  2. उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथै।
  3. जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है,
    वह नर नहीं है, पशु निरा है और मृतक समान है।
  4. परहित सरिस धर्म नहीं भाई।
  5. दुनिया में सब हो समान सब भाषाएँ बनें महान।
  6. हारिए न हिम्मत, बिसारिए न हरिनाम।
  7. गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय
    बलिहारी गुरु आपने जिन गोविन्द दियो बताय।
  8. यूनान मिश्र रोमां सब मिट गए जहाँ से,
    कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।
  9. घर घर में विज्ञान का फैला आज प्रकाश
    करता दोनों काम यह नव निर्माण और विनाश।
  10. आता नहीं देश पर मरना जिसे, उस नीच की जीने का अधिकार नहीं।
  11. जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रस धार नहीं,
    वह हृदय नहीं है पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
  12. अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम।
    दास मलूका कह गए, सबके दाता राम।
  13. निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
    बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे ना हिये को शूल।
  14. काल करै सो आज कर, आज करे सो अब,
    पल में परलै होयेगी, बहुरी करेगा कब।
  15. जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि।
  16. जिसने नयी सभ्यता दी है मानव की सन्तान को,
    श्रद्धायुत प्रणाम है मेरा उस विज्ञान को।
  17. कायर मन का एक अधारा
    दैव दैव आलसी पुकारा।
  18. वृक्ष नगर के भूषण है, करते दूर प्रदूषण हैं।
  19. अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी,
    आंचल में है दूध और आँखों में पानी।
  20. देखकर बाधा विविध बहु विध्न घबराते नहीं
    रह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं,
    काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं।
  21. मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना फेंक।
    मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ पर जाते वीर अनेक।।
  22. नारी तुम केवल श्रद्धा दो, विश्वास रजत नग पग-तल में।
    पीयूष स्रोत-सी बहा करो, जीवन के सुन्दर समतल में।
  23. ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
    औरन को शीतल करे, आपौ शीतल होय।।
  24. मित्रता बड़ा अनमोल रतन।
    कब इसे तोल सकता है धन।।
  25. अरूण यह मधुमय देश हमारा।
    जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
  26. “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”

 

(महत्वपूर्ण निबन्ध)

  1. भूमंडलय तापवृद्धि (ग्लोबल वार्मिग) का हमारे जीवन पर असर
  2. कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
  3. सामाजिक जीवन में घटते नैतिक मूल्य
  4. आधुनिक नारी-हर मोर्चे पर आगे
  5. लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका
  6. खेलों में भारत की वर्तमान उपलब्धियाँ
  7. अंतरिक्ष में भारत की उड़ान
  8. नोटबन्दी का अर्थव्यवस्था पर असर
  9. असामान्य लिंग अनुपात-कन्या भूण हत्या
  10. दिल्ली की सड़कों पर बढ़ता ट्रैफिक

 

 

  • विज्ञान का मानव जीवन पर प्रभाव
    • प्रस्तावना / भूमिका:
    • विज्ञान का सकारात्मक प्रभाव:
      • चिकित्सा सुविधाओं का बढ़ जाना।
      • संचार के साधनों का विकास
      • परिवहन के साधनों का विकास।
      • जीवन को सुगम बनाने में।
      • अंतरिक्ष तक पहुँच बनाने में।
    • नकारात्मक प्रभाव:
      • पर्यावरण संकट
      • विस्फोटक (पृथ्वी के अस्तित्व को खतरा)
      • बढ़ता प्रदूषण
      • सामाजिक विघटन
    • बेहतर क्या?:
      • संतुलित प्रयोग।
      • हथियारों की होड़ को कम करना।
      • तकनीक का संतुलित प्रयोग।
    • निष्कर्ष / उपसंहार:
  • बेरोजगारी की समस्या
    • प्रस्तावना
    • बेरोजगारी से उत्पन्न सामाजिक अव्यवस्था
      • असुरक्षा की भावना
      • बेरोजगार युवा को घृणा की दृष्टि से देखना
      • अपहरण
      • फिरौती, लूटपाट की घटनाएँ
    • बेरोजगारी के कारण:
      • जनसंख्या वृद्धि।
      • औद्योगिकीकरण की धीमी गति।
      • दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली।
      • नेताओं की गलत नीतियाँ।
      • दूरदर्शिता की कमी।
      • आरक्षण की आग।
      • सरकारी नौकरियों का आकर्षण।
    • समाधान
      • लघु उद्योगों की स्थापना
      • रोजगार पूर्ण शिक्षा
      • आरक्षण समाप्त
      • शिक्षा में खेल-कूद का महत्व
      • चरित्र निर्माण पर बल
      • नैतिक मूल्यों पर बल
    • उपसंहार
  • राष्ट्रीय एकता
    • प्रस्तावना / भूमिका
    • राष्ट्रीय एकता का महत्व या आवश्यकता
      • देश का विकास
      • खुशहाली
      • बाहरी शक्तियों से मुकाबला
      • विघटनकारी तत्वों का विनाश
    • राष्ट्रीय अनेकता के कारण:
      • धर्म या जाति क आधार पर
      • धन की लालसा
      • आतंकवाद
      • स्वार्थ भावना
      • भ्रष्टाचार
    • अनेकता की हानियाँ:
      • बाहरी ताकतों से खतरा
      • देश में अवनति
      • असुरक्षा की भावना
      • अशांति का माहौल
    • राष्ट्रीय एकता के उपाय:
      • निःस्वार्थ भावना
      • शिक्षा का प्रचार-प्रसार
      • मानवता
      • सबको समान अवसर
      • नैतिक मूल्यों का विकास
    • उपसंहार
  • भ्रष्टाचार
    • प्रस्तावना / भूमिका: शाब्दिक अर्थ- भ्रष्ट + आचरण।
    • कारण:
      • गरीबी
      • बेरोजगारी
      • भूखमरी
      • धन की लालसा
      • बेईमानी
    • हानियाँ:
      • राष्ट्रीय विकास में बाधा
      • आर्थिक विकास में अवरोध
      • मानसिक अशांति
      • जीवन मूल्यों का ह्रास
      • राष्ट्रीय नीतियों का अवमूल्यन
    • समाधान:
      • समान रोजगार के अवसर
      • कालाबाजारी पर रोक
      • जीवन मूल्यों की शिक्षा
      • नैतिक शिक्षा का प्रचार
      • ईमानदारी व्यक्तियों का सम्मान
    • निष्कर्ष / उपसंहार
  • विद्यार्थी और अनुशासनहीनता
    • प्रस्तावना / भूमिका: विद्यार्थी का अर्थ, विद्या + अर्थी
    • कारण:
      • अलग दिखने की इच्छा
      • पारिवारिक पृष्ठभूमि
      • कुसंगति का प्रभाव
      • पढ़ाई में अरुचि।
    • दुष्प्रभाव:
      • पढ़ाई लिखाई में बाधा
      • नैतिक पतन
      • अपराधी प्रवृत्ति
      • भविष्य संकट
      • समाज को क्षति
    • कैसे अनुशासित करें?:
      • बातचीत एवं सही मार्गदर्शन
      • माता-पिता से संपर्क करके
      • प्रेरक प्रसंग एवं कहानी द्वारा
      • उचित देखरेख
    • निष्कर्ष / उपसंहार