संविधान का निर्माण एक नए युग की शुरूआत-महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

                                                     सीबीएसई कक्षा -12 इतिहास

महत्वपूर्ण प्रश्न
पाठ – 15
संविधान का निर्माण एक नए युग की शुरूआत


(02 अंको वाले प्रश्न)

प्र.1 संविधान सभा का गठन कब और किस योजना के अनुसार किया गया ?

उत्तरः- संविधान सभा का गठन अक्टूबर 1946 ई. में कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार किया गया।


प्र.2 अखिल भारतीय राज्य जन कान्फ्रेंस का अधिवेशन प्रथम बार कब और किसकी अध्यक्षता में हुआ ?

उत्तरः- अखिल भारतीय राज्य जन कान्फ्रेंस का प्रथम अधिवेशन 1927 ई. में । एलौर के प्रसिद्ध नेता दीवान बहादुर एम.रामचन्द्र राय की अध्यक्षता में हुआ।


प्र.3 संविधान सभा की प्रथम बैठक कब और किसकी अध्यक्षता में हुई ?

उत्तरः- संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर 1946 ई. को सच्चिदानन्द सिन्हा की अध्यक्षता में हुई।


प्र.4 प्रारूप समिति का गठन कब किया गया? इसके अध्यक्ष कौन थे?

उत्तरः- प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त, 1947 ई. को किया गया। इसके अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अम्बेडकर थे।


प्र.5. भारतीय संविधान के दो अवसाद कौन से थे ?

उत्तरः 1. भारतीय संविधान का मौखिक रूप से अंग्रेजी में होना।

2. किसी भी पद पर खड़े होने के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता आवश्यक न होना।


(5 अंको वाले प्रश्न)

प्र.6 महात्मा गांधी क्यों चाहते थे कि हिन्दुस्तानी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए?

उत्तरः- 1. इसे आसानी से समझा व बोला जा सकता है।

2. इसे भारतीय लोग ज्यादा प्रयोग में लाते थे।

3. यह हिन्दू व उर्दू के मेल से बनी थी।

4. यह बहुसांस्कृतिक भाषा थी।

5. इसमें समय के साथ दूसरी भाषाओं के शब्द शामिल होते गए।


प्र.7 हैदराबाद को भारतीय संघ का अंग किस प्रकार बनाया गया?

उत्तरः- 1. यह रियासत में लगभग 90 प्रतिशत जनता हिन्दू थी।

2. शासक मुसलमान होता था।

3. हैदराबाद का निज़ाम अपनी रियासत को स्वतंत्र रखना चाहता था।

4. भारत सरकार ने निज़ाम के विरूद्ध सैनिक कार्यवाही करने का निर्णय लिया।

5. चार दिन के संघर्ष के बाद 17 सितम्बर, 1948 ई.को निज़ाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और भारतीय संघ में सम्मिलित होना स्वीकार कर लिया।


प्र.8 विभिन्न समूहों द्वारा ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को किस प्रकार परिभाषित किया गया?

उत्तरः- 1. कुछ लोग आदिवासियों को मैदानी लोगों से अलग देखकर आदिवासियों को अलग आरक्षण देना चाहते थे।

2. अन्य प्रकार के लोग दमित वर्ग के लोगों को हिन्दूओं से अलग करके देख रहे थे और वह उनके लिए अधिक स्थानों का आरक्षण चाहते थे।

3. कुछ विद्वान मुसलमानों को ही अल्पसंख्यक कह रहे थे।

4. सिक्ख लोग के कुछ सदस्य सिक्ख धर्म में अनुयायियों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने और अल्पसंख्यकों को सुविधायें देने की मांग कर रहे थे।


प्र.9 ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ में किन आदर्शो पर जोर दिया गया था?

उत्तरः- 1. प्रभुता सम्पन्न स्वतंत्र भारत की स्थापना और उसके सभी भागों और सरकार के अंगो को सभी प्रकार की शक्ति और अधिकार जनता से प्राप्त होना।

2. भारत के सभी लोगों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, पद, अवसर और कानून के समक्ष समानता, कानून और सार्वजनिक नैतिकता के अंतर्गत विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, निष्ठा, पूजा, व्यवसाय, संगठन और कार्य की स्वतंत्रता की गारंटी देना।

3. अल्पसंख्यकों, पिछड़े और जनजाति वाले क्षेत्रों, दलित और अन्य वर्गो के लिए सुरक्षा के समुचित उपाय करना।


प्र.10 वे कौन सी ऐतिहासिक ताकतें थीं जिन्होंने संविधान का स्वरूप तय किया ?

उत्तरः- 1. संविधान का स्वरूप तय करने वाली प्रथम ऐतिहासिक ताकत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस थी।

2. मुस्लिम लीग ने देश के विभाजन को बढ़ावा दिया।

3. उदारवादी मुसलमान राजनैतिक दलों से जुड़े रहे, उन्होंने भी भारत को धर्म निरपेक्ष बनाए रखने में संविधान के माध्यम से आश्वस्त किया।

4. दलित और हरिजनों के समर्थक नेताओं ने संविधान को कमजोर वर्गो के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता और न्याय दिलाने वाला आरक्षण की व्यवस्था करने वाला, छुआछूत का उन्मूलन करने वाला स्वरूप प्रदान करने में योगदान दिया।

5. एन.जी.रांगा और जयपाल सिंह जैसे आदिवासी नेताओं ने संविधान का स्वरूप तय करते समय इस बात की ओर ध्यान देने के लिए जोर दिया कि उनके समाज का गैर मूलवासियों द्वारा शोषण हुआ है।


प्र.11 संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने उस समय की राजनीतिक परिस्थिति और एक मजबूत केन्द्र सरकार की जरूरत के बीच क्या संबंध देखा?

उत्तरः- 1. प्रारंभ में सन्तनम जैसे सदस्यों ने केन्द्र के साथ राज्यों को भी मजबूत करने की बात कहीं।

2. ड्राफ्ट कमेटी के चेयरमेन डॉ. बी.आर.अम्बेडकर ने पहले ही घोषणा की थी कि वे एक शक्तिशाली और एकीकृत केन्द्र 1935 के इण्डिया एक्ट के समान देश में एक शक्तिशाली केन्द्र की स्थापना करना चाहते हैं।

3. 1946 और 1947 में देश के विभिन्न भागों में सांप्रदायिक दंगे और हिंसा के दृश्य दिखाई दे रहे थे।

4. संयुक्त प्रांत के एक सदस्य बालकृष्ण शर्मा ने इस बात पर जोर दिया की केन्द्र का शक्तिशाली होना जरूरी है।

5. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देश के विभाजन के पूर्व इस बात से सहमत थी कि प्रांतों को पर्याप्त स्वायत्तता दी जायेगी।

6. भारत में आरोपित औपनिवेशिक शासन व्यवस्था चल रही थी। इस दौरान उनके घटित घटनाओं से केंद्रवाद की भावना को बढ़ावा मिला।


(10 अंको वाले प्रश्न)

प्र.12 संविधान सभा ने भाषा के विवाद को हल करने के लिए क्या रास्ता निकाला ?

उत्तरः- 1. 1930 के बाद कांग्रेस ने यह स्वीकार कर लिया था कि हिन्दुस्तानी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया जाए।

2. गाँधी जी का मानना था कि हिन्दु और उर्दू के मेल से बनी हिंदुस्तानी भारतीय जनता के बहुत बड़े भाग की भाषा थी और यह विविध संस्कृतियों के आदान-प्रदान से समृद्ध हुई एक साझी भाषा थी।

3. कांग्रेस सदस्य आर.वी.धुलेकर ने इस बात का समर्थन किया की संविधान निर्माण की भाषा हिन्दी होनी चाहिए।

4. कई लोगों ने धुलेकर की बात का विरोध किया। इसके बाद तेज बहस शुरू हो गई।

5. विरोधियों का यह मानना था कि हिन्दी के लिए हो रहा यह प्रचार प्रांतीय भाषाओं की जड़े खोदने का प्रचार है।

6 .समिति ने राष्ट्रीय भाषा के सवाल पर सुझाव दिया कि देवनागरी लिपि में लिखी गई हिन्दी भारत की राजकीय भाषा होगी।

7. सभी सदस्यों ने हिन्दी की हिमायत को स्वीकार किया लेकिन इसके वर्चस्व अस्वीकार कर दिया।

8. मद्रास के श्री टी ए रामलिंगम चेट्टियार ने इस बात पर बल दिया कि जो कुछ भी किया जाय सावधानीपूर्वक किया जाय, यदि आक्रामक होकर किया गया तो हिन्दी का भला नहीं हो पायेगा ।

9. श्री चेट्टियार के अनुसार ‘‘जब हम एक साथ रहना चाहते है और एकीकृत राष्ट्र की स्थापना करना चाहते है तो परस्पर समायोजन होना आवश्यक है।’’

10. आगे चलकर देश की सभी भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया।


प्र.13 दमित समूहों की सुरक्षा के पक्ष में किए गए विभिन्न दावों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर- 1. संविधान सभा में आसीन दमित जातियों के कुछ प्रतिनिधि सदस्यों का आग्रह था कि अस्पृश्यों की समस्या को केवल संरक्षण और बचाव से हल नहीं किया जा सकता।
2. हरिजन संख्या की दृष्टि से अल्पसंख्यक नहीं है। आबादी में उनका हिस्सा 20-25 प्रतिशत है।
3. प्रारंभ में डॉ. अंबेडकर ने अल्पसंख्यकों के लिए पृथक निर्वाचन की मांग की। परंतु बाद में छोड़ दी।
4. मध्य प्रांत के दमित जातियों के एक प्रतिनिधि श्री के.जे.खाण्डेलकर ने संविधान सभा को कहा कि उनके लोगों के समुदायों के लोगों को हजारों वर्षो तक दबाया गया है।
5. अस्पृश्यता का उन्मूलन किया जाय ।
6. हिन्दू मंदिरों को सभी जातियों के लिए खोल दिया जाय।
7. दमित वर्गों को विधायिकों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाय।
8. इसके लिए समाज की सोच में बदलाव लाना भी आवश्यक है।
9. सार्वजनिक स्थलों पर उनके साथ भेदभाव न किया जाय।
10. यद्यपि समस्यायें एकदम हल नहीं होगी, लेकिन लोकतांत्रिक जनता ने इन प्रावधानों का स्वागत किया है।

अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न

“गोविन्द वल्लभ पन्त का विचार था कि समुदाय और खुद को बीच में रखकर सोचने की आदत को छोड़कर ही निष्ठावान नागरिक बना जा सकता था। उनके शब्दों में-” लोकतन्त्र की सफलता के लिए व्यक्ति को आत्यानुशासन की कला का प्रशिक्षण लेना होगा। लोकतन्त्र में व्यक्ति को अपने लिए कम तथा ओरों के लिए अधिक चिन्ता करनी चाहिए। यहाँ खंडित निष्ठा के लिए कोई जगह नहीं है। सारी निष्ठाएँ केवल राज्य पर केन्द्रित होनी चाहिए। यदि किसी लोकतन्त्र में आप प्रतिस्पर्थी निष्ठाएँ रख देते हैं या ऐसी व्यवस्था खड़ी कर देते हैं, जिसमें कोई व्यक्ति या समूह अपने अपव्यय पर अंकुश लगाने की अपेक्षा वृहत्तर अथवा अन्य हितों की जरा भी परवाह नहीं करता, तो ऐसे लोकतन्त्र का डूबना निश्चित है।“

प्र.1 पृथक निर्वाचिका से आप क्या समझते हैं? (2)

उत्तरः- पृथक निर्वाचिका का तात्पर्य हैं ‘पृथक निर्वाचन क्षेत्र।’ 1909 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत मुसलमानों के लिए पृथक चुनाव क्षेत्रों की व्यवस्था की गई थी। इन क्षेत्रों से केवल मुसलमान ही चुने जाते थे। ब्रिटिश प्रशासकों के अनुसार ऐसा अल्पसंख्यक मुस्लिम सम्प्रदाय के हितों की दृष्टि से किया गया है।

प्र.2 संविधान निर्माण के समय पृथक निर्वाचिका की माँग क्यों की गई? (2)

उत्तरः- कुछ लोगों का विचार था कि शासन में अल्पसंख्यकों की एक सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पृथक निर्वाचिका के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं था। अतः उनके द्वारा संविधान निर्माण के समय पृथक निर्वाचिका की माँग की गई।

प्र.3 गोविन्द वल्लभ पंत पृथक निर्वाचिका की माँग के विरूद्ध क्यों थे? दो कारण दीजिए। (2)

उत्तर- 1. गोविन्द वल्लभ पन्त का विचार था किः यदि पृथक निर्वाचिका के द्वारा अल्पसंख्यकों को सदा के लिए अलग-अलग कर दिया गया, तो वे कभी भी स्वयं को बहुसंख्यकों में रूपान्तरित नहीं कर पाएँगे।

2. यदि अल्पसंख्यक पृथक निर्वाचिका से जीतकर आते रहें, तो शासन में कभी प्रभावी योगदान नहीं दे पाएँगे।

प्र.4 गोविन्द वल्लभ पन्त के अनुसार लोकतन्त्र में निष्ठावान नागरिकों में कौन-से तीन प्रमुख अभिलक्षण होने चाहिए? (2)

उत्तरः- 1. उसे अपने लिए कम तथा औरों के लिए अधिक चिन्ता करनी चाहिए।
2. उसकी सारी निष्ठाएँ केवल राज्य पर केंद्रित होनी चाहिए।
3. उसे आत्मानुशासन की कला में प्रशिक्षित होना चाहिए।