भारतीय समाज की जन सांख्यिकीय संरचना - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 12 समाजशास्त्र
[खण्ड-1] पाठ - 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना
पुनरावृति नोट्स

मुख्य बिंदु-
जनसांख्यिकी: किसी देश की जनसंख्या, क्षेत्र, समुदाय इत्यादि का अध्ययन।
डेमोस (Demos) यानी जन (लोग) और ग्राफिन (Graphien) यानी वर्णन से मिलकर बना है। इसका तात्पर्य है-लोगों का वर्णन।
जनसांख्यिकी के दो प्रकार हैं :
  1. आकारिक जनसाख्यिकी (Formal Demography)-जनसंख्या का सांख्यिकीय विश्लेषण; जैसे-कुल जनसंख्या, पुरुषों तथा महिलाओं की संख्या, युवकों की संख्या, कार्यशील जनसंख्या, ग्रामीण तथा शहरी जनसंख्या (परिमाणात्मक आँकड़ा) आदि।
  2. सामाजिक जनसाख्यिकी (Social Demography)-जन्म-दर, मृत्यु-दर तथा प्रवासन–जो किसी विशेष समाज में अपघटित होते हैं।
    इसके चार चरण होते हैं-
    (i) जनसाख्यिकीय संरचनाः किसी क्षेत्र में लोंगों की संख्या।
    (ii) जनसांख्यिकीय प्रक्रियाः जन्म–दर, मृत्यु-दर, प्रवासन।
    (iii) सामाजिक संरचनाः किसी क्षेत्र का संगठन।
    (iv) सामाजिक प्रक्रियाएँ: वह प्रक्रम जिसके अंतर्गत।
  • व्यक्ति शांति तथा  के साथ समाज में रहने की सीख लेता है; जैसे-सहयोग, मिल-जुलकर रहना, चिंतन-मनन करना इत्यादि।
  • आकारिक जनसांख्यिकी के अंतर्गत सांख्यिकी, संख्या, एकत्रीकरण तथा ऑकडीं का स्मरणीय परिमाणीकरण शामिल होते हैं।
  • सामाजिक जनसांख्यिकी में समाज की जनसंख्या में परिवर्तन अथवा उसका परिणाम एवं हमारे ऊपर पड़ने वाले इसके प्रभावों को शामिल किया जाता है।
जनसंख्या के सिद्धांत
रॉबर्ट थामस माल्थस द्वारा प्रतिपादित माल्थस का सिद्धांत। (1766-1834)
  • उनके अनुसार, इसके अंतर्गत दो महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं:
    1. जनसंख्या-लोग
    2. संपदा के साधन-भूमि (कृषि)
  • उनके अनुसार, जनसंख्या में वृद्धि अनियंत्रित रूप से हो सकती है। यह 'ज्यामितीय गति' (2, 4, 8, 16, 32 ....) से तेजी से बढ़ती है।
  • खाद्य उत्पादक में वृद्धि गणितीय (समरंतर) रूप से होती है। जैसे- 2, 4, 6, 8, 10 आदि। इससे जनसंख्या व खाद्य समग्री में असंतुलन पैदा होता है।
  • भूमि (कृषि) से प्राप्त होने वाला प्रतिफल सीमित होता है। यह 'अंकगणितीय गति' (1, 2, 3, 4, 5 ....) से धीमी गति से बढ़ता है। इसके कारण समाज में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है।
  • जनसंख्या अनियंत्रित रूप से बढ़ रही हैं। कृषि इतनी बड़ी जनसंख्या का बोझ सहन नहीं कर पा रही, जिसके कारण गरीबी, भुखमरी जैसी समस्याएँ उन्पन्न हो रही हैं | 
  • इसके निदान हेतु माल्थस ने दो समाधान प्रस्तुत किए हैं
  • प्राकृतिक निरोध (Positive check): प्राकृतिक आपदाओं के कारण बहुत लोगों की मृत्यु होती है। इसके कारण जनसंख्या पर प्राकृतिक रूप से नियंत्रण हो जाता हैं। यदि कोई अपनी चिंता स्वयं नहीं करता, तो प्रकृति यह काम करती है। उदाहरणार्थ, भूकप, बाढ़, युद्ध बीमारी, सूनामी इत्यादि।
  • कृत्रिम निरोध (Preventive check): यह मानव द्वारा निर्मित उपाय है; जैसे-देर से विवाह, ब्रह्मचर्य, गर्भ-निरोधी उपाय इत्यादि।
माल्थस के सिद्धांत की आलोचना
  • आर्थिक वृद्धि जनसंख्या वृद्धि से अधिक हो सकती है। जैसा कि यूरोप के देशों में हुआ है। गरीबी व भुखमरी जनसंख्या वृद्धि के बजाए आर्थिक संसाधनों के असमान वितरण के कारण फैलती है। (उदारवादी व मार्क्सवादी)
  • समाजशास्त्रियों के अनुसार गरीबी, भुखमरी जैसी समस्याएँ कृषि में कम वृद्धि के कारण नहीं, बल्कि आर्थिक संसाधनों की असमानता के कारण होती हैं।
  • विज्ञान तथा तकनीक के विकास के कारण अब कृषि का उत्पादन सीमित नहीं रह गया है।
  • जनसंख्या में वृद्धि के साथ ही जीवन-स्तर में भी वृद्धि होती है। इसका कारण विज्ञान तथा तकनीक है।
सामान्य कल्पनाएंव संकेतक-
  • जन्म दर- एक वर्ष मे प्रति हजार व्यक्तियों पर जीवित जन्मे बच्चों की संख्या जन्म दर कहलाती है।
  • मृत्यु दर- क्षेत्र विशेष मे प्रति हजार व्यक्तियों मे मृत व्यक्तियों की संख्या मृत्यु दर कहलाती है।
  • प्राकृतिक वृद्धि दर या जनसंख्या वृद्धि दर- जन्म दर व मृत्यु के बीच का अन्तर।
  • प्रजनन दर- बच्चे पैदा कर सकने की आयु (15-49 वर्ष) वाली 1000 स्त्रियों की इकाई के पीछे जीवित जन्मे बच्चों की संख्या।
  • शिशु मृत्युदर- जीवित पैदा हुए 1000 बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मृत कर बच्चों संख्या।
  • मातृ मृत्युदर- एक हजार की शिशु जन्मों पर जन्म देकर मरने वाली महिलाओं की संख्या।
  • लिंग अनुपात- प्रति हजार पुरूषों पर निश्चित अवधि के दौरान स्त्रियों की संख्या (किसी विशेष क्षेत्र में)
  • जनसंख्या की आयु संरचना- कुल जनसंख्या के विभिन्न आयु वर्गों में व्यक्तियों का अनुपात
  • पराश्रितता अनुपात- जनसंख्या का वह अनुपात जो जीवन यापन के लिए कार्यशील जनसंख्या पर आश्रित है। इसमे कार्यशील वर्ग 15-64 वर्ष की आयु वाले होते है। बच्चे व बुजुर्ग पराश्रित होते है।
भारत में जन्म दर तथा मृत्यु-दर :- जन्मदर एक ऐसी सामाजिक-सांस्कृतिक प्रघटना है जिसमें परिवर्तन अपेक्षाकृत धीमी गति से आता है। हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी बंगाल कर्नाटक, महाराष्ट्र की कुल प्रजनन दरें काफी कम है। बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में प्रजनन दर बहुत ऊँची है।
भारतीय जनसंख्या की आयु संरचना:- अधिकांश भारतीय युवावस्था में है। केरल ने विकसित देशों की आयुसंरचना की स्थिति प्राप्त कर ली है। उत्तर प्रदेश में युवा वर्ग का अनुपात अधिक है तथा वृद्धों का अनुपात कम है।
भारत में 'जनसांख्यिकीय लाभांश' : जनसांख्यिकीय संरचना में जनसंख्या संक्रमण की उस अवस्था को जिसमें कमाने वाले यानि 15-49 आयु वर्ग की जनसंख्या न कमाने वाले (पराश्रित वर्ग) यानि 60+ आयु वर्ग की जनसंख्या की तुलना में अधिक हो तो उसे जनसांख्यिकीय लाभांश कहते है यह तभी प्राप्त हो सकता है जब कार्यशील लोगो के अनुपात में वृद्धि होती रहे।
स्त्री-पुरुष अनुपात : भारत में स्त्री-पुरुष अनुपात गिरता रहा है। इसका कारण है लिंग विशेष का गर्भपात, बालिका शिशुओं की हत्या, बाल विवाह पौष्टिक भोजन न मिलना। देश की विभिन्न हिस्सों में स्त्री-पुरुष अनुपात भिन्न-भिन्न है। केरल राज्य से सबसे अधिक है और हरियाणा, पंजाब चंडीगढ़ में में सबसे कम है।
जनघनत्व:- जनघनत्व से तात्पर्य प्रति वर्ग कि० मी० मे निवास करने वाले मनुष्यों की संख्या से लगाया जाता है। भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण जनघनत्व भी बढ़ रहा है।
हकदारी की पूर्ति का आभाव : अमर्त्य सेन एवं अनेक विद्वानो ने दर्शाया है कि अकाल अनाज के उत्पादन में गिरावट आने के कारण ही नहीं पड़े अपितु हकदारी की पूर्ति का आभाव या भोजन खरीदने या किसी तरह से प्राप्त करने की लोगों की अक्षमता के कारण भी अकाल पड़ते रहे है। इसलिए सरकार ने भूख और भुखमरी की समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) नाम का एक कानून बनाया है।
ग्रामीण-नगरीय विभिन्नताएँ:- भारत को गाँवों का देश कहा जाता है। नगर ग्रामीणों के लिए आकर्षक स्थान बन रहे हैं। गाँव से लोग रोजगार की दृष्टि से नगरों की ओर पलायन कर रहे हैं।
रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्र जैसे जनसंपर्क एवं जनसंचार के साधन अब ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के समक्ष नगरीय जीवन शैली तथा उपभोग के स्वरूपों की तस्वीरें पेश कर रहे हैं। परिणाम स्वरूप दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोग नगरीय तड़क-भड़क और सुख-सुविधाओं से सुपरिचित हो जाते हैं उनमें भी वैसा ही उपभोगपूर्ण जीवन जीने की लालसा उत्पन्न हो जाती है।
राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम इसलिए शुरु किया गया कि जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण किया जा सके। इसमें जन्म नियंत्रण के विभिन्न उपाय अपनाए गए। (पुरुषों के लिए नसबंदी और महिलाओं के लिए नलिकाबंदी) राष्ट्रीय आपातकाल (1975-1976) में परिवार नियोजन कार्यक्रम की गहरा धक्का लगा। नई सरकार ने इसे राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम का नाम दिया। इसमें नए दिशा निर्देश बनाए गए।
इस कार्यक्रम के उद्देश्य मोटे तौर पर समान रहे हैं- जनसंख्या संवृद्धि की दर और स्वरूप को प्रभावित करके सामाजिक दृष्टि से वांछनीय दिशा की ओर ले जाने का प्रयत्न करना।
अधिकतर गरीब और शक्तिहीन लोगों का भारी संख्या में जोर-जबरदस्ती से वंध्यकरण किया गया और सरकारी कर्मचारियों पर भारी दबाव डाला गया कि वे लोगों को बंध्यकरण के लिए आयोजित शिविरों में बंध्यकरण के लिए लाएँ। इस कार्यक्रम का जनता में व्यापक रूप से विरोध हुआ।
जनसांख्यिकीय संक्रमण का सिद्धांत-
  • जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास के समग्र स्तरों से जुडी होती है।
  • जनसंख्या अल्प-विकसित से विकसित देशों की तरफ बढ़ रही है।
    इसके तीन चरण हैं:
    1. पहला चरण है समाज में जनसंख्या वृद्धि का कम होना क्योंकि समाज तकनीकी दृष्टि से पिछड़ा होता है। (मृत्युदर और जन्मदर दोनों की बहुत ऊँची होती है।)
    2. जनसंख्या विस्फोट संक्रमण अवधि में होता है, क्योंकि समाज पिछड़ी अवस्था से उन्नत अवस्था में जाता है, इस दौरान जनसंख्या वृद्धि की दरें बहुत ऊँची हो जाती है।
    3. तीसरी चरण में भी विकसित समाज में जनसंख्या वृद्धि दर नीची रहती है क्योंकि ऐसे समाज में मृत्यु दर और जन्म दर दोनों ही काफी कम हो जाती है।
अल्प-विकसित देश (प्रथम अवस्था )
  • इस अवस्था में जन्म-दर उच्च होती है, क्योंकि लोगों को छोटे परिवार से होने वाले लाभों के बारे में जानकारी नहीं होती। वे अशिक्षित होते हैं।
  • मृत्यु-दर भी ऊँची होती है, क्योंकि स्वास्थ्य तथा चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होतीं। इस कारण से जनसंख्या वृद्धि की दर नीची होती है।
विकासशील देश (द्वितीयक अवस्था)
  • जन्म-दर ऊँची होती है। इसका कारण यह है कि पुरुषवादी समाज में पुरुष ही यह निर्णय करते हैं कि कितने बच्चे पैदा किए जाएँ। इसमें बालकों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • इस अवस्था में लोगों में निरक्षरता तथा अज्ञानता होती है।
  • मृत्यु-दर भी निम्न होती है, क्योंकि चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। इस कारण से जनसंख्या ऊँची होती है तथा इसका परिणाम होता है-जनसंख्या विस्फोट।
  • जनसांख्यिकीय लाभांश की प्राप्ति होती है, क्योंकि अकार्यशील जनसंख्या की तुलना में कार्यशील जनसंख्या में काफी वृद्धि हो जाती है।
विकसित देश (तृतीयक अवस्था)
  • इस अवस्था में जन्म-दर निम्न होती है। लोग शिक्षित होते हैं तथा गर्भ निरोधक उपायों के बारे में जागरूक होते हैं। जन्म-नियंत्रण लोकप्रिय होता है।
  • स्वास्थ्य तथा चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता के कारण मृत्यु-दर भी निम्न होती है। इस कारण से कुल जन्म-दर भी निम्न होती हैं।
  • जनसंख्या विस्फोट: यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब स्वास्थ्य तथा चिकित्सा सुविधाओं के कारण देश की जन्म-दर उच्च तथा मृत्यु-दर निम्न होती है। इस कारण से जनसंख्या तीव्रता से बढ़ती है
लिंगानुपात में गिरावट के कारण-
  1. लोगों के मानसिकता
  2. लड़कियों के प्रति की उपेक्षा के भाव
  3. भ्रूण हत्या/बाल हत्या 
  4. मातृत्व मृत्यु दर - बच्चे के जन्म के दौरान महिलाओं की मृत्यु |
साक्षरता
  • साक्षरता पढ़ने और लिखने की योग्यता है |
  • शिक्षा औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा का संयोग है |
  • केरल में सर्वाधिक साक्षरता दर है जबकि राजस्थान तथा उत्तरी में निम्नतम साक्षरता दर है |
भारत की जनसंख्या नीति
  • सन् 1952 में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम (NFPP) की शुरुआत की गई।
  • इस कार्यक्रम के द्वारा सामाजिक आवश्यकताओं की दिशा में जनसंख्या की दर तथा पद्धति को प्रभावित करने का प्रयास किया गया।
  • इसके प्रमुख उद्देश्य थे-
    - सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप लोगों में जागरूकता फैलाकर जनसंख्या पर नियंत्रण प्राप्त किया जाना चाहिए।
    - जन्म निरोधक पद्धतियों के द्वारा जन्म-दर पर नियंत्रण।
  • इंदिरा गाँधी द्वारा लगाई गई आपात्काल की अवधि (1975-77) में
    - सभी मौलिक अधिकार छीन लिए गए।
    - प्रेस पर सेंसर लगा दिया गया।
    - बगैर किसी ट्रॉयल के किसी को भी जेल में डाल दिया जा सकता था।
    - जनसंख्या पर नियंत्रण करने हेतु तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के कनिष्ठ सुपुत्र संजय गाँधी के द्वारा वृहद् पैमाने पर बंध्याकरण कार्यक्रम चलाया गया।
    - इसके अंतर्गत बड़े ही अनियमित तरीके से महिलाओं की नलिकाबंदी (Tubectomy) तथा पुरुषों की नसबंदी (Vasectomy) की गई।
    - वृहद् बंध्याकरण शिविरों के कारण उस समय सभी सरकारी शिक्षक, डॉक्टर इत्यादि भारी दबाव में थे।
    - इस कार्यक्रम का नाम बदलकर राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम (NFWP) कर दिया गया। – अब इस कार्यक्रम के अंतर्गत उन्ही लोगों का बंध्याकरण किया जा सकता था, जो इसके लिए तैयार हों। इसके लिए उनका हस्ताक्षर अनिवार्य कर दिया गया।
भारत की 15 वीं जनगणना 2011 के आँकड़े :-
  • स्त्री पुरुष अनुपात : 943 : 1000
  • सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य : उत्तर प्रदेश
  • न्यूनतम जनसंख्या वाला प्रदेश : सिक्किम
  • अधिकतम मातृत्व मृत्यु दर वाला राज्य : उत्तर प्रदेश
  • न्यूनतम मातृत्व मृत्यु दर वाला राज्य : कोरल
  • सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर वाला राज्य : मध्य प्रदेश
  • न्यूनतम शिशु दर मृत्यु दर वाला राज्य : मणिपुर
  • साक्षरता : पुरुष-80.9%, महिला-64.6%
  • सबसे बड़ा (क्षेत्रफल में) : राजस्थान
  • सबसे छोटा राज्य ( क्षेत्रफल में) : गोवा