वसंत कबीर की साखियाँ - नोट्स

CBSE पुनरावृति नोट्स
CLASS - 8 hindi
पाठ - 9 
कबीर की साखियाँ

- कबीरदास
पाठ का सारांश- इस काव्य-रचना में पाँच साखियाँ संकलित हैं, जिसमें प्रत्येक साखी में जीवनोपयोगी संदेश दिया गया है, जिनको अपनाने से मानव-जीवन उन्नत बन सकता है।
प्रस्तुत पाठ ‘कबीर की साखियाँ’ भक्तिकालीन काव्य का सुंदर नमूना है। इस पाठ की प्रत्येक साखी में मानव को उसके आस-पास के ही उदाहरणों के माध्यम से ज्ञानवर्धक बातें बताने का सफल प्रयास किया गया है। इन साखियों में कवि ने अपने विचारों को स्पष्ट रूप से प्रकट किया है। इनका सार क्रमशः इस प्रकार है-
  • कवि लोगों से कहता है कि वे साधुओं या गुणीजनों से उनकी जाति न पूछे। उनसे काम तथा ज्ञान की बातें पूछे। जैसे-हमें म्यान की मज़बूती, सुंदरता आदि को छोड़कर यह गुण तलवार में देखना चाहिए तथा उसी का मोल करना चाहिए।
  • कोई हमें अपशब्द कहता है तो हमें सहन कर लेना चाहिए, क्योंकि हमारे द्वारा भी अपशब्द कहने पर अपशब्द एक से बढ़कर अनेक हो जाते हैं।
  • इसमें कवि ने आडंबरपूर्ण भक्ति करनेवालों पर करारा प्रहार किया है कि मुँह से ‘राम-राम’ करने तथा हाथ में माला फेरने से ईश्वर की सच्ची भक्ति नहीं हो सकती।
  • आम आदमी का महत्त्व प्रतिपादित करते हुए कहा गया है कि हमें घास के तिनके की भी निंदा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि आँखों में पड़ने पर वही दुख का कारण बन जाता है।
  • मनुष्य के स्वभाव के बारे में बताते हुए कवि ने मनुष्य को शांत एवं विनम्र बने रहने की सीख दी है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति का कोई दुश्मन नहीं होता।