पत्रकारीय लेखन - पुनरावृति नोट्स 5
CBSE कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक)
पत्रकारिता लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया
मुख्य बिन्दु-
- लोकतंत्र में अखबार एक पहरेदार शिक्षक और जनमत निर्माण का कार्य करते हैं।
- अखबार पाठकों को सूचना देने, जागरूक और शिक्षित बनाने, उनका मनोरंजन करने का दायित्व निभाते हैं। पत्रकार इस दायित्व की पूर्ति के लिए लेखन के विभिन्न रूपों का प्रयोग करते हैं, इसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं।
- पत्रकारीय लेखन एवं सृजनात्मक लेखन एक दूसरे से भिन्न हैं
पत्रकारीय लेखन | सृजनात्मक लेखन |
इसका संबंध समसामयिक और वास्तविक घटनाओं और मुद्दों से है। | इस लेखन में कल्पना की भी स्थान दिया जाता है। |
यह अनिवार्य रूप से तात्कालिक और पाठकों की रूचियों और जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जाता है। | इस लेखन में लेखक पर बंधन नहीं होता उसे काफी छूट होती है। |
- पत्रकारिता के विकास में जिज्ञासा का मूलभाव सक्रिय होता है।
- अच्छे लेखन की भाषा: सीधी, सरल एवं प्रभावी भाषा।
- अच्छे लेखन के लिए ध्यान देने योग्य बातें:
- गूढ़ से गूढ़ विषय की प्रस्तुति सरल सहज और रोचक हो।
- विषय तथ्यों द्वारा पुष्ट हो।
- लेख उद्देश्यपूर्ण हो।
- पत्रकार के प्रकार:
- पूर्णकालिक: किसी समाचार संगठन के नियमित वेतनभोगी।
- अंशकालिक: एक निश्चित मानदेय पर काम करने वाले।
- फ्रीलांसर: स्वतंत्र पत्रकार जो भुगतान के आधार पर अलग अलग अखबारों के लिए लिखें।
- छह ककार: किसी भी समाचार में छह प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास किया जाता है। क्या हुआ? कैसे हुआ? किसके साथ हुआ? क्यों हुआ? कहाँ हुआ? कब हुआ?
उल्टा पिरामिड शैली
मुखड़ा- सबसे महत्त्वपूर्ण बात
बॉडी- कुछ कम महत्त्वपूर्ण बात
समापन- सबसे कम महत्त्वपूर्ण बात - फीचर एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देना, शिक्षित करना तथा मनोरंजन करना होता है।
- फीचर तथा समाचार में अंतर।
समाचार | फीचर |
1. समाचार का कार्य पाठको को सूचना देना होता है। | 1. फीचर एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है। |
2. इसका उद्देश्य पाठकों को ताजी घटना से अवगत कराना होता है। | 2. इसका उद्देश्य पाठको को सूचना देना, शिक्षित करना, और मनोरंजन करना होता है। |
3. इसमें शब्द सीमा होती है। | 3.इसमें शब्द सीमा नहीं होती। अच्छे फीचर 200 से 2000 तक शब्दों के होते हैं। |
4. इसमें लेखक के विचारों या कल्पना के लिए कोई स्थान नहीं होता। | 4. इसमें लेखक की कल्पना और विचारों को भी स्थान मिलता है। |
5. इसमें फोटो का होना अनिवार्य है। | 5. अच्छे फीचर के साथ फोटो या ग्राफिक्स होना अनिवार्य है। |
- फीचर की प्रकार: समाचार बेकग्राउंड फीचर, खोजपरक फीचर साक्षात्कार फीचर, जीवन शैली फीचर, रूपात्मक फीचर, व्यक्तित्व चरित्र फीचर, यात्रा फीचर आदि।
- विशेष रिपोर्ट: समाचार पत्र और पत्रिकाओं में गहरी छानबीन, विश्लेषण और व्याख्या के आधार पर जो रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है उसे विशेष रिपोर्ट कहते हैं।
- विशेष रिपोर्ट के प्रकार
- खोजी रिपोर्ट- पत्रकार ऐसी सूचनाओं और तथ्यों को छानबीन कर जनता के समक्ष लाता है जो पहले सार्वजनिक न हो।
- इन डेप्थ रिपोर्ट- सार्वजनिक रूप से प्राप्त तथ्यों सूचनाओं और आँकड़ों की गहरी छानबीन कर महत्त्वपूर्ण पहलुओं को सामने लाया जाता हैं।
- विश्लेषणात्मक रिपोर्ट- घटना या समस्या से जुड़े तथ्यों का विश्लेषण और व्याख्या की जाती है।
- विवरणात्मक रिपोर्ट- समस्या का विस्तृत विवरण दिया जाता है।
- आमतौर पर विशेष रिपोर्ट को उल्टा पिरामिड शैली में लिखा जाता है लेकिन विषयानुसार रिपोर्ट में फीचर शैली का भी प्रयोग होता है इसे फीचर रिपोर्ट कहते हैं।
- विशेष रिपोर्ट की भाषा सरल सहज और आम बोलचाल की होनी चाहिए।
- विचारपरक लेखन: अखबारों में संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले संपादकीय अग्रलेख, टिप्पणियाँ विचारपरक लेखन में आते हैं।
- संपादकीय- संपादकीय को अखबार की आवाज माना जाता है क्योंकि संपादकीय किसी व्यक्ति विशेष को विचार नहीं होते।
संपादकीय का दायित्व संपादक और उसके सहयोगियों पर होता है इसलिए इसके नीचे किसी का नाम नहीं होता। संपादकीय के जरिए अखबार किसी घटना या मुद्दे पर अपनी राय प्रकट करता है। - स्तंभ लेखन: कुछ लेखक अपने वैचारिक रूझान और लेखन शैली के लिए पहचाने जाते हैं। ऐसे लेखकों की लोकप्रियता देखकर समाचार पत्र उन्हें एक नियमित स्तंभ लिखने का जिम्मा देता है। स्तंभ का विषय चुनने एवं उसमें अपने विचार व्यक्त करने की लेखक को पूर्ण छूट होती है। कुछ स्तंभ इतने लोकप्रिय होते हैं कि वे अपने लेखक के नाम से पहचाने जाते हैं।
- संपादक के नाम पत्र: यह स्तंभ जनमत को प्रतिबिंबित करता है। यह अखबार का एक स्थायी स्तंभ है जिसके जरिए पाठक विभिन्न मुद्दों पर न सिर्फ अपनी राय प्रकट करता है अपितु जन समस्याओं को भी उठाता है।
- लेख: संपादकीय पृष्ठ पर वरिष्ठ पत्रकार और विषय विशेषज्ञ किसी विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं। इसमें लेखक के विचारों को प्रमुखता दी जाती है। कितु इसमें लेखक तकों एवं तथ्यों के जरिए अपनी राय प्रस्तुत करता है।
- साक्षात्कार: साक्षात्कार का एक स्पष्ट मकसद और ढ़ाँचा होता है। एक सफल साक्षात्कार के लिए न केवल ज्ञान अपितु संवेदनशीलता, कटनीति, धैर्य और साहस जैसे गुण भी होने चाहिए।