इस्लाम का उदय और विस्तार-लगभग 570-1200 ई०-अभ्यास प्रश्नोत्तर

                                                         CBSE कक्षा 11 इतिहास

पाठ-4 इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570-1200 ई


  1. निम्नलिखित अनुच्छेद को पढि़ए और अन्त में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएः-
    इस्लामी कैलेंडर
    हिजरी सन् की स्थापना उमर की खिलाफत के समय की गई थी, जिसका पहला वर्ष 622 ई. में पड़ता था। हिजरी सन् की तारीख को जब अंग्रेजी में लिखा जाता है तो वर्ष के बाद ए.एच. लगाया जाता है। हिजरी वर्ष चन्द्र वर्ष है, जिसमें 354 दिन, 29 अथवा 30 दिनांक के 12 महीने (मुहर्रम से धुल हिज्जा तक) होते हैं। प्रत्येक दिन सूर्यास्त के समय से शुरू होता है और प्रत्येक, महीना अर्धचंद्र के दिन से शुरू होता है। हिजरी वर्ष सौर वर्ष से 11 दिन कम होता है। अतः हिजरी का कोई भी धार्मिक त्योहार, जिनमें रमजान के रोजे, ईद और हज शामिल हैं, मौसम के अनुरूप नहीं होता। हिजरी कैलेंडर की तारीखों को ग्रैगोरियन कैलेंडर (जिसकी स्थापना पोप ग्रैगरी 13वें द्वारा 1582 ई. में की गई थी) की तारीखों के साथ मिलाने का कोई सरल तरीका नहीं है। इस्लामी (एच) और ग्रैगोरियन क्रिश्चियन (सी) वर्षों के बीच मोटे रूप से समानता की गणना निम्नलिखित फार्मूलों से की जा सकती हैः
    (एच × 32/33) + 622 = सी
    (सी - 622) × 33/32 = एच
    प्रश्न-
    1. पैगम्बर मुहम्मद का जन्म कब हुआ और उन्होंने इस्लाम धर्म की स्थापना कब की? (2)
    2. हिजरी सन् की स्थापना कब व किस वर्ष हुई? (2)
    3. हिजरी सन् किस प्रकार का वर्ष है तथा इसमें कितने दिन होते है? (2)
    4. हिजरी वर्ष में कोई भी त्योहार मौसम के अनुरूप क्यों नहीं होता? (2)
  2. निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिएः-
    कागज गेनिजा अभिलेख और इतिहास
    आविष्कार के बाद इस्लामी जगत में लिखित रचनाओं का व्यापक रूप से प्रसार होने लगा। कागज (लिनन से निर्मित) चीन से आया था, जहां कागज बनाने की प्रक्रिया को बहुत सावधानी से गुप्त रखा गया था। 751 में, समरकंद के मुसलमान प्रशासक ने 20,000 चीनी आक्रमणकारियों को बंदी बना लिया, जिनमें से कुछ कागज बनाने में बहुत निपुण थे अगले सौ वर्षों के लिए, समरकंद का कागज निर्यात की एक महत्वपूर्ण वस्तु बन गया। चूंकि इस्लाम एकाधिकार का निषेध करता है, इसलिए कागज इस्लामी दुनिया के बाकी हिस्सों में बनाया जाने लगा। दसवीं शताब्दी के मध्य भाग पर इसने अधिकांशतः पैपाइरस का स्थान ले लिया था। पैपाइरस एक ऐसी लेखन सामग्री था, जिसे एक ऐसे पौधों के अंदरूनी तने से बनाया जाता था, जो नील घाटी में बहुतायत से उगता था। कागज की मांग बढ़ गई, और अब्द अल-लतीफ, जो बगदाद से आया हुआ एक चिकित्सक था (आदर्श विद्यार्थी का उसका चित्रण देखिए) और 1193 से 1207 तक मिश्र का निवासी था, लिखता है कि मिस्त्र के किसानों ने ममियों के ऊपर लपेटे गए लिनन से बने हुए आवरण प्राप्त करने के लिए कब्रों को किस तरह लूटा था, ताकि वे इन लिनन कागज के कारखानों को बेच सकें।
    कागज की उपलब्धता के कारण सभी प्रकार के वाणिज्यिक और निजी दस्तावेजों को लिखना भी सुविधाजनक हो गया 1896 में फुस्तात (पुराना काहिरा) में बेन एजरा के यहूदी प्रार्थना-भवन के एक सीलबंद कमरे (गेनिजा, जिसका उच्चारण गनिज़ा के रूप में किया जाता है) में बेन एजरा के यहूदी दस्तावेजों का एक विशाल संग्रह मिला। ये दस्तावेज़ इस यहूदी प्रथा के कारण संभाल कर रखे गए थे कि ऐसी किसी भी लिखावट को नष्ट नहीं किया जाना चाहिए, जिसमें परमेश्वर का नाम लिखा हुआ हो। गेनिज़ा में लगभग ढाई लाख पांडुलिपियां और उनके टुकड़े थे, जिनमें कई आठवीं शताब्दी के मध्यकाल के भी थे। अधिकांश सामग्री दसवीं से तेरहवीं शताब्दी तक की थी, अर्थात् फातिमी, अयूबी, और प्रारंभिक मामलुक काल की थीं। इनमें व्यापारियों, परिवार के सदस्यों और दोस्तों के बीच लिखे गए पत्र, संविदा, दहेज से जुड़े वादे, बिक्री दस्तावेज, धुलाई के कपड़ों की सूचियां और अन्य मामूली चीजें शामिल थीं। अधिकतर दस्तावेज़ यहूदी-अरबी भाषा में लिखे गए थे, जो हिब्रू अक्षरों में लिखी जाने वाली अरबी भाषा का ही रूप था, जिसका उपयोग समूचे मध्यकालीन भूमध्य सागरीय क्षेत्र में यहूदी समुदायों द्वारा आमतौर पर किया जाता था। गेनिज़ा दस्तावेज़ निजी और आर्थिक अनुभवों से भरे हुए हैं और वे भूमध्यसागरीय और इस्लामी संस्कृति की अंदरूनी जानकारी प्रस्तुत करते हैं। इन दस्तावेज़ों से यह भी पता चलता है कि मध्यकालीन इस्लामी जगत के व्यापारियों के व्यापारिक कौशल और वाणिज्यिक तकनीके उनके यूरोपीय प्रतिपक्षियों की तुलना में बहुत अधिक उन्नत थीं। गेटिन ने गेनिज़ा अभिलेखों का प्रयोग करते हुए भूमध्यसागर का इतिहास कई संग्रहों में लिखा। गेनिज़ा के एक पत्र से प्रेरित होकर अमिताव घोष ने अपनी पुस्तक इन एन एंटीक लैंड में एक भारतीय दास की कहानी प्रस्तुत की है।
    प्रश्न-
    1. कागज की उपलब्धता के क्या लाभ हुए? (2)
    2. मध्यकाल के यहूदी दस्तावेज़ों का एक विशाल संग्रह कब और कहां से मिला? (2)
    3. यहूदियों की किस प्रथा के कारण विशाल दस्तावेज़ों को संभाल कर रखा गया था? (2)
    4. गेनिज़ा दस्तावेज़ों में क्या दिया गया है? (2)
  3. निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिएः-
    आदर्श विद्यार्थी
    बारहवीं शताब्दी के बगदाद में कानून और चिकित्सा के विषयों के विद्वान-अब्द अल-लतीफ (Abd al-Latif) अपने आदर्श विद्यार्थी से बात कर रहे है:
    “मेरा अनुरोध है कि आप बिना किसी की सहायता के, केवल पुस्तकों से ही, विज्ञान न सीखें, चाहे आपको समझने की अपनी योग्यता पर भरोसा हो। उन्हें प्रत्येक विषय के लिए जिसका ज्ञान आप प्राप्त करना चाहतें हों, अध्यापकों का सहारा लें, और यदि आपके अध्यापक को ज्ञान सीमित हो, तो जो कुछ वह दे सकता है उसे प्राप्त कर लें, जब तक आपको उससे योग्य अध्यापक न मिल जाए। आपको अपने अध्यापक का आदर और सम्मान अवश्य करना चाहिए। जब आप कोई पुस्तक पढ़ें, तो उसे कंठस्थ करने और उसके अर्थ पर पूर्ण अधिकार प्राप्त कर लें। मान लो कि पुस्तक खो गई है और आप उसे छोड़ सकते हैं तब पुस्तक कंठस्थ होने पर आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा। व्यक्ति को इतिहास की पुस्तकें पढ़नी चाहिए, जीवनियों और राष्ट्रों के अनुभवों का अध्ययन करना चाहिए। ऐसा करने से यह लगेगा कि पढ़ने वाला अपने अल्प जीवन-काल में अतीत के लोगों के साथ रह रहा है। उनके साथ उसके घनिष्ठ संबंध हैं और उनमें अच्छों और बुरों को पहचानता है। आपको अपना आचरण शुरू के मुसलमानों के आचरण के अनुरूप बनाना चाहिए। इसलिए, पैगम्बर की जीवनी को पढ़ो और उनके पद-चिन्हों पर चलो। आपको अपने स्वभाव के बारे में अच्छी राय रखने की बजाय, ,उस पर बारंबार अविश्वास करना चाहिए, अपना ध्यान विद्वान लोगों और उनकी कृतियों पर लगाना चाहिए, बहुत सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए और कभी भी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। जिस व्यक्ति ने अध्ययन का दबाव न झेला हो, वह ज्ञान के आनंद का मजा नहीं ले सकता। जब आपने अपना अध्ययन और चिंतन मनन पूरा कर लिया हो, तो अपनी जीभ को अल्लाह का नाम लेने के कार्य में व्यस्त रखिए और अल्लाह का गुणगान कीजिए। यदि संसार आपकी ओर पीठ मोड़ ले, तो शिकायत न करें। यह जान लें कि ज्ञान कभी खत्म नहीं होता, वह पीछे अपनी सुगंध छोड़ जाता है, जो उसके स्वामी का पता बता देती है ज्ञान प्रकाश और क्रांति की किरण ज्ञानी पर चमकती रहती है और उसकी ओर संकेत करती रहती है।”
    -अहमद इब्न अल कासिम इब्न अबी उसयबिया, उयून अल अन्बा
    प्रश्न
    1. अब्द अल-लतीफ कौन था? (2)
    2. अब्द अल-लतीफ ने अपने आदर्श विद्यार्थी को क्या सलाह दी? (2)
    3. व्यक्ति को इतिहास की पुस्तकें क्यों पढ़नी चाहिए? (2)
    4. ज्ञान का क्या महत्व है? (2)

मानचित्र कार्य-1

  • दिये गये मानचित्र में निम्नलिखित इस्लामिक क्षेत्रों को अंकित कीजिए।
    • मदीना,
    • मक्का,
    • बगदाद,
    • निशापुर,
    • गज़नी

मानचित्र कार्य-2

  • दिये गये मानचित्र में निम्नलिखित इस्लामिक क्षेत्रों के पांच स्थान 1-5 तक दिखाऐ गए है। उन्हें पहचानकर उनके नाम लिखिए।