इस्लाम का उदय और विस्तार-लगभग 570-1200 ई०-पुनरावृति नोट्स
CBSE कक्षा 11 इतिहास
पाठ-4 इस्लाम का उदय और विस्तार-लगभग 570-1200 ई०
पुनरावृति नोट्स
स्मरणीय तथ्य-
- इस्लामी क्षेत्रों के इतिहास के स्त्रोत हैं- इतिवृत्त अथवा तवारीख़, जीवन-चरित, पैगम्बर के कथन और कार्यों के अभिलेख, कुरान के बारे मे टीकाएं, प्रत्यदर्शी वृतान्त (जैसे अखबार) ऐतिहासिक और अर्ध ऐतिहासिक रचनाएं, दस्तावेजी प्रमाण, प्राचीन इमारतें आदि।
- मुस्लिम समाज की शुरूआत आज से 1400 वर्ष पहले हुई। इनका मूल क्षेत्र मिश्र से अफगानिस्तान तक का विशाल क्षेत्र है। इसी क्षेत्र के समाज व संस्कृति के लिये "इस्लाम" का प्रयोग किया जाता है।
- अरब लोग कबीलों में बंटे थे। प्रत्येक कबीले के अपने देवी देवता होते थे। अरब कबीले खानाबदोश होते थे। मक्का में स्थित काबा वहाँ का मुख्य धर्मस्थल था और सभी मुस्लमान इसे पवित्र मानते थे।
- 612 ई. में पैगम्बर मुहम्मद ने अपने आपको खुदा का संदेशवाहक घोषित किया। पैगम्बर मुहम्मद और इनके अनुयायियों को मक्का के समृद्ध लोगों के विरोध के कारण मक्का छोड़कर मदीना जाना पड़ा। इस यात्रा को हिजरा कहा गया और इसी 622 ई. वर्ष से मुस्लिम कैलेन्डर यानि हिजरी सन् की शुरूआत हुई।
- पैगम्बर मुहम्मद ने मदीना में एक राजनीतिक व्यवस्था की। अब मदीना इस्लामी राज्य की प्रशासनिक राजधानी तथा मक्का धार्मिक केन्द्र बन गया। थोड़े ही समय में अरब प्रदेश का बड़ा भू-भाग इनके अधीन हो गया।
- सन् 632 ई. में पैगम्बर मुहम्मद का देहान्त हो गया और अगले पैगम्बर की वैधता के अभाव में राजनीतिक सत्ता उम्मा को अंतरित कर दी गयी। इस प्रकार खिलाफत संस्था का आरंभ हुआ। समुदाय का नेता पैगम्बर का प्रतिनिधि अर्थात् खलीफा बन गया।
- पहले चार खलीफाओं (1) हज़रत अबुबकर (2) हज़रत उमर (3) हज़रत उस्मान (4) हजरत अली ने अभियानों द्वारा विद्रोह का दमन किया, राज्य का विस्तार किया और कबीलों की शक्ति को एकजुट किया।
- चौथे खलीफा अली की हत्या के बाद हज़रत मुआविया ने अपने आपको अगला खलीफा घोषित किया और उमय्यद वंश की स्थापना की। मुआविया ने वंशगत उत्तराधिकारी की परंपरा शुरू की और अरबी भाषा को प्रशासन की भाषा घोषित किया। दमिश्क को राजधानी बनाया गया और इस्लामी सिक्के जारी किए गये। इन पर अरबी भाषा में लिखा गया।
- दावा नामक एक सुनियोजित आन्दोलन ने उमय्यद वंश को 750 ई. में उखाड़ फेंका और अब्बासी वंश की नीव रखी। इन्होंने बगदाद को राजधानी बनाया, सेना और नौकरशाही का पुनर्गठन किया, इस्लामी संस्थाओं और विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया।
- अब्बासी राज्य नौवीं शताब्दी में कमजोर हो गया। राज्य में गृह युद्ध, गुटबन्दी और तुर्की गुलाम अधिकारियों की शक्ति में वृद्धि हुई। दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दियों में तुर्की सल्तनत का उदय हुआ जिसकी स्थापना अल्पतिगिन द्वारा की गयी।
- ईसाई जगत और इस्लामी जगत के बीच शत्रुता बढ़ने लगी। जिसका कारण आर्थिक संगठनों में परिवर्तन था। 1095 ई. में पुण्यभूमि को मुक्त कराने के लिए ईश्वर के नाम पर जो युद्ध लड़े गये उन्हें धर्मयुद्ध कहा गया। ये युद्ध 1095 ई. से 1291 ई. के बीच लड़े गये।
- मध्यकालीन इस्लामी दुनिया की अर्थव्यवस्था काफी सुदृढ़ थी। कृषि को प्रोत्साहन, सिंचाई के लिए नहरें, बांधों का निर्माण किया गया। कृषि और उद्योगों के विकास ने शहरीकरण की प्रक्रिया को तीव्र किया। साखपत्र (सक्क) और हुड़ियों (सुफतजा) का प्रयोग बढ़ा। व्यापारिक यात्राएं भी ज्यादा सुरक्षित हो गयी, रेशम मार्ग का उपयोग बढ़ा।
- जिन विद्वानों ने इस्लामिक इतिहास ग्रंथों का लेखन या शोधन किया है, वे सभी प्राच्यविद् (Orientalist) कहलाते हैं।
- जिन लोगों ने मुहम्मद साहब के उसूलों व सिद्धांतों को स्वीकार किया। वे मुसलमान कहलाए। उन्हें कयामत के दिन मुक्ति और धरती पर सामाजिक संसाधनों में भागीदारी का भरोसा दिया जाता था।
- आठवीं और नौवीं शताब्दी में कानून की चार शाखाएँ (मजहब) बन गई। ये मालिकी, हनफी, शफीई और हनबली थी, जिनमें से प्रत्येक का नाम एक प्रमुख विधिवेत्ता (फकीह) के नाम पर रखा गया।
- सूफियों का उदय। दर्शन शास्त्र और विज्ञान में रूचि में वृद्धि। अरबी कविता का पुनः अविष्कार हुआ। फारसी भाषा का विकास हुआ। गजनी फारसी साहित्य का केन्द्र बन गया। फिरदौसी द्वारा शाहनामा ग्रंथ लिखा गया।
- धार्मिक इमारतें इस्लामी दुनिया की पहचान बनी। इन इमारतों में मस्जिदें, इबादतगाह और मकबरे शामिल थे। मस्जिदों का एक वास्तुशिल्पीय रूप था-गुम्बद, मीनार, खुला प्रांगण और खंभो के सहारे छत।
- कागज चीन से आया। कागज के आविष्कार के बाद इस्लामी जगत में लिखित रचनाओं का व्यापक रूप से प्रयोग होने लगा। समूचे मानव इतिहास से संबंधित दो प्रमुख ग्रंथ-अनसब अल-अशरफ (सामंतो की वंशावलियाँ) बालाधुरी द्वारा और तारीख अल-रसूल वल मुल्क (पैगम्बरों और राजाओं का इतिहास) ताबरी द्वारा लिखा गया।
- खलीफाओं ने अपने जीते गए सभी प्रांतों पर नया प्रशासनिक ढाँचा लागू किया। गैरमुस्लिम लोग खराज और जजिया जैसे कर अदा करते थे। यहूदी और ईसाई राज्यों के संरक्षित लोग अर्थात धिम्मीस घोषित किए गए थे। उन्हें अधिक स्वायत्तता प्रदान की गई थी।
- अब्द अल मलिक ने अरबी भाषा को प्रशासनिक भाषा के रूप में अपनाया। उसने इस्लामिक सिक्कों को भी जारी किया और जेरूसलम में "डोम ऑफ रॉक' बनवाकर अरब-इस्लामी पहचान को दर्शनीय बना दिया।
- फ़ातिमी शिया संप्रदाय के एक उप-संप्रदाय इस्माइली से था। उनका दावा था कि वे पैगंबर मुहम्मद की पुत्री फ़ातिमा के वंशज हैं। उन्होंने सन् 969 में मिस्र को जीत लिया और फ़ातिमी खिलाफ़त की नींव रखी। इन्होंने काहिरा को अपनी राजधानी बनाया।
- अल्पतिगिन ने सन् 961 में गजनी सल्तनत की नींव रखी। गजनी के महमूद (998-1030) ने इस सल्तनत को मजबूत आधार प्रदान किया।
- मध्यकालीन इस्लामी समाजों में, ईसाइयों को पुस्तक वाले लोग (अहल-अल-किताब) की संज्ञा दी जाती थी क्योंकि उनके पास उनका अपना धर्मग्रंथ (न्यू टेस्टामेंट या इंजील) था।
- पोप अर्बन द्वितीय (Urban II) और बाइजेंटाइन सम्राट एलेक्सियस प्रथम ने साथ मिलकर सन् 1095 में पवित्र राष्ट्र (होली लैंड) को स्वतंत्र करने के लिए ईश्वर के नाम पर युद्ध के लिए आह्वान किया। कालान्तर में इन लड़ाइयों को धर्मयुद्ध या जेहाद की संज्ञा दी गई है।
- दसवीं शताब्दी के प्रारम्भ से राज्यों ने अधिकारियों को उनका वेतन भूमियों के कृषि राजस्व से प्राप्त करने का आदेश दिया। इसके साथ ही जैसे-जैसे शहरों की तादाद बढ़ती गई, उसी हिसाब से इस्लामी सभ्यता भी विकसित होती चली गई।
- प्रायः शहर के केंद्र में दो भवन-समूह-मस्जिद और केंद्रीय मंडी (सुक) होते थे। यहाँ से सांस्कृतिक एवं आर्थिक शक्तियों का प्रसार किया जाता था।
- तुरान वाणिज्यिक दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण शहर था। यहाँ के बाजारों में तुर्क गुलाम यहाँ तक कि दास-दासियाँ भी खलीफ़ाओं और सुल्तानों के दरबारों के लिए खरीदे-बेचे जाते थे।
- कुछ विद्वानों ने कर्मकांडों या इबादत के माध्यम से मुसलमानों के संबंधों को नियंत्रित करने के लिए कानून या शरीआ (शाब्दिक अर्थ-सीधा रास्ता) का भी प्रयोग किया। इसके अतिरिक्त, विधिवेत्ताओं ने इस्लामी नियमों के निर्माण में तर्क अनुमान (कियास) का प्रयोग किया। परिणामत: आठवीं और नौवीं शताब्दी में कानून की चार शाखाएँ-मलिकी, हनफी, शफीई एवं हनबली बनाई गई।
- सूफी मध्यकालीन इस्लाम के धार्मिक विचार वाले लोगों का एक समूह था। इन्होंने जन तपश्चर्या (रहबनिया) और रहस्यवाद के माध्यम से खुदा को ज्यादा गहरा और अधिक वैयक्तिक ज्ञान प्राप्त करना चाहा। वास्तव में सर्वेश्वरवाद ईश्वर और उसकी सृष्टि को एक होने की अवधारणा है।
- खुरासान और तुरान सल्तनतों की स्थापना के साथ नयी फ़ारसी सांस्कृतिक ऊँचाइयों पर पहुँच गई। कवि रुदकी (मृत्यु सन् 940) को नयी फ़ारसी कविता का जनक माना जाता है। उमर खय्याम (1048-1131) एक खगोल वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे। नि:संदेह ग्यारहवीं सदी के आरंभ में गजनी फ़ारसी साहित्यिक जीवन का केंद्र माना जाता था।
- मुस्लिम परंपरा के अनुसार कुरान शरीफ उन संदेशों का संग्रहित रूप है जो खुदा ने पैगंबर मुहम्मद को 610 और 632 के मध्य में पहले मक्का और तत्पश्चात् मदीना में दिए थे। इन सभी रहस्योद्घाटनों का संकलन सन् 650 में किसी समय पूरा किया गया था।
- प्राणियों के चित्रण की मनाही से कला के दो रूप- खुशनवीसी (खत्ताती अथवा सुंदर लिखने की कला) और अरबेस्क (ज्यामितीय और वनस्पतीय डिज़ाइन) को बढ़ावा मिला।
- अदब का अर्थ साहित्यिक और सांस्कृतिक परिष्कार।
- इब्न सिना (980-1037)- व्यवसाय की दृष्टि से एक चिकित्सक और दार्शनिक थे।