पत्रकारीय लेखन - पुनरावृति नोट्स 4

 CBSE कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक)

विशेष लेखन - स्वरूप और प्रकार


मुख्य बिन्दु-

  • विशेष लेखन: समाचार पत्र सामान्य समाचारों की अलावा साहित्य विज्ञान खेल इत्यादि की भी पर्याप्त जानकारी देते हैं इसी कार्य के अन्तर्गत जब किसी खास विषय पर सामान्य लेखन से हटकर लेखन किया जाए तो उसे विशेष लेखन कहते हैं।
  • डेस्क: समाचार पत्र-पत्रिकाओं रेडियो और टी.वी. में विशेष लेखन के लिए अलग डेस्क होता है और उस विशेष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का समूह भी अलग होता है जिनसे अपेक्षा की जाती है कि संबंधित विषय या क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता होगी।
  • विशेष लेखन के क्षेत्र: विशेष लेखन के कई क्षेत्र हैं जैसे अर्थ व्यापार, खेल, मनोरंजन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, विदेश, पर्यावरण, रक्षा, कानून, स्वास्थ्य इत्यादि।
  • बीट: संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन आमतौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे बीट कहते हैं। एक संवाददाता की बीट अगर अपराध है तो इसका अर्थ है कि वह आपराधिक घटनाओं की रिपोर्टिग के लिए जिम्मेदार है।
  • विशेष लेखन केवल बीट रिपोर्टिग नहीं है। अब बीट रिपोर्टिग के आगे एक तरह की विशेषीकृत रिपोर्टिग है जिसमें न सिर्फ उस विषय की गहरी जानकारी होनी चाहिए बल्कि उसकी रिपोर्टिग से संबंधित भाषा और शैली पर भी पूरा अधि कार होना चाहिए।
  • बीट रिपोर्टिग और विशेषीकृत रिपोर्टिग में अंतर

    बीट रिपोर्टिंग

    विशेषीकृत रिपोर्टिंग

    1. बीट रिपोर्टिग के लिए संवाददाता में उस क्षेत्र की जानकारी होना पर्याप्त है उसे सामान्य तौर पर खबरें ही लिखनी होती हैं।

    1. विशेषीकृत रिपोर्टिग के लिए संवाददाता को सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस क्षेत्र से जुड़ी सूचनाओं का बारीकी से विश्लेषण कर पाठकों के लिए उसका अर्थ स्पष्ट करना होता है।

    2. बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता कहते हैं।

    2. विशेषीकृत रिपोर्टिग करने वाले रिपोर्टर को विशेष संवाददाता कहते हैं।

  • विशेष लेखन क अंतर्गत रिपोर्टिग की अलावा विषय विशेष पर फीचर, टिप्पणी, साक्षारत्कार, लेख, समीक्षा और स्तंभ भी आते हैं।
  • पत्र पत्रिकाओं को विशेष लेख लिखने वाले सामान्यतः पेशेवर पत्रकार न होकर विषय विशेषज्ञ होते हैं। जैसे खेल के क्षेत्र में हर्षा भोगले, जसदेव सिंह और नरोत्तम पुरी आदि प्रसिद्ध हैं।
  • विशेष लेखन की भाषा शैली: विशेष लेखन में हर क्षेत्र की विशेष तकनीकी शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
    1. कारोबार और व्यापार में तेजड़िए, सोना उछला, चाँदी लुढ़की आदि।
    2. पर्यावरण संबंधित लेख में आर्द्रता, टाक्सिक कचरा, ग्लोबल वार्मिग आदि।
  • विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती। विषयानुसार उल्टा पिरामिड या फीचर शैली का प्रयोग हो सकता है। पत्रकार चाहे कोई भी शैली अपनाएँ लेकिन उसे यह ध्यान में रखना होता है कि खास विषय में लिखा गया आलेख सामान्य से अलग होना चाहिए।
  • विशेषज्ञता का अभिप्राय: विशेषज्ञता का अर्थ है कि व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित न होने के बावजूद उस विषय में जानकारी और अनुभव के आधार पर अपनी समझ को इस हद तक विकसित करना कि सूचनाओं की सहजता से व्याख्या कर पाठकों को उसके मायने समझा सके।
  • विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए स्वयं का अपडेट रहना, पुस्तकें पढ़ना, शब्दकोष आदि का सहारा लेना, सरकारी-गैरसरकारी संगठनों से संपर्क रखना, निरंतर दिलचस्पी और सक्रियता आवश्यक है।
  • कुछ वर्षों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण रूप से उभरने वाली पत्रकारिता-आर्थिक पत्रकारिता है क्योंकि देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था के बीच रिश्ता गहरा हुआ है।
  • आर्थिक मामलों की पत्रकारिता सामान्य पत्रकारिता की तुलना में काफी जटिल होती है क्योंकि आम लोगों को इसकी शब्दावली का मतलब नहीं पता होता।
  • आर्थिक पत्रकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि वह किस प्रकार, सामान्य पाठक और जानकार पाठक दोनों को भली-भांति संतुष्ट कर पाता है।
  • किसी भी लेखन को विशिष्टता प्रदान करने के लिए महत्व रखने वाली बातें हैं कि हमारी बात पाठक / श्रोता तक पहुँच रही है या नहीं तथा तथ्यों और तकाँ में तालमेल है या नहीं।