खेलकूद में प्रशिक्षण - पुनरावृति नोट्स 3

CBSE कक्षा 11 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 11 खेलकूद में प्रशिक्षण
पुनरावृत्ति नोट्स

स्मरणीय बिन्दू-
  • खेल प्रशिक्षण का अर्थ एवं विचारधारा
    खेल प्रशिक्षण का अर्थ:- खेल प्रशिक्षण नियोजित व्यायाम अथवा खिलाड़ी द्वारा निश्चित समय में प्रयास जिसके द्वारा खिलाड़ी को और अधिक प्रशिक्षण भार सहने, विशेष रूप में प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी से लिया जाता है दूसरे शब्दों में "खेल प्रशिक्षण नियोजित व्यायामों के माध्यम से खिलाड़ी को विशेष दवाबों के अनुकूल होने के साधन जुटाता हैं।" खिलाड़ी की इस प्रकार के अनुकूलन से भविष्य में और अधिक प्रशिक्षण भार सहने की तैयारी हो जाती हैं।
    प्रशिक्षण की विचारधारा (Concept of Training)
    खेल किसी उपलब्धि अथवा प्रतियोगिता की तैयारी के लिए बदलाव के साथ-साथ किसी प्रतियोगिता की तैयारी हेतु प्रशिक्षण विधियों, एवं नई तकनीको के प्रयोग से आए दिन नए कीर्तिमान स्थापित किए जा रहें है। भार प्रशिक्षण (Weight Training) विधि को अपनाने से बहुत ही उत्साह बर्धक परिणाम सामने आए हैं। अतः यह कहना गलत नहीं होगा हक "खेल प्रशिक्षण किसी खेल या प्रतियोगिता के लिए वैज्ञानिक सिद्धान्तों एवं तथ्यों पर आधारित एक अनिवार्य प्रक्रिया है जो खिलाड़ी को उच्चतम प्रदर्शन के योग्य बनाती है।"
  • खेल प्रशिक्षण के सिद्धान्त (Principles of Sports training)
    1. निरतंरता का सिद्धान्त
    2. अतिभार का सिद्धान्त
    3. व्यक्तिगत भेद का सिद्धान्त
    4. सामान्य प विशिष्ट तैयारी का सिद्धांत
    5. प्रगति क्रम का सिद्धांत
    6. विशिष्टता का सिद्धांत
    7. विविधता का सिद्धांत
    8. गर्माने व ठण्डा होने का सिद्धांत
    9. आराम तथा पुनः शक्ति प्राप्ति का सिद्धांत
  • गरमाना एवं शिथिलिकरण (Warning up and Limbering Down)गरमाना:- शरीर को गरमाना एक अल्पकालिक क्रिया होती है। जो किसी कठोर अथवा कौशल की आवश्यकता वाले कार्य से पहले की जाती है। हम गरमाने के किसी कठोर कार्यक्रम अथवा प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले की तैयारी भी कह सकते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम द्वारा हम किए जाने वाले कार्य में काम आने वाली मांस पेशियों को तैयारी की स्थिति में लाते हैं। जिससे वह आवश्यकता पड़ने पर कुशलता से कार्य कर सकेें। अतः हम कह सकते है कि "गरमाना एक प्रारभिक तैयारी की प्रक्रिया है जिसके परिणाम स्वरूप खिलाड़ी शरीर-क्रियात्मक एवं मनोवैज्ञानिक रूप से मुख्य क्रिया के लिए तैयार हो जाता है।"
    गरमाने के प्रकार (Types of Warming up)
    • सामान्य गरमाना
    • गरमाना
    • विशिष्ट गरमाना
  • शिथिलीकरण (Cooling Down)
    किसी प्रतियोगिता अथवा प्रशिक्षण कार्य समाप्त होने पर एथलीटोें को प्रायः कुछ गतिविधियों, जोगिंग अथवा चलने आदि के रूप में की जाती है। इस प्रकार की गतिविधियाँ कुछ समय तक करते रहने को लिंबरिंग डाउन, वार्मिग डाउन कूलिंग डाउन अथवा शिथिलिकरण कहते हैं।
  • भार (लोड), अनुकूलन व स्वास्थ्य लाभ (रिकवरी) (Load, Adaptation and Recovery)
    कार्य-भार (Load)

    कार्य भार को हम दबाव अथवा भार कहते हैं। इसको प्रायः बाहरी दबाव शक्ति कहा जाता है इसे किसी व्यक्ति अथवा मशीन द्वारा किए जाने वाले कार्य की मात्रा भी बताया गया है। किसी एथलीट के प्रशिक्षण के संदर्भ में इसे हम उस एथलीट से एक दिन, सप्ताह अथवा महीने में अपेक्षित कार्य की मात्रा कह सकते हैं प्रशिक्षण में कार्य-भार में वृद्धि कई प्रकार से की जा सकती हैं। इसलिए कार्य-भार में वृद्धि कई प्रकार से की जा सकती है। इसलिए कार्य-भार अथवा व्यायाम भी कहते हैं जिसे खिलाड़ी प्रशिक्षण के दौरान करता है।
  • अनुकूल (Adaptation)
    प्रशिक्षण के समय यदि खिलाड़ी पर निरंतर अधिक कार्य-भार डाला जाए जो इसके फलस्वरूप, उसके शारीरिक संस्थानों में कुछ समायोजन हो जाते हैं। जिससे वह और अधिक कार्य-भार सहने योग्य हो जाता है। अनुकूलन की मात्रा एवं शक्ति बढ़ाने के लिए कार्य-भार एवं दबाव धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। निस्संदेह अधिक कार्य-भार के कारण अनुकूलन शक्ति जन्म लेती है।
  • पुनः शक्ति प्राप्ति (Recovery)
    पुनः शक्ति प्राप्ति का अर्थ है, प्रशिक्षिण या प्रतियोगिता के पश्चात शरीर का सामान्य स्थिति में लौट आना। सामान्य स्थिति पाने में कुछ समय लगता है। इसलिए पुनः शक्ति प्राप्ति को पुनः स्वास्थ्य प्राप्ति का समय भी कहते हैं। जिससे दबाव से सम्बन्धित प्रभाव कम होने लगते हैं। खिलाड़ी के हृदय की धड़कन व श्वसन क्रिया की दर में तेजी उसके कार्य पर निर्भर करती है। एक व्यक्ति या खिलाड़ी की नाड़ी धड़कन (Pulse rate) यदि 80-85 वीट प्रति मिनट आ जाती है तो वह उसका पुनः शक्ति प्राप्ति समय होगा। पुनः शक्तिप्राप्ति के दौरान खिलाड़ी का शरीर आराम की स्थिति में आ जाता है।
  • कौशल तकनीक और शैली (Skill, Technique and Style)
    कौशल अथवा निपुणता (Skill)

    कौशल या निपुणता प्रदर्शन करने का वह अंग होता है, जिसके द्वारा व्यक्ति कठिन कार्य को कम प्रयासों में संपन्न करने में सहायक हो मांसपेशीय कार्य जो दिखने में आसानी से होता दिखाई दे, कौशल पूर्ण गतिविधि या प्रदर्शन का प्रतीक होता है। साधारण शब्दों में "कौशल किसी कार्य को भँली-भाँति तथा सुविधापूर्ण ढ़ग से कर पाने की क्षमता को कहा जा सकता हैं।" कौशल जो अप्राकृतिक और कठोर (जटिल) होते हैं उन्हें अंशो में विभाजित करके सीखना चाहिए।
  • तकनीक (Technique)
    तकनीक का अर्थ किसी कार्य को वैज्ञानिक विधि से करना इस प्रकार कार्य करने की विधि वैज्ञानिक सिद्धांतों तथा लक्ष्य प्राप्त करने में सहायक होनी चाहिए। ये किसी खेल या प्रतियोगिता की मुख्य क्रिया होती है। अंत में हम कह सकते हैं कि "तकनीक किसी कौशल को करने की विधि है।"
  • शैली (Style)
    यह कार्य करने की विधि, जो किसी विशेष व्यक्ति अथवा स्वरूप से सम्बन्धित हो उसे शैली कहते हैं। इस प्रकार की विधि वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित हो भी सकती हैं तथा नहीं भी। शैली एक व्यक्ति इसलिए प्रत्येक खिलाड़ी अपनी विशिष्ट मन-सम्बन्धी, शारीरिक, जैविक क्षमताओं के कारण एवं अलग तरीके से तकनीक को समझता या महसूस करता है। इसी को उसकी शैली (Style) कहा जाता है।
  • अति-भार के लक्षण एवं इस पर कैसे विजय पाएँ।
    (Symtoms of over load and How to over come it)

    अति-भार क्या है?

    अतिभार को खिलाड़ी अपने प्रशिक्षण के दौरान महसूस करता है। इसका मुख्य सिद्धांत अतिभार को कैसे प्रयोग किया जाए है। इसका तर्कपूर्ण अर्थ अतिरिक्त कार्य से है। "प्रशिक्षण के दौरान खिलाड़ी पर सामान्य से अधिक कार्यभार या दबाव डालना, जो कि खिलाड़ी की क्षमता से अधिक हो अति-भार (Over load) कहलाता है।"
  • अतिभार के कारण (Couses of over load)
    एक खिलाड़ी निम्न कारण से अतिभार का अनुभव कर सकता हैं-
    1. गलत प्रशिक्षण विधि
    2. जीवन शैली सम्बन्धी कारक
    3. स्वास्थ्य सम्बन्धी कारक
  • अति-भार से कैसे निपटें या उबरे (How to Over Come From Over Load)
    अति-भार को निम्नलिखित तरीको से नियंत्रित किया जा सकता है।
    1. अवलोकन द्वारा।
    2. प्रशिक्षण की योजना बनाकर।
    3. उचित पोषण देकर।
    4. मनोविज्ञान युक्तियाँ।
    5. सामाजिक अन्तर्व्यवहार या पारस्परिक क्रियाएँ।
    6. चिकित्सा सहायता द्वारा।
  • स्वच्छंद क्रीड़ा (Free Play)
    'खेलना मजेदार होता है।’ सभी बच्चे यही जवाब देते है, जब उनसे खेल के बारे में पूछा जाता है। लेकिन खेल मजेदार होने के साथ और भी बहुत कुछ है। खेल आकर्षक, स्वैच्छिक और सहज ज्ञान युक्त है। स्वच्छंद खेल बच्चों के लिए यह जानने का तरीका है कि वे कौन है और क्या-क्या कर सकते है। खेल बच्चों के लिए परीक्षण करने, कल्पना करने एवं दूसरों के बारे में जानने का एक तरीका है।
    स्वच्छंद खेल बच्चों का अधिकार है। क्रीड़ा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा बच्चों का विकास एवं गुणवता के विकास पर असर पड़ता है।
    बच्चों के शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, भावनात्मक विकास और मस्तिष्क के विकास के लिए स्वच्छंद खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
    विभिन्न गामक क्रियाओं में भाग लेने से बच्चों की शक्ति, गति, लचक, सहनक्षमता, तालमेल सम्बन्धी क्रियाओं में वृद्धि होती है।