आय और रोज़गार का निर्धारण - प्रश्नोत्तर 3

CBSE कक्षा 12 आय और रोजगार का निर्धारण
अर्थशास्त्र महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

6 अंक वाले प्रश्न
प्र. 1. अर्थव्यवस्था में ‘अभावी माँग’ दूर करने में निम्नलिखित की भूमिका समझाइए।
  1. खुली बाजार कार्यवाही (क्रियाएँ)
  2. बैंक दर
उत्तर- भूमिकाएँ-
  1. केन्द्रीय बैंक द्वारा खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय को खुले बाजार की क्रियाएँ कहते हैं।
    अभावी माँग की स्थिति में केन्द्रीय बैंक प्रतिभूतियों को खरीदता है परिणाम स्वरूप उतने मूल्य की नकद राशि से वाणिज्य बैंक की ऋण देने की क्षमता बढ़ जाती है। अंततः समग्र माँग बढ़ जाती है और अभावी माँग ठीक हो जाती है।
  2. बैंक दर वह ब्याज की दर है जिस पर केन्द्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को दीर्घकालीन उधार देता है। अभावी माँग की स्थिति में केन्द्रीय बैंक, बैंक दर घटा देता है। इससे वाणिज्यिक बैंक ऋणों पर ब्याज दर घटाने की माँग बढ़ती है।
प्र. 2. अर्थव्यवस्था में ‘माँग अधिक्य’ करने में निम्नलिखित की भूमिका समझाइए।
  1. बैंक दर
  2. खुले बाजार की क्रियाएँ।
उत्तर- भूमिकाएँ-
  1. माँग अधिक्य की स्थिति ठीक करने के लिए केन्द्रीय बैंक, बैंक दर बढ़ा देता है, जिससे वाणिज्यिक बैंक जिस दर पर ऋण देते हैं उसे बढ़ाने को मजबूर होते हैं। फलस्वरूप लोग कम ऋण लेते हैं और समग्र माँग घटती है।
  2. जब माँग अधिक्य की स्थिति होती है तो केन्द्रीय बैंक सरकारी प्रतिभूतियों को बेचता है। ऐसी स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों से मुद्रा केन्द्रीय बैंक के पास चली जाती है। इससे बैंकों की जमाएँ कम हो जाती हैं और ऋण देने का सामथ्र्य कम हो जाता हैं। कम ऋण दिया जाता है इससे समग्र माँग घटती है।
प्र. 3. एक अर्थव्यवस्था में अस्फीतिकारी अंतराल दूर करने में निम्नलिखित की भूमिका समझाइए।
  1. सार्वजनिक व्यय
  2. वैद्य आरक्षित अनुपात (LRR)
उत्तर- भूमिकाएँ-
  1. अस्फीतिकारी अन्तराल अथवा अभावी माँग की स्थिति में सरकार की सार्वजनिक खर्च में वृद्धि करनी चाहिए जैसे भवन निर्माण, पुलों व सड़कों का निर्माण आदि। इससे रोजगार के स्तर में वृद्धि होगी। फलस्वरूप आय में वृद्धि होगी और अंततः क्रय शक्ति में वृद्धि होगी और समग्र माँग बढ़ेगी।
  2. वैद्य आरक्षित अनुपात से अभिप्राय जमाओं के एक न्यूनतम प्रतिशत से है जिसे व्यापारिक बैंक अनिवार्य रूप से नकदी के रूप में केन्द्रीय बैंक के पास या अपने पास रिजर्व रखते हैं। अस्फीतिकारी अन्तराल की स्थिति में केन्द्रीय बैंक LRR कम कर देता है। फलस्वरूप बैंकों द्वारा ऋण देने के लिए कोष की उपलब्धता बढ़ जाती है। और समग्र माँग बढ़ती है।
प्र. 4. अस्फीतिकारी अन्तराल दूर करने में सीमान्त आवश्यकता का क्या योगदान है? वर्णन कीजिए।
उत्तर- सीमान्त आवश्यकता से अभिप्राय ऋणी द्वारा जमानत का मार्जिन या सीमा है। जब मार्जिन कम होता है तो उधार लेने की सीमा बढ़ जाती है। अवस्फीतिकारी अन्तर दूर करने के लिए केन्द्रीय बैंक मार्जिन कम कर देता है जिससे ऋणी की उधार की क्षमता बढ़ जाती है व समग्र माँग में भी वृद्धि हो जाती है।
प्र. 5. एक अर्थव्यवस्था में बढ़ी हुई आय का 75% उपभोग पर व्यय किया जाता है। यदि निवेश में वृद्धि रु. 1000 हो तो ज्ञात करो-
  1. आय में कुल वृद्धि
  2. उपभोग व्यय में कुल वृद्धि
उत्तर- MPC = 75% = 75/100 अर्थात् 3/4.
MPS = 1 - 3/4 = 1/4 K = 1/MPS = 1/¼ = 4
  1. ΔY=ΔI×K
    ΔY=1000×4
    = 4000 रूपये
  2. Y = C + I
    C = Y - I
    = 4000 - 1000
    = 3000 रूपये
प्र. 6. एक अर्थव्यवस्था में आय का संतुलन स्तर 12000 करोड़ रू. है। सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमान्त बचत प्रवृत्तियों का अनुपात 3:1 है। अर्थव्यवस्था के नए संतुलन स्तर 20000 करोड़ रु. के लिए कितने अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता होगी?
उत्तर- दिया है Y = 12000 करोड़ रु.
MPC : MPS = 3 : 1
MPC=34,MPS=14
ΔI=?
नई सन्तुलन आय = 20000 करोड़ रु.
ΔY= 20000 - 12000 = 8000 करोड़ रु.
K = 1/MPS = 4
K=ΔY/ΔI;4=8000/ΔI
ΔI= 8000/4 = 2000 करोड़ रु.
प्र. 7 .रेपो दर और बैंक दर में अन्तर दीजिए।
उत्तर- रेपो दर और बैंक दर दोनों का अर्थ है, वह दर जिस पर केन्द्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है। लेकिन रेपो दर का सम्बन्ध अल्पकालीन ऋणों से होता है और इस पर अल्पकालीन ब्याज दर लागू होती है, जबकि बैंक दर का सम्बन्ध दीर्घकालीन ऋणों से होता है और इस पर दीर्घकालीन ब्याज दर लागू होती है।
प्र. 8. दिए बचत वक्र से उपभोग वक्र प्राप्त करने में, लिए जाने वाले चरण लिखिए। रेखाचित्र का प्रयोग करें।
उत्तर- दिए बचत वक्र दिया गया है। इस वक्र के आधार पर उपभोग फलन प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित चरण हैं।
  1. सर्वप्रथम मूल बिन्दु से गुजरती हुई 45° रेखा का निर्माण कीजिए।
  2. फिर Y अक्ष के धनात्मक भाग पर OS1 के बराबर OC लीजिए जोकि उपभोग वक्र का प्रारम्भिक बिन्दु है।
  3. X-अक्ष पर, B बिन्दु शून्य बचत को दर्शाता है। इस बिन्दु से एक लम्ब खींचिए, जो 45° रेखा को E बिन्दु पर काटे। इस बिन्दु पर C = Y है। इस प्रकार E बिन्दु उपभोग वक्र पर स्थित दूसरा बिन्दु प्राप्त हो जाता है।
  4. अंत में, C और E बिन्दु को मिलाते हुए इसे आगे तक ले जाइए। इस प्रकार, CC वांछित उपभोग वक्र प्राप्त हो जाएगा।
प्र. 9. उपभोग वक्र से बचत वक्र प्राप्त करने में लिए जाने वाले चरण लिखिए। रेखाचित्र का प्रयोग कीजिए।
उत्तर- रेखाचित्र-


  1. CC’ उपभोग वक्र है।
  2.  
  3. OC के बराबर OS लो।
  4. OX अक्ष पर 0 बिन्दु से 45° की रेखा खींचों जो CC’ को बिन्दु B पर काटती है।
  5. B बिन्दु से OX पर एक लम्ब खींची जो OX को B’ पर काटता है।
  6. S और B’ को मिलाते हुए एक रेखा SS’ खींचों।
  7. SS’ बचत वक्र है।