मनोविज्ञान एवं खेल - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 3

CBSE कक्षा 11 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 10 मनोविज्ञान एवं खेल
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (5 अंक, 150 शब्द)
प्रश्न 1. किशोरवस्था की समस्याओं का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर- किशोरावस्था की समस्याओं का वर्णन निम्न प्रकार से हैः
  1. आक्रामक व्यवहार की समस्या:- इस अवस्था में किशोर आक्रमक व्यवहार करना शुरू कर देते हैं वे सभी बातों में आक्रामक व्यवहार करते है। वे जल्दी ही चिड़चिड़े हो जाते हैं । जब कोई कार्य करने के लिए कहा जाए तो वे उस कार्य को करने से इनकार कर देते हैं। इसके साथ-साथ नायक बनने की भी कोशिश करते हैं।
  2. सामंजस्य और स्थिरता में कमी:- किशोरों में स्थिरता की कमी होती है, जिसके फलस्वरूप उनमें सामंजस्य करने की शक्ति नहीं होती। उनका व्यवहार स्थिर नहीं होता। वे जीवन में आने वाली समस्याओं से समझौता करना नहीं चाहते। कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि वे अपने परिवार में भी सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते। वे घर में एक स्वतंत्र वातावरण चाहते है।
  3. महत्त्व की अनुभूति:- किशोर स्वयं को महत्वपूर्ण समझने लगता है। वह सोचता है उसे भी सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन उसके माता-पिता उसे गंभीरता से नहीं लेते। वह किशोर की भावनाओं को समझने में विफल रहते हैं। यही कारण है यह खुद को महत्वहीन समझने लगता है।
  4. कैरियर के चयन की समस्याः- किशोर के कैरियर का चयन माता-पिता के द्वारा किया जाता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि किशोर अपने कैरियर के बारे में परिपक्व नहीं। वह अपने फैसलों का चुनाव स्वयं करना चाहता है और उसके व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आता है।
  5. शारीरिक समस्याएँ:- लड़को और लड़कियों को उनमें बाहरी और आंतरिक परिवर्तन के कारण कई बार अनावश्यक चिंता हो सकती है।
प्रश्न 2. अधिगम के स्थानांतरण को प्रभावित करने वाले कारको की चर्चा कीजिए।
उत्तर- अधिगम के स्थानांतरण को प्रभावित करने वाले कारक
  1. सीखने वाले की इच्छाः- यदि सीखने वाले की इच्छा-शक्ति मजबूत है तो वह अपने अधिगम या प्रशिक्षण को नई परिस्थितियों में स्थानांतरण करने में अधिक सक्षम होता है।
  2. सीखने वाले की बुद्धिः- अधिगम के स्थानांतरण में सीखने वाले की बुद्धि एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। ऐेसा देखा गया है। कि जो विद्यार्थी अधिक बुद्धिमान है, वे सामान्य बुद्धि वाले विद्यार्थियों की तुलना में अधिगम के स्थानांतरण में बेहतर होते हैं।
  3. मौलिक समझ की गहनताः- यदि एक विद्यार्थी के पास किसी कौशल की पर्याप्त समझ है तो वह कौशलों को सीखने में अधिक सक्षम होता है।
  4. सीखने वाले की व्यक्तिगत उपलब्धियाँः- शिक्षा के क्षेत्र में सीखने वाले की व्यक्तिगत उपलब्धियों का अधिगम के स्थानांतरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसी उपलब्धियाँ प्रशिक्षण के स्थानांतरण में बहुत सहायक सिद्ध होती है।
  5. स्थानांतरण में प्रशिक्षणः- यदि विद्यार्थी ने स्थानांतरण में प्रशिक्षण लिया है तो वह बड़ी सरलता से नए कौशलों को सीखने में समर्थ होता है। यदि उसने इस प्रकार का प्रशिक्षण नहीं लिया है तो उसके लिए कौशलों को सीखने में कठिनाई होती हैं।
प्रश्न 3. स्थिरांक या प्लैट्यू क्या हैउसके कारण बताइए।
उत्तर- प्लैट्यू या स्थिरांक- तेजी से शुरूआत की सामान्य प्रवृति जो कुछ समय के लिए जारी रहती है परन्तु कुछ समय के बाद यह धीमी हो जाती है और एक स्तर पर पहुँच जाती है जहाँ पर कोई सुधर नहीं होता। अधिगम की अवस्था लगभग एक क्षैतिज समतल दिशा को प्रदर्शित करती है। यह क्षैतिज समतल दिशा सूचित करता है कि कोई प्रगति नहीं हो रही।
प्लैट्यू या स्थिरांक के कारण
  1. उदासी:- एक नियमित काम अकसर उदासी कारण बनता है जो स्थिरांक का कारण बनता हैं। काम की विभिन्नता से इस दुर किया जा सकता है।
  2. अभ्यास में कमी:- अभ्यास का दुषित एवं स्थिर प्रदर्शन प्लैट्यू का कारण बन जाता है।
  3. दुषित वातारण:- अभ्यास का दुषित एवं असूरक्षित वातावरण स्थिरांक बन कारण बन सकता है।
  4. प्रेरणा में कमी:- प्रेरणा और कम प्रतिक्रिया की कमी अकसर लंबे समय तक सीखने की प्रक्रिया स्थिरांक चोट का कारण बन सकता है।
  5. चोट:- कोई स्थायी चोट जो प्रशिक्षण के दौरान लगी हो या किसी प्रतियोगिता के कारण चोटिल होना स्थिरांक का कारण बन सकता है।
प्रश्न 4. अधिगम को परिभाषित कीजिए और अधिगम के प्राथमिक नियमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- गिलफोर्ड के अनुसार, “हम सीखने को विस्तृत रूप से इस प्रकार परिभाषित कर सकते है कि सीखना व्यवहार में आने वाला परिवर्तन है।”
सीखने के प्राथमिक नियम
  1. तत्परता का नियम:- इस नियम के अनुसार जब सीखने वाला सीखने के लिए तत्पर होता है। तो व्यक्ति उस कार्य का शारीरिक तथा मानसिक रूप से तैयार होना आवश्यक है।
  1. प्रभाव का नियम:- इस नियम के अनुसार यदि किसी कार्य के लिए किया गया प्रयास सुखद होता है तो व्यक्ति उस कार्य को शीघ्र सीखने का प्रयत्न करता है और सीख भी लेता है। उदाहरण के लिए यदि खेल क्रिया पुराने तरीके से सिखाई जाए तो प्रायः इसके परिणाम अच्छे नहीं निकलते। इसके विपरीत यदि नए वैज्ञानिक तरीके का प्रयोग किया जाए तो बच्चों को अधिक संतुष्टि मिलती है।
  2. अभ्यास का नियम: इस नियम के अनुसार, “जब एक परिवर्तनीय संबंध, एक स्थिति और प्रतिक्रिया के बीच बहुधा बनाया जाता तो इस संबंध की शक्ति बढ़ जाती है। इसके वितरीत जब एक परिवर्तनीय संबंध एक स्थिति और प्रक्रिया के बीच एक लम्बी अवधि तक नहीं बनाया जाता ता इस संबंध की शाक्ति कम हो जाती है।
    वास्तव में अभ्यास का नियम और प्रभाव का नियम दोनों साथ-साथ कार्य करते हैं। यह नियम सभी खेलों पर लागू होता है। जैसे हॉकी, फुटबॉल वॉलीबॉल आदि।
प्रश्न 5. भावना की व्याख्या कीजिए। हम भावनाओं को किस प्रकार नियंत्रित कर सकते हैं?
उत्तर- मानसिक स्थिति जो सचेत प्रयासों के माध्यम से एवं शारीरिक परिवर्तन के साथ अनायस ही उठती है उसे भावनाएं कहते हैं।
यह व्यक्तिपरक, होश के अनुभवों का भाव, जैविक प्रतिक्रियाओं एवं चिकित्सा की स्थिति की विशेषता है। यह एक जटिल शारीरिक स्थिति है जिसमें तीन अलग-अलग घटक शामिल हैः
  • एक व्यक्तिपरक अनुभव
  • एक शारीरिक प्रतिक्रिया
  • एक व्यवहारिक प्रतिक्रिया
भावनाओं को नियमित करने के तरीके
  1. रूकों एवं मूल्यांकन करो:- अगर व्यक्ति के विभाग में नकारात्मक, भावनाएं उठ रही हैं तो उन्हें रोकने का प्रयास करो और उसका मूल्यांकन करो। उन चीजों का विचार करो जो सकारात्मक विचारों को उत्पन्न करें।
  2. शारीरिक क्रियाएं:- शारीरिक क्रियाएं हमारे मन को भटकने से बचाती है। शारीरिक क्रियाएं करने से भावनाओं में स्थिरता आने लगती है।
  3. ध्यान:- ध्यान हमारे दिमाग एवं शरीर को स्थिरता प्रदान करता है, इसके साथ-साथ हमारी नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  4. धैर्य का विकास:- आक्रामक की दिशा में अपने अन्दर धैर्य और सहिष्णुता का विकास करें।
  5. विराम लेना:- अगर आप नकारात्मक भावनाओं को बदलाव चाहते हैं तो अपने आप को अन्य कार्य में तल्लीन कर लेना चाहिए अर्थात् जो कार्य कर रहे है जिससे नकारात्मक भावनाएं उत्पन्न हो रही है तो उस कार्य से विराम लेकर स्वयं को अन्य कार्य मे लगाना।
प्रश्न 6. किशोरावस्था में होने वाली समस्याओं के प्रबंधन के बारे में विचार।
उत्तर- किशोरों की समस्याओं के समाधान के उपाय
  1. सहानुभूतिपूर्ण और स्वतंत्रापूर्ण व्यवहार- माता-पिता को किशोरों के बदलते व्यवहार के कारण चिंतित होने के बजाय उनके साथ सहानुभूति पूर्ण एवं स्वतंत्रतापूर्वक व्यवहार पर किशोरों का अधिक नियंत्रण नहीं होता। यह व्यवहार शारीरिक परिवर्तनों के कारण हुए तनाव की वजह से होता है।
  2. घर एवं विद्यालय का स्वस्थ वातावरण- अगर घर एवं विद्यालय का वातावरण स्वस्थ नहीं होगा जो किशोर अपने लक्ष्य से भटक सकते हैं, गलत आदतों का शिकार बन सकते है जैसे जुआ खेलना नशा करना आदि। किशोरों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए घर एवं विद्यालय का उचित वातावरण उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
    किशोरों को विभिन्न प्रकार की मनोरंजन क्रियाओं जैसे नृत्य योग और एरोबियस एवं जिम आदि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  3. नैतिक एवं धार्मिक शिक्षा- घर पर माता-पिता तथा परिवार के बड़े बुजुर्गों द्वारा किशोरों को नैतिक तथा धार्मिक शिक्षा दी जानी चाहिए इससे उनकी व्यवहार संबंधी समस्याओं का निदान किया जा सकता है।
  4. मित्रता पूर्ण व्यवहार- जब बच्चा किशोरावस्था में पहुचता है तो माता एवं शिक्षकों को इनके साथ मित्रता पूर्ण व्यवहार रखना चाहिए ताकि वह स्वतंत्रता के साथ अपनी समस्याओं की चर्चा कर सकें। अगर हम किशोरों से सख्त व्यवहार रखेगें तो वह अपने मार्ग से विचलित हो सकते हैं। मित्रतापूर्वक व्यवहार से दोनों के बीच मित्रता पूर्ण समबन्ध अच्छे बन सकते हैं।
  5. पर्याप्त स्वतंत्रता- किशोरों को अपनी भावनाएँ और सुझाव व्यक्त करने के लिए पर्याप्त स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। उन्हें अपने मित्रों का चुनाव तथा उनके साथ घुमने की स्वतंत्रता होनी चाहिए हालांकि माता-पिता को अपने बच्चों के मित्र के विषय में पूरी जानकारी होनी चाहिए।