बाज़ार के रूप तथा कीमत निर्धारण - प्रश्नोत्तर 3

CBSE कक्षा 11 अर्थशास्त्र
बाजार के प्रमुख रूप तथा पूर्ण प्रतियोगिता में किमत निर्धारण
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

6 अंक वाले प्रश्न
प्र. 1. सहयोगी और गैर-सहयोगी अल्पाधिकार को बीच अन्तर बताइए। समझाइए कि कैसे अल्पाधिकारी फर्म कीमत और उत्पादन के बारे में निर्णय लेने के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहती हैं?
उत्तर- सहयोगी अल्पाधिकारी को अन्तर्गत फर्म कीमत और उत्पादन का स्तर निर्धारित करते समय एक-दूसरे के साथ सहयोग करती है जबकि गैर-सहयोगी अल्पाधिकार में फर्म एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्द्धा करती है। प्रत्येक फर्म अपने उत्पादन और कीमत के बारे में निर्णय लेते समय अपनी विरोधी फर्मों की सम्भव प्रतिक्रिया को ध्यान में रखती है। अतः फर्मों में परस्पर निर्भरता होती है। अन्य फर्मों की सम्भव प्रतिक्रिया के कारण अपने उत्पादन व कीमत में परिवर्तन करने के निर्णय पर पुनः विचार करना पड़ सकता है।
प्र . 2. एक वस्तु बाजार में है। उस वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है। इस परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभावों की श्रृंखला की व्याख्या कीजिए। रेखाचित्र का प्रयोग कीजिए।
उत्तर- माँग में वृद्धि के कारण माँग वक्र D1 दायीं ओर खिसक जाती है। रेखाचित्र में D2 माँग वक्र है। इससे दी हुई कीमत P1 पर E1F के बराबर माँग आधिक्य हो जाता है। इस कीमत पर उपभोक्ता वस्तु की उतनी मात्रा खरीदना चाहते हैं। इसलिए क्रेताओं में प्रतिस्पर्द्धा होती है जिससे कीमत बढ़ जाती है।
कीमत के बढ़ने से माँग घटने लगती है और पूर्ति बढ़ने लगती है जैसा कि रेखाचित्र में दिखाया गया है। इसमें परिवर्तन तब तक होते रहेंगे जब तक कि माँग और पूर्ति बराबर न हो जाए। माँग बढ़कर OQ2 और कीमत बढ़कर OP2 हो जाती है।
प्र. 3. एक वस्तु बाजार सन्तुलन में है। उस बाजार कीमत पर वस्तु की माँग तथा पूर्ति में एक साथ ‘कमी’ होती हैं। इसका प्रभाव समझाइए।
उत्तर- तीन संभावनाएँ हैं-
  1. यदि माँग में सापेक्षिक (प्रतिशत) कमी पूर्ति में कमी से अधिक है तो कीमत घटेगी। बाजार में पूर्ति आधिक्य होने के कारण कीमत घटेगी।
  2. यदि माँग में सापेक्षित (प्रतिशत) कमी पूर्ति में कमी से कम है तो कीमत बढ़ेगी। बाजार में माँग आधिक्य होने के कारण कीमत बढ़ेगी।
  3. यदि माँग में सापेक्षित (प्रतिशत) कमी पूर्ति में कमी के बराबर है तो कीमत अपरिवर्तित रहेगी। कीमत अपरिवर्तित रहने का कारण यह है कि बाजार में न तो माँग आधिक्य है और न ही पूर्ति आधिक्य।
प्र. 4. समझाइए कि किसी वस्तु की सन्तुलन कीमत उसी उत्पादन स्तर पर क्यों निर्धारित होती है जिस पर उस वस्तु की माँग और पूर्ति बराबर होती है?
उत्तर- यदि माँग पूर्ति से अधिक है तो क्रेता उतनी वस्तुएँ नहीं खरीद पाएँगे, जितनी वह खरीदना चाहते हैं अतः क्रेताओं में प्रतिस्पर्द्धा होगी, जिसके परिणामस्वरूप कीमत बढ़ने लगती है, जिसके कारण माँग गिरने लगती है तथा पूर्ति बढ़ने लगती है और यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि माँग और पूर्ति बराबर न हो जाए।
इसके विपरीत यदि पूर्ति, माँग से अधिक है तो विक्रेता उतनी वस्तुएँ नहीं बेच पायेंगे। जितनी वह बेचना चाहते हैं। अतः विक्रेताओं में प्रतिस्पर्द्धा होगी जिसके तथा पूर्ति गिरने लगती है और यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक कि माँग और पूर्ति बराबर न हो जाए।
अतः वस्तु की सन्तुलन कीमत उसी उत्पादन स्तर पर निर्धारित होती है जिस पर वस्तु की माँग तथा पूर्ति बराबर होती है।