पत्रकारीय लेखन - पुनरावृति नोट्स 3

 CBSE कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक)

सृजनात्मक लेखन


‘कैसे बनती है कविता’

मुख्य बिन्दु-

  • कविता इंसान के मन को अभिव्यक्त करने वाली सबसे पुरानी कला है। मौखिक युग में कविता के द्वारा इंसान ने अपने भावों को दूसरे तक पहुँचाया होगा। इससे स्पष्ट होता है कि कविता मन में उमड़ने-घुमड़ने वाले भावों और विचारों को अभिव्यक्त करने का काव्यात्मक माध्यम है।
  • वाचिक परंपरा में जन्मीं कविता आज लिखित रूप में मौजूद है। पारंपरिक कविता के स्वर मुखरित होते हैं। कविता को आज तक किसी एक परिभाषा में बाँध पाना सम्भव नहीं हो पाया है। अनेक प्राचीन काव्यशास्त्रीयों और पश्चिमी विद्वानों ने कविता की अनेक परिभाषाएँ दी हैं। जैसे शब्द और अर्थ का संयोग, रसयुक्त वाक्य, संगीतमय विचार आदि।
  • कविता लेखन के संबंध में दो मत मिलते हैं। एक का मानना है कि अन्य कलाओं के समान कविता लेखन की कला की प्रशिक्षण द्वारा नहीं सिखाया जा सकता क्योंकि इसका संबंध मानवीय भावों से है जबकि दूसरा मत कहता है कि अन्य कलाओं की भांति प्रशिक्षण के द्वारा कविता लेखन को भी सरल बनाया जा सकता है।
  • कविता का पहला उपकरण शब्द है। कवि डल्ब्यू एच ऑर्डन ने कहा कि ‘प्ले विद द वर्डस’ अर्थात् कविता लेखन में सबसे पहले शब्दों से खेलना सीखें, उनके अर्थ की परतों को खोलें क्योंकि शब्द ही भावनाओं और संवेदनाओं को आकार देते हैं।
  • बिंब और छंद (आंतरिक लय) कविता को इंद्रियों से पकड़ने में सहायक होते हैं। बाह्य संवेदनाएँ मन के स्तर पर बिंब के रूप में परिवर्तित हो जाती है। छंद के अनुशासन की जानकारी के बिना आंतरिक लय का निर्वाह असंभव है। कविता की भाषा, बिंद, छंद, संरचना सभी परिवेश के इर्द-गिर्द घूमते हैं। इसलिए इनके अनुसर ही भाषा, बिंद और छंद का चयन किया जाता है।
  • कविता को मुख्य घटक (तत्व)
    1. भाषा का सम्यक ज्ञान
    2. शब्द विन्यास
    3. छंद विषयक बुनियादी जानकारी
    4. अनुभव और कल्पना का सामंजस्य
    5. सहज समप्रेषण शक्ति
    6. भाव एवं विचार की अनुभूति
  • नवीन दृष्टिकोण और प्रस्तुतीकरण की कला न हो तो कविता लेखन संभव ही नहीं है। प्रतिभा को किसी नियम या सिद्धांत द्वारा पैदा नहीं किया जा सकता, किन्तु परिश्रम और अभ्यास से विकसित किया जा सकता है। कवित लेखन के ये घटक कविता लेखन भले ही न सिखाएँ पर कविता की सराहना एवं कविता विषयक ज्ञान देने में सहायक है।