यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 2

 CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान

पाठ - 1
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय


  1. फ़्रांसीसी क्रांतिकारियों द्वारा सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए उठाए गए कदम पूर्ववर्ती समाज में लोगों की पहचान से किस आधार पर अलग थे?
    उत्तर-  सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए उठाए गए कदम निम्नलिखित तरीके से अपने पूर्ववर्ती समाज से भिन्न थे
    1. पहले समाज इस्टेट में बँटी हुई थी जबकि अब पितृभूमि, राष्ट्रीय भाषा, राष्ट्रध्वज आदि के आधार पर सामूहिक पहचान पर बल दिया गया ।
    2. पूर्ववर्ती समाज निरकुंश राजतंत्र के प्रति निष्ठा पर आधारित था जबकि अब यह लोगों द्वारा बने राष्ट्र के प्रति समर्पण पर आधारित था।
    3. समाज में लोगों को संविधान के अंतर्गत समान अधिकार दिए गए जो पहले नहीं थे।
  2. नेपोलियन संहिता - 1804 में कही गई बातें किस प्रकार उदारवादी राष्ट्रवाद की विचारधारा के अनुरूप थीं? स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर- उदारवाद व्यक्ति की आजादी और कानून के समक्ष समानता का समर्थन करता है। नेपोलियन की संहिता में कही गई बातें कई तरीके से इसे व्यक्त करती थी -
    1. जन्म आधारित विशेषाधिकारों को समाप्त किया गया।
    2. कानून के समक्ष समानता।
    3. संपत्ति का अधिकार।
    4. सामंती व्यवस्था का अंत करके भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों का अंत।
    5. एक समान कानून, मानक भार और राष्ट्रीय मुद्रा का प्रावधान।
  3. आपके विचार में रूढ़िवादी विचारधारा किस प्रकार मानव जीवन के उत्थान में बाधक है?
    उत्तर- रूढ़िवादी विचारधारा निम्नलिखित कारणों से मानव जीवन के उत्थान में बाधक हैं -
    1. यह समाज में परंपरागत ऊँच-नीच की भावना को बनाए रखने का समर्थन करती है।
    2. आधुनिक जीवन मूल्यों के विपरीत है।
    3. समाज में परिवर्तनों का विरोधी।
    4. लोकतंत्र के युग में भी राजतंत्र का समर्थक।
    5. आलोचना और असहमति के खिलाफ़।
  4. क्रांतिकारी विचारधारा ने किस प्रकार निरंकुश राजतंत्र के विरूद्ध आधुनिक राष्ट्रराज्य की स्थापना में योगदान दिया? मेत्सिनी का उदाहरण देते हुए इसे समझाइए।
    उत्तर- 1815 के बाद के वर्षों में दमन के भय ने उदारवादी-राष्ट्रवादियों को भूमिगत कर दिया। इसलिए कई गुप्त संगठन उभरकर आए जो स्वतंत्रता और मुक्ति के लिए प्रतिबद्ध होकर संघर्ष करने लगे। इटली का ज्युसेपी मेत्सिनी ऐसा ही एक क्रांतिकारी था। उसने दो भूमिगत संगठनों - यंग इटली और यंग यूरोप का गठन किया। उसने इटली को एकीकृत गणतंत्र बनाने के लिए क्रांतिकारी संघर्ष किया। उसके विचारों का पूरे यूरोप पर असर पड़ा तथा रूढ़िवाद को मुहँ की खानी पड़ी।
  5. भूखकठिनाईअसमानता और बेरोज़गारी किस प्रकार जनविद्रोह का कारण बन सकती है? 1830 के दशक में यूरोपीय परिस्थितियों के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
    उत्तर- 1830 के दशक में यूरोपीय समाज कई कठिनाइयों से जूझ रहा था। बढ़ती आबादी, मशीनीकरण और औद्योगीकरण के कारण प्रतिस्पर्धा में वृधि, महँगाई, व्यापक बेरोज़गारी, शहरों की ओर पलायन, फसलों की बर्बादी आदि ने व्यापक गरीबी का प्रसार किया। 1848 ऐसा ही एक वर्ष था।
    इन सभी परिस्थितियों की वजह से पेरिस के लोग सड़कों पर उतर आए और राजा को भागने पर मज़बूर कर दिया तथा गणतंत्र की घोषणा कर दी गई । आधुनिक समय में भी इन परिस्थितियों के पैदा होने पर जनता द्वारा विद्रोह की घटनाएं होती रहती हैं। उदाहरण के लिए नेपाल में जनविद्रोह के द्वारा राजतंत्र का खात्मा किया गया।
  6. आपके विचार में ब्रिटेन में राष्ट्र-राज्य का निर्माण यूरोप के बाकी देशों की अपेक्षा किस तरह भिन्न था?
    उत्तर- ब्रिटेन में राष्ट्रराज्य का निर्माण अचानक हुई कोई उथल-पुथल या क्राँति का परिणाम नहीं था। जैसा कि अन्य यूरोपीय देशों में हुआ। यह एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया का नतीजा थी। जिसे हम निम्न तरीके से समझ सकते हैं
    1. ब्रिटेन कई नृजातीय पहचानों जैसे - अंग्रेज़, वेल्श, स्कॉट आदि का देश था।
    2. आंग्ल राष्ट्र (इंग्लैण्ड) की अहमियत, सत्ता, समृद्धि में वृद्धि के साथ द्वीप समूह के अन्य राष्ट्रों पर इसका प्रभुत्व बढ़ गया।
    3. संसद ने 1688 में राजतंत्र की ताकत छीन ली।
    4. इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच 1707 में हुए समझौते से यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ ब्रिटेन का जन्म हुआ। किंतु व्यवहार में इंग्लैंड का स्काटलैंड पर प्रभुत्व जम गया।
    5. एक ब्रितानी पहचान के विकास को योजनाबद्ध रूप से बढ़ाया गया जिसमें कई बार स्काटिस, वेल्स, आयरलैंड के लोगों को दबाया भी गया।
  7. आपके विचार में जर्मनी और फ्रांस में राष्ट्र को दर्शाने वाले प्रतीक किस प्रकार वहाँ के लोगों की भावनाओं को प्रकट करते थे?
    उत्तर- राष्ट्र के प्रति जुड़ाव पैदा करने के लिए 18वीं और 19वीं सदी में राष्ट्र का मानवीकरण किया गया विशेषकर नारीरूपक में दर्शाया जाने लगा। फ़्रांसीसी क्रांति जो स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र को प्रकट करती थी उसे कलाकारों ने नारी रूपक के रूप में भी अभिव्यक्त किया। मारीआन की तस्वीर फ़्रांसीसी गणतंत्र को प्रकट करती थी जिसकी लाल टोपी और टूटी ज़ंजीर स्वतंत्रता को दर्शाती थी। आमतौर पर आँखों पर पट्टी बाँधे, तराजू लिए हुए महिला इंसाफ़ को प्रकट करती थी। इन चिन्हों को सार्वजनिक स्थानों पर दर्शाया गया। इसी तरह जर्मनी में जर्मनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई उसके सिर पर बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट वीरता को प्रकट करता था। इन रूपकों से आम लोग स्वयं को जोड़कर गर्व महसूस करते थे।
  8. ‘राष्ट्रवाद ने ही साम्राज्यवाद को जन्म दिया और अन्ततः उसका अंत भी किया’ उदाहरण सहित समझाइए।
    उत्तर- 19वीं सदी में यूरापीय देशों में तीव्र औद्योगिक वृद्धि और उग्रराष्ट्रवादी आकांक्षाओं ने साम्राज्यवाद को जन्म दिया। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों ने एशिया, अफ्ऱीका के कई देशों पर अपना आधिपत्य जमाकर उनका औपनिवेशीकरण किया और अपने हितों के अनुरूप उनका घोर शोषण किया किंतु इस आधिपत्य और शोषण के विरूद्ध इन देशों में साम्राज्य विरोधी आन्दोलन पैदा हुए। इस प्रक्रिया ने यहाँ के लोगों को परस्पर सामूहिक एकता के बंधन में बाँध दिया जो राष्ट्र के रूप में स्वतंत्र राष्ट्रराज्य के निर्माण का स्वप्न संजोने लगी। यद्यपि यह राष्ट्रवाद अपनी परिस्थितियों के अनुरूप भिन्न और विशिष्ट था किंतु इसने यूरोपीय साम्राज्यवाद का अंत कर दिया।