खेल व पोषण - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 2

CBSE Class -12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 2 खेल व पोषण
Important Questions

लघु उत्तरीय प्रश्न (80 से 90 शब्द) 3 अंक
प्रश्न-1 संतुलित आहार किसे कहते हैं? इसके कार्यों का वर्णन करे?
उत्तर- संतुलित आहार: संतुलित आहार वह होता है जिस भोजन में विभिन्न पोषक तत्व सही एवं उचित मात्रा एवं गुण में व्यक्ति की आवश्यकता के अनुसार हों। इसके कार्य निम्नलिखित हैं:-
  1. हमें काम करने की पर्याप्त ऊर्जा संतुलित आहार से मिलती है।
  2. यह व्यक्ति की वृद्धि और विकास में सहायता करता है।
  3. संतुलित आहार सभी संस्थानों को सही प्रकार से कार्य करने में सहायता प्रदान करता है।
  4. यह सभी टूटे-फूटे उत्तकों की मरम्मत में सहायता करता है।
  5. संतुलित आहार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है।
  6. यह शरीर का संपूर्ण स्वास्थ्य का स्तर बढ़ाता है।
  7. यह शरीर की चयापचय क्षमता में वृद्धि करता है।
  8. यह शरीर में किसी भी प्रकार की कमी से होने वाली बिमारियों को कम करता है तथा शरीर का सही भार बनाए रखता है तथा व्यक्ति की कार्य क्षमता में बढ़ोतरी करता है।
प्रश्न-2 भोजन के सूक्ष्म पोषक तत्वों का वर्णन करो जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक है?
उत्तर- भोजन में दो तरह के सूक्ष्म पोषक तत्व हैं: विटामिन और मिनरल (खनिज पदार्थ) यह कम मात्रा में भोजन में आवश्यक होते हैं, पर जो शरीर के लिए बहुत जरूरी हैं वे विटामिन निम्न हैं:
  • विटामिन A: इसे रेटिनोल भी कहा जाता है यह शरीर की वृद्धि और विकास के लिए बहुत जरूरी है विशेषकर आँखों की।
  • विटामिन D: यह शरीर की सभी हड्डियों के बनाने में और उनमें वृद्धि और विकास में सहायक है।
  • विटामिन E: यह सैल मेम्ब्रेन की सुरक्षा के लिए जरूरी है।
  • विटामिन K: यह खून का थक्का जमाने में सहायता करता है।
  • विटामिन B: उसके अन्तर्गत विटामिन B समूह के 6 विटामिन्स आते है। जो कि सामान्य स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
  • विटामिन C: यह शरीर टेन्डन और लिगामेन्टस की मरम्मत और विकास के लिए जरूरी है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
खनिज पदार्थ जो शरीर के लिए जरूरी हैं निम्न हैं:
  1. आयरन: यह खनिज रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए जरूरी है।
  2. कैल्शियम: यह हमारी हड्डियों और दांतों के निर्माण में सहायता करता है।
  3. फास्फोरस: यह हमारे दांतों को मजबूत बनाता है तथा हड्डियों को भी मजबूत करता है।
  4. सोडियम: यह हमारे तंत्रिका तंत्र को और अधिक मजबूत बनाता है।
  5. आयोडीन: आयोडीन बहुत जरूरी है इसकी कमी से ग्वाइटर रोग हो सकता है।
  6. फ्लोराइड: यह हमारे नाखूनों और दांतों के निर्माण और मजबूत बनाने में सहायक है।
इस प्रकार विटामिन और खनिज हमारे शरीर के वृद्धि विकास में सहायक हैं और इनकी कमी में कई तरह की गंभीर बीमारियां हो सकती है।
प्रश्न-3 हमारे शरीर के लिए प्रोटीन कितना जरूरी है वर्णन करो?
उत्तर- प्रोटीन कोशिका के निर्माण में जरूरी तत्व है। प्रोटीन कार्बन, हाइड्रोजन ऑक्सीजन नाइट्रोजन व कभी-कभार सल्फर नामक तत्वों से बनी होती है। प्रोटीन शरीर में अमीनो अम्लो के द्वारा रक्त में मिल जाते है। इन अमीनों अम्लों का प्रयोग शरीर के द्वारा रक्तमांस पेशियों, नाखूनों, त्वचा बालों व आतरिक अंगों के निर्माण में किया जाता है। प्रोटीन नये उत्तकों को बनाती है और टूटे-फूटे उत्तकों की मरम्मत करती है। जल और अम्लों के संतुलन को नियमित करती है। ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को कोशिकाओं तक ले जाती है तथा एंटी बाडीज बनाती है। अत्यधिक प्रयोग प्रोटीन का भी हमारे लिए हानिकारक हैं इससे हृदय रोग, ओस्टियोपोरोसिस, स्ट्रोक और गुर्दे में पथरी हो सकती है। शरीर को आदर्श शरीर भार के प्रति पौंड 0.36 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। बच्चों में इसकी कमी से मरस्मस और क्वाशीयरकर रोग हो जाते है।
प्रश्न-4 कार्बोहाइड्रेट क्या है साधारण व जटिल कार्बोहाइड्रेट में अन्तर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर- कार्बोहाइड्रेट हमारे आहार का सबसे मुख्य अंग है। यह हमारे शरीर में ईंधन की तरह कार्य करता है। यह ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है। भिन्न-भिन रासायनिक संयोजन के कारण कार्बोहाइड्रेटस मुख्यत: दो प्रकार के होते है।
  1. शर्करा या साधारण कार्बोहाइड्रेट:- यह अनाज (गेहूँ, चावल आदि) व रसीले फलों जैसे गन्ना, चुकन्दर, आम, अनानास आदि में पाया जाने वाला स्वभाविक मिठास है। इनमें शकरा मोनोसेक्राइडस, डाइसेक्राइडस व ट्राई सेक्राइडस के रूप में पायी जाती है। जैसे ग्लूकोज, फ्रेक्टोज, सुक्रोज व माल्टोज यह पानी में घुलनशील व स्वाद में मीठे होते हैं।
  2. जटिल कार्बोहाइड्रेट (पोली सेक्राइडस):- साधरण कार्बोहाइड्रेटस से विपरीत ये स्वाद में मीठे नहीं होते है। इनमें शकरा पॉली सेक्राइडस के रूप में पायी जाती है। यह पानी में घुलती नहीं है। इनमें स्टार्च, ग्लाइकोजन व सेल्यूलोज प्रमुख है। जो कि आलू, शकरकन्दी, चुकन्दर, गाजर, मक्का गेहूँ, चावल आदि में मुख्य रूप से पाये जाते हैं। हमें आहार में कार्बोहाइड्रेटस की अधिक मात्रा इसी पॉलीसेक्राइडस से प्राप्त होती है।
प्रश्न-5 वसा हमारे लिए क्यों आवश्यक है? या वसा की उपयोगिता सक्षेप में लिखिए?
उत्तर- वसा हमारे आहार में उपस्थित सभी पोषक पदार्थों में सबसे ज्यादा ऊर्जा प्रदान करने वाला पोषक तत्व है। एक ग्राम वसा से 9.1 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। आवश्यकता से अधिक कार्बोहाइड्रेट भी शरीर में वसा के रूप में सचित होता रहता है।
  • इससे शरीर को चबीं प्राप्त होती है।
  • लंबे समय तक चलने वाली शारीरिक क्रियाओं में यह ऊर्जा की स्त्रोत को रूप में काम आती है।
  • इससे विटामिन A, D, E व K के अवशोषण में भी सहायता मिलती है।
  • वसा मांसपेशीय उत्तक के निर्माण व शरीर के कोमल अंगों जैसे हृदय गुर्दे आदि को सुरक्षा प्रदान करती है।
  • शरीर को सुडौल बनाती है। तथा सक्रामक रोगों से बचाने में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
प्रश्न-6 खाद्य असहिष्णुता (भोजन असहनशीलता) क्या है?
उत्तर- खाद्य असहिष्णुता : शरीर की वह स्थिति जिसमें हमारा शरीर भोजन के विशेष तत्वों को अवशोषित करना बंद कर दे खाद्य असहिष्णुता कहलाती है। इस स्थिति का मुख्य कारण भोजन के किसी विशेष तत्व से एलर्जी होता है कई बार हमारा शरीर भोजन की अधिक मात्रा की स्थिति में भी खाद्य असहिष्णुता दर्शाता है।
खाद्य असहिष्णुता से बचने के उपाय-
  1. बासी भोजन न करें, सदैव ताजा भोजन ही खाएं।
  2. तले हुए पदार्थों से परहेज करें।
  3. अधिक मात्रा में पानी पीएं।
  4. खाना खाते समय खाने को खूब चबाएं।
  5. अधिक मात्रा में भोजन ना करें।
  6. पोषक विशेषज्ञ से परामर्श लें।
इसके लक्षण निम्न हैं:
  1. सिरदर्द
  2. घबराहट
  3. उल्टी
  4. दस्त
  5. गैस
  6. एसिडिटी
  7. उदरवायु
  8. पेट दर्द
  9. मितली आना
  10. सीने में जलन आदि
प्रश्न-7 BMI क्या है इसकी गणना कैसे की जाती है?
उत्तर- BMI स्वस्थ भार ज्ञात करने की सर्वाधिक प्रचलित तरीका है। निम्न लिखित सूत्र की सहायता से हम BMI की गणना कर सकते है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानदण्ड की तालिका की सहायता से हम व्यक्ति की स्वस्थ भार की स्थिति जान सकते है।
श्रेणी
बॉडी मास इन्डेक्स
अल्पभार
< 18.5
सामान्य भार
18.5 - 24.9
अतिभार
25 - 26.9
स्थूलता वर्ग-1
27 - 29.9
स्थूलता वर्ग-2
30 - 34.9
स्थूलता वर्ग-3
35 - 39.9
स्थूलता वर्ग-4
> 40
प्रश्न-8 कुछ बच्चों को पूरक आहार की अवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर- पूरक आहार की अवश्यकता निम्नखिलित कारणों से हो सकती है
  1. उचित भोजन का चयन न करना:- यदि दिये जाने वाले भोजन में भोजन के सभी तत्व नहीं होंगे तो शरीर की पोषक तत्वों की मांग की पूर्ती नहीं हो पायेगी और पूरक आहार की अवश्यकता पड़ेगी।
  2. भोजन सम्बन्धित विकार तथा भोजन एलर्जीः- भोजन एलर्जी तथा भोजन सम्बन्धित विकार की स्थिति में सामान्य भोजन से पोषण की पूर्ति होने की सम्भावना कम हो जाती है तथा पूरक आहार की अवश्यकता पड़ती है।
  3. कठोर प्रशिक्षण:- कठोर प्रशिक्षण की स्थिति में भी सामान्य भोजन से पोषण तत्वों की पूर्ति होने की सम्भावना कम हो जाती है तथा पूरक आहार की अवश्यकता पड़ सकती है।
प्रश्न 9 पूरक आहार के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- (1) प्राकृतिक पूरक आहार:- प्राकृतिक पूरक आहार प्राकृति पदार्थों से निष्कृषित किये जाते हो जैसे कि पेड़ों से निष्कृषित करना, जानवरों से निष्कृषित करना उदाहरण को अंकुरित दाल, अलसी का तेल आदि।
(2) अर्द्धकृत्रिम पूरक आहार:-अर्द्धकृत्रिम आहार को निष्कृर्षित तो प्राकृतिक पदार्थों से ही किया जाता है। परन्तु निष्कृषित होने के उपरांत उसे रासायानिक रूप से बदलकर प्रयोग किया जाता है उदाहरण के लिये दूध का पाऊडर।
(3) कृत्रिम पूरक आहार:-कत्रिम पूरक आहार को कृत्रिम रूप से तैयार किया जाता है उदाहरण के लिये विटामिन की गोलियाँ जो कि रासायनिक रूप से तैयार कि गई हो।
प्रश्न-10 पूरक आहार का इस्तेमाल करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
उत्तर- (1) जरूरत से ज्यादा मात्रा में यदि सेवन किया जाये तो पूरक आहार हमारे स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकते हैं।
(2) पूरक आहार को हमेशा बच्चों की पहुच से दूर रखे अन्यथा उनका दुरूपयोग होने की सम्भावना बढ़ जायेगी।
(3) पूरक आहार की मात्रा हमेशा भोजन विशेषज्ञ के दिशा निर्दशों के अनुरूप ही होनी चाहिए।
(4) केवल आवश्यकता को स्थिति में ही पूरक आहार का इस्तेमाल करना चाहिए अन्यथा भोजन के माध्यम से हो पोषक तत्वों की पूर्ति करनी चाहिए।
प्रश्न-11 डाइटिंग (अल्पाहार) को प्रमुख नुकसान बताइये?
उत्तर- दुबले पतले होने की चाह में अक्सर व्यक्ति अपना खाना-पीना इतना कम कर देता है। कि उसके शरीर की आवश्यक पोषक पदार्थ उचित मात्रा में नहीं मिल पाते है और वह कुपोषण का शिकार हो जाता है। डाइटिंग से प्रमुख नुकसान निम्न लिखित हो सकते है।
  • अपर्याप्त पोषण:- कम पोषण के काररण व्यक्ति में कमजोरी, एनिमिया व अधिक निद्रा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  • सूखापन:- डाइटिंग के दौरान पानी की कमी से व्यक्ति में दुर्बलता, निर्जलीकरण, व त्वचा पर झाईयाँ पड़ जाती है।
  • दाँत व रक्त संबधी विकार
  • नेत्र संबधी विकार
  • खनिज लवणों की कमी
  • स्मरण शक्ति में कमी