सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था - प्रश्नोत्तर 2

CBSE कक्षा 12 सरकारों बजट एवं अर्थव्यवस्था
अर्थशास्त्र महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

3-4 अंक वाले प्रश्न
प्र. 1. सरकारी बजट का ‘आय का पुनर्वितरण’ उद्देश्य समझाइए।
अथवा
सरकारी बजट की सहायता से आप की असमानताओं की किस प्रकार कम किया जा सकता है? समझाइए।
उत्तर- अर्थव्यवस्था में आय के पुनर्वितरण अथवा आय व धन की असमानताओं को कम करने हेतु बजटीय नीतियाँ एक उपयोगी माध्यम हैं। इसके लिए सरकार अपनी कर नीति तथा सार्वजनिक व्यय जैसे उपकरणों में अपेक्षित परिवर्तन करती है। अमीरों पर अधिक कर का भार डालकर सरकार उनकी आय व सम्पत्ति को कम कर सकती है तथा गरीबों के कल्याण पर किए जाने वाले सार्वजनिक व्यय में वृद्धि करके सरकार गरीबों के रहन-सहन के स्तर व क्रय शक्ति को बढ़ा सकती है जिससे आय व धन की असमानताओं में कमी आएगी।
प्र. 2. सरकारी बजट का संसाधनों का पुनः आबंटन उद्देश्य समझाइए।
उत्तर- सरकार अर्थव्यवस्था में अधिकतम लाभ तथा सामाजिक कल्याण को बीच सन्तुलन स्थापित करने के लिए बजट की सहायता से संसाधनों का पुनः आबंटन करने का प्रयास करती है। संसाधनों के पुनः आबंटन हेतु सरकार अलाभदायक क्षेत्रों में निवेश वृद्धि हेतु करों में छूट तथा आर्थिक सहायता प्रदान कर सकती है। सरकार स्वयं भी ऐसी वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन कर सकती हैं जिनके उत्पादन में निजी क्षेत्र की रूचि न हो। सरकार सामाजिक जीवन पर दुष्प्रभाव छोड़ने वाली वस्तुओं के उत्पादन पर कर भार में वृद्धि करके इन क्षेत्रों में निवेश को हतोत्साहित कर सकती है।
प्र. 3. राजस्व प्राप्ति तथा पूँजीगत प्राप्ति के बीच उदाहरण की सहायता से अन्तर कीजिए।
उत्तर- राजस्व प्राप्ति तथा पूँजीगत प्राप्ति के बीच उदाहरण की सहायता से अन्तर निम्न है-
  • राजस्व प्राप्तियाँ
    1. ये वे प्राप्तियाँ है, जिनसे सरकार की परिसम्पतियों कम नहीं होती।
    2. ये प्राप्तियाँ, सरकार के दायित्वों को उत्पन्न नहीं करती।
    3. उदाहरण- कर, सरकारी विभागों के उत्पादन की बिक्री से आय।
  • पूँजीगत प्राप्तियाँ-
    1. इन प्राप्तियों से सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी आती है।
    2. ये प्राप्तियाँ सरकार के दायित्वों में वृद्धि करती है।
    3. उदाहरण- सरकारी ऋण, ऋणों की वसूली।
प्र. 4. राजस्व व्यय तथा पूँजीगत व्यय के बीच अन्तर उदाहरण की सहायता से कीजिए।
उत्तर- राजस्व व्यय तथा पूँजीगत व्यय के बीच अंतर निम्नलिखित है-
  • राजस्व व्याय-
    1. इन व्ययों से सरकारी परिसम्पत्तियों में कोई वृद्धि नहीं होती।
    2. इन व्ययों से सरकार के दायित्वों में कमी नहीं होती।
    3. उदाहरण- प्रतिरक्षा व्यय, आर्थिक सहायता पर व्यय।
  • पूँजीगत व्यय-
    1. इन व्ययों से सरकारी परिसम्पतियों में वृद्धि होती है।
    2. ये व्यय सरकारी दायित्वों को कम करते है।
    3. उदाहरण- ऋणों की अदायगी, निर्माण पर व्यय।
प्र. 5. प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर में उदाहरण की सहायता से अन्तर कीजिए।
उत्त्तर- प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर अंतर निम्नलिखित है-
  • प्रत्यक्ष कर-
    1. इस कर के भुगतान का दायित्व ओर वास्तविक भार एक ही व्यक्ति पर पड़ता है।
    2. इस कर के भार को आगे टाला नहीं जा सकता।
    3. उदाहरण- आयकर, सम्पत्ति कर।
  • अप्रत्यक्ष कर-
    1. इस कर के भुगतान का दायित्व और वास्तविक भार अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ता है।
    2. इस कर के भार को आगे टाला जा सकता है।
    3. उदाहरण- उत्पाद कर, बिक्री कर।
प्र. 6. राजकोषीय घाटे का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसके अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रमुख प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- राजकोषीय घाटा कुल बजट व्यय की उधार छोड़कर कुल बजट प्राप्तियों पर अधिकता को दर्शाता है। अर्थात् राजकोषीय घाटा मुख्यतः सरकार द्वारा सार्वजनिक व्ययों की पूर्ति हेतु लिए गए उधार के बराबर होता है।
राजकोषीय घाटा- कुल बजट व्यय - उधार छोड़कर कुल बजट प्राप्तियाँ
राजकोषीय घाटे का प्रभाव-
  1. राजकोषीय घाटा से अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति बढ़ जाती है।
  2. अर्थव्यवस्था पर ऋणों का भार बढ़ जाता है।
  3. सामान्य कीमत बढ़ जाती है।
प्र. 7. राजस्व घाटा किसे कहते है? इसका निहितार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- राजस्व घाटा:- जब सरकार की कुल राजस्व व्यय उसकी कुल राजस्व प्राप्तियों से अधिक हो। अर्थात् राजस्व घाटा, राजस्व व्यय की राजस्व प्राप्तियों पर अधिकता है।
निहितार्थ:-
  1. इसका अर्थ है कि सरकार पिछली बचतों को खर्च कर रही है।
  2. इसका अर्थ है कि सरकार का वर्तमान व्यय उसके वर्तमान आय से अधिक है।
  3. उच्च राजस्व घाटा सरकार को चेतावनी देता है कि या तो सरकार अपना व्यय कम करें अथवा सरकार राजस्व बढ़ाएं।
प्र. 8. निम्नलिखित आँकड़ों से (1) राजस्व घाटा (2) राजकोषीय घाटा (3) प्राथमिक घाटा ज्ञात करें।
1. उधार को छोड़कर पूँजीगत प्राप्तियाँ
95
2. राजस्व व्यय
100
3. ब्याज भुगतान
10
4. राजस्व प्राप्तियाँ
80
5. पूँजीगत व्यय
110
उत्तर-
  1. राजस्व घाटा = राजस्व व्यय- राजस्व प्राप्तिया
    = 100-80 = रू. 20 करोड़
  2. राजकोषीय घाटा = (राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय) - राजस्व प्राप्तिया - उधार की
    = 100 + 110-80-95 = रू. 35 करोड़ रु.
  3. प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा - ब्याज भुगतान
    = 35 - 10 = रू. 25 करोड़