वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 2

 CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान

पाठ - 4
वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था


  1. पिछले कुछ वर्षों में बाज़ार में आए परिवर्तनों पर टिप्पणी कीजिए?
    उत्तर-
    1. बहुव्यापी विकल्पों का बढ़ना।
    2. प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार
    3. विज्ञापनों का व्यापक प्रसार आदि।
  2. विश्व व्यापार संगठन की नीतियां किस प्रकार विकसित देशों के पक्ष में और विकासशील देशों के प्रति अन्यायपूर्ण हैं?
    उत्तर- विश्व व्यापार संगठन (WTO) एक ऐसा संगठन है जिसका ध्येय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियमों को निर्धारित करना और उनका पालन करवाना है। यद्यपि यह सभी देशों को मुक्त व्यापार की सुविधा देता है किन्तु विकसित देशों ने अभी भी व्यापार अवरोधों को बरकरार रखा है जैसे कृषि उत्पादों के व्यापार पर विकसित देश अपने किसानों को व्यापक सब्सिडी देते हैं। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि समान व्यापार की शर्तें होने के बावजूद विकासशील देशों में प्रौद्योगिकी व पूंजी के अभाव के कारण प्रतिस्पर्द्धा में वह पिछड़ जाते हैं। जो अंत में विकासशील देशों के नुकसानदेह और विकसित देशों के फायदे में रहता है।
    महत्वपूर्ण फैसलों में विकसित देश विकासशील देशों पर तरह-तरह के दबाव बनाकर अपने पक्ष में फैसले करवा लेते हैं।
  3. वैश्वीकरण सभी के लिए लाभप्रद नहीं रहा है।’ न्यायसंगत वैश्वीकरण के लिए क्या कदम उठाए जा सकते है?
    उत्तर- आज के समय में वैश्वीकरण एक सच्चाई है। किन्तु शिक्षित, कुशल और संपन्न लोगों ने इससे मिले नए अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग किया है। दूसरी ओर अनेक लोगों जैसे ग्रामीणों, मजदूरों, अशिक्षितों आदि को इस लाभ में हिस्सा नहीं मिला है। वैश्वीकरण को अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए-
    1. सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि श्रमिक कानूनों का उचित क्रियान्वयन हो और श्रमिक को अपने जायज अधिकार मिले।
    2. छोटे उत्पादकों को कार्य निष्पादन में सुधार हेतु सरकारी मदद एवं प्रोत्साहन मिले जिससे वह प्रतिस्पर्द्धा में बने रहें।
    3. विश्व व्यापार संगठन में विकसित देशों के वर्चस्व के विरूद्ध समान हित वाले विकासशील देश मिलकर लड़ाई लड़ें।
    4. उद्योगों या अन्य विकास कार्यों के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीनों के बदले न्यायसंगत मुआवज़ा मिले। आदि।
  4. वैश्वीकरण के फलस्वरूप बढ़ी प्रतिस्पर्द्धा से भारतीय लोगों को क्या लाभ हुआ है?
    उत्तर-
    1. उपभोक्ताओं के पास उचित और व्यापक विकल्प।
    2. गुणवत्ता में वृद्धि
    3. रोज़गार के नए अवसरों में वृद्धि
    4. प्रतिस्पर्द्धी मूल्यों पर वस्तुओं व सेवाओं की उपलब्धता
  5. विश्व में वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं पड़ा हैक्यों?
    उत्तर- आधुनिक संसाधनों की असमान उपलब्ध्ता, असमान वितरण, सूचना एवं संचार प्रौद्यौगिकी पर एकाधिकार होने से विज्ञापनों एवं प्रचार द्वारा भ्रम फैलाना।
  6. सरकार वैश्वीकरण को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए क्या कदम उठा सकती है?
    उत्तर- कानूनों का पालन, श्रमिकों को अधिकार, छोटे उत्पादकों में सुधार के लिए सरकार की मदद से संगठन बनाना।
  7. आपके विचार में किन कारकों ने वैश्वीकरण को संभव बनाया है?
    उत्तर- सूचना एवं संचार की प्रगति, परिवहन की तीव्र प्रगति, कम्प्यूटर, इंटरनेट, टेलिफोन, फैक्स आदि।
  8. भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता के बाद विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया था और इस प्रतिबंध को बाद में क्यों हटा दिया गया?
    उत्तर- रोक क्यों लगी:- उत्पादकों की सुरक्षा, उद्योगों के तीव्र विकास के लिए।
    प्रतिबंध क्यों हटा:- उत्पादकों के प्रदर्शन में सुधार, गुणवत्ता में सुधार, अच्छी तकनीक का प्रयोग, रोज़गार के अवसर, सस्ता सामान।
  9. भविष्य में वैश्वीकरण जारी रहना चाहिए आपके विचार में आज से बीस वर्ष बाद विश्व कैसा होगा?
    उत्तर- नजदीकियां बढ़ेगी, विदेशी व्यापार में वृद्धि, प्रौद्योगिकी का विकास, गुणवत्ता में सुधार, मूल्यों में कमी, उत्पादकों में प्रतिस्पर्धा।