आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण - प्रश्नोत्तर 2

CBSE कक्षा 11 अर्थशास्त्र
पाठ - 4 आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

एक अंक वाले प्रश्न
  1. सारणीयन से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर- यह संकलित आँकड़ों को प्रस्तुत करने की ऐसी विधि है जिसमें आँकड़ों को स्तम्भों (कॉलम) तथा पंक्तियों के रुप में प्रस्तुत किया जाता है।
     
  2. सारणी को अंतर्गत क्षेत्र या कलेवर से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर- क्षेत्र या कलेवर सारणी का वह भाग है जिसमें सभी सूचनाएँ दिखाई जाती हैं।
     
  3. बहुगुणी सारणी से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर- आँकड़ों की तीन से अधिक विशेषताओं को प्रदर्शित करने वाली सारणी बहुगुणी सारणी कहलाती है।
     
  4. दण्ड आरेख से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर- दण्ड आरेख ऐसा वक्र है जिसमें आँकड़ों को दण्ड व आयतों के रुप में प्रस्तुत करता है।
     
  5. उपविभाजित दण्ड आरेख या अंतर्विभक्त दण्ड आरेख को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर- उपविभाजित दण्ड चित्र ऐसा आरेख है जो किसी तथ्यों के कुल मूल्य तथा उपविभाजन को प्रस्तुत करता है।
     
  6. वृत्तीय आरेख को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर- इसे कोणीय आरेख भी कहा जाता है यह ऐसी वक्र है जिसमें वृत्त को विभिन्न भागों में आंकड़ों के प्रतिशत, सापेक्ष व कोणीय मूल्यों के आधार पर बांटा जाता है।
     
  7. आयत चित्र से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर- आयत चित्र मदों तथा उनकी आवृत्तियों को आयत के रुप में प्रदर्शित करके बनाया जाता है।
     
  8. आवृत्ति वक्र किसे कहा जाता है?
    उत्तर- आवृत्ति वक्र आवृत्ति बहुभुज वक्र का वह सरलतम रुप है जिसे आयत चित्र के सभी आयतों के शीर्ष के मध्य बिन्दुओं को मुक्त हस्त रीति द्वारा रेखा खींचकर बनाया जाता है।
     
  9. आयत चित्र के मध्य बिन्दुओं को सरल रेखा द्वारा मिलाकर बनाए गए चित्र को किस नाम से जाना जाता है?
    उत्तर- ओजाइव वक्र संचयी आवृत्तियों (से कम, से अधिक) को अंकित करके बनाया जाता है।
     
  10. ओजाइव (तोरण) वक्र को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर- आवृत्ति बहुभुज।
     
  11. कृत्रिम अधार रेखा का प्रयोग क्यों किया जाता है?
    उत्तर- शून्य तथा चर के न्यूनतम मूल्य में यदि बहुत अधिक अंतर हो तो इस अंतर को कम करने के लिए कृत्रिम आधार रेखा का प्रयोग किया जाता है।
     
  12. सारणीयन से अभिप्राय है?
    उत्तर- साख्यिकी आँकड़ों को स्तम्भों और पंक्तियों के रुप में प्रस्तुत करने की क्रिया को सारणीय कहते हैं।