उपभोक्ता व्यवहार तथा माँग - प्रश्नोत्तर 2
CBSE कक्षा 11 अर्थशास्त्र
उपभोक्ता का व्यवहार और माँग
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
उपभोक्ता का व्यवहार और माँग
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
3-4 अंक वाले प्रश्न
प्र. 1. माँग में वृद्धि एवं वस्तु की माँग मात्रा में वृद्धि में भेद कीजिए।
उत्तर- किसी वस्तु की कीमत स्थिर रहने पर अन्य कारकों में परिवर्तन के कारण जब माँग बढ़ती है तो उसे माँग में वृद्धि कहते हैं। इसके विपरीत अन्य बातें समान रहने पर जब किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन के कारण उसकी माँग बढ़ती है तो उसे माँग मात्रा में वृद्धि कहते हैं।
प्र . 2. एक वस्तु की दी गई कीमत पर एक उपभोक्ता यह निर्णय कैसे लेता है कि वह उस वस्तु की कितनी मात्रा खरीदे?
उत्तर- उपभोक्ता एक वस्तु की इतनी मात्रा खरीदता है जिस पर सीमान्त उपयोगिता कीमत के बराबर हो। जब तक सीमान्त उपयोगिता कीमत से अधिक होती है वह वस्तु को खरीदता रहता है। जैसे-जैसे वह अधिक इकाई खरीदता है सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है और एक स्थिति ऐसी आती है जहाँ सीमान्त उपयोगिता कीमत के बराबर हो जाती है। उपभोक्ता इस स्थिति तक ही वस्तु खरीदेगा।
प्र. 3. एक उपभोक्ता केवल दो वस्तुओं x और y का उपभोग करता है। उपयोगिता विश्लेषण की सहायता से उपभोक्ता संतुलन की शर्तें बताइए और उनकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर- उपभोक्ता के संतुलन की दो शर्तें हैं :
यदि तो उपभोक्ता संतुलन की स्थिति में नहीं होगा क्योंकि वह x की अधिक मात्रा और y की कम मात्रा खरीद कर कुल उपयोगिता बढ़ा सकता है। इसी प्रकार है तो सन्तुलन की स्थिति नहीं है, क्योंकि वह x की कम y की अधिक मात्रा खरीदकर कुल उपयोगिता बढ़ा सकता है।- वस्तु की अधिक इकाईयों का उपयोग करने पर उसकी सीमान्त उपयोगिता घटती है। यदि ऐसा न हो तो या तो उपभोक्ता केवल एक ही वस्तु खरीदेगा जो अवास्तविक है या वह कभी सन्तुलन की स्थिति में नहीं पहुँचेगा।
प्र. 4. समझाइए कि किसी वस्तु की माँग उसकी सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतों से कैसे प्रभावित होती है। उदाहरण दीजिए।
उत्तर- सम्बन्धित वस्तुएँ दो प्रकार की होती है–
- प्रतिस्थापन्न वस्तु : जब प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत घटती है तो वह दी हुई वस्तु की तुलना में सस्ती हो जाती है इसलिए उपभोक्ता इसे दी हुई वस्तु के स्थान पर प्रतिस्थापित करता है इससे दी हुई वस्तु की माँग घटती जाएगी। इसी प्रकार प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत बढ़ने से दी हुई वस्तु की माँग बढ़ जाएगी।
उदाहरण : चाय और कॉफी आदि। - पूरक वस्तुएँ : जब पूरक वस्तु की कीमत घटती है तो उसकी माँग बढ़ जाती है और उसके साथ दी हुई वस्तु की माँग भी बढ़ जाती है। इसी प्रकार जब पूरक वस्तु की कीमत बढ़ती है तो साथ दी हुई वस्तु की माँग घट जाती है।
उदाहरण : कार तथा पेट्रोल आदि।
प्र. 5. सामान्य वस्तु और घटिया वस्तु को बीच अन्तर बताइए। प्रत्येक का उदाहरण दीजिए।
उत्तर- सामान्य वस्तु और घटिया वस्तु को बीच अन्तर निम्नलिखित है-
- सामान्य वस्तुएँ : सामान्य वस्तुएँ उन वस्तुओं को कहते हैं जिनकी माँग क्रेताओं की आय के बढ़ने पर बढ़ती है। अतः आय और माँग में धनात्मक सम्बन्ध पाया जाता है अथवा आय प्रभाव धनात्मक होता है।
- घटिया वस्तुएँ (निम्नकोटि वस्तुएँ) : घटिया (निम्नकोटि) वस्तुएँ उन वस्तुओं को कहते हैं जिनकी माँग क्रेताओं की आय के बढ़ने पर घटती है अतः आय और माँग में ऋणात्मक सम्बन्ध पाया जाता है।
उदाहरण : मोटा अनाज तथा मोटा कपड़ा
प्र. 6. माँग की कीमत लोच की प्रभावित करने वाले किन्हीं चार कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- माँग की कीमत लोच की प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है-
- वस्तु की प्रकृति : अनिवार्य वस्तुएँ, जैसे नमक, जीवन रक्षक दवाएँ आदि की माँग बेलोचदार होती है तथा विलासिता की वस्तुओं की माँग लोचदार होती है।
- प्रतिस्थापन्न वस्तुओं की उपलब्धता : ऐसी वस्तुएँ जिनके निकटतम स्थापन्न उपलब्ध होते हैं, उनकी माँग अधिक लोचदार होती है तथा जिन वस्तुओं के प्रतिस्थापन नहीं होते उनकी माँग उपेक्षाकृत बेलोचदार होती है।
- उपयोग में विविधता : जिन वस्तुओं के विभिन्न उपयोग होते हैं उनकी माँग अधिक लोचदार होती है। उदाहरण के लिए बिजली के विभिन्न उपयोग।
- उपभोक्ता की आदत : उपभोक्ताओं को जिन वस्तुओं के उपभोग की आदत पड़ जाती है उनकी माँग बेलोचदार होती है। उदाहरण : शराब, सिगरेट।
प्र. 7. कुल उपयोगिता तथा सीमान्त उपयोगिता के बीच सम्बन्ध समझाइए। तालिका का प्रयोग कीजिए।
उत्तर-
मात्रा (इकाइयाँ) | कुल उपयोगिता (युटिल्स) | सीमान्त उपयोगिता (यूटिल्स) |
0 | 0 | - |
1 | 8 | 8 |
2 | 14 | 6 |
3 | 18 | 4 |
4 | 20 | 2 |
5 | 20 | 0 |
6 | 18 | -2 |
तालिका से स्पष्ट है-
- जब तक सीमान्त उपयोगिता धनात्मक और घटती है कुल उपयोगिता बढ़ती है।
- जब सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है तब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।
- जब सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है, तब कुल उपयोगिता घटना शुरु हो जाती है।
प्र. 8. सीमान्त उपयोगिता की परिभाषा दीजिए। ह्रासमान सीमान्त उपयोगिता का नियम बताइए।
उत्तर- सीमान्त उपयोगिता : वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई को उपभोग से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है, उसे सीमान्त उपयोगिता कहते हैं।
ह्रासमान सीमान्त उपयोगिता का नियम : ह्रासमान सीमान्त उपयोगिता का नियम यह बताता है कि उपभोक्ता जैसे-जैसे किसी वस्तु की अधिक मात्रा का उपभोग करता है वैसे-वैसे उस वस्तु की सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है इस नियम के अनुसार कुल उपयोगिता घटती दर से बढ़ती है तथा सीमान्त उपयोगिता घटती है।