पत्रकारीय लेखन - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 2
CBSE कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक)
विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
दीर्घ प्रश्नोत्तर-
- विभिन्न जनसंचार माध्यमों, प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट की पाँच विशेषताएँ बताते हुए तालिका बनाएं।
उत्तर-क्र. सं. प्रिंट रेडियो टी.वी. इंटरनेट 1. पढ़ने व सोचने का पूरा अवसर प्राप्त होता है। इस माध्य से ध्वनि स्वर, शब्दों तथा संगीत से मनोरंजन व ज्ञान वर्धन होता है। विश्व की घटनाओं को घर बैठे सीधे (लाइव) देख सकते हैं। दृश्य व प्रिंट दोनों माध्यमों का लाभ मिलता है। 2. यह लिखित भाषा का विस्तार है। रेडियों में सुनने की उन्मुक्तता (स्वतंत्रता) होती है। यह मनोरंजन व ज्ञानवर्धन का उत्तम साधन है। इंटरनेट के द्वारा बटन दबाते ही सूचनाओं का विशाल भण्डार प्राप्त होता है। 3. प्रिंट माध्यम के द्वारा किसी भी सामग्री को संदर्भ के लिए काटकर लंबे समय तक रख सकते हैं। यह सबसे सस्ता माध्यम है। टी.वी. की खबरों से जीवंतता का एहसास होता है। यह संवादों के आदान-प्रदान व चैटिंग का सस्ता स्रोत है। 4. कहीं से भी (बीच में से भी) और कभी भी पढ़ सकते हैं। निरक्षर व पढ़े लिखे सभी इसका आनंद ले सकते हैं। इसमें देखने व सुनने का आनंद एक साथ लिया जा सकता है। खबरें बड़ी तीव्र गति से पहुँचाई जाती है। 5. प्रिंट माध्यम चिंतन, विचार व संप्रेषण का माध्यम है। इसके माध्यम से दूरदराज के कार्यक्रम भी आसानी से सुने जा सकते हैं। इसके माध्यम से हर तरह के लोग कार्यक्रम देख व सुन सकते हैं। इंटरनेट के द्वारा खबरों का संप्रेषण पुष्टि, सत्यापन व बैकग्राउंड तुरंत होता है। - विभिन्न जनसंचार माध्यमों, प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट की पाँच कमियाँ बताते हुए तालिका बनाएं।
उत्तर-क्र. सं. प्रिंट रेडियो टी.वी. इंटरनेट 1. इसमें सीमित स्थान होता है। एक रेखीय माध्यम की तरह पीछे नहीं लौट सकते। इसमें समय की सीमा होती है। यह भी एक रेखीय माध्यम है। इसमें समय सीमा न होने के कारण लोग दूसरे कार्यों से कटते जा रहे हैं। 2. निरक्षर अर्थात् अनपढ़ लोगों के लिए प्रिंट माध्यम किसी काम का नहीं है। कई बार रेडियों कार्यक्रमों एवं समाचार बुलेटिनों की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। टी.वी. कार्यक्रमों में दर्शकों को बाँधे रखना कठिन कार्य है। गरीबों तथा अनपढ़ों के लिए इंटरनेट किसी काम का नहीं। इसे चलाने के ली धन व कौशल की आवश्यकता होती है। 3. इस माध्यम द्वारा हम तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते। रेडियों में अधिक लंबे कार्यक्रम नहीं सुना सकते क्योंकि वे उबाऊ हो जाते हैं। इसमें दृश्य श्रव्य (विजुअल व शब्द वाइट्स) में संतुलन बनाना बहुत कठिन है। नई पीढ़ी में स्वयं को हर समय अपडेट रखने की लत लगने के बुरे परिणाम सामने आ रहे है। 4. आय के विशेष स्रोत न होने के कारण प्रिंट माध्यम को विज्ञापन कर्त्ताओं को वरीयता देनी पड़ती है। इसमें बोलचाल की भाषा के प्रयोग से भाषा के विस्तार व विकास की संभावना नहीं रहती। इसमें सैक्स, हिंसा व रोमांस को प्रोत्साहन मिलता है और भाषा के विस्तार की भी संभावना कम रहती है। यह अश्लीलता, दुष्प्रचार और गंदगी फैलाने का माध्यम है। 5. अशुद्धियाँ हों तो छपने के बाद उन्हें दूर नहीं किया जा सकता। इस माध्यम में श्रोताओं को बाँधकर रखना काफी कठिन है। टी.वी. माध्यम में लाभ को ध्यान में रखकर तैयार किए गए कार्यक्रम विशेष दर्शक वर्ग के लिए होते हैं। अतः ये टाइप्ड हो जाते हैं। इंटरनेट को केवल एक औजार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।