भुगतान संतुलन - प्रश्नोत्तर 2

CBSE कक्षा 12 भुगतान संतुलन
अर्थशास्त्र महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

3-4 अंक वाले प्रश्न
प्र. 1. भुगतान शेष के चालू खाते की मदों के नाम लिखिए।
उत्तर- भुगतान शेष के चालू खाते की मदों के नाम निम्नलिखित है-
  1. वस्तु का निर्यात व आयात
  2. सेवाओं का निर्यात व आयात
  3. एक पक्षीय हस्तांतरण
प्र. 2. घरेलू मुद्रा के अवमूल्यन तथा मूल्यह्मस में भेद कीजिए।
उत्तर- जब सरकार द्वारा अपनी घरेलू मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा के रूप में जानबूझकर गिराया जाता है तो उसे घरेलू मुद्रा का अवमूल्यन कहते हैं। जबकि घरेलू मुद्रा का मूल्यह्रास तब होता है जब इसका मूल्य विदेशी विनिमय बाजार में माँग व पूर्ति में परिवर्तन के कारण, विदेशी मुद्रा की तुलना में गिर जाता है।
प्र. 3. जब विदेशी मुद्रा की कीमत अधिक होती है तो उसकी पूर्ति में भी वृद्धि होती है। समझाइए, ऐसा क्यों?
उत्तर- जब विदेशी मुद्रा की कीमत (देशीय मुद्रा में) बढ़ती है तो निर्यात सस्ता हो जाता है। अर्थात् विदेशियों को आयात के लिए कम मुद्रा देनी पड़ती है। फलस्वरूप वे अधिक माँग करते है अर्थात् देशी निर्यात बढ़ जाता है जिससे विदेशी मुद्रा की पूर्ति बढ़ जाती है।
प्र. 4. भुगतान संतुलन खाते की स्वायत्त मदें तथा समायोजक मदों में अन्तर स्पष्ट कीजिए तथा प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर- स्वायत्त मदें वे आर्थिक सौदे है जिन्हे लाभ के उद्देश्य से किया जाता है। इनका उद्देश्य भुगतान शेष खाते में संतुलन बनाए रखना नहीं होता। इन्हें रेखा के ऊपर की मदें कहा जाता है।
उदाहरण-निर्यात
समायोजक मदें वे आर्थिक सौदे हैं जिन्हें किसी देश की सरकार द्वारा भुगतान शेष को संतुलित बनाए रखने के लिए किया जाता है, इसका उद्देश्य भुगतान शेष खाते के असतुलन को दूर करना होता है, इन्हें रेखा के नीचे की मदें भी कहा जाता है।
उदाहरण: IMF से उधार
प्र. 5. भुगतान शेष के पूँजी खाते के घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
  1. विदेशों से और विदेशों को ऋण
  2. विदेशों द्वारा निवेश और विदेशों में निवेश
  3. विदेशी विनिमय कोष में परिवर्तन
प्र. 6. व्यापार शेष में क्या लेन-देन होता है? अनुकूल व्यापार शेष कब होता है।
उत्तर- व्यापार शेष में केवल वस्तुओं का आयात व निर्यात शामिल होता है। जब वस्तुओं के निर्यात का मूल्य वस्तुओं के आयात के मूल्य से अधिक होता है तो उसे अनुकूल व्यापार शेष कहते हैं।
प्र. 7. भारतीय निवेशक विदेशों में उधार देते है। निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
  1. भुगतान संतुलन लेखा के किस उपलेखा और किस पक्ष में यह उधार दर्ज होगा? कारण दीजिए।
  2. इस उधार का बाजार विनियय दर पर प्रभाव समझाइए।
उत्तर-
  1. भारतीय निवेशक विदेशों में उधार देते हैं यह भुगतान संतुलन लेखा के पूँजीखाते के नाम (Debit) पक्ष में दर्ज किया जाएगा क्योंकि इससे विदेशी विनिमय परिसम्पतियों में वृद्धि होगी तथा विदेशी विनिमय का बाह्यय प्रवाह होगा।
  2. विदेशों में दिया गया उधार विदेशी विनिमय की माँग में वृद्धि करेगा जबकि विदेशी विनिमय की पूर्ति अप्रभावित रहेगी जिससे विदेशी विनिमय दर बढ़ जाएगी।