शरीर क्रिया विज्ञान जीव यांत्रिकी और खेल - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 2

CBSE कक्षा 11 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 9 शरीर क्रिया विज्ञान
, जीव यांत्रिकी और खेल
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (3 अंक, 60 शब्द)
प्रश्न 1. गतिशील संतुलन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- किसी व्यक्ति अथवा वस्तु द्वारा गतिशील रहते हुए भी स्थिरता बनाए रखने की स्थिति को गतिशील संतुलन कहते हैं।
गतिशील रहते हुए व्यक्ति का गुरुत्व केन्द्र आधार से बाहर होता है।
उदाहरणः फर्राटा दौड़ को शुरू करते हुए धावक का वजन उसके पैर के आगे होता है लेकिन दौड़ शुरू होते ही वजन के साथ गुरूत्व केन्द्र आगे की तरफ होता है। पानी से भरी बाल्टी एक व्यक्ति दाएँ हाथ से उठाता है लेकिन वह व्यक्ति बाई तरफ को और झुक जाता है ताकि गुरुत्व केन्द्र मध्य में रहे।
पहाड़ पर चढ़ते समय हम आगे की तरफ झुक जाते हैं ताकि हम गिर न जाएं। गुरुत्व केन्द्र को नीचे लाने से संतुलन बना रहता है।
प्रश्न 2. स्थायी संतुलन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- यदि कोई व्यक्ति या वस्तु विस्थापित होने के बाद गुरुत्व केन्द्र को स्थिर कर लेती है या अपने पूर्व स्थिति में आ जाती है, तो उसे स्थायी संतुलन कहते हैं। स्थायी संतुलन का शूटिंग, जिमनास्टिक में हैंडस्टैंड आदि में अधिक महत्त्व होता है।
जिस व्यक्ति या वस्तु का आधार बड़ा होता है और गुरुत्व केन्द्र नीचे होता है उनका स्थाई संतुलन अधिक होता है।
पानी का जहाज स्थिरता के साथ समुद्र में खड़ा रहता है, क्योंकि उसका आधार भारी एवं चौड़ा होता है तथा गुरुत्व केन्द्र नीचे होता है।
प्रश्न 3. हमारे शरीर में कौन से अंग एक उत्तोलक के रूप में कार्य करते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर- हमारे शरीर में निम्नलिखित अंग एक उत्तोलक के रूप में कार्य
  1. प्रथम श्रेणी के उत्तोलक:- एक फुटबॉल खिलाड़ी बॉल को अपने माथे से रोकता है, हमारे खोपड़ी उत्तोलक का काम करती है, खोपड़ी का पिछला हिस्सा बल का कार्य करता है फुटबॉल भार का कार्य करती है।

  2. द्वितीय श्रेणी के उत्तोलकः- जब हम चलते हैं तब हमारी पिंडली बल का कार्य करती है, हमारा शरीर भार का कार्य करता है तथा पैर की हड्डी धुरी का कार्य करती है। शरीर का भार अर्थात् हमारी टांग जैसे हम आगे बढ़ाते हैं, पिंडली से हमें मिलता है एवं पैर की वॉल धुरी का कार्य करती है।


     
  3. तृतीय श्रेणी के उत्तोलकः तृतीय श्रेणी के उत्तोलक में बल मध्य में तथा धुरी व भार सिरे पर होते हैं। हमारी कोहनी धुरी की तरह काम करती है, ठपबमच डनेबसम बल एवं हाथ भार का कार्य करते हैं, जिससे हम ठपबमच डनेबसम कर सकते हैं।ग्प् दृ च्ीलेपबंस म्कनबंजपवद 149