बाज़ार के रूप तथा कीमत निर्धारण - प्रश्नोत्तर 2
CBSE कक्षा 11 अर्थशास्त्र
बाजार के प्रमुख रूप तथा पूर्ण प्रतियोगिता में किमत निर्धारण
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बाजार के प्रमुख रूप तथा पूर्ण प्रतियोगिता में किमत निर्धारण
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
3-4 अंक वाले प्रश्न
प्र. 1. एक पूर्णतया प्रतियोगी बाजार में क्रेताओं की बड़ी संख्या से क्या परिणाम निकलता है? समझाइए।
उत्तर- इसका परिणाम यह होता है कि कोई भी अकेला क्रेता स्वयं बाजार कीमत को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं होता क्योंकि वह वस्तु के कुल उत्पादन की नगण्य मात्रा खरीदता है।
प्र. 2. एक अल्पाधिकार बाजार में फर्में परस्पर निर्भर क्यों रहती हैं? समझाइए।
उत्तर- फर्मों की परस्पर निर्भरता का कारण यह है कि कोई भी फर्म कीमत और उत्पादन के बारे में कोई निर्णय विरोधी फर्मों की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखकर ही लेती है।
प्र. 3 .पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में फर्मों के प्रवेश और निकासी की स्वतंत्रता के परिणाम समझाइए।
उत्तर- उद्योग में मौजूद फर्म जब असामान्य लाभ प्राप्त कर रही होती है तो फर्म प्रवेश करती है, उससे उद्योग का उत्पादन बढ़ जाता है और बाजार कीमत घट जाती है। फलस्वरूप लाभ घट जाते हैं नई फर्मों का प्रवेश तब तक जारी रहता है जब तक कि असामान्य लाभ घटकर सामान्य लाभ (शून्य) न हो जाए। जब फर्मों की हानि होती है तो वे उद्योग को छोड़ने लगती है और हानि घटने लगती है। फर्मों का उद्योग से जाएगा तब तक जारी रहता है जब तक की हानि समाप्त न हो जाए।
प्र. 4. पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में बाजार के बारे में पूर्ण ज्ञान के परिणाम समझाइए।
उत्तर- बाजार के बारे में पूर्ण जानकारी का अर्थ है कि सभी क्रेताओं और विक्रेताओं को बाजार कीमत की पूर्ण जानकारी है। अतः कोई भी फर्म बाजार कीमत से भिन्न कीमत नहीं ले सकती और कोई भी क्रेता बाजार कीमत से अधिक कीमत नहीं देगा। अतः बाजार में एक ही कीमत रहेगी।
प्र. 5. एकाधिकार प्रतियोगिता को अन्तर्गत माँग वक्र एकाधिकार को अन्तर्गत माँग वक्र की तुलना में अधिक लोचदार क्यों होता है? समझाइए।
उत्तर- जिस वस्तु का निकटतम स्थानापन्न होता है उसकी माँग अधिक लोचदार होती है तथा एकाधिकार प्रतियोगिता के अन्तर्गत उत्पादित वस्तु का निकटतम स्थानापन्न होता है। अतः माँग वक्र अधिक लोचदार होता है तथा एकाधिकार वस्तु का निकटतम स्थानापन्न नहीं होता इसलिए माँग वक्र कम लोचदार होता है।
प्र. 6. एक फर्म पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत कीमत स्वीकारक तथा एकाधिकार में कीमत निर्धारक क्यों होती है? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर- पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म कीमत स्वीकारक होती है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
- फर्मों की संख्या: पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मों की संख्या इतना अधिक होती है कि कोई भी एक फर्म अपनी स्वयं की पूर्ति में कोई प्रभावपूर्ण परिवर्तन नहीं कर सकती। अतः बाजार कीमत अप्रभावित रहती है।
- समरूप वस्तु: पूर्ण प्रतियोगिता में एक उद्योग की सभी फर्मों का उत्पादन समरूप होता है अतः कीमत भी समान रहती है।
- पूर्ण जानकारी: सभी क्रेताओं तथा विक्रेताओं को बाजार कीमत की पूर्ण जानकारी होती है, अतः कोई भी फर्म बाजार कीमत से भिन्न कीमत नहीं ले सकती। अतः बाजार में एक ही कीमत होगी।
एकाधिकार में फर्म कीमत निर्धारक होती है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
- एकाधिकार में एक ही फर्म होती है। अतः पूर्ति पर उसका पूर्ण नियन्त्रण होता है।
- एकाधिकार में वस्तु का कोई निकट स्थानापन्न नहीं होता। इसलिए वस्तु की माँग कम लोचदार होती है।
- नई फर्मों के प्रवेश पर कानूनी, तकनीकी तथा प्राकृतिक प्रतिबंध होते हैं इसलिए बाजार पूर्ति में वृद्धि का कोई डर नहीं होता।
प्र. 7. कीमत विभेद तथा वस्तु विभेद के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कीमत विभेद: वह स्थिति है जिसमें एकाधिकारी एक ही वस्तु के विभिन्न क्रेताओं से भिन्न-भिन्न कीमत लेता है। सामान्यतया ये लाभ को अधिकतम करने के लिए किया जाता है।
वस्तु विभेद: विभेद वह स्थिति है जिसमें एकाधिकार प्रतियोगिता के अन्तर्गत विभिन्न उत्पादन अपनी वस्तु को उसकी बनावट आकार, पैकिंग, ट्रेडमार्क या ब्राण्ड नाम के अनुसार विभेदीकृत या भिन्न प्रकार का बनाने का प्रयत्न करते हैं। यह वे इसलिए करते हैं ताकि बाजार में विरोधी फर्मों से ग्राहकों को अपने उत्पाद की ओर आकर्षित कर सके।
प्र. 8. पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकार में अन्तर निम्नलिखित है-
- पूर्ण प्रतियोगिता
- क्रेताओं तथा विक्रेताओं की अधिक संख्या
- वस्तु समरूप होती है।
- फर्मों को प्रवेश तथा बहिर्गमन की स्वतन्त्रता।
- कीमत पर कोई नियन्त्रण नहीं होता।
- एकाधिकार
- एक विक्रेता तथा अधिक क्रेता।
- वस्तु का निकट स्थानापन्न नहीं होता।
- फर्मों को प्रवेश पर प्रतिबन्ध।
- कीमत पर पूर्ण नियन्त्रण नहीं होता।
प्र. 9. एकाधिकार तथा एकाधिकारी प्रतियोगिता में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- एकाधिकार तथा एकाधिकारी प्रतियोगिता में भेद निम्नलिखित है-
- एकाधिकार
- एक विक्रेता तथा अधिक क्रेता।
- वस्तु का निकट स्थानापन्न नहीं होता।
- फर्मों को प्रवेश पर प्रतिबन्ध।
- विक्रय लागत शून्य
- एकाधिकारी प्रतियोगिता
- क्रेताओं तथा विक्रेताओं की अधिक संख्या
- विभेदीकृत वस्तु होती है।
- फर्मों के प्रवेश तथा बहिर्गमन की स्वतंत्रता।
- ऊँची विक्रय लागतें होती हैं।
प्र. 10. अल्पाधिकार किसे कहते हैं? अल्पाधिकार की विशेषताएँ बताइए?
उत्तर- अल्पाधिकार: यह बाजार का वह रूप है जिसमें किसी वस्तु के कुछ ही बड़े विक्रेता और बड़ी संख्या में क्रेता होते हैं। कीमत तथा उत्पादन नीति के सन्दर्भ में विक्रेताओं के बीच अन्तनिर्भरता पायी जाती है।
अल्पाधिकार की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
अल्पाधिकार की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- कुछ ही फर्में
- अन्तनिर्भरता की ऊँची मात्रा
- गैर-कीमत प्रतियोगिता
- फर्मों के प्रवेश की बाधाएँ
- व्यापार-गुटों का निर्माण