विनिर्माण उद्योग - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 2

 CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान

पाठ -6
विनिर्माण उद्योग


  1. कृषि और उद्योगों का साथ-साथ चलना किसी भी देश के विकास में किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ?
    उत्तर-  कृषि और उद्योग एक दूसरे से पृथक नहीं है ये एक दूसरे के पूरक है। उदाहरणार्थ, भारत में कृषि पर आधारित उद्योगों ने कृषि पैदावार बढ़ोत्तरी को प्रोत्साहित किया है। ये उद्योग कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर हैं तथा इनके द्वारा निर्मित उत्पाद - जैसे सिंचाई के लिए पंप, उर्वरक कीटनाशक दवाएँ, प्लास्टिक पाइप , मशीनें व कृषि औज़ार आदि पर किसान निर्भर है। इसलिए विनिर्माण उद्योग के विकास तथा स्पर्धा से न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिला है अपितु उत्पादन प्रक्रिया भी सक्षम हुई है।
  2. उद्योगों की स्थापना में प्रमुख सहायता कारकों पर प्रकाश डालते हुए देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने में उद्योगों की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
    उत्तर- उद्योगों की स्थापना स्वभावतः जटिल है। इनकी स्थापना कच्चे माल की उपलब्धता से प्रभावित होती है। इन सभी कारकों का एक स्थान पर पाया जाना संभव नहीं है विनिर्माण उद्योग की स्थापना के लिए वही स्थान उपयुक्त है जहाँ ये कारक उपलब्ध हो अथवा जहाँ इन्हें कम कीमत पर उपलब्ध कराया जा सकता है। औद्योगिक प्रक्रिया के प्रारंभ होने के साथ-साथ नगरीकरण प्रारंभ होता है।
    कभी-कभी उद्योग शहरों में या उनके निकट लगाए जाते हैं। औद्योगिक तथा नगरीकरण साथ-साथ चलते हैं। नगर उद्योगों को बाज़ार तथा सेवाएं जैसे -बैंकिंग, बीमा, परिवहन श्रमिक तथा वित्तीय सलाह आदि उपलब्ध कराते हैं। कई उद्योग नगरों के पास केंद्रित होने को समूहन बचत कहते हैं।
  3. आपके विचार में महाराष्ट्र और गुजरात में ऐसी कौन-सी अनुकूल परिस्थितियां हैं, जिसके कारण प्रारम्भिक वर्षों में अधिकांश सूती वस्त्र मिले वहीं पर स्थापित हुई। वर्णन कीजिए।
    उत्तर- आरंभिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही सीमित थे। कपास की उपलब्धता बाजार, परिवहन, पत्तनों की समीपता, आम नमीयुक्त जलवायु आदि के कारकों ने इसके स्थानयीकरण को बढ़ावा दिया। इस उद्योग का कृषि से निकट का संबंध है और कृषकों, कपास चुनने वालों, गाँठ बनाने वालों, कताई करने वालों, रंगाई करने वालों, डिज़ाइन बनाने वालों, पैकेट बनाने वालों और सिलाई करने वालों को यह जीविका प्रदान करता है।
  4. भारत के लिये रसायन उद्योग बहुत महत्वपूर्ण क्यों है। इस कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
    उत्तर- भारत में रसायन उद्योग तेजी से विकसित हो रहा तथा फैल रहा है। इसकी भागीदारी सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 3 प्रतिशत है। यह उद्योग एशिया का तीसरा बड़ा तथा विश्व में आकार की दृष्टि से 12वें स्थान पर है। इसमें लघु तथा बृहत दोनों प्रकार की विनिर्माण इकाइयाँ सम्मिलित हैं। अकार्बिनिक और कार्बनिक दोनों क्षेत्रों में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है।
  5. देश में उद्योगों के असमान विकास का आपकी दृष्टि में क्या कारण हैस्पष्ट कीजिए।
    उत्तर- उद्योगों के असमान विकास के निम्नलिखित कारण हैं:-
    1. उद्योगों की स्थापना जटिल है। इसके कच्चे माल की उपलब्धता, श्रमिक, पूँजी, शक्ति के साधन तथा बाज़ार आदि की उपलब्धता से प्रभावित होती है। इन सभी कारकों को एक स्थान पर पाया जाना लगभग असंभव है। फलस्वरूप विनिर्माण उद्योग की स्थापना के लिए वही स्थान उपयुक्त है जहाँ ये कारक उपलब्ध हों।
    2. सरकार की गलत नीतियों के कारण से भी उद्योगों पर गलत प्रभाव पड़ता है।
  6. इलैक्ट्रोनिक उद्योग ने भारत के आम लोगों के जीवन और देश की अर्थव्यवस्था में क्रान्तिकारी परिवर्तन ला दिया है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं अपने विचार व्यक्त कीजिए।
    उत्तर-
    1. इस उद्योग के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के उत्पाद व्यापक रूप से तैयार किए जाते हैं जैसे-ट्रांजिस्टर, टेलिविजन, टेलिफोन, सेल्युलर फोन, पेजर, कम्प्यूटर, टेलीफोन एक्सचेंज आदि।
    2. यह उद्योग डाकघरों, तारघरों, रक्षा, रेलवे, बैंक, वायुपरिवहन और मौसम विभाग के लिए उनकी आवश्यकतानुसार अनेक प्रकार के उपकरण तैयार करता है।
    3. संचार में लाखों लोग मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे हैं।
    4. सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग से 31 मार्च 2005 तक 10 लाख से ज्यादा को रोजगार मिला है।
    5. यह उद्योग विदेशी मुद्रा कमाने वाला प्रमुख उद्योग है क्योंकि इससे बहुत बड़ी संख्या में लोगों को विदेशों में रोजगार मिल रहा है।
  7. क्या आप इस कथन से सहमत है कि कुटीर उद्योग भी भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है कुटीर उद्योगों की उपयोगिता पर, अपने विचार व्यक्त कीजिए।
    उत्तर- कुटीर उद्योग लघु स्तर के उद्योग होते हैं जो ग्रामीण और कृषि आधारित जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करती है तथा रोजगार के स्रोत के रूप में अतिरिक्त आय का स्रोत भी उपलब्ध करवाती है। भारत की अधिकतर जनसंख्या ग्रामीण है तथा लघु उद्योगों में ही कार्यरत्त है। इसकी देश की अर्थवयवस्था और सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण भूमिका है।