रोजगार-संवृद्धि अनौपचारीकरण एवं अन्य मुद्दे (2019-20 के लिए) - नोट्स 1

CBSE कक्षा 11 अर्थशास्त्
पाठ - 8 मुद्रास्फीति समस्या व नीतियाँ
पुनरावृत्ति नोट्स

स्मरणीय बिन्दु-
  • सामान्य शब्दों में मुद्रास्फीति का तात्पर्य कीमतों का बढ़ना है। मुद्रास्फीति कीमत स्तर में लगातार होने वाली वृद्धि है। इससे मुद्रा की क्रय-शक्ति में गिरावट आ जाती है। मुद्रास्फीति में सभी वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि नही होती है परंतु कई वस्तुओं के मूल्य में गिरावट भी आती है। मुद्रास्फीति के विपरीत स्थिति को अवस्फीति कहते हैं।
    मुद्रास्फीति दो प्रकार की होते है।
    1. माँग प्रेरित मुद्रास्फीति
    2. लागत जन्य मुद्रास्फीति
  • माँग प्रेरित मुद्रास्फीति:- जब वस्तुओं की माँग उनकी पूर्ति से अधिक हो, उस कारण मूल्य-स्तर में वृद्धि से तो इसे माँग प्रेरित मुद्रास्फीति कहते हैं।
  • माँग प्रेरित मुद्रास्फीति के कारण
    1. मुद्रा की आपूर्ति में वृद्धि
    2. जनसंख्या में तीव्र वृद्धि
    3. सार्वजनिक व्यय में वृद्धि
    4. काले धन में वृद्धि
    5. साख में विस्तार
  • लागत जन्य मुद्रास्फीति:- जब कीमतों में वृद्धि, उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण होती है तो इस प्रकार के मुद्रास्फीति को लागत जन्य मुद्रास्फीति कहते हैं। उस प्रकार की मुद्रास्फीति में वस्तुओं की पूर्ति में भी कमी आती है।
  • लागत जन्य मुद्रास्फीति को कारण
    1. उत्पादन में कमी
    2. मजदूरी दर में वृद्धि
    3. करों में वृद्धि
    4. पेट्रोलियम तेल की कीमत में वृद्धि
  • मुद्रास्फीति को प्रभाव / मुद्रास्फीति एक समस्या
    1. मुद्रास्फीति आर्थिक वृद्धि की प्रक्रिया को रोकता है।
    2. क्रय शक्ति में कमी होने से गरीबी में वृद्धि।
    3. जमाखोरी एंव कालाबाजारी को बढ़ावा।
    4. जीवन की गुणवत्ता में कमी।
    5. प्रोजेक्ट के कीमत में वृद्धि।
  • मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की नीतियाँ
    1. राजकोषीय नीति
      1. सार्वजनिक व्यय पर नियंत्रण
      2. कर की दरों में वृद्धि
      3. सार्वजनिक ऋण में वृद्धि
      4. घाटे की वित्त व्यवस्था पर नियंत्रण
    2. मौद्रिक नीति
      1. मुद्रा की आपूर्ति पर नियंत्रण
      2. ब्याज की दर में वृद्धि
      3. साख की आपूर्ति में कमी
    3. अन्य उपाय
      1. कीमत नियंत्रण एंव ग्रामीण राशनिंग
      2. जमाखोरी एंव कालाबाजारी पर नियन्त्रण
      3. मौद्रिक मजदूरी पर नियंत्रण
      4. आयात व उत्पादन में वृद्धि