उत्पादक व्यवहार तथा पूर्ति - प्रश्नोत्तर 2

CBSE कक्षा 12 उत्पादन का व्यवहार और पूर्ति
अर्थशास्त्र महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

3-4 अंक वाले प्रश्न
प्र. 1. कारक के वर्धमान प्रतिफल की अवस्था में कुल उत्पाद के व्यवहार की व्याख्या संख्यात्मक उदाहरण की सहायता कीजिए।
उत्तर- वर्धमान प्रतिफल कारक के प्रतिफल नियम की प्रथम अवस्था है जब उत्पादन में वृद्धि हेतु किसी एक परिवर्ती कारक की इकाइयों को लगातार बढ़ाया जाता है तो परिवर्ती कारक का कुल भौतिक उत्पाद एक निश्चित अवस्था तक बढ़ती दर से बढ़ता है।
मशीन
श्रमिक
कुल भौतिक उत्पाद
1
1
10
1
2
24
1
3
42
प्र. 2. कुल बंधी लागत व कुल परिवर्ती लागत के बीच उदाहरण की सहायता से अन्तर कीजिए।
उत्तर- कुल बंधी लागत व कुल परिवर्ती लागत के बीच अंतर निम्नलिखित है-
  • कुल बंधी लागत
    1. यह उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर समान रहती है अर्थात् उत्पादन के बढ़ने अथवा घटने पर भी स्थिर रहती है।
    2. उत्पादन के शून्य स्तर पर भी यह शून्य नहीं होती।
    3. इसका वक्र x अक्ष के समान्तर होता है।
    4. उदाहरण- किराया, स्थाई कर्मचारी का वेतन।
  • कुल परिवर्ती लागत
    1. यह उत्पादन की मात्रा के अनुसार बढ़ने पर यह बढ़ जाती है तथा उत्पादन में कमी आने पर यह घट जाती है।
    2. उत्पादन के शून्य स्तर पर यह शून्य होती है।
    3. इसका वक्र कुल लागत वक्र के समान्तर होता है।
    4. उदाहरण- दैनिक मजदूरी व कच्चे माल की लागत।
प्र. 3. एक ही वक्र पर औसत कुल लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा सीमान्त लागत को प्रदर्शित कीजिए/अथवा इनको मध्य सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
  1. MC, AC व AVC को उनके न्यूनतम बिन्दु पर काटती है।
  2. MC के कटाव बिन्दु से पूर्व AC व AVC दोनों घटती हैं तथा MC से अधिक होती हैं किन्तु कटाव बिन्दु के बाद AC व AVC बढ़ने लगती है। इस स्थिति में MC, AC व AVC से अधिक हो जाती है।
  3. उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ AC व AVC का अन्तर कम होता चला जाता है किन्तु यह अन्तर कभी शून्य नहीं होता।
प्र. 4. औसत कुल लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा औसत बंधी लागत को एक ही वक्र पर प्रदर्शित कीजिए / अथवा इनके मध्य सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
  1. AC, AVC व AFC योग होता है।
  2. उत्पादन वृद्धि से AC व AVC का अन्तर कम होने लगता है किन्तु AC व AFC के बीच अन्तर बढ़ता जाता है।
  3. AC व AVC के बीच लम्बवत् दूरी AFC के कारण होती है।
  4. AC व AVC कभी समान नहीं होती क्योंकि AFC कभी शून्य नहीं होता।
प्र. 5. औसत संप्राप्ति एवं सीमान्त सम्प्राप्ति के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए जब फर्म प्रति इकाई कीमत कम करके वस्तु की अतिरिक्त इकाई बेच सकती है।
उत्तर-
  1. AR व MR दोनों घटते हैं।
  2. MR, AR की तुलना में तेजी दर से घटता है।
  3. MR घटते-घटते शून्य व ऋणात्मक हो जाता है किन्तु AR कभी शून्य नहीं होता।
प्र. 6. पूर्ति में परिवर्तन तथा पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन के बीच अन्तर कीजिए।
उत्तर- पूर्ति में परिवर्तन तथा पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन के बीच अन्तर निम्नलिखित है-
  • पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन-
    1. यह वस्तु की कीमत में परिवर्तन के कारण पूर्ति में होने वाला बदलाव है।
    2. इस स्थिति में पूर्ति के अन्य निर्धारक तत्व अपरिवर्तित रहते हैं।
    3. इस स्थिति में पूर्ति का नियम लागू होता है।
    4. पूर्ति वक्र पर इस स्थिति में ऊपर अथवा नीचे की ओर संचलन होता है।
  • पूर्ति में परिवर्तन-
    1. यह वस्तु की कीमत के अलावा पूर्ति के अन्य निर्धारकों में परिवर्तन के कारण पूर्ति में होने वाला परिवर्तन है।
    2. इस स्थिति में वस्तु की कीमत अपरिवर्तित रहती है।
    3. इस स्थिति में पूर्ति का नियम क्रियाशील नहीं होता।
    4. पूर्ति वक्र इस स्थिति में दायीं ओर या बायीं ओर खिसक जाता है।
प्र.7. आगतों की कीमतों में परिवर्तन (वृद्धि/कमी) का वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर- आगतों की कीमतों में परिवर्तन का वस्तु की पूर्ति पर पड़ने वाले प्रभाव निम्न है-
  • आगत कीमत में वृद्धि का पूर्ति पर प्रभाव : आगतों की कीमतों में वृद्धि से वस्तु की पूर्ति में कमी आती है। क्योंकि आगतों की कीमतों में वृद्धि से उत्पादन लागत बढ़ जाती है। लागत में वृद्धि होने से उत्पादक का लाभ कम होता है जिससे वह वस्तु की पूर्ति कम कर देता है।
  • आगत कीमतों में कमी का पूर्ति पर प्रभाव : आगतों की कीमत में कमी से वस्तु की पूर्ति में वृद्धि होती है क्योंकि आगतों की कीमतों में कमी से वस्तु की उत्पादन लागत घट जाती है। लागत में कमी होने पर उत्पादक के लाभ बढ़ जाते हैं। लाभ में होने वाली वृद्धि उत्पादक को पूर्ति में वृद्धि के लिए प्रेरित करती है।
प्र. 8. सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन (वृद्धि/कमी) का वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर- सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन का किसी वस्तु की पूर्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसे निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
  1. सम्बन्धित अन्य उत्पाद की कीमत में वृद्धि : किसी वस्तु से सम्बन्धित अन्य उत्पादों की कीमत में वृद्धि होती है तो इन उत्पादों का उत्पादन लाभप्रद हो जाएगा जिससे इनकी पूर्ति में वृद्धि होगी। परिणामतः दी गई वस्तु की पूर्ति में कमी आएगी।
  2. सम्बन्धित अन्य उत्पादन की कीमत में कमी : यदि किसी वस्तु से सम्बन्धित अन्य उत्पादों की कीमत में कमी होती है तो इन उत्पादों के उत्पादन से होने वाले लाभ में कमी आएगी। जिससे अन्य उत्पादों के उत्पादन में कमी आएगी। परिणामतः दी गई वस्तु के तुलनात्मक लाभ बढ़ जायेंगे और इनकी पूर्ति में वृद्धि होगी।
प्र. 9. स्पष्ट कीजिए कि तकनीकी प्रगति वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव डालती है?
उत्तर- तकनीकी में होने वाला परिवर्तन उत्पादन लागत को प्रभावित करता है जिससे वस्तु की पूर्ति प्रभावित होती है। यदि तकनीक में सुधार/प्रगति होती है अथवा फर्म श्रम प्रधान के स्थान पर पूँजी प्रधान तकनीक का प्रयोग करती है तो उत्पादन लागत में कमी आएगी तथा उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। लाभ में होने वाली वृद्धि से पूर्ति में वृद्धि होगी।
प्र. 10. जैसे-जैसे उत्पादन में वृद्धि की जाती है, औसत स्थिर लागत का व्यवहार क्या रहता है? ऐसा क्यों होता है?
उत्तर- जैसे-जैसे उत्पादन में वृद्धि होती है, औसत स्थिर लागत लगातार गिरती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर कुल स्थिर लागत समान रहती है तथा औसत स्थिर लागत ज्ञात करने के लिए कुल स्थिर लागत को उत्पादन की मात्रा से भाग किया जाता है।
प्र. 11. एक व्यक्ति किराए पर ली गई दुकान का मालिक भी है और मैनेजर भी। इस सूचना में अंतर्निहित लागत और स्पष्ट लागत की पहचान कीजिए। समझाइए।
उत्तर- स्वामी का अनुमानित वेतन अंतर्निहित लागत है क्योंकि यदि वह किसी और की फर्म में कार्य करता तो उसे वेतन मिलता।दिया गया किराया स्पष्ट लागत है। क्योंकि यह आगत पर किया गया मौद्रिक व्यय है।
प्र. 12. पूर्ति तालिका क्या होती है? यदि किसी वस्तु के उत्पादन पर सरकार आर्थिक सहायता देती है तो उस वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है? समझाइए।
उत्तर- वह तालिका जो एक समय के दौरान विभिन्न कीमतों पर पूर्ति की गई मात्रा को दर्शाती है, पूर्ति तालिका कहलाती हैं।सरकार द्वारा दी गई आर्थिक सहायता से लागत के अपरिवर्तित रहने पर लाभ बढ़ जाते हैं। इसके फलस्वरूप पूर्ति बढ़ जाती है।