माँसपेशीय गति विज्ञान एवं खेल कूद - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE Class -12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 10 माँसपेशीय गति विज्ञान
,
जीव यांत्रिकी एवं खेल कूद
Important Questions

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (5 अंक)
प्रश्न-1. न्यूटन के गति के नियमों का खेलकूद के क्षेत्र में योगदान विस्तार से व्याख्या कीजिए?
उत्तर- गति के नियम (Lows of Motion) आइजैक न्यूटन द्वारा प्रतिपादित गति के तीन नियमों का वर्णन नीचे दिया गया है-
  1. न्यूटन का गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion) न्यूटन के प्रथम नियम को जड़ता का नियम भी कहा जाता है। इसके अनुसार, “कोई भी वस्तु स्थिर या गतिशील अवस्था में तब तक रहेगी जब तक उस पर कोई बाह्य बल नहीं लगाया जाता।” हर वस्तु अपनी अवस्था परिवर्तन का प्रतिरोध करती है। इसको जड़ता कहा जात है। विभिन्न खेलकूद क्रियाओं में Start लेते समय जड़ता के नियम का प्रयोग किया जाता है। जैसे- नाव खेना, रोमन रिंग, स्प्रिंट दौड़, वेट लिफ्टिंग, कुश्ती आदि।
  2. न्यूटन का गति का दुसरा नियम (Newton's Second Law of Motion)- न्यूटन के दूसरे नियम को गतिवर्धन का नियम भी कहा जाता है। इस नियम के अनुसार, किसी वस्तु की गति में परिवर्तन, लगाए गए बल के समानुपाती होता है और यह लगाए गए बल की सीधी रेखा में होता है तथा अधिक संहति वाली वस्तु की गति में परिवर्तन के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है। जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है तो उसका त्वरण लगाए गए बल के समानुपाती तथा संहति के विलोमानुपाती होता है।
    यदि दो भिन्न-भिन्न संहति (Mass) वाली वस्तुओं पर समान बल लगाया जाता है तो कम संहति वाली वस्तु अधिक तेज गति से चलेगी। इस प्रकार दूसरा नियम बल (Force) संहति (mass) और त्वरण (acceleration) के बीच सही संबंध स्थापित करता है। गणितीय समीकरण से इसको निम्नलिखित रूप मे व्यक्त किया जा सकता है-
    F = ma
    जहाँ F = बाह्य बल
    m = संहति (भार)
    a = त्वरण
    यह नियम कई खेलों में लागू होता है। जैसे- हैमर थ्रो (Hammer Throw) जी हैमर फेंकने वाला अधिक शक्तिशाली होता है वह 12 पौंड के हैमर को अधिक दूरी तक फेंक देता है, जबकि कम शक्तिशाली हैमर थ्रोअर उतनी दूरी तक नहीं फेंक पाता। एक ही व्यक्ति समान बल लगाकर 16 पौंड के हैमर की बजाय 12 पौंड के हैमर को अधिक दूरी तक फेंक सकता है। हम चलने की अपेक्षा दौड़ने में अधिक बल लगाते हैं, क्योंकि बल, गति के समानुपाती होता है।
  3. न्यूटन का गति का तीसरा नियम (Newton's Third Law Motion) इसे प्रतिक्रिया का नियम भी कहा जाता है इस नियम के अनुसार, “प्रत्येक क्रिया की हमेशा बराबर तथा विपरीत परिमाण में प्रतिक्रिया होती है।” दूसरे शब्दों में यदि एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाए तो दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर समान व विपरीत बल लगाती है। इसको क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम भी कहा जाता है।
    इस नियम का प्रयोग कई खेलों में किया जाता है-
    1. तैराकी (Swimming)- तैराकी करते समय तैराक पानी को पैरों से पीछे धकेलता हैं। वह जितनी शक्ति से पानी को पीछे धकेलती है, पानी प्रतिक्रिया स्वरूप उसे उतनी ही शक्ति से आगे धकेलता है।
    2. शूटिंग (Shooting)- पिस्टल से गोली चलते ही गोली आगे की ओर निकलती है और उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप पिस्टल को पीछे की ओर धकेलती है। एक अच्छे शूटर के लिए इस नियम का ज्ञान आवश्यक है।
    3. पैदल चाल (Walking)- जब व्यक्ति पैदल चलता है तो वह पैरों से जमीन को पीछे धकेलता है और जमीन उसे आगे की ओर धकेलती है। वह जितनी शक्ति से जमीन को पीछे धकेलेगा जमीन उसी शक्ति (प्रतिक्रिया) से उसे आगे धकेलेगी।
    4. नाव खेना (Rowing)- नाविक जिस शक्ति से चप्पू द्वारा पानी को पीछे धकेलेगा तो पानी भी नाव की उतनी ही शक्ति से आगे धकेलेगा।
      इस नियम का खेलों में बहुत प्रयोग किया जाता है। खिलाड़ियों का इस नियम का ज्ञान होना जरूरी है।
प्रश्न- 2. प्रक्षेप्य क्या है प्रक्षेप्य पथ को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारको की व्याख्या कीजिए?
अथवा
प्रक्षेप्य-पथ (Projectile Trajectory) को प्रभावित करने वाले कारकों की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
  1. प्रक्षेपण का कोण (Angle of Projection)- एक ही वस्तु को जब अलग-अलग कोणों से एक समान प्रारंभिक वेग (Initial Velocity) द्वारा प्रक्षेपित किया जाता है तो वह अलग-अलग दूरी तय करती है।

    जैसे:- जब एक वस्तु को 25° के कोण से प्रक्षेपित किया जाता है तो वह कम दूरी तय करती है। परन्तु जब उसी वस्तु को उसी वेग से 45° से प्रक्षेपित किया जाता है तो वह अपेक्षाकृत अधिक दूरी तय करती है।
  2. प्रक्षेपण की ऊँचाई तथा लैडिंग सतह में संबंध (Relation between projection Hight and landing surface)
    1. प्रक्षेपण की ऊचाई व लैडिग सतह समान होने पर वस्तु को 45° को कोण से प्रक्षेपित करना चाहिए। जिससे वस्तु के अधिक दूरी तय कर सकेगी।
    2. लैडिंग सतह का स्तर प्रक्षेपण की ऊँचाई से अधिक होने पर वस्तु को 45° से अधिक को कोण से प्रक्षेपित करना चाहिए। जिससे वह वस्तु अधिक दूरी तय कर सकेगी।
    3. लैडिंग सतह का स्तर प्रक्षेपण की ऊँचाई से कम होने पर वस्तु को 45° से कम के कोण प्रक्षेपित करना चाहिए। जिससे वस्तु अधिक दूरी तय कर सकेगी। उपरोक्त स्थितियों में प्रक्षेपण के कोण बदलने से वस्तु अधिक देर तक हवा में रहेंगी जिससे उसे अधिक दूरी तय करने का अच्छा 45° से कम कोण अवसर मिलेगा। इसी सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए जैवलिन थ्रोअर (Javeline Throwes) जैवलिन को ऊपर की ओर से पकड़ते है ताकि फेंकते हुए जैवलिन अधिक ऊँचाई प्राप्त कर सके।
  3. प्रारंभिक वेग (Intial Velocity)- प्रारंभिक वेग अधिक होने पर वस्तु अधिक दूरी तय करती है जबकि प्रांरभिक वेग कम होने पर कम दूरी तय करती है।
  4. गुरूत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)- प्रक्षेपित वस्तु का भार जितना अधिक होगा उस पर लगने वाला गुरूत्वाकर्षण बल भी उतना ही अधिक होगा। गुरूत्वाकर्षण बल जितना अधिक होगा वस्तु की प्रक्षेपित ऊचाई उतनी ही कम होगी।
  5. वायु प्रतिरोधक (Air Resistance)- जब प्रक्षेपित वस्तु हवा में गतिमान होती है तो हवा का प्रतिरोधक उसकी गति को कम कर देता है हवा का प्रतिरोध जितना अधिक होगा वस्तु की गति उतनी ही कम हो जाएगी। हालांकि वायु प्रतिरोध की मात्रा विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। जैसे कि-
    1. यदि प्रक्षेपित वस्तु की सतह खुरदरी होगी तो उस पर लगने वाला प्रतिरोध अधिक होगा, जबकि चिकनी सतह होने पर उस वस्तु पर लगने वाला प्रतिरोध कम होगा।
    2. प्रक्षेपित वस्तु की गति बढ़ने के अनुरूप उस पर लगने वाला प्रतिरोध भी बढ़ता जाएगा।
    3. प्रक्षेपित वस्तु पर संहति (Mass) जितना कम होगा उस पर लगने वाला प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा।
  6. स्पिन/घूर्णन (Spin)- जब प्रक्षेपित वस्तु हवा में घूमते हुए गतिमान होती है तो वस्तु के ऊपरी हिस्से पर उच्च वायुदाब तथा निचले हिस्से पर कम वायुदाब को क्षेत्र बन जाता है वायु को उच्च से निम्न वायुदाब की ओर गति करने के कारण वस्तु नीचे की ओर गोता लगाते हुए कम दूरी तय कर पाती है।
प्रश्न-3. विभिन्न प्रकार के गतिविधियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- किसी भी प्रकार की क्रिया जिसके कारण स्थिति, स्थान या आसन में परिवर्तन शारीरिक गतिविधियाँ मुख्य रूप से निम्न प्रकार की होती है-
  1. फ्लेक्शन (Flexion): फ्लेक्शन गतिविधि के दौरान जोड़ों को मोड़ने के कारण दो हड्डियों के बीच की दूरी कम होती है। वजन उठाने के दौरान दो हड्डियों का पास फ्लेक्शन गतिविधि का उदाहरण है।
  2. एक्सटेंशन (Extension): एक्सटेशन गतिविधि के दौरान जोड़ों में खिंचाव के कारण दो हड्डियों के बीच की दूरी बढ़ती है। वजन नीचे रखने के दौरान हड्डियों का एक-दूसरे से दूर जाना एक्सटेंशन गतिविधि का उदाहरण है।
  3. एबडक्शन (Abduction): एबडक्शन गतिविधि क दौरान जोड़ शरीर की मध्य रेखा से दूर होते जाते है।
  4. एडडक्शन (Adduction): एडडक्शन गतिविधि क दौरान जोड शरीर की मध्य रेखा के निकट होते जाते है।
प्रश्न-4. अक्ष (Axes) और सतह (Plane) किसे कहते है। अक्ष और सतह के प्रकार का वर्णन करों?
उत्तर- अक्ष और सतह की अवधारणा (Introduction to Axes and Planes)
“ऐसी काल्पनिक रेखा या बिन्दु जिस पर कोई गतिविधि सम्पन्न होती है, अक्ष कहलाती।”
अक्ष मुख्य रूप से निम्न प्रकार के होते है-
  1. फ्रंटल एक्सिस (Frontal Axis): इसके अंतर्गत गति क्षैतिज दिशा से दाएं से बाएं होती है।
  2. सैजिटल एक्सिस (Sagittal Axis): इसके अंतर्गत गति दिशा में आगे से पीछे होती है।
  3. वर्टिकल एक्सिस (Vertical Axis): इसके अतंर्गत गति गुरुत्व के लंबवत् होती है।
सतह (Plane)
“काल्पनिक लंबाई व चौड़ाई वाला क्षेत्र जिस पर होने वाले परिवर्तनों के कारण शरीर या कोई वस्तु गतिमान होते है।”
समतल सतह मुख्य रूप से निम्न प्रकार की होती है-
  1. एंटीरियों पोजिशन प्लेन (Anterior position plan): यह शरीर से होकर गुजरने वाली लंबवत् सतह होती है जो आगे से पीछे की ओर समकोण पर बांटते हुए तथा दाएं भाग और बाएं भाग को बराबर बांटती है।
  2. फ्रंट लेटरल प्लेन (Frontal lateral plan): शरीर से गुजरने वाली लंबवत् सतह जो एक तरफ Interior या Position अर्द्ध में होती है।
  3. होरीजोंटल या ट्रांसवसेंस एलेन (Horizontal or transverse plan): क्षैतिज प्लेन को ऊपरी और निम्न अर्द्ध में विभाजित करता है।
  4. डॉयग्नल (Diagonal or oblique plans): यह एक से अधिक प्लेन का मिश्रण है। खेलों में इसका प्रयोग सबसे ज्यादा होता है।
Plane
Motion
Axis
Example
सेंगिटल
फ्लेक्शन/एक्सटेंशन
फ्रंटल
पैदल-चाल
उठक-बैठक
फ्रंटल
एब्डक्शन/एब्डक्शन
साइड फ्लेशन
इनवरजन/एवरसन
संगिटल
आकाश कूद
दायें-बायें मुड़ना
ट्रासंवर्सेस
होरिजेंटल/एक्सटेंशन
वर्टिकल
फेंकना
गेसबॉल स्विंग
गोल्ड स्विंग