योग - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

 CBSE कक्षा 11 शारीरिक शिक्षा

पाठ - 5 योग
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर


दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (5 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न 1. सुखासन को विस्तृत रूप में बताइए।

उत्तर- सुखासन- सुखासन का शाब्दिक अर्थ होता है सुख देने वाला आसन। जब भी हम आसन को करते हैं तो सच में ही हमें आत्मीय शांति और सुख की प्राप्ति होती है, यही कारण है कि हम इस आसन को सुखासन के नाम से जानते है।

सुखासन की विधि-

  1. सुखासन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर चटाई या दरी बिछा लें।
  2. अपने दोनों पैरों को सामने और सीधे रखें।
  3. अपने एक पैर की ऐड़ी अपने दूसरे पैर की जंघा के नीचे रखे फिर दूसरे पैर की ऐड़ी को भी इसी प्रकार से रखें। ऐसा करके आप पालथी में आ जाओगे।
  4. अपनी पीठ और मेरूदण्ड को बिल्कुल सीधा रखें।
  5. अपने कंधों को ढ़ीला छोड़ते हुए अपनी साँस को पहले अन्दर की ओर ले फिर बाहर की ओर छोड़े।
  6. अपनी हथेलियों को एक के ऊपर एक करके अपनी पलथी के ऊपर रखें।
  7. अपने सिर को ऊपर उठाते हुए अपनी दोनों आँखों को बंद कर ले।
  8. अपना पूरा ध्यान अपनी श्वास क्रिया पर लगाते हुए साँस लम्बी व गहरी लें।

सुखासन करने के लाभः-

  1. मानसिक सुख व शांति का अनुभव होना।
  2. चिता, अवसाद या फिर क्रोध में लाभदायक।
  3. बैठने की सही आदत का बनना।
  4. मन की चंचलता को कम करने में सहायक।
  5. रीढ़ की हड्डी में होने वाली रोगों से निजात मिलना।
  6. हमारा चित शांत और मन एकाग्रस्त हो जाता है।

सुखासन की सावधानियाँः-

  1. घुटनों के दर्द में न करें।
  2. रीढ़ की चोट में ध्यानपूर्वक आसन को करना चाहिए।
  3. अपने शरीर की प्रक्रिया को समझकर उसके अनुरूप आसन को करना चाहिए।
  4. इस आसन को एकांत में करना चाहिए और अगर आप इसे आध्यात्मिक रूप से कर रहे हो तो आप को पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके इस आसन को करना चाहिए।

प्रश्न 2. पद्मासन को विस्तृत रूप में बताइए।

उत्तर- पद्मासन- पद्मासन संस्कृत शब्द पद्य से निकला है जिसका अर्थ होता है-कमल। इस आसन में शरीर बहुत हद तक कमल जैसा प्रतीत होता है। इसीलिए इसको कमल मुद्रा (Lotus Pose) भी कहते हैं। 

विधिः-

  1. जमीन पर बैठ जाऐं।
  2. दायाँ पाव मोड़े तथा दाएँ पैर को बाई जांघ के ऊपर तथा कूल्हों के पास रखे।
  3. ध्यान रहे दाएँ एड़ी से पेट के निचले बाँए हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए।
  4. बायाँ पांव मोड़े तथा बाएँ पैर को दाएँ जांघ के ऊपर रखे।
  5. यहाँ भी बांई एड़ी से पेट के निचले दाएँ हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए।
  6. हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों के ऊपर रखें।
  7. रीढ़ की हड्डी को सीधे रखें।
  8. धीरे-धीरे साँस ले और धीरे-धीरे साँस छोड़ें।
  9. अपने हिसाब से इस अवस्था को बनाए रखें।
  10. फिर धीरे-धीरे आप अपनी आंरभिक अवस्था में आ जाएँ।

पद्मासन के लाभ-

  1. ध्यान के लिए पद्मासन एक अति उत्तम योग अभ्यास है जो आपको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक की ओर लेकर जाता है और ध्यान की ओर अग्रसर करते हुए आपको शांति तथा धैर्य प्रदान करता है।
  2. इस आसन के अभ्यास से आपके चेहरे में एक नई प्रकार की रोनक आ जाती है और आपका चेहरा खिला खिला लगता है।
  3. रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
  4. यह पाचन क्रिया को बेहतर करते हुए कब्ज को दूर करने में सहायक है।
  5. स्मृति बढ़ने में सहायक है।
  6. पद्मासन एकाग्रता को बढ़ाता है।
  7. पेट के अंगों को स्वस्थ बनाता है।

पद्मासन की सावधानी-

  1. घुटने के दर्द में न करें।
  2. टखने के दर्द में न करें।
  3. साइटिका, कमर दर्द में न करें।

प्रश्न 3. ताड़ासन को विस्तृत रूप में बताइए।

उत्तर- ताड़ासन- यह एक ऐसा योगासन है जो मांसपेशियों को ही नहीं बल्कि सूक्ष्म मांसपेशियों को भी बहुत हद तक लचीला बनाता है।

ताड़ासन के विभिन्न नाम-

  1. पर्वतासन- इसे पर्वत योग मुद्रा भी कहा जाता है क्योंकि पर्वत की तरह यह स्थिर एवं शांत प्रतीत होता है।
  2. पाम ट्री योग- इसे पाम ट्री के नाम से इसीलिए जाना जाता हैं क्योंकि खजूर के पेड़ की तरह लम्बा जान पड़ता है।
  3. स्वर्गीय योग- इसमें साधक अपने आपको स्वर्ग की ओर खींचता हुआ प्रतीत होता है इसीलिए इसे स्वर्गीय योग के नाम से भी जाना जाता है।

विधिः-

  1. इसके लिए आप सबसे पहले खड़े हो जाए और अपने कमर और गर्दन को सीधा रखें।
  2. जब आप अपने हाथ को सिर के ऊपर करें और साँस लेते हुए धीरे-धीरे पूरे शरीर को खींचे।
  3. खिंचाव को पैर की अंगुली से लेकर हाथ की अंगुलियों तक महसूस करें।
  4. इस अवस्था को कुछ समय के लिए बनाए रखें और साँस ले साँस छोड़ें।
  5. फिर साँस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने हाथ एवं शरीर को पहली अवस्था में लेकर आए।
  6. इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ।

ताड़ासन योग के फायदे-

  1. ताड़ासन वजन कम करने के लिए।
  2. ताड़ासन हाइट बढ़ाने के लिए।
  3. ताड़ासन पीठ की दर्द के लिए।
  4. नसों एवं मांसपेशियों के दर्द को कम करता है।
  5. घुटने के दर्द से राहत।
  6. चलने की कला सिखाता है।
  7. एकाग्रता व संतुलन बढाता है।

सावधानियाँ-

  1. घुटने के दर्द में, सिरदर्द में तथा रक्तचाप कम या अधिक में न करें।
  2. यह आसन गर्भवती महिला के लिए वर्जित है।

प्रश्न 4. शंशाकासन को विस्तृत रूप में बताइए।

उत्तर-

 

विधि- सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर उठा लें। कंधों को कानों से सटा हुआ महसूस करें। फिर सामने की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को आगे समानान्तर फैलाते हुए, श्वास बाहर निकालते हुए हथेलियों को भूमि पर टिका दें। फिर माथा भी भूमि पर टिका दें। कुछ समय तक इसी स्थिति में रहकर पुनः वज्रासन की स्थिति में आ जाइए।

सावधानियाँ-

  1. यदि आपके पेट और सिर में कोई गंभीर समस्या हो तो यह आसन न करें।
  2. हृदय रोगियों के लिए आसन लाभदायक है।
  3. यह आसन पेट, कमर व कूल्हों की चर्बी कम करके आंत, यकृत, अग्नाशय व गुर्दो को बल प्रदान करता है।
  4. इस आसन के नियमित अभ्यास से तनाव, क्रोध, चिड़चिड़ापन आदि मानसिक रोग भी दूर होते है।

प्रश्न 5. योगनिद्रा की विस्तृत रूप से व्याख्या करें। या ध्यान को बढ़ाने के लिए योगनिद्रा की व्याख्या करें।

उत्तर- योगनिद्रा का अर्थ हैं- आध्यात्मिक नींद। यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है। सोने व जागने के बीच की स्थिति है योगनिद्रा।

योगनिद्रा के लाभ-

  1. दिनभर तरोताजा रहना।
  2. शरीर व मस्तिष्क का स्वस्थ रहना।
  3. नींद की कमी को पूरा करती है।
  4. इससे थकान, तनाव व अवसाद दूर हो जाता है।
  5. योगनिद्रा से बुरी आदते छूट जाती है।
  6. योगनिद्रा का प्रयोग रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द, तनाव, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनो, जोड़ो का दर्द, साइटिका, अनिद्रा, अवसाद और अन्य मनोवैज्ञानिक बीमारियों, स्त्री रोग में प्रसवकाल की पीड़ा में बहुत ही लाभदायक है।
  7. खिलाड़ी भी मैदान में खेलों में विजय प्राप्त करने के लिए योगनिद्रा लेते है। योगनिद्रा की अवधि 10 से 45 मिनट तक।