बच्चे तथा खेल - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE Class -12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 5 बच्चे तथा खेल
Important Questions

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न ( 5 अंक)
प्रश्न 1 कूबड़ पीछे को (kyphosis) के लक्षण तथा सुधारात्मक उपाय लिखिए।
उत्तर- लक्षण:-
  • स्कैप्यूला के बीच की दूरी बढ़ जाती है।
  • कंधे आगे की ओर झुक जाते हैं।
  • छाती की मांसपेशियों (Pectorals) की लम्बाई छोटी हो जाती है।
  • गर्दन आगे की ओर झुक जाती है।
  • पूरा शरीर आगे की ओर झुका प्रतीत होता है।
  • संतुलन खराब हो जाता है।
सुधारात्मक व्यायाम
  1. कूबड़ पीछे को उपचारित करने के लिये हमें उन व्यायामों का प्रयोग करना चाहिए जिनको करने से हमारी छाती की मांसपेशियों की लम्बाई में वृद्धि हो तथा थोरासिक क्षेत्र की पीठ की मांसपेशियों की शक्ति में वृद्धि होती हो जैसे कि-
  2. चक्रासन
  3. भुंजगासन
  4. धर्नुरासन
  5. स्विस बाल पर विपरीत दिशा में मुड़ना (पीछे को)
  6. विपरीत दिशा में वाटरफ्लाई करना
  7. तकिये की सहायता से गदर्न की एक्सटेंशन करना
  8. मर्जयासन (Cat Pose) करना
  9. उष्ट्रासन (Camal Pose) करना
  10. अर्धचक्रासन (Halfwheel) करना
प्रश्न 2. स्कॉलिओसिस (Scoliosis) के लक्षण तथा सुधारात्मक उपायों का वर्णन कीजिए-
उत्तर- लक्षण
  1. एक कंधा ऊँचा तथा एक नीचे हो जाता है।
  2. एक कूल्हा ऊपर तथा एक नीचे हो जाता है।
  3. शरीर का वजन एक पैर पर ज्यादा तथा एक पर कम हो जाता है।
  4. शरीर सीधा न होकर एक ओर झुका हुआ प्रतीत होता है।
सुधारात्मक उपाय
  1. तैराकी (Breast Stroke)
  2. त्रिकोण आसन करना
  3. लटकना
  4. तख्त (Plank) व्यायाम करना
  5. ऐसे व्यायाम करना जिसमें नीचे वाला कंधा ऊपर जाये तथा ऊपर वाला कंधा नीचे जाये।
  6. अधोमुख श्वान आसन
प्रश्न 3. कूबड़ (Lordosis) आगे के लक्षण तथा सुधारात्मक उपाय का वर्णन कीजिए।
उत्तर- लक्षण
  1. कूल्हे (Pelvis) आगे की ओर तथा नीचे की ओर झुक जाते हैं।
  2. पीठ की लम्बर क्षेत्र (Lumber Region) की मांसपेशियों की लम्बाई छोटी हो जाती है।
  3. उदर क्षेत्र की मांसपेशियों का लम्बाई बढ़ जाती है।
सुधारात्मक व्यायाम
  1. कूबड़ आगे को उपचारित करने के लिए हमें उन व्यायामों को करना चाहिए जिनको करते समय उदर क्षेत्र की मांसपेशियों की शक्ति में वृद्धि होती हो तथा लम्बर क्षेत्र की पीठ की मांसपेशियों की लम्बाई में वृद्धि होती हो।
  2. सिट अप्स लगाना- पैर सीधे करके, घुटने मोड़ कर
  3. हलासन करना
  4. पश्चिमोत्तानासन करना
  5. साईकिलिंग करना
  6. तिरछे करनचेज व्यायाम (Oblique Crunches)
  7. लंजस व्यायाम करना
  8. माऊंटेन क्लाबिंग व्यायाम करना (Mountaion Climbing)
  9. ऊँची कूद करते हुए घुटने छाती से लगाना।
  10. पैर के अंगूठे की बारी-बारी छूना।
  11. आगे की तरफ झुककर व्यायाम करना।
प्रश्न 4. घुटनों (Knock Knee) के आपस में टकराना के लक्षण कारण तथा सुधारात्मक उपाय लिखिए।
उत्तर- लक्षण
  1. खड़े रहने की स्थिति में दोनों घुटने आपस में स्पर्श करने लगते हैं।
  2. चलते समय घुटने आपस में स्पर्श करते हैं।
  3. दौड़ते समय घुटने आपस में स्पर्श करते हैं।
कारण-
  1. मोटापा
  2. विटामिन डी की कमी
  3. रिकेटस नामक रोग
  4. समय से पहले बच्चों का चलाना
  5. कपोषण
  6. घुटने के मिडिल लिगामेंट का लेटरल लिंगामेट की अपेक्षा में ज्यादा विकसित होना
  7. लम्बे समय तक भारी बोझा उठाना सुधारात्मक उपाय
सुधारात्मक उपाय
  1. घुड़सवारी करना
  2. फुटबाल खेल में साईड किक (Side kick) करना
  3. पद्मासन करना
  4. दोनों घुटनों के बीच तकिया लगाकर खड़े होना।
  5. वाकिंग कैलिपरस (Walking Calipers) का इस्तेमाल करना।
  6. घुटनों के नीचे तौलिया रखकर पैर सीधा रखकर तकिये को घुटनों से नीचे की आोर दबाना
  7. पैर को सीधा रखकर उसे उठाना
प्रश्न 5. धनुषाकार (Bow legs) टांगों के लक्षण, कारण तथा सुधारात्मक उपाय लिखिए
उत्तर- लक्षण
  1. दोनों घुटनों के बीच की दूरी जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है।
  2. खड़े होने की स्थिति में, चलने की स्थिति में तथा दौड़ने की स्थिति में घुटने बाहर की ओर घुम जाते है।
  3. टांगों की आकृति धनुषाकार हो जाती है।
कारण:-
  1. घुटनों के लेटरल (Lateral Ligament) लिंगामेंट (Media Lingament) मिडियल लिगामेंट की अपेक्षा ज्यादा बढ़ जाना
  2. हड्डियों का तथा मांसपेशियों का कमजोर हो जाना
  3. लम्बे समय तथा सुखासन में बैठना
  4. गलत तरीके से चलन
  5.  मोटापा
  6. बालक को समय से पहले खड़ा करना अथवा चलाना।
सुधारात्मक उपाय
  1. वाकिंग कैलिर्पस (Walking Calipers) का इस्तेमाल करना।
  2. घुटनों की मालिश करना
  3. घुटनों के आसपास की मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाने वाले व्यायाम करना जैसे लैंग एक्सटेन्सन करना।
  4. योग पट्टियों की सहायता से दोनों पैरों को सीधा करके बांधे और फिर गौ आसन की स्थिति को बनाना।
  5. पिलेट्स व्यायाम करना जैसे कि रोल अप (Roll up) बेलरिना आर्म (Bellerina Arms)
  6. गरूड़ आसन करना
  7. अर्ध मत्सेन्द्र आसन करना
प्रश्न 6. चपटों पैरों के लक्षण, कारण तथा सुधारात्मक उपाय लिखिए।
उत्तर- लक्षण
  1. चलते समय तथा खड़े होते समय पैर (Feet) के मध्य भाग में दर्द होना।
  2. पैर की लम्बी चाप का खत्म हो जाना।
  3. पैरों को गीला करके यदि फर्श पर रखा जाये तो पूरे पैर का निशान (Footprint) देखा जा सकता है।
कारण
  1. मांसपेशियों तथा हड्डियों की कमजोरी
  2. अधिक भार (Over Weight) होना
  3. मोटापा
  4. लम्बे समय तक भारी बोझा उठाना
  5. चोट
  6. कपोषण
  7. खराब जूते
सुधारात्मक उपाय
  1. पैरों से लिखना
  2. रेत पर चलना तथा दौड़ना
  3. पंजों पर कुदना
  4. उचित प्रकार के जूते पहनना
  5. जमीन पर गिरे हुए छोटे पत्थर के टुकड़ो को पैरों से उठाना
  6. पंजों पर चलना
  7. ताड़ आसन करना
  8. वज्रासन करना
  9. गेंद के ऊपर चलने वाले खेल
  10. जूते के मध्य भाग में रूमाल रखकर पहनना
प्रश्न 7. गोल कंधों के लक्षण, कारण तथा सुधारात्मक उपाय लिखिए?
उत्तर- लक्षण-
  1. कंधे गोल होकर आगे की ओर झुक जाते हैं।
  2. गर्दन आगे की ओर झुक जाती है।
  3. नीचे की झुके हुए कंधे।
कारण-
  1. गलत आदत
  2. तंग कपड़े
  3. खराब फर्नीचर
  4. व्यवसाय
सुधारात्मक उपाय-
  1. धर्नुरासन
  2. चक्रासन
  3. भुंजगासन
  4. स्विस बाल पर विपरीत दिशा में पीछे की ओर कंधों को मोड़ना
  5. विपरीत दिशा में बटरफ्लाई करना
  6. मर्जयासन (Cat Pose) करना
  7. उष्ट्रासन (Camel Pose) करना
  8. अर्ध चक्रासन (Half Wheel) करना
  9. रस्सी या रॉड पर लटकना
प्रश्न 8. भार प्रशिक्षण किस प्रकार बच्चे की कार्य कुशलता में सुधार करता है वर्णन कीजिए?
अथवा
भार प्रशिक्षण को लाभ बताइए।
उत्तर-
  1. आसन और गति-विस्तार में सुधार (Improve the posture and range of motion)- भार प्रशिक्षण विधि अच्छा आसन बनाने में मदद करती है। और मांसपेशीयों में वृद्धि गति के विस्तार के लिए भी भार प्रशिक्षण द्वारा की जा सकती है।
  2. मांसपेशीय शक्ति, अस्थि घनत्व ओर सहनक्षमता में वृद्धि (Increase muscles strength, bone density endurance)- प्रतिरोधक क्षमता का प्रशिक्षण अस्थि घनत्व और मांसपेशीय द्रव्यमान में सुधार करता है, अधिक मांसपेशीय द्रव्यमान (Muscle mass) होने से सहन क्षमता में वृद्धि होती है।
  3. चोटों से बचाव- भार प्रशिक्षण शारीरिक क्रियाकलाप और चोटी से बचाव करता है।
  4. रक्त-चाप और कोलेस्ट्रोल स्तर में सुधार- शारीरिक व्यायाम रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रशिक्षण को द्वारा खराब कोलेस्ट्रोल स्तर (Bad Cholesterol Level) को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रोल स्तर को बढ़ाता है, यह रक्त परिसंचरण स्तर (Blood circulation) में वृद्धि करता है।
  5. रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) में सुधार- पाचन तंत्र द्वारा विजातिय द्रव्य और एन्जाइमस को दूर किया जाता है शरीर के अवयवों द्वारा भली प्रकार से कार्य करना जिससे बिमारियों और संक्रामक तत्वों से शरीर अच्छे प्रकार से लड़ सकता है।
  6. मनोवैज्ञानिक व सामाजिक सुयोग्यता में सुधार- एक बच्चे का स्वस्थ शरीर जो समाज द्वारा स्वीकार्य है सशक्त कार्य को करने में मदद करता है एक सुयोग्य स्वस्थ शरीर बच्चों के आत्म विश्वास व आत्म सम्मान में वृद्धि करता है।
प्रश्न 9. गति विकास के विभिन्न चरण समझाइए?
अथवा
बच्चों के बाल्यावस्था में गामक विकास पर चर्चा कीजिए।
उत्तर- बच्चों में गामक विकास अध्ययन वाल्यावस्था के निम्नलिखित तीन चरणों में किया जा सकता है।
  1. प्रांरभिक अवस्था (Early Childhood)- इस अवस्था की अवधि दूसरे वर्ष से प्रांरभ होती है तथा छठे वर्ष तक चलती है इस अवधि के दौरान गामक विकास अधिक तेजी से होता है। इसे ‘विद्यालय पूर्व अवधि’ कहा जाता है,
    1. इस अवधि के दौरान बालक दौड़ने-कूदने, फेंकने जैसी मूलभूत गतिविधियों में निपुण हो जाता है।
    2. इस अवधि के दौरान सीढ़ी पर चढ़ने की क्षमता में दक्षता आ जाती है।
    3. इस अवधि में बच्चे के कदमों की लम्बाई बढ़ जाती है और उनके दौड़ने का तरीका परिपक्व हो जाता है।
    4. वे कुशलता पूर्वक उछल तथा दौड़ सकते है।
    5. जिमनास्टिक ओर तैराकी जैसे खेलों का प्रशिक्षण इस उम्र में शुरू किया जा सकता है।
  2. मध्यकाल (Middle Childhood)- यह अवस्था 7 वर्ष से 10 वर्ष की आयु तक रहती है। इस आयु में बालक में परिर्वतन होतें है।
    1. बच्चे क्रियाशील और स्फूर्तिमान हो जाते है।
    2. विभिन्न शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने की प्रबल इच्छा होती है।
    3. आँख, हाथों और पैरो में समन्वय
    4. आसन और संतुलन अच्छा बना रहता है।
    5. स्थिर व उत्तल गामक कौशल
    6. मेल जोल करने की योग्यता में विकास का स्तर उच्चतम होता है जबकि लचक में विकास धीरे-धीरे होता है।
  3. उत्तर बाल्यावस्था (Late Childhood)- यह अवस्था 11 से 12 वर्ष की आयु तथा अथवा लैंगिक रूप से परपिक्व होने के प्रारंभ तक रहती है।
    1. इस अवधि में लड़किया अपने मासिक धर्म के समय पूर्व आरंभ होने के कारण लड़को की अपेक्षा अस्थाई रूप से अधिक लंबी तथा स्थूल होती है।
    2. लड़कों तथा लड़कियों की शारीरिक शक्ति में अंतर प्रारंभ हो जाता है। अधिकतर बच्चे सर्वाधिक जटिल गामक कौशलों में महारत हासिल कर लेते है।
    3. वे युक्तियों तथा अधिक जटिल खेल सीखने के लिए तैयार हो जाते है।
    4. दौड़ने व कुदने की गतिविधियाँ, गुणात्मक तथा संख्यात्मक रूप से इस अवस्था में तेजी से विकसित होती है।