योगा और जीवन शैली - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE Class -12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 3 योग और जीवन शैली
Important Questions

दीर्घं प्रश्न
प्रश्न-1 अस्थमा से आप क्या समझते है इनके-लक्षण व कारण बताते। हुये कोई दो आसन की विधि बताइये जिससे अस्थमा को रोका जा सकता है।
उत्तर-
  • अस्थमा Asthma:- अस्थमा एक बीमारी है जो श्वास नलिकाओं से संबंधित है इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन आ जाती है जो कि नलिकाओं को बहुत संवेदनशील बना देती है तथा किसी भी प्रभावित करने वाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करती है। इस प्रतिक्रिया से नलिकाओं में संकुचन होता है इसमें फेंफड़ों में हवा की मात्रा कम हो जाती है जिससे रोग ग्रस्त व्यक्ति कों सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
    लक्षण:- खाँसी का दौरा होना, दिल की धड़कन बढ़ना, सांस की रफ्तार बढ़ना बचैनी होना, सीने में जकड़न, थकावट, हाथों, पैरों, कंधों व पीठ में दर्द होना अस्थमा के लक्षण है।
    कारण:- धूल, धुआँ, वायु प्रदूषण आनुवंशिकता, पराग कण, जानवरों की त्वचा बाल या पंख आदि इसके प्रमुख कारण है। अस्थमा को सुखासन चक्रासन, गोमुखासन, पर्वतासन, भुंजगासन, पश्चिमोत्तानासन तथा मत्स्यासन से नियंत्रित किया जा सकता है।
  1. सुखासन:-
    • पूर्व स्थिति:-दोनों पैर सामने की ओर रखकर सीधे बैठ जाएं।
    • विधि:-
      • सामान्य रूप में बैठना ही सुखासन है।
      • बाये पैर को मोड़ते हुए दायें पैर की जंघा के नीचे रखें।
      • दायें पैर को मोड़ते हुए बायें पैर की पिण्डली के नीचे रखें।
      • सिर, गर्दन व कमर को सीधी रखें।
      • दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में या अज्जली मुद्रा में रखें।
      • ध्यान के समय अधिक देर तक बैठने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। पैर बदलकर भी बैठ सकते है।
    • लाभ:-
      • यह आसन बहुत देर तक ध्यान, अध्ययन आदि के समय उपयोग में लाया जा सकता है।
      • कमर सीधी कर बैठने से पैरों में शक्ति आती है, दर्द दूर होते है तथा योगाभ्यासी अन्य आसन अर्द्धपद्मासन या पद्मासन करने के योग्य हो जाते है।
    • सावधानियाँ:- रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार की चोट हो तो अधिक समय तक ना बैठे, घुटनों के जोड़ों में परेशानी हो तो ये आसन ना करें।
  2. चक्रासन:-
    • पूर्व स्थिति:- दोनों पैर सीधे करते हुए कमर के बल लेट जायें।
    • विधिः-
      • दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर एड़ियों से नितम्बों को स्पर्श करते हुए रखें।
      • दोनों हाथों को मोड़कर कन्धों के पीछे रखें। हाथों के पंजे अन्दर की ओर मुड़े रहें।
      • हाथों और पैरों के ऊपर पूरे शरीर को धीरे-धीरे ऊपर उठा दे।
      • हाथ और पैरों में आधे फुट का अन्तर रहे तथा सिर दोनों हाथों के बीच में रहे।
      • शरीर को ऊपर की और अधिक से अधिक खिंचाव दें जिससे की चक्राकार बन जाए।
    • लाभ:-
      • पूरे शरीर पर इसका प्रभाव पड़ता है जिससे रक्त संचार, माँस-पेशियाँ व हड्डियों में लचीलापन आता है।
      • कमर दर्द को दूर करता है, फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है इससे शरीर की कार्य क्षमता बढ़ती है।
    • सावधानी:- पूर्णता प्राप्त करने से पूर्व बार-बार अभ्यास करें।
प्रश्न-2 क्या पीठ दर्द एक समस्या है? अगर है तो इस समस्या का योग आसनो से केसे बचाव किया जा सकता है।
उत्तर- पीठ दर्द एक व्यापक समस्या है। दुनिया भर में लोग बदलती और निष्कृय जीवन शैली के चलतें तरह-तरह की समस्याओं से ग्रस्त हो रहे है पीठ दर्द उनमें से एक है दुनिया भर में एक जगह बैठकर काम करने वाले लोगों में से 95 प्रतिशत और बाकि अन्य लोगों में 80 प्रतिशत लोग पीठ दर्द से परेशान है। और इसमें महिलाओं की संख्या अधिक है। इसके मुख्य कारण है। लम्बे समय करने के सही तरीके का ज्ञान ना होना, अधिक वजन अधिक वजन उठाना, गलत तरीके से सोना, किसी दुर्घटना के कारण, तथा मानसिक तनाव के कारण भी पीठ दर्द की समस्या होती है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति कोई भी कार्य ठीक से नहीं कर पाता यह कोई बहुत गम्भीर समस्या नहीं है परन्तु यह एक दर्द नाक समस्या है।
योगा करने से पीठ दर्द से बचाव हो सकता है अगर किसी को पीठ दर्द की समस्या है तब भी योगा करने से पीठ दर्द में काफी आराम मिलेगा। ताड़ासन, वक्रासन, शलभासन, भुंजगासन तथा अर्धमत्स्येद्रासन पीठ दर्द में किये जा सकते है।
  • वक्रासन:- यह योग आसन रीढ़ की हड्डी के लिए राम बाण है। यह रीढ़ हड्डी को लचीता बनाते हुए इसको स्वस्थ बनाने में योगदान देता है।
  • ताड़ासन:- यह आसन पीठ दर्द के लिए बहुत लाभकारी है अगर इसका सही तरह से अभ्यास किया जाए तो पीठ के दर्द से हमेशा के लिये छुटकारा पाया जा सकता है इसमें आप ऊपर की ओर अपने आप को खिचतें है और जहाँ पर दर्द है वहां खिंचाव को महसुस करते है।
  • शलभासन:- शलभासन कमर और पीठ को मजबूत करता है यह पीठ के लचीलापन को बढ़ाता है जिससे पीठ दर्द में आराम मिलता है।
  • भुंजगासन:- भुंजगासन को कोबरा पोज भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन की तरह उठाया जाता है। इस आसन को करने से पीठ दर्द में बहुत ज्यादा राहत मिलती है इसे को नियमित रूप से किया जाये तो हमेशा के लिये पीठ दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
  • अर्धमत्स्येन्द्रासनः- अर्धमत्स्येद्रासन का नाम महान योगी मत्स्येद्र नाथ को नाम पर रखा गया है। यह रीढ़ तथा पीठ की पेशियों को मजबूत करता है। उन्हें लचीला बनाता है नियमित रूप से करने से पीठ दर्द में राहत मिलती है।
प्रश्न-3 उच्च रक्तचाप के कारण बताते हुये कोई तीन आसन की विस्तार से व्याख्या करो जिससे उच्च रक्तचाप की नियन्त्रित किया जा सके।
उत्तर- उच्च रक्त चाप का अर्थ:- ऐसी स्थिति जिसमें धमनी की दीवरों के खिलाफ खून की ताकत बहुत अधिक होती है।
उच्च रक्त चाप को कारण:-
  1. बढ़ती उम्र है
  2. ज्यादा नमक खाने से, अधिक वसायुक्त भोजन ग्रहण करने से, मानसिक तनाव मधुमेह अन्य महिलाओं की तुलना में गर्भावती महिला भी उच्च रक्त चाप से ग्रस्त हो जाती है। इन सभी कारण से उच्च रक्त चाप में वृद्धि हो जाती है।
उच्च रक्त चाप को निम्न आसनों के माध्यम से नियन्त्रित किया जा सकता है।
  1. ताड़ासन:-
    • पूर्व स्थिति:- दोनों पैरो को मिलाकर तथा दोनों हथेलियों को बगल में रखकर सीधे खड़े हो जाये।
    • विधि:-
      • पैरो के बल खड़े होकर श्वास भरते हुए हाथ आकाश की ओर खिंचते हैं।
      • एड़िया भी उठा लेते है।
      • थीड़ी देर इसी स्थिति में रहते हुए श्वास छोड़ते हुए खड़े होने की स्थिति में विश्राम करते है।
      • इस आसन को 1 से 5 बार करें
    • लाभ:- शरीर में स्फूर्ति और लम्बाई बढ़ती है। इसके करने से प्रसव पीड़ा में कमी आती है लकवे में लाभ होता है। रक्त चाप ठीक रहता है।
    • सावधानियाँ:- सभी के लिए अच्छा है सिर्फ बीमार व्यक्ति नहीं कर सकता।
  2. अर्धचक्रासन:-
    • पूर्व स्थिति:- दोनों पैरों को मिलाकर खड़े हो जायें। हाथों को शरीर के पास रखें।
    • विधि:-
      • अपने हाथों को कुल्हों पर रखो।
      • धीमी गति से साँस लेने के साथ अपने घुटनों को झुकाये बिना पीछे मुड़े।
      • कुछ समय इसी मुद्रा में रहें।
    • लाभ:- कमर लचीली होती है, रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। उच्चरक्त चाप सामान्य हो जाता है हाथों तथा पैरों की माँसपेशियाँ भी मजबूत होती है।
    • सावधानियाँ:- पीछे घूमने के दौरान अपने घुटनों को नहीं मोड़े।
  3. शवासनः-
    • पूर्व स्थिति:- दोनों पैर सीधे रखते हुए कमर के बल लेट जाएँ।
    • विधि:-
      • दोनों पैरों में एक फुट का अन्तर रखें तथा एड़ी अन्दर व पंजे बाहर रखते हुए बिल्कुल शिथिल अवस्था में छोड़ दे।
      • दोनों हाथों की हथेलियाँ ऊपर रखते हुए शरीर से थोड़ी दूरी पर शिथिल अवस्था में रखें।
      • आँख बन्द करके मन को श्वास पर केन्द्रित करें किसी भी प्रकार का काम या विचार नही आने दें।
      • पैर से सिर तक के भाग को शिथिल कर लें तथा अनुभव करें कि शरीर केवल शव रह गया है।
    • लाभ:- सम्पूर्ण शरीर की कोशिकाओं, अंगों रक्तवाहिनी नलिकाओं, उच्चरक्त चाप मास्तिष्क और शारीरिक तनाव को दूर करने में सक्षम है। शारीरिक व मानसिक थकावट दूर होती है।
    • सावधानी:- शवासन करने का स्थान शान्त व बाह्य प्रदूषण, कोलाहल (शोर) से रहित होना चाहिए।
प्रश्न-4 मोटापा या स्थूलता से आप क्या समझते है इससे बचने के लिये कौन से आसन उपयोगी है विस्तार से बताइये।
उत्तर- मोटापा या स्थूलता:- Obesity आजकल मोटापा पूरे विश्व की समस्या बन चुका है। मोटापा शरीर की वह दशा होती है जिसमें शरीर में वसा (fat) की मात्रा बहुत अधिक स्तर तक बढ़ जाती है। दूसरे शब्दों में इस तरह कह सकते है कि “वह दशा जब एक व्यक्ति का आर्दश भार से 20% या इसमें अधिक होता है मोटापे के ये दो मुख्या कारण है हमारे खान-पान की गलत आदतें तथा पाचन प्रणाणी का बिगड़ना ऐसे व्यक्ति के जीवन में शारीरिक परिश्रण न के बराबर होता है।
मोटापे के अनेक स्वास्थ्य जोखिमों के कारण इसकी बीमारी का दर्जा दिया जा चुका है मोटापे के कारण व्यक्ति अनेक बीमारियाँ जैसे मधुमेह, अतिरिक्त दबाव, केसर, गठिया आदि रोगों का शिकार हो जाते है।
मोटापे के अनेक कारण है जैसे अत्याधिक भोजन, परिश्रम रहित जीवन, थायराइड, वंशानुगत।
मोटापे को दूर करने के लिए निम्न आसन करने चाहिये-
  1. बज्रासन:-
    • पूर्व स्थितिः- दोनों पैरों को सामने की ओर सीधे रखकर बैठ जाये।
    • विधि:-
      • दायें पैर को घुटने से मोड़कर दायें नितम्ब के नीचे रखें।
      • बाये पैर को घुटने से मोड कर बाये नितम्ब के नीचे रखें।
      • कमरे, गर्दन एवं सिर को सीधा रखते हुये, दोनों पैरों के अंगूठे मिले हुये एड़ी खुली हुई, घुटने तथा पैर का निचला भाग जमीन से लगा रहे।
      • दोनों हाथों की जंघाओं पर रखे तथा दृष्टि सामने।
    • लाभ:-
      • यह आसन ध्यानात्मक आसन है।
      • इसे भोजन के पशचात भी किया जा सकता है इसमें पाचन संस्थान पर प्रभाव पड़ता है।
      • उपापच मेटा बोलिषम प्रक्रिया ठीक प्रकार से होती है।
      • भोजन शीघ्र पंचता है पिण्डली और जंघाओं के लिए भी उत्तम है।
  2. हस्तोक्तानासन:-
    • पूर्व स्थितिः- दोनों पैरो को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएँ।
    • विधि:-
      • हाथी की हथेलियों आकाश की ओर उगलियों को परस्पर फंसाते हुये ऊपर की तरह ताने हाथ सीधे व कानी से सटे रहे।
      • श्वास बाहर करते हुए अपनी कमर से दहिनी और 5 से 10 सेकड करे श्वाम भरते हुए मध्यावस्था में आये इसी को दूसरी ओर भी करें।
    • लाभः-
      • संपूर्ण शरीर को आराम मिलता है बच्चो का कद बढ़ाने में सहायक कमर की लचक बढ़ाता है।
      • उदर-विकार के लिए भी उपयोग।
      • कमर की चर्बी कम करता है।
  3. त्रिकोणासन:-
    • पूर्व स्थितिः- दोनों पैर मिलाकर सीधे खड़े हो जाए।
    • विधिः-
      • दोनों पैरो कि बीच मे 3 से 4 फुट का अन्तर ले।
      • श्वास भरते हुए बायें हाथ को कान से लगाते हुये सीधा करे।
      • श्वास निकालते हुए दाहिनी ओर झुकें दायें हाथ से पैर को अंगुठे को स्पर्श करे।
      • श्वास भरते हुए सीध होकर हाथ बदलकर बायी ओर झुके।
    • लाभः-
      • इस आसन की प्रभाव से कमर व काटे प्रदेश लचीला होता है।
      • अनावश्यक चर्बी घटती है।
      • हाथ कंधे जंघा आदि शक्तिशाली होते है।
  4. अर्धमत्स्येन्द्रासन:-
    • पूर्व स्थितिः- दोनों पैर सीधे करके बैठे।
    • विधि:-
      • दाए पैर के घुटने को मोड़ने हुये एड़ी बाएं नितम्ब के बाहरी तल तक पहुंचाए बाए पैर को मोड़े और बाई एड़ी दाए रखते हुए घुटने के ऊपर से ले जाकर उसके पार दांए घुटने के साथ बाएं एड़ी पंजा जमा दें।
      • बाया घुटना छाती को समीप रहे। अब काट क्षेत्र से घूमें और दाई बाजु से श्वास निकालते हुए बाएं घुटने को घेरते हुये इस हाथ से बांए पैर के अँगूठे को पकड़े ग्रीवा घड़ सिर बाई ओर मुड़ जाऐगा।
      • अर्धयत्स्येन्द्रासन पैरो की स्थिति बदल कर आसन के पुन: दोहराए
    • लाभ:-
      • रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है, नाड़ियों को लाभ पहुँचाता है।
      • चेहरे पर चमक लाता है, मासिक धर्म नियंत्रित करता है
      • पैनक्रियाज ग्रंथि का स्त्राव नियंत्रित होता है श्वसन तंत्र के लिए बहुउपयोगी मोटापे को रोकता है।
प्रश्न-5 मधुमेह का क्या अर्थ है मधुमेह को नियन्त्रित करने के लिए कोई तीन आसन की विधि लिखी।
उत्तर- मधुमेह diabetes मधुमेह एक खतरनाक बीमारी है। यदि मधुमेह को नियन्त्रित नहीं किया जाये तो इससे गुर्दे फेल होना, आँखों की रोशनी कम होना व हदय वाहिका सम्बन्धी बीमारियों के होने का डर होता है। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो हमारे शरीर के रक्त में शुगर के स्तर को बढ़ा देती है। रक्त में शुगर के स्तर को नियन्त्रित करने में शुगर को लिए इनस्युलिन नामक हारमोन का प्रयोग किया जाता है।
मधुमेह के कारण व्यक्ति को थकावट होना, पेशाब करने की आवश्यकता बार-बार महसूस करना, हाथों व पैरों का सुन्न हो जाना, दृष्टि धुंधली हो जाना, शरीर क भार का अत्यधिक कम या अधिक हो जाना व घावों का न भरना मधुमेह के सामान्य लक्षण होते है।
मधुमेह का महत्वपूर्ण कारण है लोगों का अपनी जीवन-शैली से व्यायाम तथा सैर का त्यागना।
भुंजगासन, परिचमोत्तानासन, पवनमुक्त्तासान और अर्धमत्स्येन्द्रासन नियमित रूप से करने से इस रोग से मुक्ति पा सकते है।
  1. भजगासनः-
    • पूर्व स्थिति:- पेट के बल जमीन पर सीधे लेट जाँए।
    • विधि:-
      • दोनों पैरों को आपस में मिलाकर पीछे की और अधिक से अधिक खिचांव दे।
      • दोनों हाथो की कोहनियों से मोड़कर कंधों के नीचे रखें अंगुलियाँ बाहर की ओर तथा आपस में मिली हुई।
      • श्वास भरते हुए छाती के भाग को धीरे-धीरे नाभि तक ऊपर उठा दें। सिरे ओर गर्दन को भी ऊपर खींचे।
      • श्वास छोड़ते हुए पूर्व की स्थिति में आ जाए।
  2. पश्चिमोत्तानासनः-
    • पूर्व स्थिति:- दोनों पैर सामने रखते हुए सीधे बैठ पाएँ।
    • विधि:- श्वास करते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले जाएँ तथा सिर, गर्दन व कमर क भाग को ऊपर की ओर खिंचाव दें।
    • श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचें लाएँ तथा कमर के भाग को आगे करते हुए पैरों से लगा दें।
    • हाथों से पैर के अंगूठे पकड़े कोहनियाँ जमीन पर लगाएँ।
    • माथा छाती व पेट पूरी तरह पैरों से लगे हो।
  3. पवनमुक्तामनः-
    • पूर्व स्थितिः- पंजे और एड़ी के बल कागासान में बैठे।
    • विधिः- नितम्ब भाग को जमीन पर रखें।
      • दोनों हाथों से दोनों पैर के घुटने से नीचे के भाग पर लपेटें।
      • दोनों पैरों का वक्ष-स्थल तथा पेट पर अधिक दबाव दें।
      • स्थिति में आ जायें। तरह पैरों से लगे हो सीधा रखें।