शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेल - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE Class -12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 8 शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेल
Important Questions

पाँच अंक वाले प्रश्न
प्रश्न-1 व्यायाम का श्वसन संस्थान पर प्रभावों का उल्लेख करो?
उत्तर-
  1. प्राणधार वायु की क्षमता में वृद्धि (Increase in vital air capacity)- व्यायाम करने से व्यक्ति में ऑक्सीजन (वायु की क्षमता में लगभग 3500 सीसी से बढ़कर 5500 सीसी हो जाती है।
  2. अवशिष्ट वायु के आयतन में वृद्धि (Increase in Residual Volume)- नियमित व्यायाम से अवशिष्ट की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है।
  3. असक्रिय वायु-कोशिकाएँ (Passive Alveolus become Active)- सक्रिय हो जाती है नियमित व्यायाम के दौरान O2 को अधिक मात्रा की पूर्ति करनी पड़ती है।
  4. मिनट आयतन घटना (Minute Volume decrease)- एक मिनट में ली गई ऑक्सीजन की मात्रा में भी कमी आती है क्योंकि वायु कोष्ठिकाओं में गैसों के आदान प्रदान में सुधार हो जाता है।
  5. दूसरे श्वास की स्थिति से छुटकारा (Second wind almost finished) नियमित व्यायाम करने से दूसरे श्वास की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
  6. सहन क्षमता में वृद्धि (Increase in endurance)- यदि लंबी अवधि तक व्यायाम किया जाए तो व्यक्ति की सहन शक्ति में वृद्धि हो जाती है, कोई भी कार्य बिना थके लंबे समय तक किया जा सकता है।
प्रश्न-2 मांसपेशी संस्थान पर व्यायाम के प्रभावों को लिखों?
उत्तर-
  1. मांसपेशीय अतिवृद्धि- लगातार व्यायाम करने से पेशीय आकार में वृद्धि होती है।
  2. कोशिका नलिकाओं का निर्माण- प्रशिक्षण के कारण पेशियों में कोशिका नलिकाओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है। जिसके कारण पेशियों का रंग गहरा लाल हो जाता है।
  3. अतिरिक्त वसा पर नियंत्रण- नियमित व्यायाम करने अतिरिक्त वसा पर नियंत्रण होता है। व्यायाम कैलोरीज घटाने में मदद करते है। जो वसा के रूप में जमा हो जाती है।
  4. थकान में देरी- नियमित व्यायाम थकान में देरी करते है। यह थकान कार्बन डाइ आक्साइड, लैक्टिक एसिड और फास्फेट एसिड को कारण होती है।
  5. आसन (Posture)- नियमित व्यायाम आसन तथा आसन सबंधी विकृतियों में सुधार करता है।
  6. शक्ति तथा गति (strength and speed)- नियमित व्यायाम शक्ति तथा गति प्रदान करने वाली कोशिकाओं में सुधार करता है।
  7. भोजन का भण्डारण बढ़ जाता है- जब नियमित व्यायाम किया जाता है तो भोजन का भण्डारण बढ़ जाता है। जब भोजन की अचानक ही जरूरत पड़ती है। तो शरीर को तत्काल ही यह इस भण्डार से प्राप्त हो जाता है।
प्रश्न-3 लचक को निर्धारित करने वाले शरीर क्रियात्मक कारको के बारे में लिखिए।
उत्तर-
  1. मांसपेशीय शक्ति (Muscle strength)- मांसपेशियों में शक्ति का एक न्यूनतम स्तर होना आवश्यक है। विशेषकर गुरूत्व तथा बाहरी बल के विरूद्ध।
  2. जोड़ों की बनावट (Joint structure) - मानव शरीर में कई प्रकार के जोड़ होते है। कुछ जोड़ो में मूलभूत रूप से अन्य जोड़ों की अपेक्षा अधिक प्रकार की गतियाँ करने की क्षमता होती है। उदाहरण- कंधें के ‘बाल एवं सॉकेट जोड़ की घुटने के जोड़ की अपेक्षा गति की सीमा कहीं अधिक होती है।
  3. आंतरिक वातावरण (Internal Environment) किसी खिलाड़ी का आंतरिक वातावरण भी खिलाड़ी की लचक को निर्धारित करता है। उदाहरण- 10 मिनट तक गर्म पानी में रहने से शरीर के तापमान तथा लचक में वृद्धि होती है। तथा 10°C तापमान में बाहर रहने से कमी होती है।
  4. चोट (Injury) संयोजक ऊतको तथा मांसपेशियों में चोट के कारण प्रभावित क्षेत्र में मोटापा हो सकता है, रेशेदार ऊतक कम लचीले होते है, तथा अंगों के संकुचन को कम कर सकते है। जिससे लचीलेपन में कमी का कारण बन सकते है।
  5. आयु तथा लिंग (age and gender) आयु में वृद्धि के साथ-साथ लचक में भी कमी आती है। यह प्रशिक्षणीय है। इसमें प्रशिक्षण द्वारा वृद्धि की जा सकती है। चूँकि इससे शक्ति तथा सहन शक्ति में वृद्धि होती है। लिंग भी लचक को निर्धारित करता है। पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक लचक पाई जाती हैं
  6. सक्रिय और गतिहीन जीवन शैली (Active and sedentary life style)- नियमित व्यायाम लचक को बढ़ाती है। जबकि निष्क्रिय व्यक्ति लचक को कोमल ऊतको और जोड़ों के न सिकुड़ने तथा फैलने के कारण खो देता है।
  7. वंशानुक्रम (Heredity)- लिगामेंट और कैप्सूल की संरचनाओं के कारण अस्थि संरचना के जोड़ और लम्बाई वंशानुगत है जिसमें खिंचाव वाले व्यायामों के द्वारा लचक उत्पन्न नहीं की जा सकती।
प्रश्न-4 गति को निर्धारित करने वाले शरीर क्रियात्मक कारक कौन-कौन से है विवेचन कीजिए।
उत्तर-
  1. विस्फोटक शक्ति (Explosive Power)- प्रत्येक तीव्र तथा विस्फोट गतिविधि हेतु विस्फोटक शक्ति होना जरूरी है, जैसे किसी मुक्केबाज में विस्फोटक शक्ति की कमी होगी तो वह मुक्केबाजी में तेज पंच नहीं मार सकता, इसको अतिरिक्त विस्फोटक शक्ति मासपेशिय संरचना, आकार तथा सामंजस्य पर भी निर्भर करती है।
  2. मांसपेशीय गठन (Muscle Composition)- जिन मांसपेशी में फास्ट ट्विच रेशे अधिक होते हैं। वह अधिक गति कर सकते है। मांसपेशी का गठन आनुवांशिक रूप से निर्धारित होता है। प्रशिक्षण के द्वारा हम केवल कुछ सुधार कर सकते है।
  3. मांसपेशीयों की लोच और आराम की योग्यता (Elasticity & Relaxing Capacity of muscle)- मांसपेशीयों में लोच की योग्यता से मांसपेशियाँ अधिकतम सीमा तक गति कर सकती है। जिससे विरोध/प्रतिरोध को कम करके गतिविधियों को तीव्र कर सकते हैं, जो मांसपेशियां जल्दी (Relex) होती है, वे ही जल्दी संकुचित (Contract) होती है।
  4. स्नायु संस्थान की गतिशीलता (Mobility of Nervous System)- स्नायु संस्थान की मोटर इन्द्रिय स्नायु (Motor and Sensory nerves) शरीर को अंगों की गतिशीलता को निर्धारित करती है। प्रशिक्षण द्वारा हम एक सीमा तक स्नायु संस्थान की गतिशीलता को बढ़ा सकते हैं। क्योंकि गति का निर्धारण काफी सीमा तक आनुवांशिक कारकों पर निर्भर करता है।
  5. जैव-रासायनिक भण्डार तथा उपापचय योग्यता (Bio-chemical Reserves And metabolic Power)- तीव्र गति व्यायामों में मांसपेशियों को अधिक मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। और यह ऊर्जा हमें माँसपेशियों में फॉस्फोरस (ATP) तथा क्रिएटिन फॉस्फेट (CP) की पर्याप्त मात्रा से मिलती है। प्रशिक्षण द्वारा ATP तथा CP की मात्रा तथा ऊर्जा आपूर्ति की दर में आवश्यकतानुसार वृद्धि की जा सकती है।
प्रश्न-5. बुढ़ापे के कारण आनेवाले शरीर-क्रियाविज्ञान सम्बन्धी परिवर्तनों को बताइए?
उत्तर- बुढ़ापा विभिन्न शरीर क्रियात्मक कार्यों की दक्षता में आने वाला निरंतर तथा अपरिवर्तनीय पतन या क्षय है। ये परिवर्तन प्रायः तीस वर्ष की आयु के उपरांत देखे जा सकते है।
बुढ़ापे के लक्षण प्रभाव
  1. अनुवांशिकी कारक
  2. वातावरणीय कारक
    • आहार
    • सामाजिक तथा आर्थिक परिस्थिति
    • व्यायाम
बुढ़ापे को कारण आने वाले शरीर-क्रियात्मक परिवर्तन
  1. मांसपेशी संस्थान (Muscular system)
    • Decrease the muscle Mass & Strength
    • मांस पेशियों के आकार तथा शक्ति में कमी
  2. स्नायु संस्थान (Change in nervous system)
    • इन्द्रियबोध में कमी Loss of Sense
    • कान, नाक, सूंघने की शक्ति, देखने की शक्ति, बोलने की शक्ति, स्पर्श आदि बोध में कमी आ जाती है।
    • केन्द्रीय स्नायु संस्थान की कार्यक्षमता में भी कमी आ जाती है।
  3. पाचन संस्थान (Digestive system)
    • शरीर के संघटक तथा उपापचय में भी कमी आ जाती है। Decrease in Metabolism & body Composition
    • HCL अम्ल, द्रव्य, पाचक एंजाम तथा लार ग्रन्थि में कमी
  4. अस्थि संस्थान (Skeleton System)
    • अस्थियों के घनत्व में कमी (Decrease bone density)
    • ओस्टिपोरोसिस (Osteoporosis) के कारण हड्डियाँ कमजोर हो जाती है ओर जल्दी-जल्दी अस्थि टूट (Fracture) जाती है।
    • कोलेनज बाहिका रोग (Collagen vascular diseases)
  5. हृदय वाहिनी संस्थान में परिवर्तन (Changes in Cardiovascular System)
    • हृदय मांसपेशीय कमजोर हो जाती हैं।
    • स्ट्रोक-आयतन (Stroke volume), कार्डिएक आउटपुट (Cardiac output) तथा रक्त आयतन (blood volume) में कमी आना।
    • रक्त वाहिनियों का लचीलेपन में भी कमी आ जाती है।
    • उच्चरक्तचाप में वृद्धि (High blood pressure)
    • जल्दी-जल्दी थकावट का अनुभव (Feeling of Fatigue)
  6. श्वसन संस्थान में परिवर्तन (Changes in respiratory system)
    • बढ़ती आयु में फेफड़ो की कार्यक्षमता में कमी आने लगती है।
    • वायुमार्ग व फेफड़ो की मांसपेशी का लचीलापन तथा कार्यकुशलता में कमी।
    • ऑक्सीजन अंतःग्रहण, ऑक्सीजन विनिमय क्षमता कम हो जाती है।
    • पसलियों की मांसपेशिया कमजोर हो जाती है।
  7. शारीरिक क्षमता के घटकों में कमी
    • शक्ति, गति, लचीलापन, सहनशीलता, समन्वय व फूर्ती में कमी होने लगती है।
  8. मूत्र संस्थान में परिवर्तन (Changes in Urinary system)
    • गुर्दों का आकार कम होने से रक्त को साफ करने की दर भी कम हो जाती है।
    • अवशिष्ट मूत्र की मात्रा में वृद्धि हो जाती है।