महिलाएँ और खेल - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE Class -12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 6 महिलाएँ और खेल
Important Questions

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक वाले)
प्रश्न 1 .भारत में खेलों में महिलाओं की भागीदारी को सुधारने के सुझाव दें?
उत्तर- भारत में खेलों में महिलाओं की भागीदारी के लिए निम्न सुझाव है।
  1. महिलाओं को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरणा व प्रेरित करना।
  2. परिवार तथा समाज का सहयोग।
  3. महिलाओं के लिए शिविर, सेमिनार व कार्यशाला का आयोजन।
  4. ज्ञान अर्जित करना तथा दूरसंचार (media) की भागीदारी बढ़ाना।
  5. प्राथमिक स्तर पर महिलाओं की भागीदारी तथा प्रशिक्षण करना।
  6. अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करवाना।
  7. महिलाओं की सुरक्षा तथा संरक्षण का प्रबध करना।
  8. खेलों में प्रतियोगिता के अवसर उपलब्ध करवाना।
  9. नई वैज्ञानिक तकनीकी सामान व साधन का प्रबधन करना।
  10. खेलों में प्रतियोगिता के अवसर उपलब्ध करवाना।
  11. सन्तुलित व स्वस्थ भोजन का प्रबंधन करना।
  12. अच्छे व प्रेरित छात्रवृति व पुरस्कारों को देना।
  13. सांस्कृतिक व सामाजिक नकारात्मक पहलू को दूर करना।
  14. अभिवृत्ति व सामाजिक बाधाओं को ग्रामीण स्तर पर दूर करना।
  15. सामाजिक समान्ताओं की बनाना।
  16. आत्मविश्वास का विकास।
  17. वित्तीय सहायता।
  18. रोजगार और कैरियर।
  19. सरकारी नीतियों का निर्माण व लागू करना
प्रश्न 2. बुलिमिया नर्वोसा (अति क्षुधा या क्षुधातिशय) क्या है? इसके प्रमुख लक्षण, कारण व निवारण बताइये।
उत्तर- बुलिमिया नर्वोसा खान-पान संबधी एक विकार है। इसमें व्यक्ति लालचवश अपने शरीर व भूख की तृप्ति कहीं अधिक भोजन खा जाता है और बाद में जब इस व्यक्ति को परेशानी होती हैं तो वह शर्मिन्दगी से पछताता है और पश्चाताप स्वरूप उल्टी कर देता है या फिर उपवास, डाइटिंग कठिन व्यायाम, दवाइयाँ, हाजमा चूर्ण, एनिमा आदि का प्रयोग करता है।
कारण:- बुलिमिया नामक इस व्याधि का संबध प्रमुखतया भोजन के प्रति लालची सोच का परिणाम है। लेकिन फिर भी इसका कोई निश्चित कारण नहीं है। लेकिन फिर भी कुछ परिस्थितियों पर विचार किया जा सकता है।
  1. वशानुक्रम:- बुलिमिया ऐसे किसी भी वयक्ति में विकसित हो सकता है। जिसके परिवार में कोई व्यक्ति इससे पीड़ित रहा हो।
  2. मनोवैज्ञानिक कारक:- स्वादिष्ट भोजन के प्रति हमारा लालच अवसाद, गुस्सा, चिंता आदि मानसिक परिस्थितियों में भी व्यक्ति बहुत ज्यादा या कम खाने लग जाता है।
  3. खेल विधा प्रकारः- सामान्यतः जिमनास्ट, धावक, कुश्ती, जिम्नास्टिक आदि खेलों में मुकाबला वजन के आधार पर ही होता है। इसलिए इन खिलाड़ियों को बहुत कम या बहुत ज्यादा खाना खाने का दबाव बना रहता है।
  4. अन्य कारण:- अत्यधिक गरीबी, उपवास, कुछ व्यवसाय जैसे अभिनेता, नर्तक, मॉडल आदि लोग फिट व स्लिम दिखने के लिए बहुतायत इस प्रकार की व्याधि यों से ग्रसित हो जाते है।
लक्षण-
  • छुप-छुप कर या एकान्त में भोजन करना।
  • बार-बार भोजन करना।
  • वजन बार-बार कम या ज्यादा होना।
  • खाने के बाद अक्सर उल्टी करना या पेशाब का बहाना करना।
  • बार-बार पाचन संबधी दवाईयाँ, चूर्ण व नुस्खे लेना।
  • कमजोरी व चक्कर आना।
  • पेट दर्द, सीने में जलन, कब्ज, एसिडिटि आदि की शिकायत आदि।
निवारण या उपचार:- बुलिमिया नर्वोसा का इसके लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता सकता है। इसक्रा उपचार सामान्यतः बहुविषयक होता है शामिल हो सकते है। हमारे देश में यह व्याधि कम ही देखने को मिलती है।
  1. चिकित्सा संबधी उपचार:- जनरल फिजिशियन रोगी की डायबिटीज, रक्तचाप, कब्ज, एसिडिटी या अलसर आदि की जाँच करके सलाह व उपचार में सहायक हो सकता है।
  2. मानव व्यवहार सबंधी उपचार:- एक मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक कारको जैसे चिड़चिड़ापन, अवसाद, विचित्र आदते व व्यवहार संबधी परीक्षणों से उचित सलाह व उपचार प्रदान कर सकता है।
  3. आहार विशेषज्ञ व शारीरिक शिक्षा विशेषज्ञों द्वारा परामर्श:- यदि रोगी के मन में कैलोरी, मोटापे, भार या व्यायाम व फिटनेस को लेकर कोई सन्देह है तो शारीरिक क्रियाकलापों से संबधित विशेषज्ञ व आहार विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
प्रश्न 3. भारत में महिलाओं की खेलों में सहभागिता पर प्रकाश डालिए?
अथवा
महिलाओं की खेलों में भागीदारी के संबंध में विचारधारा पर संक्षेप में वर्णन कीजिए?
उत्तर- महिलाओं की खेलों में भागीदारी की विचारधारा के लिए हमें भूतकाल में झाँकना होगा। यदि हम 1896 ओलम्पिक (एथेंस) में देखे तो महिलाओं की उनमें कोई भूमिका नहीं थी।
  • 1900 से आधुनिक ओलम्पिक में खेलों में महिलाओं ने भाग लेना शुरू किया। इसमें 22 महिलाओं ने भाग लिया।
  • 1904 में 6 महिलाओं ने भाग लिया तथा 100 वर्ष बाद 2000 सिडनी ओलम्पिक में 4069 महिला प्रतिभागी थी।
  • 2008 बींजीग ओलम्पिक में 4637 महिलाओं ने भाग लिया।
भारत की सहभागिता-
  • भारत की ओर से भी सन् 2000 में ओलम्पिक में पदक लेने वाली प्रथम महिला कर्णम मल्लेश्वरी थी।
  • 1984 में पी.टी. ऊषा का प्रदर्शन सराहनीय था।
  • 2012 में लंदन ओलंपिक में साइना नेहवाल तथा एम.सी. मैरीकॉम दोनों ने कांस्य पदक प्राप्त किए।
2016 रियो ओलम्पिक में साक्षी मलिक ने कांस्य व पी.वी. सिंधु ने रजत पदक जीतकर देश की लाज बचाई। जबकि पुरुष खिलाड़ी कोई मेडल नहीं जीत पाए। वहीं दीपा करमाकर ने जिमनास्टिक में शानदार प्रदर्शन कर संभावनाओं को नये रास्ते दिखाए हैं।
बीते कुछ सालों में महिलाओं का प्रदर्शन विभिन्न खेल स्पर्धाओं में अच्छा रहा है। पंरतु आज भी खेलों के क्षेत्र में लैगिक भिन्नता स्पष्ट दिखाई देती है। पुरूषों को आज भी महिलाओं से बेहतर माना जाता है। समाज की यह विचारधारा महिलाओं की खेलों में सहभागिता को बाधित करती है। बहुत से लोगों की तो यह टिप्पणी होती है। “कि वे अपनी रसोई में क्यों नहीं रहती जो उनके रहने की जगह है।”
आज समय बदल चुका है महिलाए अपनी भागीदारी से समाज की विचारधारा को बदलने में धीरे-धीरे सक्षम हो रही है।
प्रश्न 4. महिला खिलाड़ी त्रय क्या हैं विस्तार में बताइयें।
उत्तर- महिला खिलाड़ी त्रय महिला खिलाड़ियों में होने बाले रोगों के लक्षणों का सवावेश व रोग हैं अस्भि सुषिरता, रजोधर्म, खाने संबंधी विकार यह एक गंभीर बीमारी है जिससे जीवन में लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर व खतरनाक परिणाम होते है इन रोगों समूह में तीन परस्पर संबंधित परिस्थितियाँ हैं।
  1. अस्थिसुषिता:- इसका संबंध अस्थि पदार्थ की विषय- सामग्री (bone material) की कमी से है यह एक अस्थि संबंधी विकार है। अस्थि की संहति (Bone mass) में कमी से अस्थि भंग (Fracture) हो सकता है इसके कारण है।
    1. हारमोन्स संबंधी परिवर्तन
    2. तीव्र व्यायाम
    3. कम कॆलोरीज और कार्बोहाइड्रेट का ग्रहण करना
  2. रजोरोध:- प्रजनन योग्य आयु वाली स्त्रियों को मासिक स्राव नहीं होता या फिर आरम्भ होकर कभी-कभी कई महीनों तक मासिक धर्म का न आना रजोरोध कहलाता है। इस समस्या का प्रमुख कारण अधिक तीव्रता वाले व्यापाय तथा शारीरिक आवश्यकताओं के अनुसार कम कैलोरी वाला भोजन लेना होता हैं। इसी कारण महिलाओं के मासिक धर्म में अनियमितता या कई बार रूक भी जाते है। इसके लिए निम्न कारण है-
    1. खान-पान की वजह से।
    2. हारमोन्स में बदलाव से।
    3. तीव्र रक्तस्राव।
    4. अधिक प्रशिक्षण तथा प्रतिस्पर्धा को कारण।
  3. भोजन संबंधी विकार:- जब व्यक्ति सामान्य से अधिक मात्रा में या बहुत कम मात्रा में भोजन करने लगे तो इमें भोजन संबंधी विकार कहते हैं ये एक प्रकार की मानसिक बीमारी हैं। इस के दो प्रकार होते हैं।
    1. एनोरेक्सिया नर्वोसा। क्षुधा अभाव।
    2. बुलिमिया। अति क्षुधा।
प्रश्न 5. एनोरेक्सिया नर्वोसा क्षुधा अभाव से आप क्या समझते है एनोरोक्सिया नर्वोसा क कारण, लक्ष्णों तथा बचाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर- एनोरेक्सिया नर्वोसा। क्षुधा अभाव भोजन संबंधी विकार है यह एक मानसिक रोग है जो प्रारंभिक या मध्य किशोरवस्था में सबसे अधिक पाया जाता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अपना शारीरिक भार कम करने के उद्देश्य से भोजन की मात्रा बहुत कम कर देते है जिसके कारण वे बहुत ही दुबले पतले प्रतीत होने लगते है। पीड़ित व्यक्ति अपना वजन कम करने के लिए कई प्रकार के अनुचित तरीके भी अपनाने लगते है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति के हृदय तथा गुर्दों को क्षति पहुँचती है उगर समय पर इसका इलाज न किया जाये तो यह रोग जान लेवा भी हो सकता है।
क्षुधा अभाव के कारण:-
  • सामाजिक कारक:- अकसर माता-पिता या मित्रों द्वारा व्यक्ति के शारीरिक आकार को लेकर उपहास किए जाने के कारण वह क्षधा अभाव या एनोरेक्सिया नर्वोसा की ओर अग्रसर हो जाते है। कुछ व्यवसाय जैसे मॉडलिग तथा जिम्नास्टिक भी इसके कारण है।
  • जैविक कारक:- यदि इस समस्या से ग्रस्त कोई गर्भवती स्त्री को जन्म देती हैं तो उस शिशु को इस समस्या से ग्रस्त होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
  • व्यक्तिगत कारक:- अक्सर व्यक्ति समुह में खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए कि वह कितना नियमों को मानता है आदेशों का पालन करता है के कारण भी इस समस्या से ग्रस्त हो जाता है।
एनोरेक्सिया नर्वोसा के लक्षणः-
  1. शारीरिक भार में तेजी से कमी आता हैं जिसके कारण शारीरिक स्वरूप पतला प्रतीत होता है।
  2. किशोरियों के मासिक धर्म में अनियमितता होने लगती है।
  3. उल्टी, शरीर के फुलने का अहसास तथा कब्ज थी शिकायत रहती है।
  4. रक्तहीनता ही जाती है।
  5. नाड़ीगाति तथा रक्तचाप धीमा रहने लगता है।
  6. दांतो की समस्याएँ, लार ग्रंथि सूजन की आशंका बढ़ जाती हैं।
  7. कई बार अधिक भोजन का सेवन कर लेते है।
एनोरोक्सिया नर्वोमा से बचाव:-
  1. भार कम करने के लिये सुनी-सुनाई बातों या किताबों के ज्ञान की अपेक्षा विशेषज्ञ की सलाह ले।
  2. बच्चों को यह समझाना चाहिये की भारी शरीर होने के बावजूद भी वह चुस्त तथा आकर्षक बने रह सकते हैं।
  3. समस्या से ग्रस्त व्यक्ति से दूर रहें।
  4. मनोवैज्ञानिक की सहायता भी ली जा सकती है डॉक्टर के परामर्श अनुसार दवाईयाँ भी ली सकती है।