मनोविज्ञान और खेल - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE Class -12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 11 मनोविज्ञान और खेल
Important Questions

दीर्घ उत्तरीय प्रशन (5 अंक)
प्रश्न-1. तनाव को प्रबन्धन को व्याख्या कीजिए?
अथवा
तनाव को कम करने को तरीको का वर्णन कीजिए?
उत्तर- तनाव को कम करने के लिये निम्नलिखित तरीको का उपयोग किया जाता है-
  1. अपनी क्षमताओं को स्वीकारना- व्यक्ति को अपनी क्षमताओं को पहचान कर उन्हें स्वीकारना चाहिए जब व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का ज्ञान हो जायेगा तो वे कार्य जो उसकी क्षमता से परे है उनके न हो पाने की स्थिति में व्यक्ति की तनाव नहीं होगा।
  2. शारीरिक पुष्टि- शारीरिक पुष्टि को स्तर को अच्छा बनाकर तनाव की स्थिति में पड़ने वाले विपरीत प्रभावों को कम किया जा सकता है। जिन व्यक्तियों की शारीरिक पुष्टि अच्छी होती है वे तनाव में भी देर से आते है।
  3. योग करना- निरन्तर यौगिक क्रियाए करने से व्यक्ति तनाव की स्थिति से बच सकता है जैसे कि ध्यान लगाना, शव आसन करना, उदघोष प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम करना, अनुलोम विलोम प्राणायाम करना आदि।
  4. मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त बनना- व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त बनाकर तनाव से बचाया जा सकता है तथा इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है।
  5. संतुलित आहार- तनाव से बचने क लिये व्यक्ति की संतुलित आहार लेना चाहिए तथा अपने आहार में पानी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
  6. तनाव ग्रस्त व्यक्तियों से दूर रहना- जो व्यक्ति पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति में चल रहे है उनके साथ नहीं रहना चाहिए अन्यथा तनाव ग्रस्त व्यक्ति की सोच व स्थिति सामान्य व्यक्ति को भी तनाव की ओर लेकर जा सकती है।
  7. वातावरण को अनुरूप बनाना- यदि हमारा वातावरण हमारे अनुरूप है तो हमें तनाव नहीं होगा अथवा उसके बुरे प्रभाव हमें कम प्रभावित करेंगे। अपने वातावरण को अपने अनुरूप बनाने के लिये हमें उन वस्तुओं को अपने वातावरण में शामिल करना चाहिए जो हमें खुशी देते हो जैसे कि संगीत, दर्शक आदि।
  8. व्यायाम करना- जो व्यक्ति प्रतिदिन व्यायाम करते है उनके तनाव को स्थिति में आने की सम्भावना कम हो जाती है।
  9. तनाव युक्त विचारों से दूर रहे- हमे उन बातों पर विचार नहीं करना चाहिए जो कि हमे तनाव मे ला सकती है। हमें उन बातों की न तो चर्चा करनी चाहिए और न ही इनके बारे में सोचना चाहिए।
  10. शिथिलीकरण मालिश- शिथिलीकरण मालिश के माध्यम से भी हम तनाव के स्तर को कम कर सकते है।
  11. आत्म सुझाव- अपने आप को आत्म सुझाव देकर भी तनाव को कम किया जा सकता है।
  12. अकेले ना रहना- तनाव की स्थिति में व्यक्ति को अकेला नहीं रहना चाहिए उसे हमेशा अपने आप को दूसरो के साथ व्यस्थ रखना चाहिए।
  13. भार को कम करना- तनाव को कम करने के लिये हमे जीवन में मिलने वाले दूसरे भारो को कम देना चाहिए जैसे कि तनाव कि स्थिति में हमें ज्यादा मुश्किल प्रशिक्षण नहीं करना चाहिए।
  14. शिक्षा- व्यक्ति को तनाव के बारे में पूर्ण जानकारी देकर भी हम अपने तनाव के स्तर को कम कर सकते है।
प्रश्न-2. शारीरिक छवि तथा आत्म सम्मान की प्रभावित करने वाले कारक तथा उनकों सुधारने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- प्रभावित करने वाले तत्व-
  • दूसरों से तुलना करना
  • दूसरो का व्यवहार हमारे प्रति
  • जीवन के अनुभव अच्छे और बुरे दोनो
  • शारीरिक गठन अच्छा होगा तो शारीरिक छवि तथा आत्म सम्मान भी अच्छा हो जायेगा।
  • रंग रूप अच्छा हो तो शारीरिक छवि तथा आत्म सम्मान पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
  • समाज से मिलने वाली टिप्पणी
  • उम्र बढ़ने की प्रक्रिया
  • मीडिया में छवि
शारीरिक छवि या आत्म सम्मान को सुधारने के तरीके-
  • सकारात्मक सोच रखनी चाहिए
  • अपनी योग्यताओं पर ध्यान देना
  • प्लास्टिक सर्जरी का उपयोग करके अपनी शारीरिक सुन्दरता को बढ़ाया जा सकता है।
  • सुन्दरता को बढ़ाने वाली वस्तुओं का उपयोग करके भी शारीरिक सुन्दरता को बढ़ाया जा सकता है।
  • नकारात्मक सोच को रोकना
  • आत्म प्रशांसा करना
  • व्यक्तित्व की अच्छा बनाने वाली बातों की जीवन में अपनाना।
  • प्रतिदिन व्यायाम करना तथा संतुलित आहार खाना।
प्रश्न-3. व्यायाम के मनोवैज्ञानिक लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- लाभ-
  • मूड को अच्छा बनाता है
  • अवसाद (Depression) को कम करता है
  • चिंता को कम कर देता है
  • मानसिक विकास अच्छा हो जाता है
  • मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त हो जाते है
  • दबाव को कम करता है
  • व्यक्तित्व को आंकर्षक बनाता है
  • सीखने की गति बढ़ जाती है
  • दबाव को कम करता है
  • व्यक्तित्व को आंकर्षक बनाता है
  • वृद्धि तथा विकास अच्छा हो जाता है
  • स्मरण शक्ति अच्छी हो जाती है
  • आत्म सम्मान को बढ़ाता है
  • गामक क्रियाओं का विकास (Motor Development)
  • बुद्धि का विकास अच्छा हो जाता है
  • विपरीत स्थिति में भी वातावरण से सामजस्य स्थापित करने में सक्षम हो जाते है।
प्रश्न-4. अभिप्रेरणा की तकनीकी का वर्णन कीजिए?
उत्तर- अभिप्रेरणा की तकनीकी-
  1. मूल्याकंन- के माध्यम से व्यक्ति को उसकी स्थिति से अवगत करा कर उसे और अच्छा करने के लिये प्रेरित किया जा सकता है।
  2. विभिन्नता- व्यक्ति के कार्यक्रम में विभिन्नताएँ ला कर उसे और रूचिकर बनाकर उसे लक्ष्य की ओर प्रेरित किया जा सकता है।
  3. दर्शक- दर्शको की उपस्थिति में खिलाड़ियों में जोश उत्पन्न होता हे वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्रेरित होते है।
  4. भर्त्सन (Criticism)- खिलाड़ी को अनुचित प्रदर्शन की भर्त्सन करको भी उसे और अच्छा करने के लिये प्रेरित किया जा सकता है।
  5. छत्रवृत्ति- खिलाड़ी को उचित परिणाम मिलने पर छत्रवृति देकर उसे ओर अच्छा करने के लिये प्रेरित किया जा सकता है।
  6. आधुनिक उपकरण- का इस्तेमाल करको वातावरण को अच्छा तथा रूचिकर बनाया जा सकता है जो कि खिलाड़ी को लक्ष्य की ओर प्रेरित करता है।
  7. अभ्यास की समय सीमा- अभ्यास की अवधि को कम करके खिलाड़ी के भार (Load) को कम करके खिलाड़ी को लक्ष्य की ओर अग्रसर किया जा सकता है।
  8. लक्ष्य निर्धारण- आसान लक्ष्यों को निर्धारित करको खिलाड़ी को लक्ष्य की ओर अग्रसर किया जा सकता है।
  9. पुरस्कार- खिलाड़ी को लक्ष्य प्राप्ति पर पुरस्कार देने का वादा करको उसे लक्ष्य प्राप्ति के लिये प्रेरित किया जा सकता है।
  10. प्रशंसा- उचित खेल प्रदर्शन पर खिलाड़ी को प्रशसा करके उसे और अधिक अच्छा करने के लिये प्रेरित किया जा सकता है।
  11. रूचिकर वातावरण- वातावरण की संगीत, दर्शको आदि की सहायता से अधिक रूचिकर बनाकर, आदि की सहायता से अधिक रूचिकर बनाकर खिलाड़ी को लक्ष्य की ओर प्रेरित किया जा सकता है।
  12. संचार माध्यम- जब खिलाड़ी क खेल प्रदर्शन की संचार माध्यम से प्रसारित किया जाता है तो खिलाड़ी प्रशंसा का पात्र बनने के लिये लक्ष्य प्राप्ति के लिये पूरे दमखम से प्रेरित होता है।
  13. उपलब्धियों का अभिलेख (Record)- खिलाड़ी की उपलब्धियों का अभिलेख रखकर उसे समय-समय पर उसकी पूर्व उपलब्धियों से अवगत करवा कर भी उसे लक्ष्य की ओर प्रेरित किया जा सकता है।
  14. क्रम देना- खिलाड़ियों को विभिन्न क्रम देकर उन्हे और अच्छा करने के लिये प्रेरित किया जा सकता है।
  15. संयुक्त जिम्मेदारी- खिलाड़ी को संयुक्त जिम्मेदारी देकर भी उसे कार्य करने के संयुक्त प्रयास का अनुभव करवाया जाता है ये अनुभव खिलाड़ी को और अच्छा करने के लिये प्रेरित करते है।
  16. प्रतिपुष्टि (Feed Back)- खिलाड़ी को उसके द्वारा किये गये प्रयासो की प्रति पुष्टि करवा कर और अच्छा करने के लिये प्रेरित किया जा सकता है।
प्रश्न-5. आक्रामकता को नियंत्रित करने के उपायों की व्याख्या कीजिए?
उत्तर- आक्रामकता को नियंत्रित करने के उपायों की व्याख्या निम्नलिखित है-
  1. गैर आक्रमक व्यवहार के लिये खिलाड़ी की प्रशंसा करती चाहिए।
  2. उन संकोतो को हटा देना चाहिए जो कि खिलाड़ी को आक्रमक बनाते हो।
  3. संज्ञानात्मक रणनीतियों का इस्तेमाल करके जैसे कि आत्म सुझव, खुद से बातचीत करके, कल्पनाशीलता आदि के उपयोग से आक्रमकता को नियत्रित किया जा सकता है।
  4. आक्रामकता की प्रबन्धन हेतू योग, शिथिलिकरण, हँस चिकित्सा, उल्टी गिनती गिनना, पाँच श्वास आदि तकनीकों का इस्तेमाल करके आक्रमकता को नियंत्रित किया जा सकता है।
  5. जब भी खिलाड़ी आक्रामकता को नियंत्रित रखें उसे सकारात्मक सुदृढ़ीकरण प्रदान करना चाहिए उदाहरण के लिये कोई पुरस्कार देना।
  6. खेल को जीतने पर महत्व न देकर खेल को खेलने पर जोर देना चाहिए और समझना चाहिए किस प्रकार मात्र एक खिलाड़ी का आक्रमक व्यवहार भी टीम को स्तर को नीचे ला सकता है।
  7. प्रयत्न करने के बाद भी यदि खिलाड़ी आक्रमक व्यवहार को न छोड़ रहा है और निरन्तर कर रहा हो तो उसे दण्डित करना चाहिए।
  8. कोच का खुद का व्यवहार भी गैर अक्रामक होना चाहिए अन्यथा उसका व्यवहार खिलाडियों में आक्रमकता को बढ़ायेगा।
प्रश्न-6. व्यक्तित्व को बिग 5 लक्षण सिद्धात की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
उत्तर- इस सिद्धांत के अनुसार किसी भी व्यक्तित्व को आंकने के लिये 5 बड़े लक्षणों का आंकलन करना चाहिए। ये 5 बड़े लक्षण निम्नलिखित है-
  1. स्पष्टता सम्बन्धी लक्षण:- स्पष्टता सम्बन्धी लक्षण का आंकलन यह दर्शाता है कि व्यक्ति कितना-
    • काल्पनाशील
    • व्यवहारिक
    • विभिन्न विषयों में रूचि रखने वाला
    • कितनी बौद्धिक जिज्ञासा रखने वाला
    • रचनात्मक
    • नये अनुभवों का आनंद लेने वाला
    • नये विषयों को सीखने में योग्य है
  2. कर्तव्यनिष्टता सम्बन्धी लक्षणः- कर्तव्यनिष्टता सम्बन्धी लक्षण का आंकलन यह दर्शाता है कि-
    • व्यक्ति कितना जीवन की चुनौतियों का समना करने में सक्षम है
    • कितना आत्म अनुशासित है
    • कितना कुतव्यनिष्ट है
    • कितना योजना बद्ध कार्य करता है
    • कितना प्रबन्धन कला में कुशल है
    • दूसरों पर कितना निर्भर है
    • कितना कठोर परिश्रमी है
    • कितना महत्वकांशी है
  3. बहिमुर्खता:- इस लक्षण का आंकलन यह दर्शाता है कि व्यक्ति कितना-
    • ऊर्जावान है
    • कितनी सकारात्मक भावना रखता है
    • कितनी स्वीकारने की क्षमता रखता है
    • कितनी मिलनसार है।
    • कितनी बातें करने में निपुण है
    • कितना जिदादिल
    • कितना स्नेहपूर्ण व्यवहार रखता है
    • कितना मित्रतापूर्ण व्यवहार रखता है
  4. सहमतता सम्बन्धी लक्षण:- इस लक्षण का आंकलन यह दर्शाता है कि-
    • व्यक्ति कितना उदार है
    • कितना दूसरो को सहयोग करने वाला है
    • कितना व्यवस्थित रूप से कार्य करने वाला है
    • कितना मित्रतापूर्ण है।
  5. मनोविक्षुब्धता सम्बन्धी लक्षण:- इस लक्षण का आंकलन यह दशांता हे कि-
    • व्यक्ति कितना गुस्सा करने वाला
    • कितना अवसाद में रहने वाला अथवा अवसाद पर उसका नियन्त्रण कितना है
    • क्रितना चिंतित
    • कितना भावनाओं पर नियंत्रण रख सकता है