शारिरिक शिक्षा और खेल - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE Class -12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 4 शारीरिक शिक्षा और खेल
Important Questions

दीर्घं प्रशन उत्तर
प्रश्न 1. ए. डी. एच. डी (ADHD) के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
  1. अनुवांशिक:- यदि माता पिता में से किसी एक को ए. डी. एच. डी. हो तो उनकी संतान को ADHD होन की सम्भावना 4 से 5 गुणा तक बढ़ जाती है।
  2. मस्तिष्क की कार्यक्षमता तथा बनावट:- यदि मस्तिष्क की आन्तरिक बनावट में कमी हो तथा न्यूरोट्रांसमीटर असन्तुलन की समस्या हो तो ए. डी. एच. डी. होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  3. समय से पूर्व जन्म:- इस स्थिति में तंत्रिका तंत्र पूर्ण रूप से विकासित नहीं हो पाता जिसके कारण भी ए. डी. एच. डी. होने सम्भावना बढ़ जाती है।
  4. जन्म के समय का वजन:- यदि शिशु का जन्म के समय वजत कम हो तो उसे ADHD ए. डी. एच. डी. होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  5. मस्तिष्क से सम्बन्धित चोट:- मस्तिष्क पर लगने वाले आघात भी व्यक्ति की ADHD ए. डी. एच. डी की ओर अग्रसर कर सकते है।
  6. मादक पदार्थों का सेवन:- शराब, धुम्रपान, उत्तेजित दवाओं का सेवन भी व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र पर बुरा प्रभाव डालता है। जो व्यक्ति को ADHD ए. डी. एच. डी. की ओर अग्रसर कर सकता है।
  7. हानिकारक पदाथों का सेवन:- यदि बालक कम उम्र में ही हानिकारक पदाथों का सेवन करता है जैस कि लैंड। इससे बालक के तंत्रिका तंत्र की कार्य क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है जो कि बालक ADHD की ओर अग्रसर कर सकता है।
प्रश्न 2. (SPD) एस. पी. डी. कारणों की व्यारव्या कीजिए।
उत्तर-
  1. अनुवांशिक:- कुछ एसे तत्व है जो अनुवशिक रूप से माता पिता से बालक को मिल सकते है जैसे कि ध्वनि तथा प्रकाश के प्रति अत्याधिक संवेदनशील होना। ये तत्व बालक को (SPD) एस. पी. डी. की ओर अग्रसर कर सकते है।
  2. असाधारण मस्तिष्क:- यदि मस्तिष्क की बनावट उचित न हो तो भी व्यक्ति (SPD) एस. पी. डी. की ओर अग्रसर हो जाता है।
  3. तंत्रिका तंत्र सम्बन्धी विकार:- यदि तंत्रिका तंत्र सुचारू रूप से कार्य न कर रहा हो तो भी व्यक्ति (SPD) एस. पी. डी. की ओर अग्रसर हो जाता है।
  4. चोट:- गर्दन के ऊपरी भाग तथा ब्रेनस्टेम में लगे हुए अघात के कारण भी (SPD) एस. पी. डी. होने की सम्भावना अधिक हो जाती है।
  5. भोजन के तत्वों से एलर्जी:- भोज्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी भी (S.PD) एस. पी. डी. की ओर अग्रकर कर सकती है।
  6. गर्भ के समय मादक पदार्थों का उपयोग:- गर्भ के दौरान यदि माता मादक पदार्थों का सेवन करती है तो होने वाले बालक को (SPD) एस. पी. डी. होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  7. वातावरण:- यदि वातावरण शुद्ध न हो उसेम वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण बड़े हुए हो तो बालक को (SPD) एस. पी. डी. की ओर लेकर जा सकते है।
प्रश्न 3. ASD ए. एस. डी. के कारणों की व्यारव्या कीजिए।
उत्तर-
  1. अनुवांशिक कारण:- जुडवा बच्चों के संर्दभ में यदि किसी ए. एस. डी. हो तो दूसरे को ए. एस. डी. होने की सम्भावना 30% से 4% तक अधिक हो जाती है। भाई बहन के संर्दभ में यदि किसी को ए. एस. डी. हो तो दूसरे को 10% तक ए. एस. डी. होने  की सम्भावना बढ़ जाती है। ए. एस. डी. होने की सम्भाना उन लोगो में बढ़ जाती है जिनमे असधारण क्रोमोसोमल स्थिति होती है जैसे कि फ्रिंगलेक्स सिड़ोम।
  2. वातारण से सम्बन्धित कारण:- यदि माता गर्भ के समय कुछ विशेष प्रकार वायरस के सम्पर्क में आती है तो उससे होने बाले बच्चे को ए. एस. डी होने की सम्भावना बढ़ जाती है बुढ़े माँ बाप से होने वाली सन्तान को भी ए. एस. डी. होने की सम्भावना बढ़ जाती है। सेरिव्रिल डाई जिनोसिस तथा रेल्ट सिड्रोम के कारण भी ए. एस. डी. होने की सम्भावना बढ़ जाती है। यदि चयापचय क्रिया में काई विसगति जन्म से हो तो भी एस. पी. डी. होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
प्रश्न 4. (OCD) ओ. सी. डी. के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
  1. जैविक तत्व:- न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में कमी तथा मस्तिष्क के मार्गों में उत्पन्न होने वाली रुकावटे व्यक्ति को ओ. सी. डी. को ओर अग्रसर कर सकती है।
  2. अनुवांशिक तत्व:- यदि माता-पिता में से किसी एक को ओ. सी. डी. हो तो उनसे उत्पन्न होते वाली सन्तान को ओ. सी. डी. होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  3. संक्रमण:- स्ट्रेपटोकोकस को सक्रमण को कारण भी ओ. सी. डी. उत्पन्न हो जाता है।
  4. वातावरण:- कुछ हमारे वातावरण में भी एसे कारण होते है जो कि ओ. सी. डी. उत्पन्न करने के लिये जिम्मेदार होते है जैसे कि अपने किसी नजदीकी की मृत्यु हो जाना, स्कूल से सम्बन्धित समस्याएँ, रिश्तो से सम्बधित समस्याए, निवास करने की जगह में बदवाव आदि।
प्रश्न 5. ओ. डी. डी. (ODD) के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
  1. अनुवांशिक कारण:- यदि परिवार के लोगों को, माता पिता को मनोदिशा सम्बन्धी विकार हो, चिंता सम्बन्धी विकार हो, व्यक्तित्व सम्बन्धी विकार हो, तो ओ. डी. डी. होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  2. जैविक कारण:- मसतष्क पर लगने वाले आघात तथा न्यूरोट्रांसमीटर का सामान्य रूप से कार्य न करना ODD से पीड़ित होने की सम्भावना को बढ़ा देता है।
  3. वातावरण सम्बन्धी कारण:- पारिवारिक जीवन का खुशहाल न होना, अवसाद, परिवारिक जीवन से जुड़े दुखद अनुभव व्यक्ति को ODD ओ. डी. डी. की ओर अग्रसर कर सकते है।
प्रश्न 6. अक्षमता शिष्टाचारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
  1. उचित शब्द का चयन:- पहले के समय में अक्षम व्यक्ति के लिये कई शब्दों का प्रयोग किया जाता था जैसे विकलाग, शारीरिक रूप से विक्षि, मानसिक रूप से विक्षिप्त आदि परन्तु आज के समय में हमें उन्हें “व्यक्ति क्षमता के साथ” अथवा दिव्यांग शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए।
  2. उचित सम्बोधन:- किसी सभा में हमें उन्हें उनके नाम के साथ सम्बोधित करना चाहिए जिस प्रकार और लागो को सम्बोधित कर रहे हो।
  3. हाथ मिलाना:- जब भी मिले सर्वप्रथम दिव्यांग व्यक्ति से हाथ मिलाने के लिये पेशकश करनी चाहिए। यदि दिव्यांग व्यक्ति का सीधा हाथ न हो तो उल्टे हाथ से हाथ मिलाने की पेश कश करती चाहिए।
  4. सहायता:- तब तक प्रतीक्षा करती चहिए जब तक कि आप के द्वारा सहायता की पेशकश को दिव्यांग द्वारा स्वीकार न कर लिया जाए।
  5. सहायक:- जब भी दिव्यांग के सम्पर्क में जाये तो बिना किसी सहायक के दिव्यांग से बातचीत करे।
  6. पहचान:- जब भी दृष्टि सम्बन्धी दिव्यांग के सम्पर्क में आये सर्वप्रथम अपनी तथा बाद में जो भी आपके साथ ही उनकी पहचान दिव्यांग से करवाए उसके उपरांत बातचीत शरू करे।
  7. व्हील चेयर:- पर बैठे दिव्यांग की पीठ तथा कधे पर थपथपाना नहीं चाहिए।
  8. झुकना:- व्हील चेयर पर बैठ दिव्यांग की व्हील चेयर पर नहीं झुकना चहिए।
  9. ध्यानपूर्वक सम्पर्क:- जब भी किसी दिव्यांग के सम्पर्क में आये तो हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि चोट तथा दुर्घटना घटित न हो जाये।
प्रश्न 7. विशेष जरूरती वाले बच्चों अथवा दिव्याग के लिये शारीरिक क्रियाओं के लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
  1. शारीरिक सुधार:- एकाग्रता में सुधार, लचक में सुधार, शक्ति में सुधार सहनशीलता में सुधार, हृदय सम्बन्धी सुधार, मोटापे से पीड़ित होने की सम्भावना कम हो जाती है, हड्डियाँ मजबूत तथा मोटी हो जाती है शारीरिक पुष्टि अच्छी हो जाती है जोड़ों की सूजन कम होती है, तथा तंत्रिका तंत्र की कार्य क्षमता में सुधार आता है।
  2. मानसिक सुधार:- मनोदशा में सुधार, सुयोग्यता में सुधार, अवसाद तथा चिंता के स्तर में कमी आती है।
  3. आत्म सम्मान:- शारीरिक क्रियाओं में भाग लेने से दिव्यांग का आत्मविश्वास तथा आत्मसम्मान की भावना में बढ़ोतरी होती है।
  4. स्वास्थ्य:- शारीरिक क्रियाओं में भाग लेने से दिव्यांग के स्वास्थ्य के स्तर में बढ़ोतरी होती है उसके विकार होते की सम्भावता कम जाती है।
  5. व्यक्तित्व:- शारिरिक क्रियाओं में भाग लेने से दिव्यांग के व्यक्तित्व के सभी पक्षों में निखार आता है।
  6. समाजिक लाभ:- नये अनुभव प्राप्त होना, नये दोस्त बनते है, आजादी का अनुभव होता है दोषारोपण से बचना आदि।
  7. कार्य क्षमता:- शारीरिक क्रियाओं में भाग लेने से व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।
प्रश्न 8. विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिये शारीरिक क्रियाओं का निर्धारण करने की रणनितियों की व्याख्या कीजिए
उत्तर-
  1. डाक्टरी जाँच:- शारीरिक क्रियाओं में भाग लेने से पूर्व दिव्यांग की शारीरिक जांच करवा कर उसकी अक्षमता तथा अक्षमता के स्तर की जाँच कर लेनी चाहिए ताकि उसके स्तर के अनुरूप ही शारीरिक क्रियाए उन्हें करवायी जा सके।
  2. पूर्व अनुभव:- शारीरिक क्रियाओं के निर्धारण से पूर्व दिव्यांग के पूर्व अनुभव की जानकारी ले लेनी चाहिए ताकि शारिरिक क्रियाओं का चयन उनके लिये उत्तम हो सके।
  3. रूचि:- जब शारीरिक क्रियाओं का निर्धारण किया जाये तो दिव्यांग की रूचि का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि वह इन शारीरिक क्रियाओं में पूर्ण रूप से भाग ले सके।
  4. क्षमता:- जब भी शारीरिक क्रियाओं का निर्धारण किया जाये तो दिव्यांग की शारीरिक तथा मानसिक योग्यता को समझ लेनी चाहिए ताकि उसकी क्षमता के अनुरूप शरीरिक क्रियाओं का चयन किया जा सके।
  5. रूपांतरित उपकरण:- उपकरणों का रूपांतरण हमेशा दिव्यांग की अक्षमता क स्तर क अनुरूप हो ताकि वह शारीरिक क्रियाओं में भाग ले सके।
  6. उपयुक्त वातावरण:- शारीरिक क्रियाओं का विधारण करते समय इस बात पर जरूर ध्यान देता चाहिए कि वातावरण उन क्रियाओं के अनुरूप है अथवा नहीं। वातावरण में क्रियाओं से संम्बन्धित सभी सुविधाए होनी चहिए।
  7. रूपांतरित नियम:- शारीरिक क्रियाओं का निर्धारण करने से पूर्व उनके नियमों को दिव्यांग की योग्यता क अनुसार रूपांतरित कर लेना चहिए।
  8. अनुदेश:- शारीरिक क्रियाओं के दौरान दिये जाने वाले अनुदेश दिव्यांग की अक्षमता की प्रकृति के अनुरूप हो उदाहरण के लिये दृष्टि सम्बन्धी दिव्यांग के अनुदेश सुनने वाले होने चाहिए।
  9. साधारण से मुश्किल:- शारीरिक क्रियाओं के निर्धारण के समय शुरू में आसान तथा धीरे-धीरे मुश्किल शारिरिक क्रियाओं की ओर बढ़ता चाहिए।
  10. सभी अंगों का उपयोग:- शारिरिक क्रियाओं की निधारित करते समय अधिकतर सभी अंगों का उनमें भागीदारी होने को पुष्टि कर लेती चाहिए।
  11. अतिरिक्त देख भाल:- शारीरिक क्रियाओं का निर्धारण करते से पूर्व दुर्घटना से बचाने वाले सभी तत्वों की समीक्षा जरूर कर लेनी चाहिए।